गर्भावस्था

टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया, विधि, सफलता और नुकसान – Test Tube Baby Process And Side Effect in Hindi

टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया, विधि, सफलता और नुकसान - Test tube baby Process, success rate and side effect in Hindi

What is Test tube baby in Hindi कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पुरुष का शुक्राणु महिला के शरीर में भ्रूण का निर्माण करने के लिए पूरी तरह से ऊपजाउ (fertile) नहीं होता है। इस स्थिति में बच्चा पैदा करने के लिए एक कृत्रिम विधि का सहारा लिया जाता है जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी कहते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको टेस्ट ट्यूब बेबी  कैसे होता है (test tube baby kaise hota hai hindi) टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया (Test Tube Baby Process in Hindi) टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि (Test Tube Baby Step by Step Procedure in Hindi) टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया की सफलता (Test Tube Baby success rates in Hindi) और टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि के नुकसान (Side effects of  Test Tube Baby in Hindi) के विषय में बताएंगे।

ज्यादातर मामलों में पुरुष का शुक्राणु महिला के अंडे के साथ निषेचित होने से लिए पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं होता है। बच्चे को जन्म देने के लिए शुक्राणु का मजबूत होना जरूरी होता है लेकिन जब यह नहीं होता है तो दुनिया में कई दंपति आजीवन बिना बच्चे के ही रह जाते हैं।

1. टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है – what is Test tube baby in hindi
2. टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया – Test Tube Baby Process in Hindi
3. टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि – Test Tube Baby Step by Step Procedure in Hindi
4. टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया की सफलता – Test Tube Baby success rates in Hindi
5. टेस्ट ट्यूब बेबी विधि के नुकसान – Side effects of  Test Tube Baby in Hindi

टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है – What is Test Tube Baby in Hindi

शुक्राणु कमजोर होने की हालत में बच्चे के जन्म से वंचित रहने की समस्या को दूर करने के लिए वर्ष 1978 में बच्चा पैदा करने की टेस्ट ट्यूब बेबी विधि की खोज की गई। यह विधि अब तक कायमाब रही है और दुनियाभर में इस विधि से लोग बच्चा पैदा करते हैं। आइये जानते है टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक से बच्चा पैदा करने की प्रक्रिया क्या है और यह कैसे कम करती है।

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टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया – Test Tube Baby Process in Hindi

Test tube baby  टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक से बच्चा पैदा करने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization) का प्रयोग किया जाता है। आईवीएफ बच्चा पैदा करने की एक कृत्रिम चिकित्सा विधि है जो टेस्ट ट्यूव बेबी की प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाती है। इस पद्धति में पुरुष का शुक्राणु (male sperm) महिला के अंड में निर्धारित प्रक्रिया से प्रवेश कराया जाता है। यह करीब एक महीने की प्रक्रिया होती है। ज्यादातर जगहों पर शुक्राणु को अंडे में प्रवेश कराने का एक ही तरीका अपनाया जाता है लेकिन कुछ क्लिनिकों में डॉक्टर भिन्न-भिन्न तरीके भी अपनाते हैं।

हम आपको टेस्ट ट्यूब बेबी (test tube baby process) के स्टैंडर्ड तरीके के बारे में बताएंगे। जब लोग बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं तो इस विधि को अपनाते हैं। इसके पीछे पुरुष ही सबसे बड़ा कारण होता है क्योंकि पुरुष का स्पर्म इतना कमजोर होता है कि वह अंडे में पूरी तरह प्रवेश ही नहीं कर पाता है।

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टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि – Test Tube Baby Step By Step Procedure in Hindi

नि:संतान दंपति टेस्‍ट ट्यूब बेबी विधि से संतान प्राप्‍त करने का सुख पा सकते हैं। आइए जाने टेस्‍ट ट्यूब बेबी विधि को स्‍टेप बाई स्‍टेप समझें।

1.मासिक चक्र को रोका जाता है – Natural Menstrual Cycles Are Suppressed in Hindi

टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि के पहले स्टेप में महिला को कुछ दवाएं देकर उसके मासिक धर्म (periods) को रोका जाता है। इन दवाओं को करीब दो हफ्तों तक दिया जाता है परिणामस्वरूप मासिक धर्म प्राकृतिक रूप से रूक जाता है।। इन दवाओं को महिला के शरीर में इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है।

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2. अधिक अंडे उत्पन्न करना – Production Of More Eggs in Hindi

इस विधि में अधिक अंडे का उत्पादन किया जाता है जिसे सुपर ओव्यूलेशन (Super Ovulation)कहा जाता है। टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि के इस स्टेप में महिला को अलग-अलग तरह की फर्टिलिटी दवाएं दी जाती है। इन दवाओं में फर्टिलिटी स्टीमूलेशन हार्मोन (fertility stimulation hormone)या एफएसएच मौजूद होता है जो महिला के शरीर में अंडे को अधिक मात्रा में उत्पन्न करता है। दवा लेने के बाद धीरे-धीरे महिला के शरीर में अंडों की संख्या बढ़ने लगती है। एफएसएच का इंजेक्शन देने के बाद अंडाशय में अंडे अधिक उत्पन्न होते हैं। इसके बाद योनि का अल्ट्रासाउंड करके अंदर की स्थिति की जांच की जाती है।

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3.अंडाशय से अंडे को निकालना – Eggs Are Then Retrieved From Ovaries in Hindi

पर्याप्त अंडे बनने के बाद इन अंडे को उस स्थान से निकाल लिया जाता है। एक शल्यचिकित्सा विधि द्वारा अंडो को निकाला जाता है जिसे फोलिक्यूलर एस्पिरेंट (Follicular Aspiration) कहा जाता है। टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि इस विधि में अंडे को योनि (vagina)के माध्यम से अंडाशय से निकाल लिया जाता है। इसके लिए योनि में एक पतली सुई प्रवेश करायी जाती है। यह सुई अंडाशय में योनि के माध्यम से प्रवेश होती है और सक्शन प्रक्रिया (suction process) के द्वारा अंडों को बाहर खींच लाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि 15 अंडे टेस्ट ट्यूब बेबी प्रोसेस की सफलता के लिए बहुत अच्छे होते हैं। इससे बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ जाती है।

4. अंडे और शुक्राणु को फर्टिलाइज कराना – Fertilization And Insemination Of Egg And Sperm in Hindi

टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि के चौथे स्टेप में महिला के अंडाशय (overy) से निकाले गए अंडे को पुरुष के शुक्राणु के साथ रखा जाता है। इस प्रक्रिया को एक नियंत्रित तापमान वाले कक्ष में किया जाता है। इस कक्ष में पुरुष के शुक्राणु को अंडे के एकदम समीप रखा जाता है। इसके बाद डॉक्टर कुछ घंटों तक इंतजार करते हैं और पुरुष का शुक्राणु महिला के अंडे में अपने आप प्रवेश करने लगता है। कभी-कभी डॉक्टर समय बचाने के लिए इंट्रा-साइटोप्लाज्मिक (intra cytoplasmic)विधि का भी प्रयोग करते हैं। इस विधि में शुक्राणु अंडे में सीधे प्रवेश कर जाता है लेकिन यह काफी महंगी विधि है। स्पर्म और अंडे के मिलने के बाद एंब्रियो बनना शुरू हो जाता है।

5. एंब्रियो को ट्रांसफर करना – Transferring The Embryo in Hindi

टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि के पांचवे और अंतिम स्टेप में भ्रूण (embryo) को सूई के माध्यम से गर्भ में डाला जाता है। ज्यादातर मामलों में एक से अधिक एंब्रियो को गर्भ में प्रवेश कराया जाता है। ज्यादा एंब्रियो प्रवेश कराने से सफलता की संभावना अधिक बढ़ जाती है और बच्चा स्वस्थ पैदा होता है। इस प्रक्रिया को पूरी करने के बाद एक पतले ट्यूब को योनि के माध्यम से कोख में प्रवेश कराया जाता है। इस पतले ट्यूब में एंब्रियो होता है जो गर्भ में डाल दिया जाता है। यह एंब्रियो महिला के गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है। इसके बाद गर्भावस्था का समय पूरा होने पर एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होता है।

टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया की सफलता – Test Tube Baby Success Rates in Hindi

-टेस्ट ट्यूब बेबी विधि से बच्चा पैदा करने में यह विधि बहुत कामयाब रही है। पैंतीस वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में टेस्ट ट्यूब बेबी विधि द्वारा आसानी से बच्चा पैदा किया जा सकता है।

38 से 40 साल की महिलाओं में इस विधि से बच्चा पैदा करने की संभावना घटती जाती है।

रिसर्च के अनुसार यह महिला के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है कि टेस्ट ट्यूब बेबी से बच्चा पैदा करने में उसका शरीर सक्षम है या नहीं।

टेस्ट ट्यूब बेबी विधि के नुकसान – Side Effects Of Test Tube Baby in Hindi

  • टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया में कुछ महिलाओं को रक्तस्राव (bleeding) होती है जिससे उनके शरीर में खून की समस्या हो सकती है।
  • गर्भाशय यदि भ्रूण को सही तरीके से संभाल नहीं पाया तो गर्भपात होने की भी संभावना रहती है।
  • इस प्रक्रिया में हार्मोन की गोलियां योनि के माध्यम से शरीर में प्रवेश करायी जाती है जिससे महिला को डायरिया और उल्टी की समस्या हो सकती है।
  • इस विधि में जिन दवाओं को दिया जाता है उससे गर्भाशय कैंसर(ovary cancer) भी होने की संभावना होती है।
  • टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया के बाद महिला को शरीर में ऐंठन, सूजन, कब्ज और यहां तक कि स्तन में नरमी भी आ सकती है।
  • पेल्विक में दर्द, खून में पेशाब और योनि से खून निकलना और तेज बुखार (fever)आना सबसे खतरनाक अवस्था है। यदि ऐसा कुछ दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
  • सिर दर्द, मूड खराब होना, पेट में दर्द, पेट में सूजन आना आदि टेस्ट ट्यूब बेबी विधि के साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

(और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)

इस आर्टिकल में आपने जाना टेस्ट ट्यूब बेबी  कैसे होता है (test tube baby kaise hota hai hindi) टेस्ट ट्यूब बेबी की प्रक्रिया (Test Tube Baby Process in Hindi) टेस्ट ट्यूब बेबी की विधि (Test Tube Baby Step by Step Procedure in Hindi) टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया की सफलता (Test Tube Baby success rates in Hindi) टेस्ट ट्यूब बेबी विधि के नुकसान (Side effects of  Test Tube Baby in Hindi) के बारें में। 

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