STDs In Hindi: एसटीडी को यौन जनित बीमारी, यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) या वीनर रोग (venereal diseases) के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारियाँ असुरक्षित यौन क्रियाओं के माध्यम से बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के कारण फैलती हैं। इस लेख में हमारे साथ जानें यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई), या यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के लक्षण, जोखिम कारक, जाँच, उपचार और रोकथाम के बारे में।
कोई भी व्यक्ति सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज यानि STD का शिकार हो सकता है, कुछ यौन संक्रमित संक्रमण जन्मजात होते हैं। लंबे समय तक उपचार की अनुपस्थिति में यह रोग अनेक प्रकार के जोखिमों को उत्पन्न कर सकते हैं, जिनमें बाँझपन, अंधापन, दिल की बीमारी और मौत भी शामिल हैं। यौन संचारी रोग या यौन संचारित संक्रमण के अलग-अलग लक्षण होते है। अतः इन लक्षणों की जानकारी होना सभी के लिए जरूरी है, ताकि एसटीडी का उचित समय पर इलाज कराकर इसके संचरण को रोका जा सके।
यह लेख यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) और यौन जनित बीमारी (एसटीडी) की जानकारी से सम्बंधित है। इस लेख में आप यौन संचारित रोग के लक्षण, कारण, जाँच, इलाज और यौन संचारी रोग से बचाव के तरीकों के बारे में जानेगें।
विषय सूची
1. यौन संक्रामक बीमारियाँ क्या हैं – Sexually transmitted disease in Hindi
2. यौन संचारित रोग के प्रकार – Types of sexually transmitted diseases in Hindi
3. यौन संचारित रोग के लक्षण – Sexually transmitted diseases symptoms in Hindi
4. यौन संचारित रोग (एसटीडी) के कारण – Sexually transmitted diseases causes in Hindi
5. यौन संचारित संक्रमण या एसटीडी के प्रकार – Most common types of Sexually transmitted infections in Hindi
6. यौन संक्रामक रोग की जाँच – Sexually transmitted diseases Diagnosis in Hindi
7. यौन संचारित रोग (एसटीडी) का इलाज – Sexually transmitted infections (diseases) treatment in Hindi
8. यौन संचारित संक्रमण की जटिलताएं – Sexually transmitted infection complication in Hindi
9. यौन संचारित रोग (संक्रमण) की रोकथाम – Sexually transmitted diseases prevention in Hindi
यौन संक्रामक बीमारियाँ क्या हैं – Sexually transmitted disease in Hindi
एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज) या यौन संचारित संक्रमण वह संक्रामक रोग हैं जो, यौन संपर्क द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे में संचारित होते हैं। आप एसटीडी वाले किसी व्यक्ति के साथ असुरक्षित योनि, गुदा या मुख मैथुन करके एसटीडी का सिकार हो सकते हैं। एसटीडी या एसटीआई, यौन जनित बीमारीयों का एक समूह है, जिसके अनेक कारण हो सकते हैं, जो महिला और पुरुष दोनों को सामान रूप से प्रभावित कर सकते हैं। सेक्स ही एसटीडी संचारित करने का एकमात्र तरीका नहीं है। कुछ यौन संक्रामक बीमारियाँ संक्रमित सुइयों और स्तनपान के द्वारा भी संचारित होती हैं। कुछ प्रकार के यौन संचारित रोग स्पष्ट लक्षणों को उत्पन्न करते हैं, जबकि कुछ रोग की स्थिति में लक्षणों को महसूस कर पाना मुश्किल होता है।
- असुरक्षित यौन संपर्क जैसे यौनि संभोग, मौखिक सम्भोग और गुदापरक सम्भोग (Anal sex) इत्यादि के माध्यम से एसटीडी (यौन संचारित बीमारी) एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फेल सकती हैं।
- यौन संचारित रोग (एसटीडी) – या यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) – आमतौर पर यौन संपर्क द्वारा अधिग्रहित किए जाते हैं। बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी जो यौन संचारित रोगों का कारण बनते हैं वे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में रक्त, वीर्य या योनि स्राव और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों में पारित हो सकते हैं।
- एसटीडी होने पर कई बार इसके लक्षण नहीं दिखते है। उन लोगों में भी यौन संचारित रोगों का खतरा होता है जो पूरी तरह से स्वस्थ लगते हैं और शायद उन्हें यह भी पता नहीं है कि उन्हें यह संक्रमण है।
(और पढ़े – एसटीडी रोग लक्षण, प्रकार और बचाव के तरीके, जानकर आप भी हो जाये सावधान!)
यौन संचारित रोग के प्रकार – Types of sexually transmitted diseases in Hindi
यौन जनित बीमारी या यौन संचारित संक्रमण के सबसे आम प्रकार निम्न है:
- बैक्टीरियल एसटीडी (Bacterial sexually transmitted diseases) – बैक्टीरियल यौन संचारित संक्रमण में निम्न बीमारियों को शामिल किया जाता है, जैसे- क्लैमाइडिया, गोनोरिया और सिफलिस इत्यादि।
- वायरल एसटीडी (Viral sexually transmitted diseases) – वायरल यौन संचारी रोग में एचआईवी, जननांग दाद (genital herpes), जननांग मस्से (genital warts (HPV)) और हेपेटाइटिस बी इत्यादि को शामिल किया जाता है।
- परजीवी एसटीडी (parasite sexually transmitted diseases) – ट्राइकोमोनिएसिस एक परजीवी यौन संक्रमण है।
(और पढ़े – यौन रोग के प्रकार और आयुर्वेदिक उपचार…)
यौन संचारित रोग के लक्षण – Sexually transmitted diseases symptoms in Hindi
एसटीडी के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। लोगों में वजन घटना, थकावट और रात को पसीना आना इत्यादि कुछ विशिष्ट लक्षण देखने को मिल सकते हैं। आमतौर पर पुरषों में एसटीडी के लक्षण सामान्यतः देखे जा सकते हैं, जबकि महिलाओं (औरतों) में यौन संचारित रोग (एसटीडी) के लक्षण आसानी से नहीं दिखाई देते हैं।
पुरुषों में यौन संचारित संक्रमण के लक्षण – STD Symptoms in men in Hindi
कोई भी व्यक्ति लक्षणों को प्रगट किये बिना यौन संचारित रोग (एसटीडी) से ग्रस्त हो सकता है। जबकि कुछ यौन संचारित बीमारियों (एसटीडी) की स्थिति में कुछ स्पष्ट लक्षण उत्पन्न होते हैं। पुरुषों में यौन संचारित बीमारी के सामान्य लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
- सेक्स करते समय स्खलन के दौरान दर्द का अनुभव होना
- पेशाब करते समय दर्द, जलन या तकलीफ
- बार बार पेशाब लगना
- बाल झड़ना
- लिंग, अंडकोष (testicles), गुदा, नितंब, जांघ या मुंह और उसके आसपास घाव (sores), फोड़े या चकत्ते उत्पन्न होना।
- लिंग (पेनिस) से असामान्य रूप से तरल का स्राव या रक्त स्राव होना
- लिंग या जननांगों पर घाव या फोड़े, फफोले होना
- अंडकोष (testicles) में सूजन या दर्द, इत्यादि।
(और पढ़े – पुरुषों की सेक्स समस्यायों के बारे में जानकारी…)
महिलाओं में एसटीडी के लक्षण – Sexually transmitted diseases Symptoms in women in Hindi
अधिकांश मामलों में महिलाओं में यौन संचारित रोग या संक्रमण की स्थिति में ध्यान देने योग्य लक्षण उत्पन्न नहीं होते है। फिर भी कुछ महिलाओं में एसटीडी के सामान्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जो कि निम्न हैं:
- सेक्स या पेशाब के दौरान दर्द या असुविधा का अनुभव होना
- योनि, गुदा, नितंबों, जांघ या मुंह के आसपास घाव, छाले या लाल चकत्ते (rashes) उत्पन्न होना
- योनि से असामान्य रूप से तरल पदार्थ या रक्त का स्राव होना
- योनि या उसके आसपास के क्षेत्र में खुजली होना
- असामान्य रूप से वजन घटना
- महिलाओं को बार बार पेशाब आना, इत्यादि।
(और पढ़े – महिलाओं की यौन स्वास्थ्य समस्याएं और समाधान…)
यौन संचारित रोग (एसटीडी) के कारण – Sexually transmitted diseases causes in Hindi
सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज या यौन संक्रामक बीमारियों में अनेक प्रकार के संक्रमण शामिल हैं, जिनका मुख्य कारण बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट होते हैं। एसटीडी का कारण बनने वाले अधिकांश कीटाणु (germs) योनि सेक्स (Vaginal sex), गुदा सेक्स (anal sex) या ओरल सेक्स (Oral sex) के माध्यम से फैलते हैं। लेकिन कुछ सूक्ष्मजीव, जो जेनिटल हर्पीस (जननेन्द्रिय हर्पीज़) और जननांग मस्सों (genital warts) का कारण बनते हैं, त्वचा के संपर्क के माध्यम से फैल सकते हैं। यौन संचारित रोग का कारण बनने वाले बैक्टीरिया और वायरस, प्रभावित व्यक्ति के वीर्य, रक्त, योनि स्राव और कभी-कभी लार में जमा हो जाते हैं और पर्सनल आइटम जैसे टूथब्रश या रेज़र (razors) का साझा करने से अन्य व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं।
अन्य गतिविधियां या कारक, जो यौन संचारित संक्रमण या यौन जनित बीमारी को फैलाने में भूमिका निभा सकते हैं, निम्न हैं:
- असुरक्षित सेक्स करने के दौरान
- मां के माध्यम से जन्म लेने वाले बच्चे को
- रक्त, थूक, पेशाब, वीर्य और योनि स्राव के माध्यम से।
(और पढ़े – असुरक्षित सेक्स से होने वाली बीमारियां…)
यौन संचारित संक्रमण या एसटीडी के प्रकार – Most common types of Sexually transmitted infections in Hindi
कई अलग-अलग प्रकार के यौन संचारित संक्रमण या रोग हो सकते हैं। जिनमें से सबसे सामान्य यौन जनित बीमारियां निम्न हैं:
क्लैमाइडिया – Chlamydia in Hindi
क्लैमाइडिया, यौन संचारित रोग से सम्बंधित एक सामान्य बीमारी है, जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia trachomatis) नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। क्लैमिडिया (Chlamydia) यूरेथ्रा, योनि या गर्भग्रीवा (cervical) के आस-पास के क्षेत्र और गुदा को संक्रमित कर सकता है।
संकेत और लक्षण जो क्लैमाइडिया होने पर हो सकते हैं:
- मूत्र त्याग करने में दर्द
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- महिलाओं में योनि स्राव
- पुरुषों में लिंग से निर्वहन
- महिलाओं में संभोग के दौरान दर्द
- महिलाओं में पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग
- पुरुषों में वृषण का दर्द इत्यादि ।
(और पढ़े – अंडकोष (वृषण) में दर्द के कारण, लक्षण, जांच, उपचार और रोकथाम…)
हर्पीस (जननांग हरपीज) – genital herpes in Hindi
हर्पीस एक अन्य सबसे सामान्य यौन संचारित रोग (एसटीडी) होता है, जिसे जननांग दाद के नाम से भी जाना जाता है। यह HSV या हर्पस सिम्प्लेक्स वायरस (herpes simplex virus) के कारण होता है। यह वायरस त्वचा झिल्ली या श्लेष्म में छोटे से कट या चोट के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यह यौन जनित संक्रमण जननांगों या उसके आसपास के क्षेत्र में तरल पदार्थ से भरे छोटे-छोटे फोड़ों के उत्पन्न होने का कारण बनता है। यह रोग दर्दनाक हो सकता है।
- वर्तमान में, जननांग दाद के लक्षण और लक्षण शामिल हो सकते हैं:
- जननांग, गुदा और आस-पास के क्षेत्रों में छोटे लाल दाने, फफोले (पुटिका) या खुले घाव (अल्सर)
- जननांग क्षेत्र, नितंबों और आंतरिक जांघों के आसपास दर्द या खुजली।
(और पढ़े – जननांग हरपीज (जेनिटल हर्पीज) के कारण, लक्षण, निदान और उपचार…)
उपदंश (सिफलिस) – Syphilis in Hindi
सिफलिस (Syphilis) एक अन्य यौन संचारित रोग है, जो बैक्टीरियल संक्रमण (bacterial infection) के कारण होता है। इस बीमारी के शुरुआती चरण में कोई लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। सिफलिस रोग के लक्षणों में दर्द रहित छोटे गोल घाव को शामिल किया जाता है, जो जननांग, गुदा या मुंह पर विकसित हो सकते हैं। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो यह निम्न जटिलताओं को उत्पन्न कर सकता है, जैसे:
- सुनने और देखने की क्षमता में कमी
- याददाश्त में कमी
- मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में संक्रमण
- दिल की बीमारी (heart disease)
- मृत्यु, इत्यादि।
(और पढ़े – सिफलिस (उपदंश) के कारण लक्षण और उपचार…)
एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) इन्फेक्शन – HPV (human papillomavirus) infection in Hindi
ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) इन्फेक्शन एक अन्य यौन संचारी रोग है, जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पारित किया जा सकता है। एचपीवी (human papillomavirus) का सबसे आम लक्षण जननांगों, मुंह या गले पर मस्से (warts) उत्पन्न होना है। एचपीवी संक्रमण से सम्बंधित कुछ लक्षण, कैंसर का कारण बन सकते हैं।
एचपीवी में आमतौर पर कोई लक्षण या संकेत नहीं होते हैं। जननांग मस्सा के लक्षण और संकेत में शामिल हैं:
- आपके जननांग क्षेत्र में छोटे, मांस के रंग या भूरे रंग की सूजन
- कई मस्से एक साथ बंद हो जाते हैं जो फूलगोभी के आकार में होते हैं
- आपके जननांग क्षेत्र में खुजली या असुविधा
- संभोग के साथ रक्तस्राव।
(और पढ़े – क्या होता है एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव…)
एचआईवी इन्फेक्शन – HIV infection in Hindi
एचआईवी (human immunodeficiency virus), यौन संचारित संक्रमण का एक प्रमुख कारण है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचता है। यह संक्रमण अन्य वायरस, बैक्टीरिया संक्रमण और कुछ कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। इलाज की अनुपस्थिति में एचआईवी संक्रमण, स्टेज 3 एचआईवी को जन्म दे सकता है, जिसे एड्स (AIDS) के रूप में जाना जाता है। जब पहली बार कोई एचआईवी से संक्रमित होता है, तो उसको कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं। आमतौर पर संक्रमित होने के दो से छह सप्ताह बाद कुछ लोगों में फ्लू के समान लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। फिर भी, आपको एचआईवी है या नहीं, इसका पता लगाने का एकमात्र तरीका है इसका टेस्ट कराना।
एचआईवी के शुरुआती संकेत और लक्षण
प्रारंभिक एचआईवी लक्षण और संकेत में शामिल हो सकते हैं:
- बुखार
- सरदर्द
- गले में खरास
- लिम्फ नोड्स में सूजन
- लाल चकत्ते
- थकान
ये शुरुआती संकेत और लक्षण आमतौर पर एक सप्ताह से एक महीने के भीतर गायब हो जाते हैं और अक्सर एक अन्य वायरल संक्रमण के कारण हो सकते हैं। इस अवधि के दौरान, आप अत्यधिक संक्रामक हैं। प्रारंभिक संक्रमण के बाद एचआईवी संक्रमण के अधिक लक्षण दिखाई नहीं दे सकते हैं।
चूंकि वायरस प्रतिरक्षा कोशिकाओं की वृद्धि और नष्ट करना जारी रखता है, आप हल्के संक्रमण या पुराने लक्षण और संकेत विकसित कर सकते हैं जैसे:
- लिम्फ नोड्स की सूजन – अक्सर एचआईवी संक्रमण के पहले लक्षणों में से एक
- दस्त
- वजन घटना
- बुखार
- खांसी और सांस की तकलीफ
देर से एचआईवी संक्रमण के लक्षण
देर से होने वाले एचआईवी संक्रमण के लक्षण और संकेतों में शामिल हैं:
- लगातार, अस्पष्टीकृत थकान
- रात को पसीना आना
- कई हफ्तों तक ठंड लगना या बुखार 100.4 F (38 C) से अधिक होना
- तीन महीने से अधिक समय तक लिम्फ नोड्स की सूजन
- लगातार दस्त
- लगातार सिरदर्द
- असामान्य, अवसरवादी संक्रमण
(और पढ़े – महिलाओं में एचआईवी एड्स के लक्षण…)
गोनोरिया (सूजाक) – Gonorrhea in Hindi
गोनोरिया एक बैक्टीरियल यौन संचारित संक्रमण है, जिसे क्लैप (the clap) के रूप में भी जाना जाता है। यह रोग महिलाओं व पुरुषों में यौन संपर्क द्वारा तेजी से फैलता है। यह संक्रमण मुख्य रूप से मूत्रमार्ग, गर्भाशय, गुदा, गले और आंखों को प्रभावित करता है। नेइसेरिया गोनोरिया नामक बैक्टीरिया संक्रमण की स्थिति में लिंग या योनि से स्त्राव, लगातार पेशाब की समस्या, दर्दनाक पेशाब, जननांगों के आसपास खुजली आदि लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ गोनोरिया (सूजाक) का इलाज किया जा सकता है।
सूजाक के लक्षण और संकते में शामिल हो सकते हैं:
- लिंग या योनि से मोटा, हल्का नीला या खूनी निर्वहन
- पेशाब करते समय दर्द या जलन होना
- मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव या अन्य दिनों में रक्तस्राव
- दर्दनाक, सूजे हुए अंडकोष
- दर्दनाक मल त्याग
- गुदा में खुजली
(और पढ़े – गोनोरिया (सूजाक) के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव…)
ट्राइकोमोनिएसिस – Trichomoniasis in Hindi
ट्राइकोमोनिएसिस एक सामान्य यौन संक्रामक बीमारी (एसटीडी) है, जिसे “ट्रिच” (trich) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक छोटे प्रोटोजोआ (protozoan) जीव के कारण होता है, जिसे जननांग संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे में फेल सकता है। यह पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से प्रभावित कर सकता है। हालांकि, महिलाओं को इस प्रकार के यौन संक्रमण से सम्बंधित लक्षणों के उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है।
ओर्गानिस्म आमतौर पर पुरुषों में मूत्र पथ को संक्रमित करते है, लेकिन अक्सर इसका कोई लक्षण नहीं होता है। ट्राइकोमोनिएसिस आमतौर पर महिलाओं में योनि को संक्रमित करता है। जब ट्राइकोमोनिएसिस लक्षण पैदा करता है, तो वे जोखिम के पांच से 28 दिनों के भीतर दिखाई दे सकते हैं और हल्के जलन से लेकर गंभीर सूजन तक हो सकते हैं।
ट्राइकोमोनिएसिस के संकेत और लक्षण में शामिल हो सकते हैं:
- साफ, सफेद, हरा या पीला योनि स्राव
- लिंग से डिस्चार्ज होना
- तेज योनि गंध
- योनि में खुजली या जलन
- लिंग के अंदर खुजली या जलन
- संभोग के दौरान दर्द
- मूत्र त्याग करने में दर्द
(और पढ़े – ट्राइकोमोनिएसिस के कारण, लक्षण, इलाज एवं बचाव…)
अन्य यौन संक्रामक बीमारी – Other sexually transmitted infections in Hindi
बहुत कम सामान्य यौन संक्रामक बीमारिओं (एसटीडी) में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- शैंक्रॉइड (chancroid)
- प्यूबिक लाइस (जघन जूँ) (Pubic lice) (‘crabs’)
- ल्यंफोंग्रानुलोमा वेनेरेउम (lymphogranuloma venereum)
- ग्रेन्युलोमा इनगुइनल (granuloma inguinale)
- मोलोस्कम कन्टेजियोसम molluscum contagiosum
- खाज (स्कैबीज) (scabies), इत्यादि।
(और पढ़े – पेनिस (लिंग) पर स्कैबीज के कारण लक्षण और इलाज…)
यौन संक्रामक रोग की जाँच – Sexually transmitted diseases Diagnosis in Hindi
यौन संचारित बीमारियों का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न परीक्षण की मदद ले सकता है:
टेस्ट (Tests) – यदि किसी व्यक्ति को यौन जनित रोग से सम्बंधित संकेत और लक्षण का अनुभव होता है, तो वह यौन संचारित रोग (एसटीडी) या यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) की जाँच कराने के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकता है। प्रयोगशाला परीक्षण की मदद से संक्रमण और उसके कारणों का पता लगाया जा सकता है। यौन संक्रामक बीमारियों का निदान करने के लिए निम्न टेस्ट उपयोग में लाये जा सकते हैं, जैसे:
- रक्त परीक्षण (Blood tests)
- मूत्र नमूने का परीक्षण (Urine samples test)
- द्रव नमूने का परीक्षण (Fluid samples test)
स्क्रीनिंग (Screening) – जिन व्यक्तियों में किसी भी प्रकार के लक्षण प्रगट नहीं होते हैं, तब उस स्थिति में डॉक्टर यौन जनित रोग का निदान करने के लिए कुछ स्क्रीनिंग टेस्ट की सिफारिश कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- एसटीआई स्क्रीनिंग (STI screening test)
- पैप स्मीयर (pap smear test) और पैप टेस्ट (Pap test), इत्यादि।
(और पढ़े – पैप स्मीयर टेस्ट क्या होता है, प्रक्रिया, कीमत…)
यौन संचारित रोग (एसटीडी) का इलाज – Sexually transmitted infections (diseases) treatment in Hindi
हालांकि प्रत्येक प्रकार की यौन संक्रामक बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। बैक्टीरिया के कारण होने वाले यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) का आमतौर पर इलाज आसानी से किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त वायरल संक्रमण को प्रबंधित किया जा सकता है, लेकिन इसे पूर्ण तरीके से ठीक नहीं किया जा सकता है। एसटीआई से पीड़ित गर्भवती महिला को तुरंत उपचार प्राप्त करने पर विचार करना चाहिए, जिससे बच्चे को संक्रमण के खतरे से बचाया जा सके।
एसटीआई का उपचार आमतौर पर संक्रमण के प्रकार के आधार पर निम्न तरीके से किया जा सकता है:
एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) – एंटीबायोटिक्स के माध्यम से अनेक यौन संचारित बैक्टीरिया और परजीवी संक्रमणों का इलाज किया जा सकता है, जिनमें गोनोरिया, सिफलिस, क्लैमाइडिया और ट्राइकोमोनिएसिस शामिल हैं। एंटीबायोटिक द्वारा उपचार किये जाने तक और लक्षणों के ठीक होने तक सेक्स से परहेज करने की सिफारिश की जाती है।
एंटीवायरल ड्रग्स (Antiviral drugs) – यदि किसी व्यक्ति को हर्पीस या एचआईवी है, तो डॉक्टर द्वारा उसे एक एंटीवायरल दवा की सिफारिश की जायेगी। यदि कोई व्यक्ति एंटीवायरल दवा के साथ दैनिक दमनकारी चिकित्सा (daily suppressive therapy) लेता है, तो हर्पीस की पुनरावृत्ति को कम करने में मदद मिल सकती है। लेकिन उपचार के बाद भी संक्रमित व्यक्ति हर्पीज़ को प्रसारित कर सकता है। एंटीवायरल दवाएं अनेक वर्षों तक के लिए एचआईवी संक्रमण पर रोक लगा सकती हैं। लेकिन उपचार के बाद भी व्यक्ति एचआईवी (hiv) का वाहक हो सकता है।
(और पढ़े – यौन संचारित रोगों की रोकथाम और एसटीडी बचने के तरीके…)
यौन संचारित संक्रमण की जटिलताएं – Sexually transmitted infection complication in Hindi
यौन संचारी रोग (एसटीडी) या यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) के शुरुआती चरणों में अनेक व्यक्ति बगैर किसी लक्षण के संक्रमित रहते हैं। अतः एसटीआई के लिए स्क्रीनिंग परीक्षण, इसकी जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकता है। यौन संचारित बीमारी की संभावित जटिलताओं में निम्न को शामिल किया जाता है:
- मूत्रमार्ग (urethra), प्रोस्टेट ग्रंथि या अंडकोष (testicles) में संक्रमण
- पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (pelvic infslammatory disease)
- बांझपन (infertility)
- दिल की बीमारी (Heart disease)
- पेडू में दर्द (पेल्विक पेन), इत्यादि।
यदि गर्भवती महिला यौन संचारित रोग से संक्रमित है, तो पैदा होने वाले बच्चे में निम्न जटिलताएं देखने को मिल सकती हैं:
- निमोनिया (pneumonia)
- आंखों में संक्रमण (eye infections)
- अंधापन (blindness), इत्यादि।
(और पढ़े – पेडू में दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार…)
यौन संचारित रोग (संक्रमण) की रोकथाम – Sexually transmitted diseases prevention in Hindi
एसटीडी (यौन संचारित बीमारी) से बचने के लिए कुछ तरीकों को अपनाया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- केवल एक ही पाटर्नर के साथ यौन संबंध बनायें।
- यौन साथी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने से पहले यौन संक्रमित रोग की जाँच कराएं।
- सेक्स के दौरान लेटेक्स कंडोम का प्रयोग करें।
- लेटेक्स कंडोम का उपयोग करते समय तेल आधारित स्नेहक, जैसे पेट्रोलियम जेली का उपयोग करने से बचें।
- कई साथियों के साथ यौन क्रिया से परहेज करें।
- टीकाकरण कराएं।
- अधिक शराब का सेवन न करें।
- नए साथी के साथ यौन क्रिया में संलग्न होने से पहले, सुरक्षित यौन संबंध बनाने पर विचार करें।
- यौन संचारित रोग और सुरक्षित सेक्स के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करें।
(और पढ़े – सुरक्षित सेक्स करने के तरीके…)
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Reference
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