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गर्भावस्था के छठे महीने के लक्षण, शारीरिक बदलाव और बच्चे का विकास – Sixth Month Of Pregnancy In Hindi

गर्भावस्था के छठे महीने के लक्षण, शारीरिक बदलाव और बच्चे का विकास - Sixth Month Of Pregnancy In Hindi

Sixth month pregnancy in Hindi प्रेग्नेंसी का छठां महीना 21-24 हफ्ते का होता है। छठां महीना दूसरी तिमाही का अंतिम महीना होता है और आप अपने शिशु की डिलीवरी से बस कुछ ही महीने दूर होते हैं। गर्भावस्था के छठे महीने में एक महिला को देखते ही पता चल जाता है कि वह एक शिशु को जन्म देने वाली है। इस समय तक आपके पेट पर उभार आ जाता है और आपके चेहरे पर चमक स्पष्ट होती है। गर्भावस्था के छठे महीने में बच्चा तेजी से बढ़ रहा होता है और आपका शरीर कई बदलावों से गुजर रहा होता है। जिसे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।

गर्भावस्था के छठे महीने में बेबी बंप के कारण सोने, उठने-बैठने और करवट लेने में परे परेशानी होने लगती है। दिल पहले की तुलना में अधिक तेजी से धड़कने लगता है क्योंकि इस समय आपको अपने बच्चे को ज्यादा ऑक्सीजन देनी होती है। शिशु में भी स्पर्श महसूस करने और स्वाद लेने की अनोखी खूबी विकसित होने लगती है। हार्मोनल परिवर्तन के कारण छठे महीने में मां को खास सावधानियां बरतनी होती हैं। इतना ही नहीं बल्कि गर्भावस्था का छठां महीना एक मां के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है और होने वाली मां को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आज का हमारा ये आर्टिकल इन्हीं बातों पर बेस्ड है। तो चलिए जानते हैं गर्भावस्था का छठे महीने के लक्षण, बच्चे के विकास, शारीरिक बदलाव और बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में।

विषय सूची

  1. गर्भावस्था में छठे महीने के लक्षण – Sixth Month pregnancy Symptoms in hindi
  2. गर्भावस्‍था में छटवें महीने में शारीरिक परिवर्तन – Physical Changes In The Sixth Month of pregnancy in hindi
  3. गर्भावस्था के छठवें महीने में भावनात्मक परिवर्तन – Emotional Changes In The Sixth Month of pregnancy in hindi
  4. गर्भावस्था के 6 महीने में बच्चे की स्थिति और विकास – Baby growth in 6th month of pregnancy in hindi
  5. प्रेगनेंसी के छठे महीने में बच्चे के मूवमेंट्स – Baby’s Position And Movements In in 6th month of pregnancy in hindi
  6. गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान आहार – 6th Month Pregnancy Diet in hindi
  7. गर्भावस्था के छठे महीने में क्या नहीं खाएं – Pregnancy Ke 6 Month Me Kya Nahi Khana Chahiye in hindi
  8. गर्भावस्था के छठे महीने में होने वाले मेडिकल टेस्ट – Medical test during six month of pregnancy in hindi
  9. गर्भावस्था के छठे महीने में आपको क्या जानना चाहिए? – What Do You Need to Know in Your Sixth Month of Pregnancy in hindi
  10. गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान राखी जाने वाली सावधानियां – Precautions To Be Taken in 6th month of pregnancy in hindi
  11. गर्भावस्था का छठा महीना की त्वरित सूची – Sixth Month of Pregnancy Quick List in hindi
  12. होने वाली मां के लिए सुझाव – To do list for mom to be in hindi
  13. होने वाले पिता के लिए आसान सुझाव – Simple tips for to be dad in Hindi

गर्भावस्था में छठे महीने के लक्षण – Sixth Month pregnancy Symptoms in Hindi

गर्भावस्था में छठे महीने के लक्षण - Sixth Month pregnancy Symptoms in hindi

थकान: गर्भावस्था के छठवें महीने में आपके शरीर को बच्चे को ज्यादा पोषण देने की जरूरत होती है, इसलिए आपको इस समय थकान महसूस होती है।

कब्ज: गर्भावस्था के हार्मोन आंतों की मांसपेशियों को आराम देते हैं। इसके अलावा, गर्भावस्था के छठे महीने में आंत पर बढ़ते गर्भाशय का दबाव भोजन की गति को धीमा कर देता है, जिससे कब्ज हो जाता है।

हार्ट बर्न: गर्भावस्था के छठे महीने में प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि के कारण जठरांत्र संबंधी मार्ग (गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रेक्ट) शिथिल हो जाता है। पेट पर गर्भाशय का दबाव बढ़ने से ऊपर का दबाव गैस्ट्रिक रस को अन्नप्रणाली में धकेलता है, जिससे जलन होती है।

पेट फूलना (गैस): जैसे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन आंतों की मांसपेशियों को आराम देता है, पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है और पेट में गैस बनना शुरू हो जाती है। हालांकि इससे डरने की जरूरत होती है, यह स्थिति गर्भावस्था के छठे महीने में ज्यादातर महिलाओं की होती है।

नोज ब्लीडिंग: गर्भावस्था के दौरान रक्त परिसंचरण में वृद्धि नाक में छोटी रक्त वाहिकाओं का विस्तार करती है। रक्त वाहिकाओं पर लगाए गए दबाव से नाक से खून निकल सकता है।

मसूड़ों से खून आना: रक्त प्रवाह में वृद्धि और हार्मोनल परिवर्तन गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आने का कारण है।

भूख में वृद्धि: इस महीने में सुबह होने वाली बीमारियां थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन भूख बढ़ जाती है। बढ़ते बच्चे की मांगों को पूरा करने के लिए भोजन का सेवन सामान्य और उचित मात्रा में करना जरूरी है।

एची पैर: गर्भावस्था के छठे महीने में एडिमा, साथ ही गर्भावस्था के वजन में वृद्धि, पैरों पर अतिरिक्त दबाव डालती है, जिससे पैरों में दर्द होता है।

वैरिकाज़ नसें: इंफीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस जो पैरों से हृदय तक रक्त ले जाती है) पर बढ़ते हुए गर्भाशय द्वारा दबाव डाला जाता है, रक्त प्रवाह को प्रतिबंधित करता है, जिससे पैरों के पास की नसें सूज जाती हैं।

सफेद योनि स्राव: गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भाशय ग्रीवा गर्भावस्था के दौरान नरम हो जाती हैं, जिससे श्वेत प्रदर होता है, जो बदले में किसी भी बैक्टीरिया को योनि से होकर गर्भाशय तक जाने से रोकता है।

सांस फूलना: गर्भावस्था के छठे महीने में बढ़ता हुआ गर्भाशय डायाफ्राम पर दबाव डालता है, जिससे सांस फूलती है।

खर्राटे लेना: कई महिलाओं को गर्भावस्था के इस चरण में खर्राटों का अनुभव होता है। दरअसल  वजन बढ़ने से आपकी गर्दन और सिर के ऊतकों में सूजन आ जाती है जिससे खर्राटे आते हैं और इसके अलावा आपकी श्लेष्मा झिल्ली (Mucous membrane) भी सूज जाती है। बेहतर सांस लेने के लिए सोते समय नाक की पट्टियों का उपयोग करना बेहतर होता है।

पीठ का दर्द: गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भाशय आपकी पीठ के निचले हिस्से पर भी दबाव डालता है। इसके अलावा, गर्भावस्था के परिणामस्वरूप श्रोणि और पीठ के निचले हिस्से में संयुक्त स्नायुबंधन (ligaments) में खिंचाव होता है। इन दोनों कारकों से पीठ में दर्द होता है।

अनिद्रा: गर्भावस्‍था में छटवें महीने में बार-बार बाथरूम में जाना, बेक पेन के कारण आपकी नींद खराब हो सकती है। कई बार कई महिलाओं को इस समय अनिद्रा की समस्या भी हो जाती है।

(और पढ़े – जानें प्रेगनेंसी में योनि से सफेद स्राव होना सामान्य है या नहीं…)

गर्भावस्‍था में छटवें महीने में शारीरिक परिवर्तन – Physical Changes In The Sixth Month of pregnancy in Hindi

गर्भावस्‍था में छटवें महीने में शारीरिक परिवर्तन - Physical Changes In The Sixth Month of pregnancy in hindi

गर्भावस्था के छठे महीने में आपके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिनकी पहचान आपको जरूर होनी चाहिए। नीचे हम इन्हीं शारीरिक बदलावों के बारे में आपको बता रहे हैं।

स्ट्रेच मार्क्स: गर्भावस्‍था में छटवें महीने में बढ़ते हुए गर्भाशय के कारण त्वचा में खिंचाव आने लगता है जिसे स्ट्रेच मार्क्स कहते हैं। ये स्ट्रेच मार्क्स डिलीवरी के बाद तक भी रहते हैं। इनसे बचने के लिए आप स्ट्रेच मार्क क्रीम या स्ट्रेच मार्क्स से बचने का कोई घरेलू नुस्खा भी अपना सकती हैं।

लिनिया निग्रा: गर्भावस्‍था में छटवें महीने में बैली से प्यूबिक तक जाने वाली रेखा गहरी हो जाती है।

त्वचा रंजकता में परिवर्तन: इस दौरान आपकी त्वचा पिगमेंटेशन से गुजर सकती है। इससे त्वचा बेजान और दाग धब्बे वाली हो जाएगी, गर्भावस्‍था में छटवें महीने के दौरान अधिक हार्मोन के उत्पादन से त्वचा रंजकता हो सकती है, जिसे मेलास्मा भी कहा जाता है। यह गाल, गर्दन और माथे के पास काले धब्बे के रूप में दिखाई देता है। लेकिन चिंता की बात नहीं है, डिलीवरी के बाद सब नॉर्मल हो जाएगा।

वजन- इस महीने में आपका वजन 2 से 5 किग्रा तक बढ़ सकता है।

कोलोस्ट्रम: गर्भावस्‍था में छटवें महीने में स्तन कोलोस्ट्रम नामक एक पीले तरल को लीक करना शुरू कर देता है, ये दूध डिलीवरी के बाद पहली बार बच्चे को पिलाया जाता है।

(और पढ़े – डिलीवरी के बाद इन तरीकों से घटाएं पेट की चर्बी…)

गर्भावस्था के छठवें महीने में भावनात्मक परिवर्तन – Emotional Changes In The Sixth Month of pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के छठवें महीने में भावनात्मक परिवर्तन - Emotional Changes In The Sixth Month of pregnancy in hindi

यहां कुछ भावनात्मक परिवर्तन दिए गए हैं, जिन्हें आप गर्भावस्था के छठवें महीने में अनुभव कर सकती हैं:

गर्भावस्था मस्तिष्क: गर्भावस्था के छठवें महीने में ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता (अनुपस्थित-मन) या भूलने की बीमारी सभी गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार है। इसे कभी-कभी मोमनेसिया भी कहा जाता है।

मूड स्विंग और चिंता: गर्भावस्था के छठवें महीने की इस अवस्था में मूड बहुत जल्दी बदलता है। कभी आपका स्वभाव बहुत चिड़चिड़ा तो कभी बहुत ज्यादा शांत हो जाएगा। लेकिन चिंता की बात नहीं है, ऐसा होना स्वभाविक है। ये गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण होते हैं।

(और पढ़े – गर्भधारण कैसे होता है व गर्भधारण की प्रक्रिया क्या होती है…)

गर्भावस्था के 6 महीने में बच्चे की स्थिति और विकास – Baby growth in 6th month of pregnancy in hindi

गर्भावस्था के 6 महीने में बच्चे की स्थिति और विकास - Baby growth in 6th month of pregnancy in hindi

21-24 हफ्ते गर्भावस्था का छठां महीना होता है। इन हफ्तों के दौरान, आपका शिशु एक मानवीय चेहरा प्राप्त करता है। बच्चे का वजन 8 औंस से 1 पाउंड और लंबाई 8-12 इंच होती है। इस महीने के दौरान आपके बच्चे का विकास बढ़ जाता है। जानिए अब आपके बच्चे का छोटा सा शरीर कैसे विकसित हो रहा है।

  • गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु की स्किन में फैट जमा होने लगता है।
  • ब्रेन का वजन 400-500 पर्सेंट के बीच बढ़ जाता है। शिशु द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा का 50 प्रतिशत से ज्यादा मास्तिष्क विकास के लिए उपयोग किया जाता है।
  • बोन मैरो ब्लड सेल्स बनाना शुरू कर देती हैं।
  • शिशु की स्वाद कलिकाएं यानि टेस्ट बड्स बनने लगती हैं।
  • आंखें, भौं और पलकें विकसित होने लगती हैं।
  • शिशु के बाल और नाखून बढ़ने लगते हैं। हालांकि बाल अनुवांशिकी पर निर्भर करते हैं। कुछ बच्चे पूरे बालों के साथ पैदा होते हैं तो कुछ पूरी तरह से गंजे भी होते हैं।
  • गम के नीचे टीथ बड्स बनने लगते हैं।
  • इंटेस्टाइन मेकोनियम बनाना शुरू कर देता है।
  • इस समय बच्चे का सिर शरीर के अनुपात में आ जाता है।
  • बच्चा इस वक्त तक प्रकाश और अंधेरे को समझना शुरू कर देता है और बीमारियों से लड़ने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं को विकसित करना शुरू कर देता है।

(और पढ़े – जानें गर्भावस्था में कितने सप्ताह, महीने और ट्राइमेस्टर होते हैं…)

प्रेगनेंसी के छठे महीने में बच्चे के मूवमेंट्स – Baby’s Position And Movements In in 6th month of pregnancy in hindi

प्रेगनेंसी के छठे महीने में बच्चे के मूवमेंट्स - Baby’s Position And Movements In in 6th month of pregnancy in hindi

स्थिति: गर्भावस्था के छटवे महीने के दौरान, गर्भ में बच्चे को स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने के लिए अधिक जगह होती है।

मूवमेंट्स: गर्भावस्था के छटवे महीने के दौरान आपका शिशु किक मारने के लिए तैयार है। इस समय उसकी किक मजबूत होती है और अब तक स्लीप पैटर्न भी स्थापित हो जाता है।

(और पढ़े – गर्भ में पल रहा बच्चा क्यों मारता है किक…)

गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान आहार – 6th Month Pregnancy Diet in Hindi

गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान आहार - 6th Month Pregnancy Diet in hindi

गर्भावस्था के दौरान आप जो भोजन करते हैं, उससे सावधान रहने की जरूरत है। गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान आपकी प्लेट में सही अनुपात में पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। यहां उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिन्हें आप अपने आहार में शामिल कर सकते हैं

  • गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रेड, फोर्टिफाइड अनाज और दूध का भरपूर मात्रा में सेवन करें। ये कैल्शियम के समृद्ध स्रोत हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) गर्भावस्था के दौरान हर दिन 1000 एमजी कैल्शियम का सेवन करने की सलाह देता है।
  • गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान दाल, पत्तेदार सब्जियां (पालक, रोमेन लेट्यूस, ब्रोकोली), किडनी बीन्स, नट्स, बीन्स और खट्टे फल जैसे खाद्य पदार्थ फोलिक एसिड के समृद्ध स्रोत हैं। एसीओजी गर्भावस्था के दौरान 400mcg फोलिक एसिड के दैनिक सेवन करने की सलाह देता है।
  • गर्भावस्था के छठे महीने में आहार साबुत अनाज उत्पाद, फलियाँ, सूखे मेवे, लीन पोर्क और बीफ़, हरी पत्तेदार सब्जियाँ और सार्डिन खाएँ, जो आयरन का अच्छा स्रोत हैं। आयरन की दैनिक अनुशंसित मात्रा 27mg प्रति दिन (पूरक सहित) है।
  • अपने आहार में पीले या नारंगी सब्जियां (मीठे आलू या गाजर), पत्तेदार हरी सब्जियां, जिगर, और दूध जो विटामिन ए से भरपूर होते हैं, जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। अनुशंसित दैनिक सेवन 770mcg है।
  • विटामिन डी के साथ सालमन और दूध की तरह फैटी मछली आपको प्रति दिन 600IU विटामिन डी देने में मदद करती है।
  • अपने आहार में दुबला मांस और पोल्ट्री, समुद्री भोजन, अंडे, सोया उत्पाद, मटर और सेम, और अनसाल्टेड बीज और नट्स शामिल करें जो प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत हैं।
  • अपने आहार में खट्टे फल, स्ट्रॉबेरी, टमाटर और ब्रोकली शामिल करें। वे विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत हैं। औसत दैनिक अनुशंसित सेवन 85mg है।

(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान खाये जाने वाले आहार और उनके फायदे…)

गर्भावस्था के छठे महीने में क्या नहीं खाएं – Pregnancy Ke 6 Month Me Kya Nahi Khana Chahiye in Hindi

गर्भावस्था के छठे महीने में क्या नहीं खाएं - Pregnancy Ke 6 Month Me Kya Nahi Khana Chahiye in hindi

यहां उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिनसे आपको गर्भावस्था के छठे महीने में बचने की आवश्यकता है:

  • गर्भावस्था के छठे महीने में बहुत अधिक कैफीन (200-300 मिलीग्राम / दिन से अधिक) से बचें।
  • कच्चा या बिना पका हुआ भोजन न करें क्योंकि इससे लिस्टेरियोसिस हो सकता है, जो एक खाद्य-जनित जीवाणु संक्रमण है।
  • जिन लोगों को सीलिएक रोग है, उन्हें उन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए जिनमें लस होता है।
  • इसके बजाय वे फल, सब्जियां, बीन्स, आलू, मांस, और मुर्गी का सेवन कर सकते हैं।
  • स्वोर्डफ़िश, शार्क, टाइलफ़िश और किंग मैकेरल से बचें जिनमें उच्च स्तर का पारा होता है।
  • गर्भावस्था के छठे महीने में गहरे तले और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें क्योंकि यह हार्टबर्न की समस्या पैदा कर सकते हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान अनपेक्षित दूध और पनीर से बचें।

(और पढ़े – गर्भावस्था के समय क्या न खाएं…)

गर्भावस्था के छठे महीने में होने वाले मेडिकल टेस्ट – Medical test during six month of pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के छठे महीने में होने वाले मेडिकल टेस्ट - Medical test during six month of pregnancy in hindi

गर्भावस्था के छठे महीने में होने वाले फिजिकल एग्जामिनेशन

  • रक्तचाप की जाँच
  • वजन की जाँच
  • मौलिक ऊंचाई का मापन
  • प्रोटीन और चीनी को मापने के लिए मूत्र परीक्षण
  • भ्रूण की स्थिति और गर्भाशय के आकार की जांच
  • वैरिकाज़ नसों या सूजन के किसी भी लक्षण के लिए पैरों और अंगों की जांच

गर्भावस्था के छठे महीने में होने वाले अन्य परीक्षण:

  • गर्भावधि मधुमेह की जाँच के लिए ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट किया जाता है। परीक्षण के दौरान, आपको एक मीठा सिरप पीना होगा। एक घंटे बाद, आपके रक्त में ग्लूकोज के स्तर की जांच के लिए रक्त का नमूना लिया जाएगा।
  • इस दौरान आपका डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड कराने को कह सकता है। अल्ट्रासाउंड से बच्चे के विकास पर नजर रखने में मदद मिलेगी। डॉक्टर बच्चे के वजन और CRL की जाँच करेंगे। वे आंतरिक अंगों के काम करने की निगरानी भी करते हैं।

(और पढ़े – गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब और कितनी बार करवाना चाहिए…)

गर्भावस्था के छठे महीने में आपको क्या जानना चाहिए? – What Do You Need to Know in Your Sixth Month of Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के छठे महीने में आपको क्या जानना चाहिए? - What Do You Need to Know in Your Sixth Month of Pregnancy in hindi

यहां हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में जानना आपको बहुत जरूरी है। पेट या पैल्विक दर्द, हल्के ऐंठन के अलावा अन्य लक्षण जैसे

प्रीटरम श्रम (Preterm labor) या समयपूर्व श्रम (premature labor) उन जोखिमों में से एक है जिससे आपको इस महीने से सावधान रहना चाहिए। यदि आपको इनमें से एक भी लक्षण महसूस हों तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, क्योंकि इन्हें नजरअंदाज करने का परिणाम खतरनाक हो सकता है।

  • एक घंटे या हर 10 मिनट में पांच से अधिक संकुचन का अनुभव।
  • योनि द्रव का रिसाव
  • पैल्विक दबाव
  • मासिक धर्म की तरह ऐंठन
  • योनि से खून आना
  • दस्त के साथ या बिना पेट में ऐंठन
  • एक सुस्त, कम पीठ दर्द
  • योनि स्राव में अचानक वृद्धि

यदि इनमे से कोई भी लक्षण आपमें होने लगें तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान दस्त के कारण और उपचार…)

गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान रखी जाने वाली सावधानियां – Precautions To Be Taken in 6th month of pregnancy in Hindi

गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान राखी जाने वाली सावधानियां - Precautions To Be Taken in 6th month of pregnancy in hindi

  • जैसे -जैसे डिलीवरी के दिन नजदीक आएं, वैसे-वैसे तनाव से दूर रहने की कोशिश करें।
  • आपका स्ट्रेस फ्री रहना आपकी डिलीवरी पर अच्छा असर डालेगा।
  • गर्भावस्‍था में छटवें महीने में खुद को हाइड्रेट रखने के लिए खूब सारे तरल पदार्थ पीएं।
  • इस दौरान महिलाओं को धुम्रपान और शराब के सेवन से बचना चाहिए।
  • पर्याप्त आराम करें।
  • गर्भावस्था के इस चरण में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की जरूरत होती है।
  • गर्भावस्‍था में छटवें महीने में मौखिक स्वच्छता बनाए रखें।
  • चलना और केगेल व्यायाम करने से पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है।
  • गर्भावस्था के इस चरण में भूलकर भी कोई कोई भारी वस्तु न उठाएं।
  • आरामदायक और बिना हील वाली सैंडल और जूते पहनें साथ ही ढीले और कॉटन के कपड़े पहनें।
  • डॉक्टरों की सलाह के बिना कोई भी दवा लेने से बचें।
  • गर्भावस्‍था में छटवें महीने में रसायनों के संपर्क में आने से बचें।

(और पढ़े – प्रेगनेंसी के नौवे महीने में रखें इन बातों का ध्यान…)

गर्भावस्था का छठा महीना की त्वरित सूची – Sixth Month of Pregnancy Quick List in Hindi

गर्भावस्था का छठा महीना की त्वरित सूची - Sixth Month of Pregnancy Quick List in hindi

गर्भावस्था के छठे महीने में ऐसे बहुत सी चीजें होती हैं, जो आपको शुरू कर देनी चाहिए। ये चीजें न केवल आपको बिजी रखती है, बल्कि प्रेग्नेंसी से जुड़ी चीजों की अच्छी नॉलेज भी आपको देती हैं।

अपने बच्चे के जन्म की योजना के बारे में सोचें: अपने बच्चे के जन्म की योजना के बारे में अपने डॉक्टर या दाई से चर्चा शुरू करें। याद रखें, प्रत्येक कारक की योजना नहीं बनाई जा सकती है (विशेषकर यदि कोई आपात स्थिति है), लेकिन यह आपकी प्राथमिकताओं के बारे में सोचने में आपके विकल्प जानने से पहले आपकी मदद करता है। इसमें लेबर के दौरान आप किस स्थिति में रहना चाहते हैं, आराम और रिलेक्स फील करने के लिए आप क्या करना चाहेंगे कुछ ऐसी चीजों की प्लानिंग कर सकते हैं इन पर चर्चा कर सकते हैं। 

प्रसव के बारे में पढ़ें: प्रीनटल क्लासेस अटैंड करने के बाद भी आपके पास जन्म के अनुभव के बारे में सवाल या चिंताएँ हो सकती हैं। प्रसव के बारे में पढ़ें और अपने अनुभवों के बारे में अन्य माताओं से बात करें।

(और पढ़े – इन घरेलू तरीकों को अपनाने से होगी नॉर्मल डिलीवरी…)

होने वाली मां के लिए सुझाव – To do list for mom to be in Hindi

होने वाली मां के लिए सुझाव - To do list for mom to be in hindi

  • सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है अपना ख्याल रखना।
  • नियमित रूप से व्यायाम करने से आपको गर्भावस्था के दौरान फिट और सक्रिय रहने में मदद मिलेगी।
  • केगेल व्यायाम का अभ्यास करने का प्रयास करें। एक दिन में कम से कम 8 घंटे की नींद लें।
  • गुर्दे के कार्यों को बढ़ावा देने के लिए और अपने मलाशय पर कम दबाव डालने के लिए अपनी तरफ से सोने की कोशिश करें।
  • एक आरामदायक शरीर मुद्रा रखें और जब भी संभव हो अपने पैरों को ऊपर रखने की कोशिश करें।
  • अपने हाथों और अंगों पर दर्द को कम करने के लिए विटामिन बी 6 लेना बेहतर है।
  • प्रसव के बारे में सभी जानकारी और विवरण प्राप्त करें। 6 महीने की गर्भावस्था की सावधानियों और प्रसव पर लेख पढ़ें।
  • डरें नहीं और चीजों को दिल पर न लें। अपने दिमाग को सकारात्मक और तनावमुक्त रखना बहुत जरूरी है।
  • साँस लेने के व्यायाम, गर्म पानी के स्नान, संगीत सुनने, मज़ेदार वीडियो देखने के लिए कुछ भी करें जो आपको खुश और तनावमुक्त बनाए।

(और पढ़े – नॉर्मल डिलीवरी के लिए एक्सरसाइज और व्यायाम…)

होने वाले पिता के लिए आसान सुझाव – Simple tips for to be dad in Hindi

होने वाले पिता के लिए आसान सुझाव - Simple tips for to be dad in Hindi

गर्भावस्था की खबर सुनने के बाद हर किसी का ध्यान होने वाली मां पर होता है, कहते हैं के अगर गर्भवती महिला खुद का ध्यान अच्छे से रखे तो उसका बच्चा भी स्वस्थ होता है। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि एक  पिता के लिए भी यह शानदार अहसास है। इसलिए अकेले होने वाली मां ही क्यों हर बात का ख्याल रखे बल्कि पति को भी अपनी पत्नी का सपोर्ट और मदद करनी चाहिए। नीचे हम होने वाले पिता के लिए कुछ ऐसे ही आसान से सुझाव बताने जा रहे हैं।

  • यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने पति के साथ सभी जानकारी और विवरण साझा करें।
  • यह बहुत अच्छा होगा यदि आप दो अपने आप को पितृत्व के लिए तैयार करने के लिए पेरेंटिंग सेमिनार में भाग ले सकते हैं।
  • हमेशा एक साथ डॉक्टर से मिलने की कोशिश करें ताकि आप दोनों स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकें और डॉक्टर से खुलकर बात कर सकें।
  • आपके 6 महीने की गर्भावस्था देखभाल में डैडी-टू-बी की सक्रिय भागीदारी आपकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • मज़ेदार विषयों में एक साथ लिप्त रहें जैसे कि बच्चे के नाम पर चर्चा करना, या अपने छोटे का स्वागत करने के लिए एक आराध्य नर्सरी की योजना बनाना।
  • आप जितनी जल्दी सोच सकते हैं उतनी जल्दी समय बीतेगा इसलिए जीवन के इस चरण का बिना किसी चीज की कमी के आनंद लें ।
  • जैसा कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे से अलग है, हर गर्भावस्था अलग और अनोखी है! यहां बताई गई युक्तियां और अवलोकन विभिन्न माताओं के अनुभवों और डॉक्टर के अवलोकन के अनुसार हैं।
  • अपनी गर्भावस्था के सभी अनूठे लक्षणों पर ध्यान दें और इसे दूसरों के साथ साझा करें। बहुत ज्यादा न सोचें ,बस आराम करें और मातृत्व की अविश्वसनीय यात्रा का आनंद लें।

(और पढ़े – जानिए गर्भवती पत्नी की देखभाल के लिए पति को क्या करना चाहिए…)

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