Teach Discipline To Your Child In Hindi अक्सर माता पिता यह जानना चाहते हैं की बच्चों को आज्ञाकारी कैसे बनाये, अपने बच्चे किसे प्यारे नहीं होते। कुछ बच्चे आसानी से अपने पेरेंट्स की बात मान लेते हैं लेकिन कुछ बच्चों से बात मनवाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। आपको अपने बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से अनुशासित करना होगा।
पैरेंट्स बच्चों की हर छोटी-बड़ी इच्छा पूरी करने के लिए बड़ा त्याग करते हैं, इस त्याग का ज्यादातर बच्चे गलत फायदा उठाते हैं। लेकिन ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि उनकी हर इच्छा तुरंत पूरी की जाए। ऐसे में बच्चे अक्सर जिदद् करके बैठ जाते हैं और मिसबिहेव करने लगते हैं। इन्हें समझाने के लिए कई पैरेंट्स उन पर हाथ तक उठा देते हैं। बता दें कि ये तरीका आपके बच्चे को उस समय तो सुधार सकता है लेकिन उसके भीतर अनुशासन नहीं ला सकता। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों पर बिना हाथ उठाए, उनके लिए लिमिट तय करें और उन्हें अनुशासन में रहना सिखाएं।
हालांकि हर पैरेंट के लिए बहुत शर्मिंदगी भरा होता है, जब उन्हें बच्चे के लिए कुछ सीमाएं तय करनी होती हैं। लेकिन आज के समय में हर पैरेंट को बच्चे को अनुशासित और व्यवहारिक बनाने के लिए ऐसा करना पड़ता है। ये आर्टिकल हर उन माता-पिता के लिए है, जो बढ़ती उम्र में अपने बच्चों को अनुशासन सिखाने जा रहे हैं। और जानना चाहते हैं कि बच्चों को अच्छे संस्कार कैसे दे, इस आर्टिकल में न केवल आप अनुशासन सिखाने के टिप्स जानेंगे, बल्कि उन्हें हैंडल कैसे करना है, वो भी बिना हाथ उठाए, ये सब भी हम आपको बताएंगे।
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माता-पिता हर बच्चे के रोल मॉडल होते हैं। जैसा आप करेंगे बच्चा भी वैसा ही करेगा। ऐसे में जरूरी है कि पहले आप खुद अपने इमोशंस पर कंट्रोल करें। किसी भी स्थिति में तुरंत कोई रिएक्शन देने के बजाए गहरी सांस लें और थोड़ा कूल हो जाएं। ये बच्चे को बिना हाथ उठाए अनुशासन सिखाने का बेसिक तरीका है।
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बच्चों को पहले अपना दोस्त बनाएं। उनकी बात को पैरेंट के बजाए दोस्त बनकर सुनें और समझें। अपनी भावनाओं के साथ उसके प्रति सहानभूति भी व्यक्त करेंगे तो बच्चा खुद अनुशासित रहेगा और आपसे अपनी सारी समस्याएं खुद ब खुद शेयर करेगा।
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बच्चे को कुछ भी सिखाना बहुत मुश्किल है। हर पैरेंट की आज यही शिकायत है कि बच्चा सुनता नहीं है सीखता नहीं है। लेकिन उसे सिखाने से पहले हर पैरेंट को अपने बच्चे का सपोर्ट करना बेहद जरूरी है। पहले आप खुद उस चीज में रूचि दिखाएं, तब आपका बच्चा खुद उसमें इंटरेस्ट लेने लगेगा।
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बच्चे को कुछ भी सही बात सिखाने से पहले आप उससे भावनात्मक रूप से जुड़ें। इससे आपको उसे कुछ भी सिखाने में परेशानी नहीं आएगी। विशेषज्ञों की मानें तो एक बच्चा मिसबिहेव तभी करता है, जब वह या तो बहुत बुरा फील कर रहा हो या फिर पैरेंट्स से दूर हों। ऐसे में उससे आंख से आंख मिलाकर पूछें कि वो अपसेट क्यों है। अपना हाथ उसके कंधों पर रखकर उसे भरोसा दिलाएं कि जो भी हो, आप हमेशा उसके साथ हैं।
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बच्चे कभी न कभी तो कुछ अच्छा काम करते हैं। ऐसे में आप हमेशा अपने बच्चों के अच्छे व्यवहार को सराहें। इससे बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ेगा साथ ही उसके बुरे व्यवहार में भी अंतर आएगा।
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आप अपने बच्चे को हमेशा बच्चा न समझें। बच्चे जब खुद परेशान या बोर होते हैं, तो वो आपको भी परेशान कर देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप उन्हें कोई काम सौंप दें। इससे वे बोर भी नहीं होंगे और थोड़े जिम्मेदार भी बनेंगे।
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अपने आसपास के माहौल का असर बच्चे के व्यवहार पर भी पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने परिवार का माहौल कुछ इस तरह बनाएं कि बच्चा सबसे कुछ न कुछ सीखे और उस पर अमल करे।
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नजरअंदाज करें- बच्चा अगर किसी चीज की जिद करे, रोए या चिल्लाए, तो आप उसे एंटरटेन करने के बजाए उसे नजरअंदाज कर दें। कमरे से बाहर आ जाएं और अपने किसी काम में व्यस्त हो जाएं। कुछ देर बाद सब नॉर्मल हो जाएगा। आपका गुस्सा भी और आपका बच्चा भी।
ओवरटॉक न करें- जब बच्चा गुस्से में हो तो वह सारे अनुशासन भूल जाता है। ऐसे में कई पैरेंट्स बच्चे की गलतियां बताने लग जाते हैं। बता दें कि बच्चे गुस्से में किसी की नहीं सुनते, तो आपका कुछ भी कहना व्यर्थ है। बेहतर है ओवरटॉक न करें और उसे अकेला छोड़ दें।
उन्हें फील कराएं कि वो आपके लिए जरूरी हैं- अगर आपका बच्चा जिद्दी है और हर वक्त बुरा व्यवहार करता है, तो आप उसे परिवार की मदद करने की एक छोटी सी जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। उसे फील कराना जरूरी है कि वो आपके लिए कितना जरूरी है। इसके साथ अगर आप उसके काम की तारीफ कर दें, तो उसका आत्मसम्मान तो बढ़ेगा ही साथ ही वह दूसरों का सम्मान करना भी जल्दी सीख जाएगा।
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बच्चों में अनुशासन के अलावा बड़ों का सम्मान करने की भी आदत डालें। लेकिन इसके लिए बच्चों को डांट फटकारकर नहीं, बल्कि प्यार से समझाने की जरूरत होती है। बच्चों को सबसे पहले बताएं कि बड़ों का सम्मान हमेशा करना है। अगर बच्चा फिर भी न समझे तो हाथ उठाने के बजाए आप समझें कि वो बड़ों का सम्मान आखिर क्यों नहीं करता। उन्हें बताएं कि उन्हें बड़ों का सम्मान क्यों करना चाहिए।
आपके बच्चे की उम्र के हिसाब से, आपको उन्हें अलग-अलग तरीके से अनुशासित करना होगा। अपने बच्चे को अनुशासित करते वक़्त, कुछ ऐसे नियम बनाकर शुरुआत करें, जिसे आपका बच्चा अच्छी तरह से समझ पाये।
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