Swasth Rahne Ke Ayurvedic Upay स्वस्थ रहना किसे पंसद नही होता, हर व्यक्ति चाहता है कि वह स्वस्थ और निरोगी रहे। लेकिन स्वस्थ रहने के लिए सिर्फ सोचना ही नहीं बल्कि प्रयास भी करना पड़ता है। माना जाता है कि स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेदिक तरीका सबसे बेहतर होता है। रोगी होकर इलाज कराने से अच्छा है कि आप बीमार ही न पड़े। आयुर्वेद का उद्देश्य भी यही है।
आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने से आप लंबा जीवन जी सकते हैं हालांकि यह तरीका थोड़ा कठिन जरूर होता है लेकिन एक बार आदत में शामिल होने के बाद ज्यादा मुश्किलें नहीं आती हैं। अगर आप भी अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं तो इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि स्वस्थ रहने के आयुर्वेदिक उपाय क्या हैं। आइये इन उपायों को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. आयुर्वेद तरीके से स्वस्थ रहने के फायदे – Ayurveda benefits for health in hindi
2. हेल्दी रहने के आयुर्वेदिक उपाय – Ayurvedic treatment for good health in hindi
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अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो इन आयुर्वेदिक उपायों को जरूर अपनाएं। आपको जरूर फर्क दिखेगा।
आयुर्वेद में माना जाता है व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए रात में जल्दी सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी उठना चाहिए। सुबह उठने के बाद नित्य क्रिया करने के बाद गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप सोने और जगने का एक निश्चित समय निर्धारित करें, क्योंकि इसी पर आपकी पूरी दिनचर्या टिकी होती है और स्वास्थ्य पर भी इसका बहुत प्रभाव पड़ता है।
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सैन फ्रांसिस्को में की गई एक स्टडी में पाया गया कि 30 मिनट तक रोजाना मेडिटेशन करने से मस्तिष्क में कार्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का स्तर कम होता है जिसके कारण व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन एक शांत वातारवण में बैठकर मेडिटेशन और योग करना चाहिए।
कम से कम चार महीने तक मेडिटेशन करने के बाद आपको अपने स्वास्थ्य पर इसका असर दिखायी देने लगेगा और यह स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है।
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माना जाता है कि पेट संबंधी समस्याओं के कारण शरीर में कई तरह की बीमारियां पैदा होने लगती हैं। इसलिए पेट का पाचन बेहतर होना जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को जमीन पर सही मुद्रा में बैठकर भोजन करना चाहिए और हमेशा जितनी भूख लगी हो उससे कम ही खाना खाना चाहिए ताकि हमारी पाचन क्रिया बेहतर तरीके से काम कर सके।
पेट की ज्यादातर बीमारियां तब होती हैं जब पाचन तंत्र या अग्नि कमजोर हो जाता है। इसलिए रोजाना व्यक्ति को एक चम्मच अदरक का रस, एक चुटकी नमक और लाइम को मिलाकर सेवन करना चाहिए।
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दूध को एक शाकाहारी पेय पदार्थ माना जाता है जिसमें पोषक तत्व उच्च मात्रा में मौजूद होते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि दूध पीना हर उम्र के व्यक्ति के सेहत के लिए फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले गुनगुने दूध में एक चुटकी दालचीनी मिलाकर पीना चाहिए।
दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम बच्चों के शरीर के विकास और बुजुर्गों की हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है जिसके कारण उन्हें हड्डियों के दर्द से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं और वे बुढ़ापे में भी स्वस्थ रहते हैं।
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कई अध्ययनों में पाया गया है कि मसाज करने से स्वास्थ्य को अद्भुत फायदे होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार प्रतिदिन मसाज करने से मांसपेशियां टोन होती हैं, स्ट्रेस और ब्लड प्रेशर कम होता है और लिम्फैटिक प्रवाह बढ़ता है। यदि आप अपने शरीर का स्पा नहीं करा पा रहे हैं तो उच्च क्वालिटी के आर्गेनिक तेल से मसाज करें।
आयुर्वेद में मसाज के लिए शीशम ऑयल और नारियल तेल को बेहतर माना जाता है। गुनगुने तेल से सिर से लेकर पैरों की उंगलियों तक अच्छी तरह से मसाज करें। शरीर और जोड़ों पर सर्कुलर मोशन में मसाज करें। नियमित मसाज करने से आप एकदम स्वस्थ रहेंगे।
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हम अक्सर पार्कों में देखते हैं कि लोग हंसने का योगाभ्यास करते हैं। वास्तव में आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए रोजाना खुलकर हंसना बेहद जरूरी है। माना जाता है कि जोर से हंसने से एंडोर्फिन का स्राव होता है और खून का प्रवाह भी बेहतर तरीके से होता है जिससे शरीर को राहत मिलती है।
हंसने के लिए आप कामेडी फिल्म या मजेदार जोक्स देखें लेकिन रोजाना हंसने की कोशिश करें। हंसने से शरीर में लचीलापन आता है बेली फैट भी कम होता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए जितना हंस सकते हैं खुलकर हंसिये।
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आयुर्वेद में स्वस्थ रहने के लिए गर्म भोजन को बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए आपको हर बार भोजन को गर्म करके ही खाना चाहिए। यह ध्यान रखें कि भोजन ज्यादा कड़ा या गरिष्ठ नहीं होना चाहिए। सलाद आप कच्चा खा सकते हैं लेकिन भोजन सही तरीके से पका होना चाहिए।
संभव हो तो सीजनल सब्जियां ही खाएं और अपनी पसंद का खाएं। बाहर खाने से परहेज करें और खाएं भी तो अधिक तेल मसाले में बना भोजन न खाएं। आयुर्वेद के इन नियमों का पालन करके आप स्वस्थ रह सकते हैं।
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हमारी त्वचा डिटॉक्सीफिकेशन का सबसे बड़ा अंग है। जब स्किन के पोर गर्मी के संपर्क में आते हैं तो अपने बड़े हो जाते हैं और पसीने की ग्रंथियों के माध्यम से शरीर से अशुद्धियों को बाहर निकालते हैं। पसीना सर्कुलेशन को भी बढ़ाता है और शरीर को अतिरिक्त पानी के वजन से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए हर व्यक्ति को शारीरिक श्रम करके या जिम जाकर पसीना बहाना चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि सर्दी के मौसम में पसीना नहीं आता है लेकिन आप जिम में वर्कआउट करके या तेज दौड़कर शरीर से पसीना बाहर निकाल सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए यह बेहद जरूरी है।
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दांत और जीभ भी हमारे शरीर का ही हिस्सा है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए दांतों का भी स्वस्थ रहना जरुरी है। इसलिए दांतों के बैक्टीरिया और टॉक्सिन को दूर करने के लिए जिस तरह से आप जीभ की सफाई करते हैं उसी तरह आपको ऑयल पुलिंग करने की भी आदत डालनी चाहिए।
ऑयल पुलिंग दांतों को बैक्टीरिया मुक्त रखने के लिए नए जमाने का तरीका है और इससे दांतों की बीमारियां नहीं होती हैं और पाचन भी बेहतर होता है। एक या दो चम्मच आर्गेनिक शीशम या नारियल का तेल लें और मुंह में डालें या उंगलियों से दांतों पर लगाएं और 20 मिनट बाद गर्म पानी से कुल्ला कर लें।
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