Sinus Infection In Hindi साइनोसाइटिस या साइनस इन्फेक्शन (Sinus Infections) आज के समय में अत्यधिक प्रचलित बीमारी है, जो साइनस (चेहरे की हड्डियों के पीछे खोखले स्थान) में मवाद या बलगम एकत्रित होने का कारण बनती है। साइनसाइटिस की स्थिति साइनस और नाक की सूजन, सर्दी जुकाम के सामान्य लक्षण तथा श्वसन संबंधी समस्याओं के उत्पन्न होने का कारण बनती है। एलर्जी, बैक्टीरिया या वायरस संक्रमण आदि साइनस इन्फेक्शन (साइनोसाइटिस) का कारण बन सकते हैं। अतः साइनस की जटिलताओं से बचने के लिए साइनस उपचार और बचाव के बारे में जानना आवश्यक होता है।
आज इस लेख के माध्यम से आप जान सकेगें कि साइनस इन्फेक्शन क्या है, इसके लक्षण, कारण और उपचार क्या-क्या हैं तथा साइनोसाइटिस से बचाव और घरेलू इलाज के बारे में।
1. साइनोसाइटिस क्या हैं – What is Sinusitis in hindi
2. साइनस संक्रमण के प्रकार – Types of Sinus Infections in hindi
3. साइनस के लक्षण – Sinus symptoms in hindi
4. साइनोसाइटिस के कारण – Sinusitis causes in hindi
5. साइनस के जोखिम कारक – Sinus risk factor in hindi
6. साइनस इन्फेक्शन की जटिलताएं – Sinus infection complication in hindi
7. साइनस इन्फेक्शन के लिए डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor for sinus infection in hindi
8. साइनोसाइटिस का निदान – sinusitis diagnosis in hindi
9. साइनस इन्फेक्शन का इलाज – Sinus infection treatment in hindi
10. साइनस इन्फेक्शन से बचाव – Sinus infection Prevention in hindi
11. साइनस इन्फेक्शन का घरेलू उपचार – Home remedies of sinus infection in hindi
12. साइनस का परहेज – foods to avoid for sinusitis in hindi
साइनोसाइटिस क्या हैं – What is Sinusitis in hindi
साइनस संक्रमण (sinus infection) या साइनोसाइटिस, एक सामान्य स्थिति है, जो किसी भी उम्र में व्यक्तियों को प्रभावित कर सकती है। यह संक्रमण तब होता है, जब साइनस और नाक के मार्ग में सूजन आ जाती है। यह स्थिति वायरस, बैक्टीरिया, कवक (fungi), एलर्जी या स्व-प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया के कारण उत्पन्न हो सकती है।
साइनस (sinuses) व्यक्ति के माथे, नाक, गाल की हड्डी (cheekbones) और आंखों के पीछे स्थित छोटे वायु पॉकेट (air pockets) या खोखले स्थान होते हैं। साइनस का मुख्य कार्य बलगम (एक जैली जैसे तरल पदार्थ) का उत्पादन करना हैं। बलगम कीटाणुओं को फंसाकर शरीर से बाहर करने तथा कीटाणुओं से शरीर की रक्षा करने में अहिम भूमिका निभाते हैं। लेकिन कुछ स्थितियों में बैक्टीरिया या एलर्जी के कारण बहुत अधिक बलगम का निर्माण हो सकता है, जो साइनस के छिद्र को अवरुद्ध कर सकता है। इसके प्रभावित होने से शुष्क वातावरण में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
सर्दी या एलर्जी से प्रभावित व्यक्ति में अतिरिक्त बलगम का निर्माण होना एक आम बात है। अतः इस स्थिति में बलगम का निर्माण साइनस गुहा (sinus cavity) में बैक्टीरिया और कीटाणुओं की वृद्धि को उत्तेजित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण हो सकता है। अधिकांश साइनस संक्रमण या साइनोसाइटिस वायरल संक्रमण के कारण होता है, और एक या दो सप्ताह में बिना किसी उपचार के ठीक हो जाते हैं। यदि साइनस संक्रमण के लक्षण कुछ हफ्तों के अन्दर ठीक नहीं होते हैं, तो बैक्टीरियल संक्रमण होने की संभावना होती है। अतः इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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साइनस संक्रमण के प्रकार – Types of Sinus Infections in hindi
साइनोसाइटिस हमेशा ही नाक की सूजन और बलगम के निर्माण का कारण बनता है। लेकिन साइनोसाइटिस के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनके लक्षण अलग-अलग समय तक चलते हैं। साइनोसाइटिस के मुख्य प्रकार निम्न हैं:
एक्यूट साइनोसाइटिस – Acute Sinusitis in hindi
जब वायरस, बैक्टीरिया या कवक साइनस गुहा को संक्रमित कर सूजन उत्पन्न होने का कारण बनते हैं, तब इस स्थिति में उत्पन्न साइनोसाइटिस को एक्यूट साइनोसाइटिस या एक्यूट साइनस इन्फेक्शन (acute sinus infection) कहते हैं। इस स्थिति में लक्षण लगभग 2 सप्ताह से 4 सप्ताह तक रहते हैं। वायरल संक्रमण के कारण उत्पन्न एक्यूट साइनोसाइटिस की स्थिति में सामान्य सर्दी के समान लक्षण एक से दो सप्ताह चलते हैं। जबकि एक जीवाणु (Bacteria) संक्रमण की स्थिति में, एक्यूट साइनोसाइटिस लगभग चार सप्ताह तक बना रह सकता है।
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सबएक्यूट साइनसाइटिस – Subacute Sinusitis in hindi
सब एक्यूट साइनोसाइटिस (Subacute Sinusitis) के लक्षण लगभग तीन महीने तक बने रह सकते हैं। यह स्थिति अक्सर जीवाणु संक्रमण (bacterial infections) या मौसमी एलर्जी के कारण उत्पन्न होती है।
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क्रोनिक साइनोसाइटिस – Chronic Sinusitis in hindi
क्रोनिक साइनोसाइटिस के लक्षण तीन महीने या 12 सप्ताह से अधिक समय तक चलते हैं। क्रोनिक साइनोसाइटिस की स्थिति में लक्षण कम गंभीर होते हैं। बैक्टीरिया आमतौर पर क्रोनिक साइनोसाइटिस का कारण नहीं बनता है। साइनस में वृद्धि (nasal polyps) या साइनस के अस्तर की सूजन से सम्बंधित संक्रमण द्वारा क्रोनिक साइनोसाइटिस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस स्थिति को क्रोनिक राइनोसिनिटिस (chronic rhinosinusitis) भी कहा जाता है, जो वयस्कों और बच्चों दोनों को प्रभावित कर सकती है। उपचार के बाद भी यह स्थिति तीन महीने या उससे अधिक समय तक रह सकती है। इस प्रकार के साइनोसाइटिस के लक्षण बार-बार लौटते हैं। इसके इलाज के लिए अधिक इनवेसिव ट्रीटमेंट और सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।
साइनस के लक्षण – Sinus symptoms in hindi
हालांकि, साइनोसाइटिस असहज और दर्दनाक हो सकता है, तथा अक्सर बिना किसी चिकित्सा सहायता के दूर भी हो जाता है। लेकिन यदि लक्षण 7 या 10 दिनों से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो मरीज को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। साइनस इन्फेक्शन की स्थिति में सामान्य रूप से निम्न लक्षणों को महसूस किया जा सकता है, जैसे:
- बंद नाक या नाक बहना
- आँखें खुली रखने में सूजी या पीड़ादायक महसूस होना
- नाक के मार्ग में दर्द
- चेहरे की कोमलता (tenderness)
- गाल, कान और दांतों में दर्द महसूस होना
- नाक में भारीपन महसूस होना
- गले में खराश
- सिर में दर्द और भारीपन
- सूघने और स्वाद लेने की शक्ति में कमजोरी आना
- कभी-कभी चेहरे की सूजन उत्पन्न होना, इत्यादि।
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एक्यूट साइनोसाइटिस के लक्षण – Acute Sinusitis symptoms in hindi
एक्यूट साइनोसाइटिस की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति में निम्न प्रकार के लक्षणों को देखा जा सकता है, जैसे कि:
- नाक से हरे या पीले रंग के गाढे द्रव (बलगम) का स्राव होना
- चेहरे पर (माथे या आंखों के आसपास) दबाव या दर्द महसूस होना
- बंद नाक
- नाक का बहना
- गंध लेने की क्षमता खो देना
- खांसी आना
- तेज बुखार (102.2 °F से ऊपर)
- बदबूदार सांसे
- थकान महसूस होना
- दांतों में दर्द महसूस होना, इत्यादि।
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क्रोनिक साइनोसाइटिस के लक्षण – Chronic Sinusitis symptoms in hindi
क्रोनिक साइनोसाइटिस की स्थिति में लक्षण 12 सप्ताह या उससे अधिक समय तक बने रहते हैं, तथा कुछ सालों बाद पुनरावृत्ति करते हैं। इस स्थिति में प्रगट होने वाले लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- चेहरे में भारीपन महसूस होना
- बंद नाक या नाक मार्ग में अवरोध उत्पन्न होना
- नाक गुहा में मवाद (Pus) का जमाव होना
- बुखार आना
- नाक बहना
- नाक और गले के पीछे अतिरिक्त बलगम का जमा हो जाना और सूख जाना
- सिरदर्द होना
- सांसों से बदबू आना
- दांतों में दर्द होना
- अधिक थकान महसूस होना, इत्यादि।
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साइनोसाइटिस के कारण – Sinusitis causes in hindi
साइनस इन्फेक्शन या साइनोसाइटिस, साइनस के ऊतक में फैलने वाली सूजन है। स्वस्थ साइनस हवा से भरे होते हैं। लेकिन जब साइनस अवरुद्ध होते हैं, तो वे मवाद या बलगम से भर जाते हैं और रोगाणुओं के बढ़ने का कारण बनते हैं, इन रोगाणु की संख्या में वृद्धि संक्रमण का कारण बन सकती है। अतः मुख्य रूप से धूल और प्रदूषण से साइनस ब्लॉकेज या साइनस में तरल पदार्थ के फंसने की स्थिति साइनोसाइटिस का कारण बनती है। साइनस ब्लॉकेज का कारण बनने वाली स्थितियों में शामिल हैं:
- जुकाम
- एलर्जी राइनाइटिस (Allergic rhinitis), जो नाक के अस्तर की सूजन है
- नेजल पॉलिप (nasal polyps)
- एक विचलित सेप्टम (deviated septum), अर्थात नाक गुहा में बदलाव, इत्यादि।
इसके अतिरिक्त साइनोसाइटिस की स्थिति निम्न कारणों से भी उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि:
वायरस (Viruses) – वयस्कों में, साइनोसाइटिस के लगभग 90 प्रतिशत मामले वायरस के कारण उत्पन्न होते हैं
बैक्टीरिया (Bacteria) – साइनस इन्फेक्शन के लगभग 10 मामलों में से 1 मामला बैक्टीरिया संक्रमण के कारण उत्पन्न होता है
प्रदूषक (Pollutants) – हवा में उपस्थित रसायन या प्रदूषक, अत्यधिक बलगम निर्माण को बढ़ावा दे सकते हैं तथा साइनोसाइटिस का कारण बन सकते हैं
कवक (Fungi) – हवा में उपस्थित कवक (Fungi) की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप साइनोसाइटिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यह एक दुर्लभ कारण है।
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साइनस के जोखिम कारक – Sinus risk factor in hindi
कुछ स्वास्थ्य स्थितियां और जोखिम कारक व्यक्ति में साइनस संक्रमण के विकसित होने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- विपथित नासिका झिल्ली (deviated nasal septum) – नासिका के बीच की दीवार का विस्थापन।
- नाक की हड्डी का बढना (nasal bone spur),
- नेजल पॉलिप (nasal polyps) या नाक में कैंसरमुक्त ऊतक वृद्धि।
- एलर्जी की समस्या।
- एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली।
- धूम्रपान करना।
- हाल ही में ऊपरी श्वसन संक्रमण की स्थिति।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis) की स्थिति।
- दंत संक्रमण (dental infection), इत्यादि।
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साइनस इन्फेक्शन की जटिलताएं – Sinus infection complication in hindi
एक साइनस संक्रमण अनेक प्रकार की जटिलताओं के विकसित होने का कारण बन सकता है, इसकी जटिलताओं में शामिल है:
- मेनिनजाइटिस (meningitis)
- ब्रेन एब्सेस (brain abscess)
- ऑर्बिटल सेलुलाइटिस (orbital cellulitis) – जो कि आंख के सॉकेट (eye socket) के भीतर नरम ऊतकों का एक संक्रमण है।
- ऑस्टियोमाइलाइटिस (osteomyelitis) – संक्रमण के कारण हड्डी की सूजन की स्थिति, इत्यादि।
साइनस इन्फेक्शन के लिए डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor for sinus infection in hindi
सर्दी के सामान्य लक्षण जो एक सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं और साइनस की समस्या पर ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) नाक की दवाओं का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तो इस स्थिति में उपचार के लिए डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिये।
साइनोसाइटिस का निदान – sinusitis diagnosis in hindi
यदि साइनस संक्रमण या सर्दी के लक्षण एक सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं, तथा ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) नेजल दवाएं (Nasal Medicines) लक्षणों को कम करने में अप्रभावी रहती हैं, तो इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को साइनस संक्रमण का निदान करने के लिए डॉक्टर की सहायता लेनी चाहिए। डॉक्टर साइनस संक्रमण का आमतौर पर निदान करने के लिए रोगी के चिकित्सकीय इतिहास की जानकारी प्राप्त कर शारीरिक परीक्षण कर सकता है। अतः साइनस संक्रमण का निदान करने के डॉक्टर निम्न परीक्षणों की सहायता ले सकता है, जैसे कि:
शारीरिक परीक्षण (Physical examination)
शारीरिक परीक्षण के तहत डॉक्टर चहरे की सूजन को देख सकते हैं। तथा दर्द की जांच करने के लिए साइनस के ऊपर चेहरे को हाँथ से दबा सकते हैं।
सीटी स्कैन (CT scan)
सीटी स्कैनर के माध्यम से साइनस की विस्तृत छवियों को प्राप्त करने के लिए एक्स-रे और एक कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है। सीटी स्कैन के माध्यम से क्रोनिक साइनोसाइटिस का निदान करने में मदद मिल सकती है।
चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) परीक्षण
साइनस की जाँच करने के लिए एमआरआई स्कैन की सिफारिश की जा सकती है। इसमें चुंबकीय तरंगों के माध्यम से साइनस की अत्यधिक विस्तृत छवियां प्राप्त की जा सकती हैं।
एंडोस्कोपी (राइनोस्कोपी) (rhinoscopy)
डॉक्टर नाक के अंदर देखने तथा साइनस की जाँच करने के लिए एक लचीली ट्यूब, जिसके सिरे पर छोटा कैमरा लगा होता है, का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस ट्यूब को राइनोस्कोप के नाम से भी जाना जाता है।
साइनस कल्चर टेस्ट (Sinus cultures test)
साइनस कल्चर टेस्ट के तहत डॉक्टर, मरीज के साइनस के अंदर से बलगम का नमूना लेने के लिए एक सुई या एंडोस्कोपी का उपयोग करता है, तथा इस नमूने को प्रयोगशाला विश्लेषण के लिए भेज दिया जाता है।
एलर्जी के लिए त्वचा परीक्षण (Skin test for allergies)
इस परीक्षण को, डॉक्टर साइनोसाइटिस में एलर्जी की भूमिका का निदान करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
साइनस एक्स-रे (Sinus X-ray) परीक्षण
डॉक्टर द्वारा साइनस के एक्स-रे परीक्षण की मदद से नाक की हड्डी में वृद्धि, तथा हड्डियों से सम्बंधित अन्य समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
(और पढ़े – सीटी स्कैन क्या है कैसे होता है, कीमत, फायदे और नुकसान…)
साइनस इन्फेक्शन का इलाज – Sinus infection treatment in hindi
डॉक्टर द्वारा बैक्टीरियल साइनोसाइटिस (Bacterial sinusitis) का आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है। साइनोसाइटिस और साइनस संक्रमण के घरेलू उपचार के रूप में डॉक्टर निम्न ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं की सिफारिश कर सकता है, जैसे:
- एसिटामिनोफेन (acetaminophen) (जैसे- टाइलेनॉल)
- डिकॉन्गेस्टेंट (decongestants)
- म्यूकोलाईटिक्स (mucolytics), इत्यादि।
इसके अतिरिक्त डॉक्टर द्वारा साइनोसाइटिस या साइनस संक्रमण की स्थिति में निम्न उपचार प्रक्रियाओं को भी अपनाया जा सकता है, जैसे:
एंटीथिस्टेमाइंस (Antihistamines) – एंटीथिस्टेमाइंस दवाएं एलर्जिक राइनाइटिस के कारण उत्पन्न होने वाले नासिका और साइनस संबंधी लक्षणों को से कम करने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं।
सर्दी खांसी की दवा (Decongestants) – यह दवा भीतरी नाक के ऊतकों में उपस्थित रक्त वाहिकाओं को संकुचित करने का कार्य करता है। जिसके परिणामस्वरूप कम साइनस में जमाव, बलगम और पोस्ट नेसल ड्रिप को कम करने में मदद मिलती है।
नेज़ल सेलाइन स्प्रे (Nasal saline spray) – नमक का पानी (saline) वाले नाक स्प्रे का उपयोग सूखे हुए बलगम को तोड़ने और नाक को नमीयुक्त रखने में किया जाता है।
नेज़ल स्टेरॉयड स्प्रे (Nasal steroid spray) – नेज़ल स्टेरॉयड स्प्रे से सम्बंधित दवाएं ऊतकों की सूजन को कम करने और साइनस सर्जरी के बाद नेजल पॉलिप को होने से रोकने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं।
सर्जरी (Surgery) – कुछ गंभीर स्थितियों में साइनस को साफ़ करने के लिए डॉक्टर द्वारा सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है। सर्जरी की मदद से विचलित सेप्टम (deviated septum) की मरम्मत की जा सकती है तथा पॉलीप्स (polyps) को भी हटाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त यदि क्रोनिक साइनस संक्रमण की समस्या में समय और दवा के साथ कोई सुधार नहीं आता है, तो सर्जरी एक उत्तम तरीका हो सकता है।
(और पढ़े – नमक के पानी के फायदे और नुकसान…)
साइनस इन्फेक्शन से बचाव – Sinus infection Prevention in hindi
एलर्जी और कीटाणुओं के संपर्क से सुरक्षित रहकर और साइनस के जोखिम कारकों को कम करके साइनोसाइटिस को रोकने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित उपाय साइनोसाइटिस को रोकने में मदद कर सकते हैं, जैसे:
- हाथ की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें
- धूम्रपान, रसायन, परागकण और अन्य एलर्जी कारकों के संपर्क में आने से बचें
- टीकाकरण लगवाना सुनिश्चित करें
- एलर्जी और जुकाम के इलाज के लिए एंटीहिस्टामाइन (antihistamine) दवा का सेवन करें
- जुकाम और अन्य श्वसन संक्रमण से पीड़ित व्यक्तियों से दूर रहें
- घर पर हवा को नम करने के लिए एक ह्यूमिडिफायर humidifier का उपयोग करें
- मोल्ड (mold) और धूल को इकट्ठा होने से रोकने के लिए एयर कंडीशनिंग इकाइयों को अपनाएँ
- स्वस्थ खाद्य पदार्थ, जैसे फल और सब्जियों का सेवन करें, इत्यादि।
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साइनस इन्फेक्शन का घरेलू उपचार – Home remedies of sinus infection in hindi
साइनोसाइटिस के हल्के मामलों का इलाज घर पर किया जा सकता है। साइनस के घरेलू उपचार के तहत दर्द को कम करने और साइनस को अनब्लॉक करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। साइनोसाइटिस के घरेलू उपचार में शामिल हैं:
वार्म कॉम्प्रेस (Warm compress) – चेहरे के प्रभावित क्षेत्रों पर धीरे-धीरे गर्म सिकाई करने पर सूजन और दर्द से राहत प्राप्त की जा सकती है।
नाक की सिंचाई (Nasal irrigation) – इस प्रक्रिया को साइनस इरीगेशन (sinus irrigation), सायनस रिंस (sinus rinse) या साइनस लेवेज (sinus lavage) के रूप में भी जाना जाता है। इस घरेलू उपचार के दौरान नमक के पानी का उपयोग नाक मार्ग को साफ करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
स्टीम इनहेलेशन (Steam inhalation) – गर्म और नम हवा को सांस के माध्यम से अन्दर खींचने से नाक के जमाव से राहत प्राप्त करने और बलगम को पिघलाने में मदद मिल सकती है। अतः साइनोसाइटिस का घर पर इलाज करने के लिए, गर्म पानी की एक कटोरी में मेन्थॉल तेल या नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदों को डालकर इससे निकलने वाली भाप लेनी चाहिए।
हाइड्रेशन और आराम (Hydration and rest) – नियमित रूप से तरल पदार्थ का सेवन, व्यक्ति को हाइड्रेटेड रहने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त साइनोसाइटिस की स्थिति में पर्याप्त आराम, लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
खाद्य पदार्थ (diet) – कुछ प्रमुख खाद्य पदार्थ साइनोसाइटिस या साइनस इन्फेक्शन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अदरक या अदरक वाली चाय
- लहसुन और प्याज – प्रतिरक्षा कार्यों को बढ़ावा देने और संक्रमण से लड़ने के लिए आवश्यक होते हैं।
- अजवायन
- विटामिन सी युक्त फलों का रस, इत्यादि।
(और पढ़े – अदरक की चाय के फायदे और नुकसान…)
साइनस का परहेज – foods to avoid for sinusitis in hindi
कुछ खाद्य पदार्थ साइनोसाइटिस की स्थिति में बलगम के निर्माण को प्रोत्साहित कर सकते हैं। अतः साइनस इन्फेक्शन की स्थिति में इन पदार्थों के सेवन से परहेज करने की सलाह दी जाती है, जो कि निम्न हैं:
- अंडे
- चॉकलेट
- तला हुआ भोजन और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ,
- चीनी
- दूध और अन्य डेयरी उत्पाद
- शर्करा, इत्यादि।
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