डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिजीज (metabolic disease) है, जो रक्त में शर्करा की उच्च मात्रा का कारण बनती है। मधुमेह का इलाज न किया जाए, तो ब्लड शुगर की उच्च मात्रा आपकी नसों, आंखों, किडनियों और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है। अतः इसकी जटिलताओं को कम करने के लिए तथा इससे निजाद पाने के लिए समय पर निदान किया जाना आवश्यक होता है।
आज का यह लेख मधुमेह (शुगर की बीमारी) के बारे में हैं, इसमें आप मधुमेह के कारण, लक्षण, इलाज, जाँच और बचाव के बारे में जानेगें। diabetes causes, symptoms, treatment and prevention in Hindi
मधुमेह (डायबिटीज) एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है और शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती हैं। इंसुलिन बहुत महत्वपूर्ण हार्मोन है, क्योंकि यह ब्लड के माध्यम से शरीर की कोशिकाओं तक ग्लूकोज को पहुंचाता है। इसके अलावा यह मेटाबोलिज्म पर भी कई अन्य प्रभाव डालता है।
व्यक्ति जो भोजन करता है उससे शरीर को ग्लूकोज प्रदान होता है। कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए ग्लूकोज का उपयोग करती हैं। यदि शरीर में इंसुलिन मौजूद नहीं होता है, तो ब्लड से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं मिल पाता है। जिसके कारण ग्लूकोज ब्लड में ही इकट्ठा हो जाता है और ब्लड में अत्यधिक ग्लूकोज की मात्रा विषाक्तता उत्पन्न कर सकती है। आमतौर पर मधुमेह तीन प्रकार का होती है, टाइप-1 डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज एवं जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावस्था के दौरान होने वाली शुगर)।
आम तौर पर मधुमेह तब होता है, जब अग्न्याशय (pancreas) आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से रक्त शर्करा (glucose) और वसा का उपयोग करने में मदद करने के लिए इंसुलिन जारी नहीं करता है। या फिर शरीर सही तरीके से इंसुलिन का उपयोग करने में सक्षम नहीं हो पाता है। इसके अलावा डायबिटीज के मुख्य कारण (Madhumeh ke karan in Hindi) निम्न हैं:
मधुमेह के मुख्य रूप से चार प्रकार हैं:
टाइप-1 डायबिटीज के सटीक कारण ज्ञात नहीं है। आमतौर पर मनुष्य के शरीर का इम्यून सिस्टम हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ता है, और शरीर की रोगों से रक्षा करता है। जब यह इम्यून सिस्टम अग्न्याशय (pancreas) में इंसुलिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें क्षतिग्रस्त कर देता है, तब व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का स्तर घट जाता है। जिसके कारण शुगर शरीर की कोशिकाओं में पहुंचने के बजाय ब्लड स्ट्रीम में ही स्टोर होने लगता है। मधुमेह वाले लगभग 10 प्रतिशत लोगों में इस प्रकार की डायबिटीज पाई जाती है।
प्रीडायबिटीज ही टाइप-2 डायबिटीज का कारण होता है। टाइप-2 डायबिटीज में शरीर की कोशिकाएं, इंसुलिन के कार्य में प्रतिरोध (resistant) उत्पन्न करने लगती हैं, और अग्न्याशय इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है। इसके बाद कोशिकाओं में शुगर जाने के बजाय यह ब्लड स्ट्रीम में बढ़ने लगता है। वजन का अत्यधिक बढ़ना टाइप-2 डायबिटीज का कारण होता है।
(और पढ़े – टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में क्या अंतर है)
प्रीडायबिटीज तब होती है. जब रक्त शर्करा (ग्लूकोस) का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन यह स्तर टाइप 2 मधुमेह से कम होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भनाल या प्लेसेंटा (placenta) गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए हार्मोन का उत्पादन करता है। ये हार्मोन कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी बना देते हैं। आमतौर पर अग्न्याशय इस प्रतिरोध को दूर करने के लिए पर्याप्त और अतिरिक्त इंसुलिन का उत्पादन करता है, लेकिन कभी-कभी यह पर्याप्त इंसुलिन उत्पन्न नहीं कर पाता है। जिसके कारण कोशिकाओं में बहुत कम ग्लूकोज पहुंचता है, और ब्लड में यह अत्यधिक मात्रा में जमा हो जाता है। इस स्थिति को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाता है।
व्यक्ति के शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर के अनुसार उसमें मधुमेह के लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर लोगों में प्री डायबिटीज (prediabetes) या टाइप-2 डायबिटीज होने पर शुरूआत में किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन टाइप-1 डायबिटीज होने पर इसके लक्षण बहुत तेजी से उत्पन्न होते हैं और अधिक गंभीर होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मिले-जुले लक्षण (Diabetes ke lakshan in Hindi) इस प्रकार हैं।
टाइप-1 डायबिटीज व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। टाइप-2 डायबिटीज इस रोग का सबसे सामान्य प्रकार है। 40 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में डायबिटीज होना सामान्य बात है।
मधुमेह के सामान्य लक्षणों के अलावा, मधुमेह वाले पुरुषों में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में सामान्य लक्षणों के अलावा कुछ अन्य लक्षण भी प्रगट हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
(और पढ़े: डायबिटीज के 13 शुरुआती लक्षण जिन्हें लोग अनदेखा कर देते हैं)
कुछ कारक मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
टाइप 1 मधुमेह के जोखिम कारक – टाइप 1 मधुमेह होने की अधिक संभावना बच्चों और किशोरियों को होती है, इसके अलावा टाइप 1 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास भी इसके जोखिम को बढ़ा सकता है।
टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कारक – टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जाता है:
प्रीडायबिटीज के जोखिम कारक – उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, या उच्च ट्राइग्लिसराइड्स से पीड़ित व्यक्तियों को प्रीडायबिटीज होने का अधिक जोखिम होता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज के जोखिम कारक – जेस्टेशनल डायबिटीज के जोखिम बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
रक्त शर्करा (ग्लूकोस) का उच्च स्तर सम्पूर्ण शरीर के अंगों और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है। जितने लंबे समय तक ब्लड शुगर अधिक रहेंगे, उतनी ही गंभीर जटिलताओं के उत्पन्न होने का खतरा अधिक होगा। मधुमेह से जुड़ी जटिलताओं में शामिल हैं:
इलाज से पहले डायबिटीज के प्रकार और कारणों का निदान कराना जरुरी रहता है। डायबिटीज के निदान के लिए निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं।
यह टेस्ट कराने से पहले व्यक्ति को कुछ खाने के लिए मना किया जाता है अर्थात् खाली पेट रहने के करीब 8 घंटे बाद फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट डायबिटीज या प्रीडायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जाता है।
यह टेस्ट भी खाली पेट किया जाता है। यह टेस्ट करने से दो घंटे पहले मरीज को ग्लूकोज युक्त पेय पदार्थ पिलाया जाता है।
इस टेस्ट में डॉक्टर मरीज के रक्त शर्करा (blood sugar) की 4 बार जांच करते हैं। यदि आपका ब्लड शुगर लेबल दो बार सामान्य से अधिक पाया जाता है तो आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है।
मधुमेह या शुगर के प्रकार और कारणों के आधार पर निम्न उपचार प्रक्रियों को अपनाया जा सकता है, जैसे:
इंसुलिन लेने के आलावा टाइप-1 डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है और व्यक्ति जीवनभर टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित रहता है। टाइप-1 डायबिटीज के उपचार में चार प्रकार के इंसुलिन होते हैं, जिनका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। कितनी जल्दी काम शुरू करते हैं, और उनका प्रभाव कितने समय तक रहता है, इस आधार पर इंसुलिन निम्न हैं:
टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के इलाज के लिए नियमित इंसुलिन का इंजेक्शन दिया जाता है और विशेष आहार लेने एवं एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।
कुछ स्थितियों में टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों से बिना किसी दवा के प्रतिदिन एक्सरसाइज, संतुलित भोजन, समय पर नाश्ता और वजन को नियंत्रित करके छुटकारा पाया जा सकता है। विशेष आहार टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा कुछ ओरल एंटीबायोटिक्स दवाएं टाइप-2 डायबिटीज को बढ़ने से रोकने में मदद करती हैं। टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए टेबलेट और कभी-कभी इंसुलिन का इंजेक्शन भी दिया जाता है। इसके बावजूद यदि शुगर नियंत्रित नहीं हो पा रहा है तो मरीज में इसकी गंभीरता बढ़ने की अत्यधिक संभावना होती है।
शुगर एक गंभीर बीमारी है। इससे पीड़ित व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है। मधुमेह के बचाव सम्बन्धी उपाय में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
(और पढ़ें – शुगर कम करने के घरेलू उपाय)
शुगर (मधुमेह) के लक्षण, कारण, जांच और बचाव (Diabetes Causes, Symptoms, Treatment in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…