Breastfeeding problems in Hindi शिशु को स्तनपान कराना हमेशा आसान नहीं होता। इस दौरान मां को कई समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए एक मां को समस्या के साथ इसके कारण और समाधान भी पता होने चाहिए। स्तनपान से जुड़ी समस्या के लिए वैसे तो आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकतीं हैं, लेकिन कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर भी काफी हद तक आप अपना इलाज कर सकतीं हैं।
शिशु को स्तनपान कराना एक मां के लिए बहुत प्यारा और सुखद अहसास होता है। कहा जाता है कि स्तनपान कराने से मां और शिशु के बीच की बॉन्डिंग स्ट्रांग हो जाती है। लेकिन पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग कराना थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है साथ ही नवजात शिशु को भी दूध पीने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये नई मां के लिए एक चिंता की बात होती है। अगर आप भी स्तनपान से जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रही हैं तो चिंता छोड़ दीजिए। आज हमने इस आर्टिकल में आपके सामने स्तनपान के दौरान होने वाली तमाम समस्याओं को उजागर किया है, साथ ही समस्या के उपचार के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी बताए हैं, जिन्हें आप आसानी से आजमा कर स्तनपान से जुड़ी सभी समस्याओं से राहत पा सकते हैं।
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स्तनपान से जुडी समस्या से माँ और बच्चा दोनों परेशान हो सकते हैं। स्तनपान के दौरान माँ और बच्चे, दोनों को बहुत सी परेशानियों (breastfeeding problems) का सामना करना पड़ सकता है इसलिए हम आपको बता रहे हैं स्तनपान के दौरान होने वाली समस्याएं और उनके घरेलु उपचार और घरेलू नुस्खे के बारे में। तो आइये जानते हैं नई माँ बनी महिलाओं में स्तनपान से जुड़े कुछ सामान्य कारण और उनके समाधान के बारे में –
जब महिला पहली बार बच्चे को स्तनपान कराती है तो उसे निप्पल में दर्द होता है, जो काफी आम है। शुरूआत के कुछ हफ्तों तक नई मां ऐसा महसूस कर सकती है। दरअसल यह समस्या उन महिलाओं को ज्यादा होती है जिनके निप्पल संवेदनशील होते हैं। कई बार शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण भी ऐसा होता है। इस समस्या से निपटने के लिए जब बच्चे का पेट भर जाए तो अपनी एक उंगली बच्चे के मुंह में डालकर धीरे से निप्पल निकाल लें। यदि फिर भी आप दर्द महसूस कर रही हों तो यह जरूर देख लें कि स्तन से दूध पूरी तरह से निकल गया है या नहीं। क्योंकि स्तन में दूध भरा होगा तो भारीपन के कारण भी दर्द का अहसास होगा। निप्पल में दर्द की समस्या भले ही आम हो, लेकिन तकलीफदेह होती है। क्योंकि बच्चे को दिन में कई बार स्तनपान कराना होता है।
स्तनपान के समय निप्पल में दर्द होने पर बेहतर है कि आप स्तनों की बर्फ से सिकाई करें। थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन आपको आराम मिलेगा और सूजन भी कुछ कम हो जाएगी।
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स्तनपान के बाद ब्रैस्ट में दर्द कभी-कभी एक जबरदस्ती दूध निकालने की क्रिया / लेट-डाउन रिफ्लेक्स और ओवरसुप्ली ( forceful milk ejection/let-down reflex and oversupply) से जुड़ा होता है । दूध पिलाने के तुरंत बाद, यह दर्द दिखाई देगा; यह आमतौर पर समय के साथ कम हो जाता है और बच्चे के जन्म के बाद पहले महीने के भीतर चला जाता है।
यदि किसी महिला को एक ही जगह दर्द महसूस हो रहा है तो ये इस बात का संकेत है कि मिल्क डक्ट ब्लॉक हो रहा है। इसका अर्थ होता है कि स्तन में दूध एक जगह एकत्रित हो जाता है और गांठ पड़ जाती है। इससे निपटने के लिए गर्म पानी से सिकाई या फिर मालिश की जा सकती है। चाहें तो आप अपने स्तन पर हीट पैक का उपयोग भी कर सकती हैं जो कुछ समय तक आपके स्तनों को गर्माहट देता रहे। इस समय ये भी देखें कि आपकी ब्रा बहुत टाइट ना हो।
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स्तनपान कराने वाली महिलाओं को संक्रमण की समस्या से भी जूझना पड़ता है। अक्सर स्तनपान कराने से निप्पल कट जाते हैं और उस जगह से स्तन में बैक्टीरिया चले जाते हैं। यदि किसी महिला को स्तन में दर्द के साथ बुखार, फ्लू जैसे लक्षण नजर आएं तो डॉक्टर से संपर्क कर सकतीं हैं। इस समस्या से निपटने के लिए आप घरेलू उपाय अपना सकती है। दिन में कभी भी 15-20 मिनट तक हल्की गर्म सिकाई करें। आराम मिलेगा।
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लगातार स्तनपान कराने से महिलाओं के निप्पल ड्राई होने के साथ फटने भी लगते हैं। ऐसा हार्मोनल बदलाव के साथ मौसम में बदलाव और निप्पल पर साबुन का ज्यादा उपयोग करने से होता है। अगर स्तनपान कराने के दौरान कभी भी लगे कि निप्पल फट रहे हैं तो आप हल्के हाथों से निप्पल की मसाज कर सकतीं हैं।
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पहली बार स्तपान करने वाली महिलाओं को स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध न होने की समस्या होती है। दूध न निकलने पर बच्चे का पेट भी नहीं भर पाता। आमतौर पर यह समस्या थॉयराइड, शरीर में कमजोरी और तनाव के कारण उत्पन्न होती है। अगर स्तनों में दूध नहीं बन रहा तो आप रोजाना अंडे खाएं। इससे दूध बनना शुरू हो जाता है। इसके अलावा सौंफ, जीरा, दाल, तुलसी, शतावरी, सूखे मेवे, हरी सब्जियां, मैथी, लहसुन का सेवन करने से भी स्तनों में दूध बढ़ाया जा सकता है।
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कुछ महिलाओं के स्तन में दूध नहीं आता, तो कुछ के स्तन में दूध की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इसका कारण मां का ज्यादा सेहतमंद होना, बच्चे का दूध ना खींच पाना और बच्चे का कम दूध पीना भी हो सकता है। इसके लिए पत्तागोभी सबसे अच्छा घरेलू उपचार है। इसके लिए ठंडे पत्तागोभी के पत्तों को स्तनों पर लगाएं। बता दें कि पत्तागोभी में दूध को सुखाने के आवश्यक तत्व होते हैं।
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यह समस्या बहुत कम महिलाओं को होती है। स्तनपान के दौरान निप्पल उल्टे होने जैसी समस्या जन्म से ही होती है। इसके लिए आप निप्पल को हल्के हाथों से पकड़कर बाहर निकालने की कोशिश करें और यह भी कोशिश करें कि अपने स्तन मुलायम रहें। इसके लिए आप अच्छी ब्रेस्ट क्रीम का उपयोग कर सकती हैं।
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अगर मां बच्चे को स्तनपान कराती है, उसे बुखार आ जाए तो स्तनपान कराने के लिए मना किया जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है। मां चाहे तो बच्चे को स्तनपान करा सकती है। हां, अगर कोई इंफेक्शन है तो डॉक्टर से पूछ लें कि स्तनपान कराने से आपके दूध के जरिए बच्चे पर कोई गलत असर तो नहीं होगा।
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कई बार ऐसा होता है कि मजबूरन बच्चे को घर से बाहर कहीं ब्रेस्ट फीड कराना पड़ सकता है। ऐसे में घर से बाहर जाने से पहले एक बार बच्चे को स्तनपान जरूर करा दें। जरूरत पड़ने पर अगर बाहर स्तनपान कराना भी पड़े तो ऐसे ढीले कपड़े पहनें ताकि शिशु को आसानी से स्तनपान करा सकें। आप चाहें तो किसी से ऐसी जगह के बारे में पता करें जहां आप बच्चे को अच्छे से स्तनपान करा सकें।
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बच्चे को दूध पिलाते समय शिशु द्वारा स्तन काटना सबसे आम समस्या होती है अक्सर शिशु दूध पीते समय मां के स्तन काटते हैं। इसका मुख्य कारण होता है कि आपके स्तन में दूध नहीं बन रहा और ये भी हो सकता है कि उस समय आपके शिशु के दांत निकल रहे हों। इस समस्या से बचने के लिए कटे हुए स्तन से दूध न पिलाएं। आप चाहें तो कटे हुए स्तन पर गर्म पानी या बर्फ का सेक भी कर सकती हैं। इससे बहुत आराम मिलेगा।
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ये शिकायत ज्यादातर माओं को रहती है कि बच्चा ठीक से दूध नहीं पीता। लेकिन कई बार वे इसका कारण नहीं जान पातीं। तो हम आपको बता दें कि ऐसा आपके स्तन के निप्पल का छोटा होने के कारण होता है। निप्पल का आकार छोटा होने के कारण निप्पल बच्चे के मुंह में सही से नहीं जा पाते, जिससे बच्चा ठीक से दूध नहीं पीता और भूखा रह जाता है। दूसरा कारण आपके स्तनों से ठीक से दूध ना आना भी हो सकता है। इस संबंध में आप घरेलू उपचार के साथ अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं।
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कई बार बच्चे दूध पीते-पीते सो जाते हैं। जिससे बच्चे का पेट नहीं भर पाता। स्तनपान के दौरान ये बड़ी समस्या है। बच्चा लगातार दूध पीता रहे इसके लिए अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच अपने स्तन को निचोड़ें, जिससे आपका बच्चा फिर से चूसने और निगलने की प्रतिक्रिया करने लगेगा। जब बच्चा चूसना बंद कर दे तो फिर से स्तन को निचोड़ें। बच्चे को उसकी ठुड्डी के नीचे फंसाना कभी-कभी नींद में बच्चे को चूसने को प्रोत्साहित कर सकता है।
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कई माओं की समस्या होती है कि दूध पीते समय बच्चा उधम मचाता है। इसका सही कारण और उपचार हम आपको बताते हैं। कुछ मांए जरूरत से ज्यादा दूध का उत्पादन करती हैं, इससे दूध इतनी तेजी से बहता है कि बच्चा जल्दी-जल्दी पीने की कोशिश करता है। इसके लिए आप हर दो से तीन मिनट में स्तन का साइड बदलती रहें। चाहें तो हर चार घंटे में बच्चे को पहले बायां और फिर अगले चार घंटे में दायां स्तन से दूध पिलाएं।
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यह समस्या आमतौर पर तब उभरती है जब दूध का उत्पादन बच्चे के जन्म के तीन दिन बाद होता है। यदि लेबर के दौरान आपके शरीर में शिरा तरल पदार्थ थे, तो आपके स्तन ऊतक के साथ-साथ दूध में भी एडिमा हो सकता है। सूजन से बचने के लिए गोभी की पत्ते अच्छा घरेलू नुस्खा है। फीडिंग के बीच में गोभी के पत्ते ब्रा में फंसा लें। ये स्तनों की सूजन को कम करने में मदद करेगी। आप अपनी उंगलियों का उपयोग अपने निप्पल के चारों ओर तरल पदार्थ से भरे टिशू पर दबा सकते हैं। बार-बार स्तनपान या हाथ से एक्सफोलिएशन से असहजता से राहत मिलेगी।
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स्तनों पर लाल प्लग डक्ट के कारण होता है। अगर प्लग डक्ट की समस्या हल नहीं हुई है या निप्पल क्षतिग्रस्त या फट गए हैं तो आगे चलकर यह संक्रमण में बदल जाते हैं। यहां मास्टिटिस के लिए घरेलू उपचार फायदेमंद साबित होगा। जितना हो सके आराम करें। यदि 24 घंटे के भीतर कोई सुधार नहीं दिखता तो डॉक्टर से संपर्क करें।
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निप्पल के एंड पर व्हाइट डॉट होने का मतलब दूध की कमी या दूध के छाले से है। यह त्वचा की परतों के कारण होता है जो एक नलिका के खुलने या उसके पीछे दूध के फंसने से होती है। यह बहुत चोट पहुंचाता है। इसे निकालने के लिए मालिश करें।
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यह तापमान में अचानक बदलाव के कारण होता है। क्योंकि इस दौरान निप्पल को बच्चे के मुंह से गर्म जगह से ठंडी जगह लाया जाता है। इस स्थिति को रेनाउड के रूप में भी जाना जाता है। इस सफेदी और दर्द के कारण खून स्तन से अचानक बहने लगता है। इस दौरान निप्पल पर एक गर्म कपड़ा लगाने की कोशिश करें या ब्लड फ्लो को वापस लाने के लिए निप्पल की जैतून के तेल से मालिश करें।
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कई महिलाओं को स्तनपान कराने के कुछ समय बाद फील होता है कि उनके स्तन भरे हुए नहीं है। यह आमतौर पर छह से दस सप्ताह तक होता है। लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है बल्कि ये आपके लिए अच्छी और राहत की बात है कि वास्तिवकता में आपके स्तन आपके बच्चे की भूख को पूरा करने के लिए समायोजित हो गए हैं। बस अपने बच्चे के वजन बढ़ाने और डायपर सामग्री को लेकर ध्यान दें।
इस आर्टिकल में हमारे द्वारा स्तनपान के दौरान होने वाली समस्याएं और उनके घरेलू उपचारों के बारे बताया गया है। एक बार इन सभी घरेलू उपचारों को आप ट्राय कर सकते हैं और फिर भी असर न दिखे तो अपने डॉक्टर से सलाह लेने से संकोच न करें। वो आपकी स्थिति के बारे में आपको अच्छी सलाह दे सकते हैं।
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