Pregnancy me Shatavari ke fayde आज के समय में बीमारियों के इलाज के लिए लोग आयुर्वेदिक औषधी को अधिक महत्व देने लगे हैं। वास्तव में आयुर्वेद में जड़ी बूटियों से शरीर के सभी विकारों का इलाज किया जाता है जिसका आपके शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। शतावरी भी एक ऐसी ही आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जो स्पर्म की मात्रा (quantity) और गुणवत्ता (quality) दोनों को बढ़ाने में मदद करती है। यदि आप गर्भधारण (conceive) करने की कोशिश कर रही हैं और आपको इसमें सफलता नहीं मिल रही हो तो इसके लिए शतावरी जैसी प्राचीन दवाएं बहुत कारगर साबित होती हैं। यह जड़ी बूटी शरीर प्रणाली (body system) को पोषण देती है और हार्मोन प्रणाली को संतुलित रखती है और महिला के जीवन शक्ति को बढ़ाती है। इस आर्टिकल में हम गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं।
विषय सूची
शतावरी ऊपर चढ़ने वाला एक पौधा है जिसकी पत्ती सूई (needle) जैसी होती हैं, तने और शाखाएं सुंदर एवं फूल बेहद नाजुक (delicate) होते हैं। शतावरी की हर्बल शक्ति क्रीम कलर की मोटी कंदमूल जड़ों में होती है। यह एक ऐसा पौधा है जिसकी जमीन के नीचे सौ से अधिक जड़ें होती हैं। यह शरीर को जीवन शक्ति एवं समग्र रस प्रदान करती है। यह महिलाओं के गर्भाशय को पोषण (nourishing) देकर प्रजनन क्षमता को बढ़ाती है और महिला के अंगों को गर्भावस्था के लिए तैयार करती है। इसके अलावा यह गर्भपात (miscarriages) के खतरे को भी रोकती है। प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर करने के अलावा सतावरी तंत्रिका तंत्र (nervous disorders) संबंधी विकार, गले के संक्रमण, तपेदिक, खांसी और श्वासनली का प्रदाह (bronchitis) के इलाज में मदद करती है। यह वास्तव में सैकड़ों बीमारियों के इलाज में उपयोगी है।
(और पढ़े – शतावरी के फायदे और नुकसान…)
शतावरी फाइटोकेमिकल्स का एक प्रचुर स्रोत (rich source) है जो गैर-पोषक पौधे रसायन हैं जो रोग पैदा करने वाले एजेंटों के खिलाफ शरीर की रक्षा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। शतावरी में मौजूद फाइटोकेमिकल्स प्रतिरक्षा प्रणाली (immunity) मजबूत करने और कैंसर विरोधी गतिविधि के साथ-साथ ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने में मदद करते हैं। शतावरी में मौजूद कुछ फाइटोकेमिकल्स निम्न हैं
(और पढ़े – शतावरी के चमत्कारी फायदे जो है अमृत समान…)
प्रेगनेंट महिलाओं के लिए शतावरी के उपयोग से अनेक फायदे होते हैं। इसमें फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो एंटीफंगल, मूत्रवर्धक (diuretic), एंटीट्यूमर जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अन्य यौगिकों जैसे सैपोनिन, सल्फर युक्त एसिड, ओलिगोसेकेराइड और अमीनो एसिड की उपस्थिति इसे एक लाभकारी जड़ी बूटी बनाती है जो अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।
शतावरी फोलिक एसिड का समृद्ध स्रोत है जो मां के गर्भ में भ्रूण के विकास (development) के लिए बहुत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण होता है। यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए गर्भावस्था से पहले और बाद में भी जरूरी होता है। यह गर्भाशय में भ्रूण के तंत्रिका विकास (nervous development), नई कोशिकाओं के बनने एवं शरीर में डीएनए के निर्माण के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा गर्भावस्था में शतावरी का सेवन गर्भवती महिला को हृदय रोगों से दूर रखता है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यही कारण है कि प्रेगनेंसी में महिलाओं को शतावरी का सेवन करना चाहिए।
(और पढ़े – गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी पोषक तत्व…)
बच्चे को जन्म देने के बाद ज्यादातर महिलाओं के स्तन से दूध नहीं उतरता है या फिर बहुत कम दूध बनता है। वास्तव में शतावरी में गैलेक्टैगॉग (galactagogue) नामक पदार्थ पाया जाता है जो स्तन में दूध के उत्पादन (milk production) को बढ़ाने में मदद करता है। नियमित रूप से शतावरी पाउडर का सेवन करने से प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ता है जो सामान्य से तीन गुना अधिक होता है।
(और पढ़े – ब्रेस्ट मिल्क (मां का दूध) बढ़ाने के लिए क्या खाएं…)
गर्भावस्था के दौरान शतावरी चूर्ण का सेवन करना अत्यधिक फायदेमंद होता है। शतावरी में ग्लूटाथियोन (glutathione) की मात्रा पायी जाती है जो प्रेगनेंट महिला को आवश्यक पोषण प्रदान करती है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती हैं। एंटीऑक्सिडेंट शरीर में मुक्त कणों के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव क्षति को रोकते हैं। वास्तव में मुक्त कण भ्रूण के डीएनए के ऊपर हमला करते हैं जिसके कारण जन्मदोष (birth defects) का खतरा बना रहता है।
(और पढ़े – गर्भावस्था के पहली तिमाही में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं…)
गर्भावस्था के दौरान शतावरी खाने से शरीर में भरपूर मात्रा में इनुलिन की आपूर्ति होती है जो कि सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। इनुलिन एक स्टार्चयुक्त पदार्थ है जो पेट द्वारा पचता या अवशोषित नहीं होता है। यह आंत्र में ही रहता है जहां बैक्टीरिया इसका उपयोग कर विकसित होते हैं। ये सहायक बैक्टीरिया आंत्र क्रिया (bowel function) और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसलिए हर गर्भवती मां को शतावरी का सेवन करना चाहिए।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान खाये जाने वाले आहार और उनके फायदे…)
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में बच्चे के विकास के लिए गर्भवती महिलाओं का बहुत अधिक मात्रा में कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है। यह एक आवश्यक मिनरल है जो शरीर, दांत और हड्डियों के विकास एवं समुचित क्रिया के लिए जरूरी होता है। यह भ्रूण के विकास, हड्डियों के बनने में तो सहायता करता ही है साथ में भ्रूण में हड्डियों के असामान्य विकास (abnormal development) को भी रोकता है। यही कारण है कि कैल्शियम से समृद्ध होने के कारण गर्भवती महिलाएं शतावरी का सेवन करती हैं।
(और पढ़े – कैल्शियम युक्त भोजन महिलाओं के लिए…)
प्रचुर मात्रा में विटामिन E मौजूद होने के कारण गर्भावस्था में शतावरी के फायदों का बहुत महत्व है। वास्तव में विटामिन ई मां और भ्रूण दोनों के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। यह शरीर को प्रदूषकों (pollutants) एवं विषाक्त पदार्थों (toxins) से बचाता है और शिशुओं में तंत्रिका (nervous) से जुड़ी स्वास्थ्य स्थितियों को रोकता है। इसके अलावा यह गर्भवती महिलाओं की इम्यूनिटी को बेहतर बनाता है और शरीर को बीमारियों से बचाता है।
(और पढ़े – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय…)
आमतौर पर शतावरी विटामिन B6 से भरपूर होती है जो शरीर के लिए एक आवश्यक विटामिन है। यह भ्रूण और माँ दोनों द्वारा प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और शारीरिक कार्यों को विनियमित (regulate ) करने के लिए आवश्यक है। यह गर्भवती महिलाओं को मितली (nausea) और मॉर्निंग सिकनेस से बचाने में सहायक होता है और रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
(और पढ़े – सुबह के आलस को दूर करने के तरीके…)
शतावरी गर्भाशय को मजबूत करती है और स्तनपान के दौरान स्तन के दूध के उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करने के लिए जानी जाती है। प्रसव के बाद शतावरी सेवन करने से, यह प्रतिरक्षा शक्ति में सुधार करती है और स्तनदूध के उत्पादन को बढ़ाता है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि गर्भावस्था के दौरान शतावरी का सेवन करने के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें, ताकि आप जिस भी अन्य पोषक तत्वों की खुराक ले रहीं हों, उसके साथ शतावरी के इंटरेक्शन पर बात कर सकें।
शतावरी में महिला हार्मोन एस्ट्रोजन के समान गुण होते हैं। इसलिए, जो महिलाएं गर्भावस्था में शतावरी का सेवन करती हैं और उनके शरीर में पहले से ही एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ा हुआ हो तो वे स्तन की कोमलता (breast tenderness) का अनुभव कर सकती हैं।
(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन…)
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…