Brain stroke in Hindi स्ट्रोक एक गंभीर एवं जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी होने पर व्यक्ति का शरीर लकवाग्रस्त हो सकता है, इसके अलावा उसकी यादाश्त जा सकती है, भाषा को समझने में परेशानी और आंखों से देखने में कठिनाई हो सकती है। आमतौर पर स्ट्रोक कई प्रकार (types) का होता है लेकिन इस्कीमिक स्ट्रोक से ज्यादातर लोग ग्रसित होते हैं। इस्कीमिक (Ischemic) स्ट्रोक बहुत आम है और इससे ग्रसित होने की संभावना 80 प्रतिशत जबकि हेमरेजिक स्ट्रोक से ग्रसित होने की संभावना 20 प्रतिशत होती है। इस लेख में आप जानेंगे स्ट्रोक लक्षण, ब्रेन स्ट्रोक का इलाज, ब्रेन स्ट्रोक ट्रीटमेंट, ब्रेन स्ट्रोक का उपचार, स्ट्रोक क्या है, ब्रेन स्ट्रोक का आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।
1. ब्रेन स्ट्रोक क्या है – What is a stroke in Hindi
2. ब्रेन स्ट्रोक का कारण – Causes of stroke in Hindi
3. ब्रेन स्ट्रोक के प्रकार – Types of stroke in Hindi
4. ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण – Symptoms of stroke in Hindi
5. ब्रेन स्ट्रोक का निदान – Diagnosis of stroke in Hindi
6. ब्रेन स्ट्रोक का इलाज – Treatment of stroke in Hindi
7. ब्रेन स्ट्रोक से बचाव – Prevention of stroke in Hindi
जब मस्तिष्क में ब्लड की आपूर्ति (supply) बाधित हो जाती है या कम हो जाती है तो उस स्थिति को स्ट्रोक की समस्या कहते हैं। स्ट्रोक होने पर मस्तिष्क पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व ग्रहण नहीं कर पाता है जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। स्ट्रोक को ब्रेन अटैक (brain attack) भी कहा जाता है। यदि स्ट्रोक की समस्या का समय पर निदान और इलाज न किया जाये तो मस्तिष्क हमेशा के लिए डैमेज हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
स्ट्रोक कई प्रकार के होते हैं और ये अलग-अलग कारणों से होते हैं। स्ट्रोक की समस्या होने का सबसे अधिक खतरा तब होता है जबः
इस प्रकार का स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क तक खून पहुंचाने वाली धमनियां (artries) अवरूद्ध या संकरी हो जाती है। इस्कीमिया होने पर रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। धमनियों के अवरूद्ध होने का मुख्य कारण मस्तिष्क की धमनियों में रक्त का थक्का बनना होता है। धमनियों की दीवारों में प्लेक (plaque) जमा हो जाता है जिससे व्यक्ति को इस्कीमिया स्ट्रोक होने का खतरा रहता है।
यह स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की धमनियों से खून का रिसाव होने लगता है या यह फट जाती हैं। खून रिसने के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है जिसके कारण ये कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। हेमरेज के बाद मस्तिष्क के ऊतकों में खून की सप्लाई नहीं हो पाती है। इंट्रासेरेब्रल (Intracerebral) हेमरेज, हेमरेजिक स्ट्रोक का एक सामान्य प्रकार है। इस स्ट्रोक में मस्तिष्क की धमनियों के फटने के बाद मस्तिष्क के ऊतक खून से भर जाते हैं। सबाराकनॉइड (Subarachnoid) हेमरेज, हेमोरेजिक स्ट्रोक का दूसरा प्रकार है और यह आमतौर पर कम होता है। इस प्रका के स्ट्रोक में मस्तिष्क और उसके पतले ऊतकों के बीच के क्षेत्र में ब्लीडिंग होने लगती है और पूरे क्षेत्र को घेर लेती है।
टीआईए स्ट्रोक ऊपर बताए गए दोनों प्रकार के स्ट्रोक से अलग है क्योंकि इस प्रकार के स्ट्रोक में मस्तिष्क में खून का प्रवाह जरा सा ही गड़बड़ होता है। ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक, इस्कीमिक स्ट्रोक की तरह होता है क्योंकि यह आमतौर पर रक्त का थक्का बनने के कारण होता है।
स्ट्रोक के लक्षण अचानक दिखायी देते हैं। लेकिन ये लक्षण कुछ मिनट, कुछ घंटे या कुछ दिन तक रह सकते हैं। यदि नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण आपको अपने शरीर में दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए।
Stroke बहुत तेजी से शुरू है इसलिए समय पर इस समस्या का निदान कराना जरूरी होता है। व्यक्ति को स्ट्रोक महसूस होने पर उसे तुरंत निदान कराकर इसका इलाज शुरू कराना चाहिए। स्ट्रोक के लक्षण पहली बार दिखायी देने के 3 घंटे के अंदर इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है। स्ट्रोक का निदान डॉक्टर कई तरीके से करते हैं।
इसमें डॉक्टर ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं और गर्दन में कैरोटिड धमनियों (carotid arteries) को सुनते हैं और आंखे के पीछे रक्त वाहिकाओं की जांच कर रक्त का थक्का बनने का पता लगाते हैं।
डॉक्टर खून की जांच कर यह पता करते हैं कि रक्त कितना तेजी से जम रहा है और रक्त में विशेष पदार्थों का स्तर एवं संक्रमण कितना है।
कई तरह के एक्स-रे के माध्यम से हेमरेज, स्ट्रोक, ट्यूमर और मस्तिष्क के अंदर की अन्य समस्याओं का पता लगाया जाता है।
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इसमें रेडियो एवं चुंबकीय तरंगों के माध्यम से मस्तिष्क की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं का पता लगाया जाता है।
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यह अल्ट्रासाउंड कैरोटिड धमनियों में रक्त के प्रवाह और प्लेक का पता लगाने के लिए किया जाता है।
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इस्कीमिक और हेमोरेजिक स्ट्रोक अलग-अलग कारणों से होते हैं इसलिए इनका इलाज भी अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। सभी प्रकार के स्ट्रोक का सिर्फ समय पर निदान कराना ही जरूरी नहीं है बल्कि स्ट्रोक के आधार पर उनका सही इलाज कराना भी जरूरी है।
इस्कीमिक स्ट्रोक के इलाज के लिए एस्प्रिन (Aspirin) दिया जाता है जो रक्त के थक्के को तोड़ने में मदद करता है। इसके अलावा टिश्यू प्लाज्मिनोजेन एक्टिवेटर (TPA) का इंजेक्शन दिया जाता है। टीपीए इंजेक्शन रक्त के थक्के को घुलने में मदद करता है लेकिन यह इंजेक्शन स्ट्रोक के लक्षण शुरू होने के 4-5 घंटे के अंदर लगाने पर ही प्रभावी होता है।
हेमरेजिक स्ट्रोक के इलाज के लिए वार्फरिन (warfarin) या क्लोपिडोग्रेज (clopidogrel) नामक एंटीकॉगुलेंट और एंटीप्लेटलेट दवाएं दी जाती है जो ब्लड के रिसाव को कम करने में मदद करती हैं। इसके अलावा हेमरेजिक स्ट्रोक के इलाज के लिए सर्जरी भी की जाती है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए नाइट्रोग्लिसरीन का पेस्ट भी दिया जाता है।
Stroke एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक (mental) एवं भावनात्मक (emotinal) रूप से कमजोर बना देती है। इसलिए स्ट्रोक के इलाज के लिए मरीज को थेरेपी की भी जरूरत पड़ती है। इसमें घर के लोगों सहित दोस्तों और पड़ोसियों के मदद की भी जरूरत पड़ती है। स्ट्रोक के मरीज को अकेला न छोड़े और उससे बात करें। उसे महत्वपूर्ण जानकारियां दें और लिखने-पढ़ने (reading) एवं खाने में मदद करें। यह एक ऐसी थेरेपी है जो स्ट्रोक के मरीज को ठीक होने में मददगार होती है।
स्ट्रोक से बचने का सबसे आसान तरीका यह है कि स्ट्रोक के कारणों को ही न उत्पन्न होने दिया जाये। जीवन शैली में बदलाव सहित अन्य एहतियात बरतकर स्ट्रोक से बचा जा सकता है। आइये जानते हैं स्ट्रोक से बचने के लिए क्या करें।
संतुलित और स्वस्थ भोजन का अर्थ यह है कि फल, सब्जियां, होल ग्रेन, बादाम, अनाज, बीज भोजन में शामिल करें। रेड मीट न खाएं और कोलेस्ट्रॉल एवं सैचुरेटेड फैट युक्त भोजन कम मात्रा में लें। रक्तचाप नियंत्रित रखने के लिए खाने में कम मात्रा में नमक का उपयोग करें।
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