Surgical Abortion In Hindi आमतौर पर बच्चे को जन्म न देने की इच्छा या अनचाही प्रेगनेंसी होने पर महिलाएं गर्भपात कराती हैं। गर्भपात कई तरह से किया जाता है और यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि महिला की प्रेगनेंसी कितने दिनों की है। इस आर्टिकल में हम आपको सर्जिकल गर्भपात कैसे होता है, सर्जिकल एबॉर्शन प्रक्रिया, सुरक्षित गर्भपात समय सीमा, शल्य गर्भपात या ऑपरेशन के द्वारा गर्भपात के बाद सावधानियां क्या क्या होती है और क्लिनिकल या सर्जरी एबॉर्शन के बाद केयर के बारे में बताने जा रहे हैं।
विषय सूची
शल्य गर्भपात या ऑपरेशन के द्वारा गर्भपात एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे चूषण या खींचकर निकालना (suction or vacuum) के नाम से भी जाना जाता है। सर्जिकल गर्भपात की पूरी प्रक्रिया एक दिन में समाप्त हो जाती है। लेकिन इस तरह का गर्भपात कराने के लिए यह बेहद जरूरी है कि महिला की प्रेगनेंसी कम से कम 12 हफ्ते की हो। इसका कारण यह है कि जब सर्विक्स या गर्भाशय का द्वार अपने आप जब थोड़ा खुलता है तभी इसमें एक छोटे ट्यूब पर चूषण लगाकर गर्भाशय में डालकर नाल को बाहर निकाला जाता है।
सर्जिकल गर्भपात कराने से पहले महिला को डॉक्टर से (करीब तीन घंटे तक) बात करनी पड़ती है और इसके बारे में जरूरी जानकारी लेनी पड़ती है। सर्जिकल गर्भपात की पूरी प्रक्रिया संपन्न होने में आमतौर पर कुल पांच से 10 मिनट का समय लगता है और इसके बाद महिला अपने घर जा सकती है।
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आमतौर पर हर महिला को सर्जिकल गर्भपात कराने से पहले थोड़ी तैयारी करनी पड़ती है। इससे गर्भपात के दौरान महिला को अधिक परेशानी नहीं होती है और गर्भपात आसानी से हो जाता है। हालांकि सर्जिकल गर्भपात से पहले महिला को कुछ सामान्य दिशा निर्देश दिये जाते हैं।
यदि आप सर्जिकल गर्भपात करवाने जा रही हैं तो आपको गर्भपात कराने से छह घंटे पहले कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए। यहां तक की पानी भी नहीं पीना चाहिए।
सर्जिकल गर्भपात कराने वाली महिला को अपने साथ सैनिटरी पैड, रेफरल लेटर, ब्लड ग्रुप कार्ड और हेल्थ कार्ड लेकर जाना चाहिए।
इसके अलावा हॉस्पिटल से घर आने के लिए पहले से ही अच्छा बंदोबस्त कर लेना चाहिए।
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सर्जिकल गर्भपात शुरू करने से पहले महिला को गर्भाशय ग्रीवा (cervix) में सीधे लोकल एनेस्थेशिया (local anaesthetia) दिया जाता है। इसके बाद डॉक्टर योनि के अंदर की स्थिति का परीक्षण करते हैं और एक दवा लगाकर योनि और सर्विक्स को साफ करते हैं।
इसके बाद गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स पर दवा लगाकर इसे पूरी तरह से सुन्न करते हैं।
सर्विक्स सुन्न हो जाने के बाद महिला को जब दर्द नहीं होता है तब डॉक्टर गर्भाशय के द्वार या सर्विक्स को एक प्लास्टिक के रॉड से फैलाते हैं या चौड़ा करते हैं।
इसके बाद एक छोटा, संकरा और लचीले ट्यूब को गर्भाशय के अंदर डालते हैं और ट्यूब के दूसरे छोर पर एक कोमल चूषण (suction) लगाते हैं ताकि ट्यूब में लगा यह चूषण गर्भाशय से प्रेगनेंसी के सभी ऊतकों को बाहर खींच कर निकाल दे।
चूषण या संक्शन की सहायता से जब गर्भ के ऊतक, नाल और भ्रूण बाहर निकल आते हैं तो इसका अर्थ है कि महिला का सर्जिकल गर्भपात पूरी तरह से सफल रहा।
सर्जिकल गर्भपात की पूरी प्रक्रिया समाप्त होने के बाद महिला के शरीर, गर्भाशय और पेट में उसी तरह का दर्द होता है जैसा कि उसे मासिक धर्म के दौरान होता है। इसका कारण यह है कि सर्जिकल गर्भपात के बाद आमतौर पर गर्भाशय अपने वास्तविक आकार से कुछ सिकुड़ जाता है। हालांकि सर्जिकल गर्भपात में चूषण का इस्तेमाल सिर्फ दो मिनट के लिए किया जाता है।
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क्लिनिक गर्भपात कराने के बाद महिला को कुछ घंटों तक आराम करने के लिए कहा जाता है और इसके बाद वह चाहे तो घर जा सकती है। इस दौरान महिला के शरीर में ऐंठन और दर्द हो सकता है इसलिए उसे डॉक्टर हीट पैक, मैक्सी पैड और साथ में जूस की बॉटल भी देते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर महिला को बर्थ कंट्रोल के लिए एंटीबायोटिक्स भी देते हैं। कुछ दवाएं खाने के एक या दो दिन बाद महिला फिर से अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकती है। जब महिला ठीक महसूस करने लगे तो उसके बाद एक बार डॉक्टर को जरूर दिखा लेना चाहिए। हालांकि कुछ महिलाओं को पूरी तरह से ठीक होने में इससे भी ज्यादा समय लगता है। आमतौर पर सर्जिकल गर्भपात के बाद ब्लीडिंग बंद होने में छह हफ्तों का समय लग सकता है।
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क्लिनिक गर्भपात अत्यधिक प्रभावी होते हैं। यह मेडिकल (गोली द्वारा) गर्भपात से अधिक प्रभावी होता है, जिनकी प्रभावशीलता दर 90 प्रतिशत से अधिक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रक्रिया पूरी तरह सफल हुई है, आपको अपने डॉक्टर से फॉलो उप लेना होगा।
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शल्य गर्भपात या ऑपरेशन के द्वारा गर्भपात के बाद कुछ दिनों तक महिला को ब्लीडिंग हो सकती है इसलिए उसे अपनी सही तरीके से देखभाल करने की जरूरत पड़ती है। एबॉर्शन के बाद महिला को बहुत जल्दी इंफेक्शन होने का भी खतरा बना रहता है इसलिए उसे अपनी उचित देखभाल करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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हल्दी और दूध: सर्जिकल गर्भपात के बाद शरीर से अधिक खून निकलने के कारण महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इस स्थिति में शरीर की कमजोरी दूर करने के लिए महिला को एक चम्मच हल्दी पाउडर को दो चम्मच देसी घी में फ्राई करके इसे दूध में डालकर उबाल लेना चाहिए और मेवे डालकर इस दूध को दिन में दो या तीन बार पीना चाहिए।
अंडा और दूध: अंडे में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है जो महिला के शरीर में रक्त कोशिकाओं का बहुत तेजी से निर्माण करता है। एक गिलास गर्म दूध के साथ एक उबला हुआ अंडा नियमित खाने से महिला कुछ ही दिनों में खून को एनर्जेटिक महसूस करने लगेगी।
अदरक पाउडर, गेहूं और गुड़: एक किलो गेहूं को रात भर पानी में भिगोएं और सुबह इसे ताजे पानी में उबालकर इसमें पर्याप्त गुड़ डालें। जब यह मिश्रण उबलकर सूखा हो जाए तब इसमें दो चम्मच अदरक पाउडर डालें और ठंडा होने के बाद इसमें मेवे डालकर दिन में दो बार खाएं। यह सर्जिकल गर्भपात के बाद शरीर को फिर से सामान्य बनाने में बहुत मदद करता है।
संतरे का जूस: संतरे के रस में विटामिन और खनिज पाया जाता है जो शरीर को स्वस्थ और हड्डियों को मजबूत रखता है। गर्भपात के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और उन्हें जोड़ों में खिंचाव या तनाव की समस्या हो जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में नियमित संतरे का जूस पीना चाहिए। क्योंकि इसमें विटामिन सी होता है जो सर्जिकल गर्भपात के बाद महिला को ठीक करने में मदद करता है।
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सर्जिकल प्रक्रिया के तुरंत बाद और रिकवरी समय के दौरान, आप कुछ दुष्प्रभावों का अनुभव कर सकती हैं। सर्जिकल गर्भपात के सामान्य दुष्प्रभावों में शामिल हैं:
एक बार आपकी डॉक्टर यह सुनिश्चित करती है कि आपका स्वास्थ्य स्थिर है, तो आपको घर जाने के लिए कह दिया जाएगा। अधिकांश महिलाओं में योनि से रक्तस्राव का अनुभव होता है और मासिक धर्म चक्र के समान दो से चार दिनों तक क्रैम्पिंग (दर्द) होता है।
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यदि आपको निम्न लक्षणों का अनुभव होता है तो आपको अपने डॉक्टर को कॉल करना चाहिए या तत्काल चिकित्सा के लिए उनके पास जाना चाहिये:
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गर्भपात के बाद आपका पीरियड (मासिक धर्म) चार से आठ सप्ताह में वापस आना चाहिए। लेकिन ओव्यूलेशन बिना किसी संकेत या लक्षण के हो सकता है, और अक्सर सामान्य मासिक धर्म चक्रों को फिर से शुरू करने से पहले भी, इसलिए आपको हमेशा संभोग के दौरान गर्भनिरोधक का उपयोग करना चाहिए। गर्भपात के बाद आपको कम से कम एक से दो सप्ताह तक यौन संबंध बनाने के लिए इंतजार करना चाहिए, जो की संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। आपको टैम्पोंन का उपयोग करने या योनि में कुछ भी डालने के लिए पहले मासिक धर्म का इंतजार करना चाहिए।
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