Sixth month pregnancy in Hindi प्रेग्नेंसी का छठां महीना 21-24 हफ्ते का होता है। छठां महीना दूसरी तिमाही का अंतिम महीना होता है और आप अपने शिशु की डिलीवरी से बस कुछ ही महीने दूर होते हैं। गर्भावस्था के छठे महीने में एक महिला को देखते ही पता चल जाता है कि वह एक शिशु को जन्म देने वाली है। इस समय तक आपके पेट पर उभार आ जाता है और आपके चेहरे पर चमक स्पष्ट होती है। गर्भावस्था के छठे महीने में बच्चा तेजी से बढ़ रहा होता है और आपका शरीर कई बदलावों से गुजर रहा होता है। जिसे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के छठे महीने में बेबी बंप के कारण सोने, उठने-बैठने और करवट लेने में परे परेशानी होने लगती है। दिल पहले की तुलना में अधिक तेजी से धड़कने लगता है क्योंकि इस समय आपको अपने बच्चे को ज्यादा ऑक्सीजन देनी होती है। शिशु में भी स्पर्श महसूस करने और स्वाद लेने की अनोखी खूबी विकसित होने लगती है। हार्मोनल परिवर्तन के कारण छठे महीने में मां को खास सावधानियां बरतनी होती हैं। इतना ही नहीं बल्कि गर्भावस्था का छठां महीना एक मां के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है और होने वाली मां को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आज का हमारा ये आर्टिकल इन्हीं बातों पर बेस्ड है। तो चलिए जानते हैं गर्भावस्था का छठे महीने के लक्षण, बच्चे के विकास, शारीरिक बदलाव और बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में।
विषय सूची
थकान: गर्भावस्था के छठवें महीने में आपके शरीर को बच्चे को ज्यादा पोषण देने की जरूरत होती है, इसलिए आपको इस समय थकान महसूस होती है।
कब्ज: गर्भावस्था के हार्मोन आंतों की मांसपेशियों को आराम देते हैं। इसके अलावा, गर्भावस्था के छठे महीने में आंत पर बढ़ते गर्भाशय का दबाव भोजन की गति को धीमा कर देता है, जिससे कब्ज हो जाता है।
हार्ट बर्न: गर्भावस्था के छठे महीने में प्रोजेस्टेरोन के स्तर में वृद्धि के कारण जठरांत्र संबंधी मार्ग (गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रेक्ट) शिथिल हो जाता है। पेट पर गर्भाशय का दबाव बढ़ने से ऊपर का दबाव गैस्ट्रिक रस को अन्नप्रणाली में धकेलता है, जिससे जलन होती है।
पेट फूलना (गैस): जैसे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन आंतों की मांसपेशियों को आराम देता है, पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है और पेट में गैस बनना शुरू हो जाती है। हालांकि इससे डरने की जरूरत होती है, यह स्थिति गर्भावस्था के छठे महीने में ज्यादातर महिलाओं की होती है।
नोज ब्लीडिंग: गर्भावस्था के दौरान रक्त परिसंचरण में वृद्धि नाक में छोटी रक्त वाहिकाओं का विस्तार करती है। रक्त वाहिकाओं पर लगाए गए दबाव से नाक से खून निकल सकता है।
मसूड़ों से खून आना: रक्त प्रवाह में वृद्धि और हार्मोनल परिवर्तन गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आने का कारण है।
भूख में वृद्धि: इस महीने में सुबह होने वाली बीमारियां थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन भूख बढ़ जाती है। बढ़ते बच्चे की मांगों को पूरा करने के लिए भोजन का सेवन सामान्य और उचित मात्रा में करना जरूरी है।
एची पैर: गर्भावस्था के छठे महीने में एडिमा, साथ ही गर्भावस्था के वजन में वृद्धि, पैरों पर अतिरिक्त दबाव डालती है, जिससे पैरों में दर्द होता है।
वैरिकाज़ नसें: इंफीरियर वेना कावा (शरीर की सबसे बड़ी नस जो पैरों से हृदय तक रक्त ले जाती है) पर बढ़ते हुए गर्भाशय द्वारा दबाव डाला जाता है, रक्त प्रवाह को प्रतिबंधित करता है, जिससे पैरों के पास की नसें सूज जाती हैं।
सफेद योनि स्राव: गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भाशय ग्रीवा गर्भावस्था के दौरान नरम हो जाती हैं, जिससे श्वेत प्रदर होता है, जो बदले में किसी भी बैक्टीरिया को योनि से होकर गर्भाशय तक जाने से रोकता है।
सांस फूलना: गर्भावस्था के छठे महीने में बढ़ता हुआ गर्भाशय डायाफ्राम पर दबाव डालता है, जिससे सांस फूलती है।
खर्राटे लेना: कई महिलाओं को गर्भावस्था के इस चरण में खर्राटों का अनुभव होता है। दरअसल वजन बढ़ने से आपकी गर्दन और सिर के ऊतकों में सूजन आ जाती है जिससे खर्राटे आते हैं और इसके अलावा आपकी श्लेष्मा झिल्ली (Mucous membrane) भी सूज जाती है। बेहतर सांस लेने के लिए सोते समय नाक की पट्टियों का उपयोग करना बेहतर होता है।
पीठ का दर्द: गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भाशय आपकी पीठ के निचले हिस्से पर भी दबाव डालता है। इसके अलावा, गर्भावस्था के परिणामस्वरूप श्रोणि और पीठ के निचले हिस्से में संयुक्त स्नायुबंधन (ligaments) में खिंचाव होता है। इन दोनों कारकों से पीठ में दर्द होता है।
अनिद्रा: गर्भावस्था में छटवें महीने में बार-बार बाथरूम में जाना, बेक पेन के कारण आपकी नींद खराब हो सकती है। कई बार कई महिलाओं को इस समय अनिद्रा की समस्या भी हो जाती है।
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गर्भावस्था के छठे महीने में आपके शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिनकी पहचान आपको जरूर होनी चाहिए। नीचे हम इन्हीं शारीरिक बदलावों के बारे में आपको बता रहे हैं।
स्ट्रेच मार्क्स: गर्भावस्था में छटवें महीने में बढ़ते हुए गर्भाशय के कारण त्वचा में खिंचाव आने लगता है जिसे स्ट्रेच मार्क्स कहते हैं। ये स्ट्रेच मार्क्स डिलीवरी के बाद तक भी रहते हैं। इनसे बचने के लिए आप स्ट्रेच मार्क क्रीम या स्ट्रेच मार्क्स से बचने का कोई घरेलू नुस्खा भी अपना सकती हैं।
लिनिया निग्रा: गर्भावस्था में छटवें महीने में बैली से प्यूबिक तक जाने वाली रेखा गहरी हो जाती है।
त्वचा रंजकता में परिवर्तन: इस दौरान आपकी त्वचा पिगमेंटेशन से गुजर सकती है। इससे त्वचा बेजान और दाग धब्बे वाली हो जाएगी, गर्भावस्था में छटवें महीने के दौरान अधिक हार्मोन के उत्पादन से त्वचा रंजकता हो सकती है, जिसे मेलास्मा भी कहा जाता है। यह गाल, गर्दन और माथे के पास काले धब्बे के रूप में दिखाई देता है। लेकिन चिंता की बात नहीं है, डिलीवरी के बाद सब नॉर्मल हो जाएगा।
वजन- इस महीने में आपका वजन 2 से 5 किग्रा तक बढ़ सकता है।
कोलोस्ट्रम: गर्भावस्था में छटवें महीने में स्तन कोलोस्ट्रम नामक एक पीले तरल को लीक करना शुरू कर देता है, ये दूध डिलीवरी के बाद पहली बार बच्चे को पिलाया जाता है।
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यहां कुछ भावनात्मक परिवर्तन दिए गए हैं, जिन्हें आप गर्भावस्था के छठवें महीने में अनुभव कर सकती हैं:
गर्भावस्था मस्तिष्क: गर्भावस्था के छठवें महीने में ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता (अनुपस्थित-मन) या भूलने की बीमारी सभी गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों के लिए जिम्मेदार है। इसे कभी-कभी मोमनेसिया भी कहा जाता है।
मूड स्विंग और चिंता: गर्भावस्था के छठवें महीने की इस अवस्था में मूड बहुत जल्दी बदलता है। कभी आपका स्वभाव बहुत चिड़चिड़ा तो कभी बहुत ज्यादा शांत हो जाएगा। लेकिन चिंता की बात नहीं है, ऐसा होना स्वभाविक है। ये गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन के कारण होते हैं।
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21-24 हफ्ते गर्भावस्था का छठां महीना होता है। इन हफ्तों के दौरान, आपका शिशु एक मानवीय चेहरा प्राप्त करता है। बच्चे का वजन 8 औंस से 1 पाउंड और लंबाई 8-12 इंच होती है। इस महीने के दौरान आपके बच्चे का विकास बढ़ जाता है। जानिए अब आपके बच्चे का छोटा सा शरीर कैसे विकसित हो रहा है।
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स्थिति: गर्भावस्था के छटवे महीने के दौरान, गर्भ में बच्चे को स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने के लिए अधिक जगह होती है।
मूवमेंट्स: गर्भावस्था के छटवे महीने के दौरान आपका शिशु किक मारने के लिए तैयार है। इस समय उसकी किक मजबूत होती है और अब तक स्लीप पैटर्न भी स्थापित हो जाता है।
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गर्भावस्था के दौरान आप जो भोजन करते हैं, उससे सावधान रहने की जरूरत है। गर्भावस्था के 6 महीने के दौरान आपकी प्लेट में सही अनुपात में पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। यहां उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिन्हें आप अपने आहार में शामिल कर सकते हैं
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यहां उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जिनसे आपको गर्भावस्था के छठे महीने में बचने की आवश्यकता है:
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यहां हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में जानना आपको बहुत जरूरी है। पेट या पैल्विक दर्द, हल्के ऐंठन के अलावा अन्य लक्षण जैसे
प्रीटरम श्रम (Preterm labor) या समयपूर्व श्रम (premature labor) उन जोखिमों में से एक है जिससे आपको इस महीने से सावधान रहना चाहिए। यदि आपको इनमें से एक भी लक्षण महसूस हों तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, क्योंकि इन्हें नजरअंदाज करने का परिणाम खतरनाक हो सकता है।
यदि इनमे से कोई भी लक्षण आपमें होने लगें तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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गर्भावस्था के छठे महीने में ऐसे बहुत सी चीजें होती हैं, जो आपको शुरू कर देनी चाहिए। ये चीजें न केवल आपको बिजी रखती है, बल्कि प्रेग्नेंसी से जुड़ी चीजों की अच्छी नॉलेज भी आपको देती हैं।
अपने बच्चे के जन्म की योजना के बारे में सोचें: अपने बच्चे के जन्म की योजना के बारे में अपने डॉक्टर या दाई से चर्चा शुरू करें। याद रखें, प्रत्येक कारक की योजना नहीं बनाई जा सकती है (विशेषकर यदि कोई आपात स्थिति है), लेकिन यह आपकी प्राथमिकताओं के बारे में सोचने में आपके विकल्प जानने से पहले आपकी मदद करता है। इसमें लेबर के दौरान आप किस स्थिति में रहना चाहते हैं, आराम और रिलेक्स फील करने के लिए आप क्या करना चाहेंगे कुछ ऐसी चीजों की प्लानिंग कर सकते हैं इन पर चर्चा कर सकते हैं।
प्रसव के बारे में पढ़ें: प्रीनटल क्लासेस अटैंड करने के बाद भी आपके पास जन्म के अनुभव के बारे में सवाल या चिंताएँ हो सकती हैं। प्रसव के बारे में पढ़ें और अपने अनुभवों के बारे में अन्य माताओं से बात करें।
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गर्भावस्था की खबर सुनने के बाद हर किसी का ध्यान होने वाली मां पर होता है, कहते हैं के अगर गर्भवती महिला खुद का ध्यान अच्छे से रखे तो उसका बच्चा भी स्वस्थ होता है। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि एक पिता के लिए भी यह शानदार अहसास है। इसलिए अकेले होने वाली मां ही क्यों हर बात का ख्याल रखे बल्कि पति को भी अपनी पत्नी का सपोर्ट और मदद करनी चाहिए। नीचे हम होने वाले पिता के लिए कुछ ऐसे ही आसान से सुझाव बताने जा रहे हैं।
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