Stool Test In Hindi स्टूल टेस्ट में मुख्य रूप से बैक्टीरिया संक्रमण की जाँच करने के लिए, मरीज के मल की जाँच की जाती है। पेट, आंतों या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम (gastrointestinal system) के अन्य हिस्से में कोई समस्या उत्पन्न होने पर निदान प्रक्रिया के रूप में मल परीक्षण का प्रयोग किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को पाचन से सम्बंधित गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो यह समस्याएँ अनेक जटिलताओं का कारण बन सकती हैं, जिनमें कोलन कैंसर, आंत संक्रमण रोग, गंभीर दस्त और अन्य अंतर्निहित बीमारियाँ शामिल हैं। पेट दर्द जैसी सामान्य समस्याएँ अक्सर बैक्टीरिया संक्रमण का कारण बन सकती हैं, अतः इस स्थिति में मल परीक्षण आवश्यक हो जाता है।
आज के लेख में आप जानेंगे कि मल परीक्षण (स्टूल टेस्ट इन हिंदी) क्या है, यह क्यों आवश्यक है, परीक्षण की तैयारी कैसे की जा सकती है तथा मल जांच की प्रक्रिया, परिणाम और कीमत क्या है।
विषय सूची
स्टूल टेस्ट (stool test) या मल परीक्षण को स्टूल कल्चर टेस्ट (stool culture test) के नाम से भी जाना जाता है। स्टूल टेस्ट आंत्र कैंसर (bowel cancer) की जांच करने और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी (gastrointestinal diseases) के कारणों का पता लगाने के लिए एक मल परीक्षण है। यह परीक्षण रोगी के मल के नमूने में हानिकारक बैक्टीरिया की पहचान करता है। अतः एक चिकित्सक मरीज में दस्त, पेट दर्द और मतली या उल्टी जैसे लक्षणों के अंतर्निहित कारणों को पता लगाने के लिए परीक्षणों में स्टूल टेस्ट (stool test) को शामिल कर सकता है।
स्टूल (मल) टेस्ट (stool test) निचले पाचन तंत्र में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का पता लगाता है। यह परीक्षण बैक्टीरिया के प्रकारों में भी अंतर स्पष्ट कर सकता है, तथा यह व्यक्ति के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों का भी निर्धारण करने में मदद करता है।
इस टेस्ट के दौरान एक तकनीशियन (technician) संक्रमित व्यक्ति के मल के छोटे से नमूने को पोषक तत्वों के साथ जीवाणुरहित प्लास्टिक बर्तन (sterile plastic dishes) में रखता है। इस व्यवस्था के तहत् कुछ बैक्टीरिया के विकास को प्रोत्साहित किया जाता है। अतः इन बैक्टीरिया में वृद्धि तभी होगी, जब वे पहले से ही मल में उपस्थिति हों। यदि प्लास्टिक बर्तन में बैक्टीरिया की कॉलोनियां (bacterial colonies) बनती हैं, तो तकनीशियन बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए माइक्रोस्कोप और रासायनिक परीक्षणों का उपयोग करता है। तथा संक्रमण की स्थिति का पता लगा लिया जाता है।
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स्टूल परीक्षण के तहत प्रयोगशाला में उद्देश्य के आधार पर विभिन्न तरीकों से परीक्षण प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है। स्टूल परीक्षण के तहत निम्न परीक्षण किये जाते हैं :
फैकल गुप्त रक्त परीक्षण (Faecal occult blood test) या एफओबीटी (FOBTs) व्यक्तियों में आंत्र कैंसर (bowel cancer) की संभावनाओं का पता लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह परीक्षण मल (faces) में उपस्थित रक्त की थोड़ी मात्रा का परीक्षण करता है। जिन मरीज के मल में खून की मौजूदगी होती है, तो डॉक्टर इसके कारणों जैसे – कैंसर या अन्य, का निदान करने के लिए फैकल गुप्त रक्त परीक्षण को प्रयोग में ला सकते हैं।
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स्टूल कल्चर टेस्ट (Stool culture test) दस्त जैसी समस्याओं का कारण बनने वाले बैक्टीरिया और परजीवी की पहचान करने में मदद करता है। एक स्टूल कल्चर टेस्ट के द्वारा भी हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया (Helicobacter pylori bacteria) की उपस्थिति का पता लगा सकता है, जो पेट के अल्सर और पेट के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
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मल परीक्षण (stool test) के द्वारा मरीज के मल में कोई बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाने में मदद मिल सकती है। एक तकनीशियन (technician) जीवाणुरहित विशेष प्रकार की प्लेटों पर मरीज के मल का छोटा सा नमूना लेकर फैला देते हैं। प्लेटों में एक जेल होगा जो उपज माध्यम (growth media) के रूप में कार्य करता है और बैक्टीरिया के विकास में योगदान देता है। फिर प्रयोगशाला तकनीशियन (technician) डाई का धुंधलापन (dye staining), सूक्ष्मदर्शी विश्लेषण (microscope analysis) और अन्य परीक्षणों का उपयोग करके, बैक्टीरिया की पहचान करने की कोशिश करते हैं। परीक्षण के दौरान मरीज के मल के नमूने में निम्नलिखित बैक्टीरिया की तलाश की जा सकती है:
मल टेस्ट (stool test), पाचन तंत्र या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के साथ सम्बंधित समस्याओं को समझने और इलाज करने में मदद कर सकता है। अनेक प्रकार के पाचन सम्बन्धी लक्षणों का अनुभव करने के कई कारण हो सकते हैं। अतः डॉक्टर हानिकारक बैक्टीरिया से संक्रिमित बीमारी का निदान करने के लिये स्टूल टेस्ट या stool culture का आदेश दे सकता है।
पाचन तंत्र में संक्रमण के कारण अनेक असुविधाजनक लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। कुछ मामलों में यह बीमारियाँ जीवन के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। अतः अलग-अलग प्रकार के संक्रमण एक ही प्रकार के लक्षणों को पैदा कर सकते हैं, जैसे कि:
अतः इन सभी लक्षणों के अलग-अलग कारण हो सकते हैं अतः मल का परीक्षण के माध्यम से इन लक्षणों के कारण की पहचान करने में मदद मिल सकती है। बैक्टीरिया का निदान हो जाने के बाद उचित और प्रभावशाली उपचार किया जा सकता है।
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स्टूल टेस्ट (मल टेस्ट) के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। मरीज द्वारा मल के नमूने को घर पर ही एकत्र किया जा सकता है। लकिन यदि मरीज ने हाल ही में एंटीबायोटिक्स का सेवन किया है, तो नमूना लेने से पहले डॉक्टर को इन दवाओं की जानकारी अवस्य दें।
स्टूल (मल) परीक्षण के दौरान मल के नमूने को एकत्रित करना और उसकी जाँच के लिए प्रयोगशाला में भेजना शामिल हैं। डॉक्टर मल का नमूना एकत्र करने के लिए मरीज को एक कंटेनर प्रदान करते हैं। आमतौर यह कंटेनर (बर्तन) वायुरोधी ढक्कन के साथ जीवाणुरहित कंटेनर होता है। कुछ प्रयोगशालाओं में नमूना एकत्रित करने के लिए टॉयलेट पेपर को भी शामिल किया जा सकता है। आमतौर पर मरीज द्वारा नमूने को घर पर सावधानीपूर्वक एकत्रित करने की सलाह दी जाती है।
मल का नमूना लेने के लिए एक व्यक्ति शौचालय की सीट पर प्लास्टिक की चादर को रखकर, नमूने को कंटेनर में स्थानांतरित कर सकते हैं। ध्यान रहे कि नमूने में मूत्र या टॉयलेट पेपर मिश्रित न हो। मल के नमूने को सावधानीपूर्वक एकत्रित करने के बाद इसे सुरक्षित तरीके से प्रयोगशाला तक तुरंत पहुँचाया जाना चाहिए। प्रयोगशाला तकनीशियन मल का विश्लेषण कर परिणामों को तैयार किया जाता है।
स्टूल परीक्षण (मल परीक्षण) के लिए मल का नमूना लेते समय निम्न सावधानियां रखनी चाहिए ।
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डॉक्टर द्वारा स्टूल टेस्ट रिपोर्ट को देखकर स्टूल टेस्ट से संबंधित परिणामों की व्याख्या की जाती है, यह परिणाम सकारात्मक (positive) और नकारात्मक (negative) रूप में प्राप्त किये जा सकते हैं एक मल परीक्षण या स्टूल कल्चर टेस्ट (stool culture test) के सकारात्मक परिणाम का मतलब है कि सम्बंधित मरीज के मल में हानिकारक बैक्टीरिया मौजूद हैं, अतः डॉक्टर इस स्थिति में एंटीबायोटिक्स या अन्य उपचार प्रक्रियों का निर्धारण कर सकता है।
यदि फैकल गुप्त रक्त परीक्षण (Faecal occult blood test) के सकारात्मक परिणाम (positive result) प्राप्त होते है, अर्थात मल में रक्त पाया जाता है, तो यह परिणाम आंत्र कैंसर के अलावा पॉलीप्स (polyps), बवासीर (hemorrhoids) या सूजन (inflammation) जैसी अन्य स्थितियों की और संकेत दे सकते हैं। अतः सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने पर डॉक्टर बीमारी का निदान करने के लिए कॉलोनोस्कोपी (colonoscopy) जैसे अन्य इमेजिंग परीक्षणों की सिफारिश कर सकता है।
यदि मल परीक्षण के परिणाम नकारात्मक (negative) प्राप्त होते हैं तो इसका मतलब है कि हानिकारक बैक्टीरिया की उपस्थिति नहीं है। अतः मरीज के लक्षणों के अन्य कारण हो सकते हैं। डॉक्टर अधिक अनुवर्ती परीक्षण (follow-up tests) का आदेश दे सकता है। सामान्य रूप से, मल परीक्षण के परिणाम 24 से 48 घंटों के भीतर तैयार किये जा सकते हैं।
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स्टूल टेस्ट प्राइस (Stool Test price) भिन्न-भिन्न स्थानों और परीक्षण की गुणवत्ता के आधार पर भिन्न भिन्न हो सकता है। भारत में स्टूल टेस्ट का सामान्य मूल्य 100 रुपये से 200 रुपये के बीच होता है।
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