Sunscreen in Hindi चिलचिलाती गर्मी में अपनी त्वचा को टैनिंग से बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाना बहुत अच्छा है। सनस्क्रीन त्वचा पर सुरक्षा की एक परत है, जो आपको सूर्य की अल्ट्रावायलट किरणों से बचाती है। सनस्क्रीन में मौजूद ऑक्सीबेन्जॉन, होमोसैलेट, ऑक्टीनोक्सेट, जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम ऑक्साइड जैसी सामग्री सनबर्न, सन टैनिंग, रिंकल्स, फाइन लाइन्स के साथ स्किन कैंसर जैसी समस्याओं से भी आपका बचाव करती है। वैसे तो घर से बाहर निकलते समय अपनी त्वचा को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए लोग सनस्क्रीन लगाते हैं, लेकिन सनस्क्रीन का सही इस्तेमाल करना तो दूर लोगों को इससे होने वाले फायदों की भी जानकारी भी नहीं होती। आप कितने भी अच्छे ब्रैंड का सनस्क्रीन क्यों न लगाते हों, लेकिन जब तक आपको इसे लगाने का सही तरीका नहीं पता, तो यह आपकी त्वचा पर बेअसर साबित होगा।
ऐसे में अगर आप सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलट किरणों से खुद को बचाना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें। इस आर्टिकल में हम आपको सनस्क्रीन के फायदे, सनस्क्रीन लगाने का तरीका, सनस्क्रीन बनाने के घरेलू उपायों के साथ इससे जुड़ी और भी कई जानकारी देंगे।
विषय सूची
1. सनस्क्रीन क्या है – What is sunscreen in Hindi
2. सनस्क्रीन कैसे काम करती है – How sunscreen works in Hindi
3. घर पर कैसे बनाएं नेचुरल सनस्क्रीन – how to make sunscreen at home in hindi
4. सनस्क्रीन लगाने का सही तरीका – How to use sunscreen in Hindi
5. सनस्क्रीन के फायदे – Benefits of sunscreen in Hindi
6. सनस्क्रीन लगाने के साइड इफेक्ट्स – Sunscreen side effects in Hindi
7. सनस्क्रीन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से बचने के उपाय – Tips To Avoid The Side Effects Caused By Sunscreen in Hindi
8. कैसे पहचानें कि सनस्क्रीन एक्सपायर हो गया है – How Do You Tell If The Sunscreen Is Out Of Date in Hindi
9. सनस्क्रीन को स्टोर करने का तरीका – How To Store Sunscreen in Hindi
10. सनस्क्रीन खरीदते समय ध्यान रखें ये बातें – How To Choose Best Sunscreen in Hindi
11. सनस्क्रीन के लिए जरूरी सुझाव – Tips to use sunscreen in Hindi
12. सनस्क्रीन से जुड़ी समस्याओं को लेकर लोगों के सवाल और जवाब – Question and answer about sunscreen in Hindi
सनस्क्रीन हमारी त्वचा पर एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करती है। इसका उपयोग त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने के लिए किया जाता है। सनस्क्रीन में मौजूद टाइटेनियम ऑक्साइड और जिंक ऑक्साइड सनबर्न, स्किन एजिंग, सन टैनिंग और स्किन कैंसर जैसी समस्याओं से त्वचा का बचाव करते हैं। सनस्क्रीन जितने ज्यादा एसपीएफ वाली होगी, उतनी ज्यादा आपकी त्वचा सूर्य कि किरणों से बची रहेगी। आमतौर पर जो लोग सुबह से शाम घर से बाहर रहते हैं उन्हें सनस्क्रीन जरूर लगाने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार सनस्क्रीन को रोजाना घर से बाहर निकलने से पहले अपनी त्वचा पर लगाना चाहिए, 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन आपकी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करने में ज्यादा असरदार साबित होता है। बाकी आप अपनी स्किन के अनुसार सनस्क्रीन का उपयोग कर सकते हैं।
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अब बात करते हैं कि सनस्क्रीन हमारी त्वचा को सूरज की किरणों से कैसे बचाता है। इसमें जरूरी भूमिका निभाता है एसपीएफ (SPF)। जिसका मतलब होता है सन प्रोटेक्टिंग फैक्टर। ये एसपीएफ 20 से 100 के बीच हो सकते हैं। ये नम्बर इंस बात का संकेत देता है कि सनस्क्रीन आपको कितनी देर तक सूर्य कि किरणों से सुरक्षा प्रदान करेगा। एसपीएफ 30 आपको 96.7 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है, वहीं एसपीएफ 40 97.5 प्रतिशत सुरक्षा देता है। वहीं 100 एसपीएफ भी आपको 99 प्रतिशत सुरक्षा देता है।
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वैसे तो आप अपनी त्वचा को सूर्य की किरणों से बचाने के लिए बाजार से सनस्क्रीन खरीदते हैं। बाजार वाले केमिकल युक्त सनस्क्रीन फायदा तो पहुंचाते हैं, लेकिन इसके नुकसान भी हैं। इसलिए आप चाहें तो घर पर ही सनस्क्रीन लोशन आसानी से तैयार कर सकते हैं। नीचे हम आपको घर पर सनस्क्रीन बनाने की अलग-अलग विधियां बता रहे हैं।
पुदीना से सनस्क्रीन बनाने के लिए सभी सामग्री को मिक्स कर लें और एयर टाइट डिब्बे में फ्रिज में स्टोर करके रख दें। आपका ये घरेलू सनस्क्रीन दो से चार महीने आराम से चलेगा और इसके इस्तेमाल से आपको कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा।
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एलोवेरा का घरेलू सनस्क्रीन बनाने के लिए सभी सामग्री को पैन में डालकर लगभग 5 मिनट के लिए मध्यम आंच पर गर्म करें। जब तक इसमें झाग न आ जाएं, मिलाते रहें। एलोवेरा का सनस्क्रीन बनकर तैयार है। अब आप इसे एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें। फ्रिज में रखें और जब भी आप घर से बाहर निकलें इसका इस्तेमाल करें। बता दें कि फ्रिज में रखे जाने के बाद इस होममेड नेचुरल सनस्क्रीन की लाइफ 1 से 2 महीने की होती है।
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एलोवेरा, जोजोबा और नारियल तेल से नेचुरल सनस्क्रीन बनाना बेहद आसान है। इसके लिए सबसे पहले मोम को किस लें और इसे शिया बटर और कोको पाउडर के साथ पिघलाएं। जब ये पिघल जाए तो धीरे-धीरे फेटें। तब तक फेटें जब तक की ये पूरी तरह से गल न जाए और ठीक तरह से मिक्स न हो जाए। अब इसमें तेल और लेसिथिन मिलाएं। अच्छी तरह से मिलाने के बाद गैस बंद कर लें। अब इसमें गुलाब जल, एलोवेरा जेल और बोरोक्स पाउडर मिलाएं। एक ब्लेंडर में इन सभी को ब्लेंड करें और एक एयर टाइट क्लीन ड्राई बोतल में स्टोर करें। आवश्यकतानुसार फ्रीज करें और जब भी घर से बाहर निकलें इस्तेमाल करें। ये घरेलू सनस्क्रीन कम से कम 1 महीने तक आप बेफ्रिकी के साथ उपयोग कर सकते हैं।
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सनस्क्रीन आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाने में बहुत फायदेमंद होती है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सनस्क्रीन को केवल गर्मियों में ही नहीं बल्कि हर मौसम में अपनी त्वचा को यूवी रेज से बचाने के लिए लगाना चाहिए। लेकिन आज भी कई लोग सनस्क्रीन का उपयोग नहीं करते, ऐसा इसलिए क्योंकि वे इसके अनगिनत फायदों के बारे में नहीं जानते। उनकी जानकारी के लिए हम इस आर्टिकल में नीचे सनस्क्रीन के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में बता रहे हैं।
लगातार घटती ओजोन लेयर हमें हानिकारक सूरज की किरणों से प्रभावित कर रही है। जबकि विटामिन डी के लिए आपको हर दिन सूरज की जरूरत होती है, लेकिन ज्यादा देर तक सूर्य के संपर्क में रहने से त्वचा पर असर पड़ता है। सनस्क्रीन लगाने से वास्तव में यूवी रेज त्वचा तक नहीं पहुंच पाती और हमारी त्वचा धूप में भी सुरक्षित रहती है।
सनस्क्रीन आपकी त्वचा के बढ़ती उम्र के लक्षणों जैसे रिंकल्स और फाइन लाइन्स को दूर करने में मदद करती है। एक रिसर्च में पता चला है कि सनस्क्रीन का उपयोग करने वाले 55 वर्ष से कम उम्र के लोगों में सनस्क्रीन का इस्तेमाल न करने वाले लोगों की तुलना में उम्र बढ़ने के संकेत 24 प्रतिशत कम थे।
सनस्क्रीन अपनी त्वचा के विभिन्न प्रकार के स्किन कैंसर खासतौर से मेलेनोमा के जोखिम से बचाती है। बता दें कि यह सबसे खतरनाक तरह का कैंसर है, जो महिलाओं को होता है।
अगर आप रोजाना सनस्क्रीन लगाएंगे तो यह आपके चेहरे पर छा रहे कालेपन को दूर करेगी। इसे लगाने से मुंहासे की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा।
सनबर्न आपकी त्वचा को कमजोर कर देते हैं। इसलिए आपकी त्वचा सूजन, लालिमा, खुजली से पीड़ित हो सकती है। अगस्त 2008 में हुई एक रिचर्स एनल्स ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार सनबर्न के कारण आप वास्तव में मेलेनोमा के शिकार हो सकते हैं। इसलिए सनस्क्रीन लगाएं और सुरक्षित रहें।
जब आप धूप में होते हैं तो सूर्य की यूवी रेज आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। इन किरणों से त्वचा पर होने वाले टैनिंग से बचने के लिए सनस्क्रीन बहुत फायदेमंद है। टैनिंग को रोकने
के लिए 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन चुनें। अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है तो इसे हर दो घंटे में लगाएं।स्किन हेल्थ के लिए कोलेजन, केराटिन और इलास्टिन जैसे स्किन प्रोटीन की जरूरत होती है, जो सनस्क्रीन में मौजूद होते हैं। अपनी त्वचा को स्वस्थ रखने के लिए सनस्क्रीन लगाना बेहद फायदेमंद है।
आप धूप से बचने के लिए भले ही फुल स्लीव ड्रेस पहनती हों, लेकिन सनस्क्रीन आपकी त्वचा को इससे भी ज्यादा सुरक्षा प्रदान करता है। बस इसे अपनी त्वचा पर अच्छी मात्रा में लगाने की जरूरत है।
सनस्क्रीन एक अच्छा कॉस्मेटिक ऑप्शन है। अगर आप वर्किंग हैं, तब भी आप कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के रूप में सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। हां, अगर आपकी त्वचा सूखी और संवेदनशील है तो बेहतर सुरक्षा के लिए इसे बार-बर लगाने की कोशिश करें।
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सनस्क्रीन लगाने से कभी कभी नुकसान भी हो सकता हैं। लेकिन आपको बता दें हर्बल सनस्क्रीन लगाने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। आइये हम जानते हैं सनस्क्रीन लगाने से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
सनस्क्रीन में कुछ रसायन शामिल होते हैं जो त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं जैसे कि लालिमा, सूजन, जलन और खुजली। कुछ लोगों को चकत्ते और खुजली के साथ गंभीर एलर्जी हो जाती है, यह एलर्जी सनस्क्रीन में पाए जाने वाले रसायनों का परिणाम हो सकती है। PABA आदर्श रूप से कई वाणिज्यिक सनस्क्रीन में उपयोग किया जाता है जो एलर्जी की उच्च दर का कारण बन सकता है। इसलिए अब इसे कई पॉपुलर ब्रांड्स के सनस्क्रीन से हटाया जा रहा है। आप हाइपोएलर्जेनिक’ लेबल के साथ सनस्क्रीन भी खरीद सकते हैं। जिन सनस्क्रीन में PABA नहीं होता है, उन्हें अक्सर लेबल किया जाता है, लेकिन कुछ अन्य रसायनों से एलर्जी की समस्या हो सकती है। आप सनस्क्रीन का उपयोग कर सकते हैं जिसमें जिंक ऑक्साइड होता है, क्योंकि वे कम एलर्जीक होते हैं।
अगर आपकी त्वचा पर मुंहासे हैं, तो सनस्क्रीन उत्पाद में मौजूद कुछ रसायन आपकी समस्या को और भी बदतर कर सकते हैं। सनस्क्रीन के इस दुष्प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए, आप गैर-कॉमेडोजेनिक और नॉन –ऑयली सनस्क्रीन चुन सकते हैं। यह आपकी त्वचा के प्रकार के लिए सबसे उपयुक्त सनस्क्रीन है। चेहरे पर बॉडी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने से बचें, क्योंकि ये बहुत हैवी होते हैं।
आंखों में सनस्क्रीन लगाने से दर्द और जलन हो सकती है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि रसायनिक सनस्क्रीन भी अंधापन का कारण बन सकता है। यदि सनस्क्रीन आंखों में जाता है, तो उन्हें ठंडे पानी से अच्छी तरह से धो लें।
सनस्क्रीन में ऐसे तत्व शामिल हैं जो स्तन कैंसर कोशिकाओं पर एस्ट्रोजेनिक प्रभाव डाल सकते हैं। कुछ सनस्क्रीन रक्त एस्ट्रोजेन के स्तर पर प्रभाव डाल सकते हैं। अपने बच्चों पर रासायनिक सनस्क्रीन का उपयोग करने से बचें, क्योंकि उनकी त्वचा तुरंत केमिकल को तुरंत अब्जॉर्व कर लेती है।
सनस्क्रीन से त्वचा पर खुजली वाले धब्बे हो सकते हैं। कभी-कभी, ये बालों के रोम के आसपास मवाद से भरे फफोले में भी बदल जाते हैं।
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तीन साल तक यूज कर सकते हैं सनस्क्रीन – अगर आपको सनस्क्रीन की एक्सपायरी डेट नहीं पता है या ब्रांड ने बोतल पर इसकी एक्सपायरी डेट नहीं लिखी है तो एफडीए के नियमों के अनुसार कोई भी सनस्क्रीन कम से कम तीन साल तक प्रभावी रहती है। इसके बाद अगर आप सनस्क्रीन का इस्तेमाल करेंगे भी तो यह एसपीएफ सुरक्षा प्रदान नहीं करेंगे।
सनस्क्रीन की स्थिरता पता करें– सनस्क्रीन की स्थिरता और बनावट से इसकी स्थिति का पता चलता है। हालांकि कई चीजें ऐसी हैं जो आप टेस्ट के लिए कर सकते हैं कि आपका सनस्क्रीन एक्सपायर्ड हो गया है या नहीं।
ब्रांड की वेबसाइट देखें – एक्सपायरी डेट रिम, कैप या पैकेजिंग पर कहीं भी हो सकती है। यदि आपको इन सब जगहों में से कहीं भी नहीं मिल रही है तो प्रोडक्ट की सामान्य तिथि के बारे में सामान्य जानकारी के लिए ब्रांड की वेबसाइट देखें। आप ब्रांड के कस्टमर केयर से भी कॉन्टेक्ट कर सकते हैं और प्रोडक्ट की एक्सपायरी डेट के बारे में भी जान सकते हैं। यदि फिर भी कुछ उपलब्ध नहीं हो रहा हो, तो उस महीने और वर्ष को चिन्हित करें जिसमें आपने सनस्क्रीन खरीदा था। यह कम से कम तीन साल के लिए प्रभावी होना चाहिए।
स्मेल पर ध्यान दें- यदि कुछ समय बाद आपको लगता है कि इसकी स्मेल सामान्य नहीं है, तो संभावना है कि आपका सनस्क्रीन आउट ऑफ डेट हो चुका है और इसे बदलने की जरूरत है। किसी भी मामले में अगर आपके प्रोडक्ट में से अच्छी स्मेल नहीं आती तो उन्हें इस्तेमाल करना बंद कर दें।
टेक्सचर पर ध्यान दें- आपके एक्सपायरी डेट चैक कर ली है, लेकिन प्रोडक्ट में से बदबू आ रही है , तो संभावना है कि इसका टैक्सचर बदल चुका है। इसके लिए आप अपने हाथ में थोड़ा सा सनस्क्रीन लें और इसे रगड़कर इसकी स्थिरता को टेस्ट करें। अगर ये बहता हुआ दिखता है या इसमें क्रीम और पानी अलग-अलग हो रहे हैं तो यह आपकी त्वचा के लिए उपयुक्त नहीं है। सनस्क्रीन की स्थिरता में किसी भी परिवर्तन को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
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आपका सनस्क्रीन आपको कड़ी धूप से बचाता है। आपकी त्वचा की रक्षा करता है, लेकिन इसे अच्छे से स्टोर करने का तरीका भी पता होना चाहिए। आपको सनस्क्रीन को स्टोर करने के दौरान कुछ बातों से सावधान रहना चाहिए।
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सनस्क्रीन खरीदने से पहले इसकी मैन्यूफेक्चर डेट जरूर चैक कर लें। सनस्क्रीन जितना अच्छा होगा, उत्पाद की प्रभावकारिता उतनी ही बेहतर होगी। सनस्क्रीन में मौजूद तत्व शेल्फ पर रहते हुए भी बहुत आसानी से टूट जाते हैं। इसलिए, सनस्क्रीन का ताज़ा स्टॉक खरीदना महत्वपूर्ण है। कोशिश करें कि एक सा ज्यादा सनस्क्रीन एकसाथ न खरीदें। एक अच्छा ब्रांड हमेशा महत्वपूर्ण होता है। यदि संभव हो तो अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की तरफ जाएं। यूएस और यूरोप में ब्रांड्स को एफडीए या यूरोपीय संघ द्वारा प्रमाणित किया जाता है और उनके पास सनस्क्रीन को प्रमाणित करने के लिए बहुत सख्त नियम हैं। पैकेज पर सामग्री सूची की जाँच करें।
यह आपको यह जानने में मदद करेगा कि क्या सनस्क्रीन में ऑक्सीबेनज़ोन होता है, यह एक हार्मोन अवरोधक जो एलर्जी का कारण बनता है। स्प्रे और पाउडर सनस्क्रीन मिनरल बेस्ड होते हैं और इसमें नैनोकण होते हैं जो रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं । ऐसे उत्पादों से बचें और क्रीम आधारित सनस्क्रीन चुनें। हमेशा 30 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन ही चुनें। हमेशा सनस्क्रीन पैकेज पर एसपीएफ़ रेंज की जाँच करें। 15 एसपीएफ से ऊपर वाला सनस्क्रीन अच्छा माना जाता है। यदि आप पूर्ण सुरक्षा चाहते हैं तो 30 एसपीएफ या उससे ज्यादा वाला सनस्क्रीन ही खरीदें।
धूप में जाने से पहले सनस्क्रीन का प्रयोग करें।हमेशा 30 एसपीएफ या इससे ज्यादा वाला सनस्क्रीन ही खरीदें।हमेशा ऐसा सनस्क्रीन का उपयोग करें जो अल्ट्रावायलट – ए के साथ अल्ट्रावायलट- बी किरणों से भी आपकी त्वचा को सुरक्षा प्रदान करे।सनस्क्रीन को सोखने में आपकी त्वचा को आधे घंटे तक का समय लग सकता है। इसलिए, बाहर जाने से 30 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं।अगर आपको तत्काल धूप से बचाव की जरूरत हो तो जिंक ऑक्साइड सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। सनस्क्रीन का असर कुछ घंटों में खत्म हो जाता है, इसलिए हर दो घंटे में इसका इस्तेमाल करें।अकेले सनस्क्रीन पर भरोसा न करें। दुर्भाग्य से, सनस्क्रीन सनबर्न, फफोले और त्वचा कैंसर को पूरी तरह से रोक नहीं सकता है। इसलिए आप अपनी त्वचा को अन्य चीजों जैसे छतरी, टोपी, चश्मा से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं।
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एक्सपायरी डेट के बाद भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। दरअसल, सनस्क्रीन में एवोबेनजोन, होमोसैलेट और ऑक्सीबेन्जोन जैसे तत्व होते हैं, तो समाप्ति की तारीख के बाद ऑक्सीकरण करना शुरू करते हैं। ऐसे सनस्क्रीन आपकी त्वचा के लिए ठीक नहीं होते हैं, जिससे आपको सनबर्न, फोटोएजिंग, स्किन एलर्जी हो सकती है। हालांकि मिनरल युक्त सनस्क्रीन ऑक्सीकरण नहीं करते हैं। कभी-कभी सनस्क्रीन तारीख से पहले ही खराब होना शुरू हो जाते हैं
कई लोगों का मानना होता है कि सनस्क्रीन एक्सपायर हो गया तो क्या, सनस्क्रीन है तो सही फिलहाल काम चलाने के लिए। पर ये धारणा गलत है। क्योंकि एक्सपायर्ड सनस्क्रीन आपको कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। हां, लेकिन अगर आपके पास मिनरल सनस्क्रीन है और वो एक्सपायर हो गया है तो इसका उपयोग आप दो तीन महीने तक भी कर सकते हैं, लेकिन इससे ज्यादा नहीं। क्योंकि मिनरल सनस्क्रीन में मौजूद इंग्रीडिएंट्स टाइटेनियम डाय ऑक्साइड या जिंक ऑक्साइड युक्त कैमिकल नार्मल सनस्क्रीन के मुकाबले जल्दी खराब नहीं होते हैं।
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