Sunlight Benefits in Hindi सूर्य की रोशनी हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है सूरज की धूप लेकर आप और हम कई रोगों से बच सकते है धूप सेंकना हमारी रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने, दिमाग को स्वास्थ्य रखने और दमा रोग को कम करने के लिए उपयोगी होती है। यह बात आपको आश्चर्य की बात लग सकती है कि यह आपके शरीर को कैंसर से भी बचाता है। साथ ही त्वचा विकार जैसे मुँहासे, सोरायसिस (psoriasis), एक्जिमा (eczema) इत्यादि रोग को सूरज की रोशनी के इस्तेमाल से कम किया जा सकता है आइये जानते है की सूरज की धूप सेंकने के फायदे और नुकसान के बारे में।
विषय सूची
1. सूरज की रोशनी के फायदे – Benefits of sunlight in Hindi
2. सूरज की रोशनी के नुकसान – disadvantages of sun in hindi
सूर्य की रोशनी के कारण विटामिन-डी की पूर्ती होती है, यही कारण है कि इसे सूरज की रोशनी का विटामिन भी कहा जाता है। अधिकतर, हमारे शरीर में प्रत्येक ऊतक का नियंत्रण एवं पोषण विटामिन-डी – (1,25-Dihdroxyvitamin D3) के सक्रिय होने से होता है। इनमें से कुछ विटामिन कैल्शियम चयापचय में, प्रतिरक्षा प्रणाली में और तंत्रिकापेशी संबंधी कार्यों में शामिल होते हैं। सूर्य विटामिन-डी का सबसे बड़ा स्रोत है। सूरज की धूप लेने में कमी के कारण विटामिन-डी की कमी होती है।
सूरज की रोशनी का अवशोषण धीरे-धीरे किया जाना चाहिए! लम्बे समय से सूर्य की रोशनी का अवशोषण ना करने पर त्वचा सूरज की रोशनी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है। धीरे-धीरे अपनी सहनशीलता के आधार पर ही सनबाथ अपनायें।
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सूरज की धूप के अनेक लाभ होते है आइये इसके फायदों को विस्तार से जानते है।
सूर्य विटामिन-डी का सबसे बड़ा स्रोत है जिसके कारण हड्डियों को मजबूती एवं वृद्धि करने में मदद मिलती है।
हड्डियों और दांतों को स्वस्थ्य बनाने के लिए, उनके विकास के लिए और हड्डियों की मजबूती के लिए विटामिन डी, महत्वपूर्ण होता है।
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सूरज की रोशनी और साबुत अनाज स्तन कैंसर को कम करने में सहायक होते हैं। चिकित्सक प्रणाली के अनुसार स्वस्थ पोषण और धूप सेंकना (sunbathing) अनेक प्रकार के रोगों को कम करने में सहायक होते है। कैंसर को पूरी तरह से नष्ट करने में सूर्य का प्रकाश सक्षम है।
जितनी अधिक सूर्य की रोशनी मिलती है, कैंसर से निदान होने की संभावना अधिक होती है। जिन क्षेत्रों में सूर्य की रोशनी कम पहुँचती है वहाँ मृत्यु दर सबसे अधिक (सबसे कम जीवित रहने की अवधि) होती है, क्योंकि सूरज की रोशनी की कमी, कैंसर की संभावनाओं को बढ़ा सकती है।
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सूरज की रोशनी में कमी से उत्पन्न समयानुकूल उत्तेजक विकार (seasonal affective disorder), डिप्रेशन का कारण बनता है। डिप्रेशन सर्दियों के महीनों में अधिक सामान्य है, लेकिन वे लोग भी डिप्रेशन के शिकार हो सकते है जो कार्यालय भवनों में लंबे समय तक काम करते हैं और सूर्य की रोशनी से वंचित रहते है।
लाइट थेरेपी की सहायता से सफेद रोशनी का उपयोग मनोदशा को नियंत्रित करने और डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार करने में किया जाता है। यह थेरेपी आमतौर पर डिप्रेशन में समय के साथ उत्तेजित विकार के उपचार में उपयोग की जाती है।
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सनलाइट एक्सपोजर इस बात पर असर डालता है कि आपके दिमाग में कितना मेलाटोनिन उत्पन्न होता है और मेलाटोनिन आपके मस्तिष्क को सोने के समय के बारे में बताता है। जब यह अंधेरा हो जाता है, तो आप मेलाटोनिन का उत्पादन शुरू करते हैं ताकि आप कुछ घंटों तक सो सकें। सुबह की धूप लेने से आपको अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है और आप तरोताजा और फ्रेस महसूस करते है।
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सूर्य की रोशनी मानव रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है। और, यह ऊतकों को ऑक्सीजन देने के लिए शरीर की क्षमता को भी बढ़ाती है। सूर्य की रोशनी, व्यायाम के समान ही प्रभाव डालती है। सहनशक्ति, फिटनेस और मांसपेशियों के विकास पर सूर्य की रोशनी का एक बड़ा प्रभाव पड़ता है। रक्त और रक्त वाहिकाओं को साफ या शुद्ध करने के लिए भी सूर्य की रोशनी त्वचा में गहराई तक प्रवेश करती है।
सूर्य की रोशनी त्वचा विकारों पर लाभकारी प्रभाव डालती है, जैसे त्वचा के सोरायसिस, मुँहासे, एक्जिमा और फंगल संक्रमण।
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अनियंत्रित अस्थमा वाले वयस्कों और बच्चों के रक्त में विटामिन डी का स्तर, स्वस्थ लोगों के रक्त में विटामिन डी के स्तर से कम होता हैं। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स ( corticosteroids) या स्पुतम ईसीनोफिलिया (sputum eosinophilia) का उपयोग किया जाता है, जो की जोखिम पूर्ण तरीका हो सकता है। अतः विटामिन-डी की कमी को पूरा करने का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका सूर्य प्रकाश लेना या sunbathing है।
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त्वचा विकार जैसे मुँहासे, सोरायसिस (psoriasis), एक्जिमा (eczema) इत्यादि रोग, सूरज की रोशनी से ठीक हो सकते हैं।
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सनबाथिंग (outdoor therapy of sunbathing) प्रक्रिया को नियमित रूप से चार सप्ताह तक करने पर 80 प्रतिशत तक मुँहासे और सोरायसिस जैसे त्वचा रोगों से राहत मिलती है। फंगल (Fungal) संक्रमण भी सूरज की रोशनी से ठीक हो सकता है।
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सोरायसिस एक त्वचा रोग है जिसमें लाल, शुष्क प्लेक (plaques) उत्पन्न होते हैं जो त्वचा को मोटा करते हैं। इस बीमारी का इलाज बहुत कम संभव है। Light therapy का उपयोग सोरायसिस के इलाज के लिए किया जाता है और इसे phototherapy के रूप में जाना जाता है। सूर्य प्रकाश का अच्छा स्रोत है इसलिए, सूर्य की रोशनी सोरायसिस को कम करने में मदद करती है।
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हर कोई परिवार, काम और स्वास्थ्य समस्याओं जैसे विभिन्न कारकों के कारण तनाव का अनुभव करता है। नियमित एक्सरसाइज सहित विभिन्न तरीकों से तनाव को कम करने में राहत मिल सकती है, जैसे थोड़ी देर के सूर्य की रोशनी के लिए ताजा हवा में बाहर निकलना। इस तरह आप सूरज की किरणों का उपयोग कर तनाव दूर कर सकते है
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सूर्य की रोशनी का एक और अद्भुत लाभ यह है कि यह वजन कम करने में मदद करती है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो सनबाथिंग एक बहुत अच्छा माध्यम है। क्योंकि यह आपके शरीर में अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करता है।
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क्या सूरज की रोशनी बाल के लिए अच्छी है? यह जानकर आपको हैरानी होगी कि आपके बाल वास्तव में सूर्य के प्रकाश से भी लाभ उठाते हैं। इससे हमारा आशय है कि सूर्य का प्रकाश, बालों को बढ़ने में तथा मजबूत बनाने में मदद करता है ।
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बालों के झड़ने से रोकने के लिए हेलीओसिस (Heliosis) एक प्रभावी उपाय है। हालांकि हेलीओसिस (Heliosis) बालों के अत्यधिक नुकसान से पीड़ित लोगों के लिए अच्छी खबर है, परन्तु यह उपचार आपको ज्यादा नुकसान पहुँचा सकता है, इसलिए बालों को सूर्य की किरणों का पोषण देना अत्यंत लाभकारी होता है। आपके बालों को बढ़ने में मदद करने वाली उपकला कोशिकाएं(epithelial cells) सूर्य प्रकाश के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं, और बालों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाने वाले कारक के स्तर को कम करती है।
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सूरज की रोशनी शरीर को विटामिन-डी का निर्माण करने की अनुमति देती हैं और आपके बालों के विकास को उत्तेजित करती है और बालों के झड़ने से बचाती है।
यदि आप लंबे समय के लिए बाहर जा रहे हैं, तो हमें सूर्य की किरणों से पूरी तरह से वंचित नहीं रहना चाहिए। अतः सूर्य प्रकाश में निकलकर अपने शरीर को स्वस्थ त्वचा और बालों के लिए आवश्यक विटामिन प्राप्त करना चाहिए ।
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विशेषज्ञों के अनुसार विटामिन-डी मधुमेह के रोकथाम में बहुत प्रभावी होता है। प्रारंभिक जीवन में विटामिन-डी की अधिक मात्रा मधुमेह के जोखिम को कम करती है।
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परीक्षण के दौरान यह पता लगाया गया कि हार्ट अटैक रोगियों में विटामिन-डी3 की सांद्रता कम थी। उन लोगों के लिए हार्ट अटैक का खतरा कम होता है, जिनमें विटामिन-डी3 की सामान्य मात्रा पाई जाती है। विटामिन डी कैल्सिट्रायोल का पोषण करता है, कैल्सिट्रायोल (Calcitriol) दिल की मांसपेशियों के उत्पादन को नियंत्रित करता है, साथ ही साथ हार्ट अटैक के कारणों पर भी प्रतिबन्ध लगता है।
सूर्य के संपर्क में कम रहने के कारण, उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, एक रिपोर्ट के अनुसार, सूर्य की रोशनी कार्डियोवैस्कुलर (cardiovascular) बीमारी के खतरे को सीधे प्रभावित कर सकती है। विटामिन-डी रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए सबसे शक्तिशाली हार्मोन में से एक है। जो सूर्य के प्रकाश से प्राप्त किया जाता है।
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नियमित सूर्य प्रकाश सेंकना या sunbathing बच्चों, विशेष रूप से शिशुओं की वृद्धि और ऊंचाई को बढ़ाता है। डॉक्टर भी बच्चों की वृद्धि के लिए विटामिन-डी की सलाह देते है। सूर्य के संपर्क में रहने का असर व्यक्ति की लम्बाई पर पड़ता है। सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहने बाले मनुष्यों की लम्बाई अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक होती है।
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गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी आवश्यक है। गर्भावस्था के समय विटामिन डी की कमी एक माँ को मधुमेह के खतरे में डाल सकती हैं, जो जन्मजात बच्चे के लिए हड्डी कि बीमारी “रिकेट्स” या अन्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं। परीक्षण के आधार पर पाया गया है कि गर्भवती महिलाओं को अपने आपको और होने वाले बच्चों को स्वस्थ रखने और रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने के लिए अधिक सूर्य की रोशनी मिलनी चाहिए।
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धूप सेंकने का सबसे अच्छा समय, गर्मियों में सुबह से 11 बजे तक और फिर शाम 4 बजे से सूर्यास्त तक होता है। शुरुआती समय में धूप सेंकना 5-10 मिनट के साथ शुरू करें। इसके बाद आप अपनी सहनशीलता के अनुसार sunbathing के टाइम को बढ़ते जाएँ।
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सूर्य की रोशनी में मौजूद अल्ट्रावाइलेट (यूवी) विकिरण पर्यावरण एवं मानव दोनों के लिए नुकसानदायक होती है।
लंबे समय तक या दोपहर के समय, सूरज की पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क से रेटिना को नुकसान पहुँचता है। जिससे मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है।
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अत्यधिक धूप, गर्मी उत्पन्न करती है, जिससे हमारे शरीर से पानी और नमक की अत्यधिक मात्रा पसीने के माध्यम से निकल जाती है जिससे ग्लूकोज की कमी आ जाती है। जो थकावट का कारण बनती हैं।
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उम्र बढ़ने के साथ त्वचा में झुर्रीयां बढती जाती है लेकिन सूर्य के संपर्क में अधिक समय तक रहने से उनके विकास की दर बढ़ जाती है। यूवी प्रकाश त्वचा में कोलेजन और लोचदार ऊतक को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए यह नाजुक हो जाता है, जिससे झुर्रियाँ दिखाई देने लगती है।
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सूर्य के प्रकाश में लम्बे समय तक रहने से त्वचा कैंसर (Skin Cancer) का खतरा बढ़ जाता है।
सनबर्न को अत्यधिक धूप के जोखिम के सबसे आम नकारात्मक प्रभावों में से एक माना जाता है।अधिक देर तक या तेज रोशनी में रहने से आप सनबर्न का सिकार हो सकते है सनबर्न के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं ।
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गर्मी और पसीने के कारण त्वचा में घमौरियां उत्पन्न होती है यह तब होती है जब पसीना त्वचा के नीचे पसीना नलिका में प्रवेश करता है। घमौरियां अक्सर गर्म, आर्द्र मौसम के दौरान होती है और, अक्सर दाने या छोटे फफोले के लाल समूहों की तरह दिखाई देतीं है। गर्मी की घमौरियां त्वचा के फोल्ड, कोहनी क्रीज़, या गर्दन और ऊपरी छाती में विकसित होती है।
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