टिटनेस एक गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन (bacterial infection) है, जिसे लॉकजॉ भी कहा जाता है। यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली एक गंभीर बीमारी है, जो विष पैदा करने वाले बैक्टीरिया के कारण होती है। यह संक्रमण मांसपेशियों में गंभीर संकुचन, ऐंठन और सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकता है और अंततः जीवन के लिए घातक हो सकता है। टिटनेस अनेक गंभीर जटिलताओं को उत्पन्न कर सकता है, जो जानलेवा हो सकती हैं। टिटनेस का कोई इलाज नहीं है। प्रारंभिक उपचार इसके लक्षणों और जटिलताओं कम करने पर केंद्रित होता है। अतः इससे बचने के तरीके और प्रारंभिक उपचार की जानकारी होना आवश्यक होता है। आज इस लेख में आप टिटनेस या टेटनस क्या है, टिटनेस के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में जानेगें।
टेटनस या टिटनेस को लॉकजॉ रोग के नाम से भी जाना जाता है, यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन हैं, जो क्लोस्ट्रीडियम टिटेनी (Clostridium tetani) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया एक विष पैदा करता है, जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे मांसपेशियों में अकड़न आ जाती है। इस स्थिति में विशेष रूप से जबड़े और गर्दन की मांसपेशियों में संकुचन होता है। इसलिए टिटनेस को आमतौर पर लॉकजॉ के नाम से जाना जाता है। टेटनस के शुरुआती लक्षणों में दस्त, बुखार और सिरदर्द शामिल हैं।
टिटनेस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया मिट्टी, खाद और अन्य पर्यावरणीय एजेंटों में मौजूद होते हैं। घाव के माध्यम से यह बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करता है और संक्रमण का कारण बनता है। यह संक्रमण पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है, और जीवन के लिए घातक हो सकता है। टेटनस बीमारी का उपचार सभी के लिए समान रूप से प्रभावी नहीं होता है। टिटनेस से बचने का सबसे अच्छा तरीका इसका टीका लगवाना है।
क्लोस्ट्रीडियम टिटेनी (Clostridium tetani) नामक बैक्टीरिया टिटनेस का कारण बनता है। यह बैक्टीरिया मिट्टी और जानवरों के मल में निष्क्रिय अवस्था में पाए जाते हैं। लेकिन यह कहीं भी दूषित वस्तुओं पर मौजूद हो सकते हैं। यह बैक्टीरिया घाव या कट के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। यह जीवाणु कोशिकाओं में प्रजनन कर अपनी संख्या तेजी से बढ़ाते हैं और टेटनोस्पास्मिन (tetanospasmin) नामक एक विष (न्यूरोटॉक्सिन) छोड़ते हैं। यह न्यूरोटॉक्सिन रक्तप्रवाह में प्रवेश कर तेजी से पूरे शरीर में फैलता है, जिससे टिटनेस के लक्षण दिखाई देते हैं। यह विष शरीर में तंत्रिका संकेतों को अवरुद्ध करता है और मांसपेशियों में गंभीर ऐंठन का कारण बन सकता है।
(और पढ़ें: बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण में क्या है अंतर..)
संक्रमित बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न विष के प्रभाव के कारण टिटनेस के लक्षण उत्पन्न होते हैं। किसी व्यक्ति में यह लक्षण संक्रमित होने के लगभग एक सप्ताह बाद शुरू होते हैं। लेकिन कुछ संक्रमित व्यक्तियों में लक्षण उत्पन्न होने में 3 दिन से लेकर 3 सप्ताह या उससे भी अधिक समय लग सकता है।
टेटनस के सामान्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
यदि इलाज नहीं किया गया तो, गर्दन और पेट की मांसपेशियों में अकड़न से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। जिससे टिटनेस दम घुटने से मौत का कारण बन सकता है।
(और पढ़ें: चोट लगने पर तुरंत खून रोकने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय…)
टेटनस के परिणामस्वरूप मांसपेशियों में गंभीर ऐंठन और कठोरता के कारण मरीज को अनेक स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें शामिल हैं:
जितनी जल्दी इस रोग का निदान होगा, उतना ही प्रभावी उपचार किया जा सकता है। घाव या कट लगने के बाद यदि किसी व्यक्ति को मांसपेशियों में ऐंठन और जकड़न का अहसास होता है तो उसे टिटनेस के शीघ्र निदान के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डॉक्टर टिटनेस के लक्षणों की जांच के लिए एक शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। आमतौर पर प्रयोगशाला परीक्षणों के माध्यम से टेटनस का निदान नहीं किया जा सकता है। लेकिन टिटनेस जैसे कुछ समान लक्षणों का कारण बनने वाली अन्य बीमारियों (जैसे- मैनिंजाइटिस या रेबीज) पर संदेह होने की स्थिति में डॉक्टर प्रयोगशाला परीक्षण की सिफारिश कर सकता है।
इसके अलावा डॉक्टर मरीज के टीकाकरण इतिहास की जानकारी के आधार पर भी टिटनेस का निदान कर सकता है।
टिटनेस एक मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन है। उपचार लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। टिटनेस का इलाज करने के लिए आमतौर पर कई तरह की उपचार प्रक्रियाओं और दवाओं को उपयोग में लाया जा सकता है, जैसे:
टिटनेस संक्रमण को रोकने के लिए किसी भी कट या घाव की उचित देखभाल महत्वपूर्ण है। यदि किसी व्यक्ति को मामूली घाव या कट लगता है, तो वह टिटनेस संक्रमण को रोकने के लिए निम्न कदम उठा सकता है:
(और पढ़ें: आम फंगल संक्रमण और उनके घरेलू उपचार…)
घावों की उचित सफाई और उपचार टिटनेस संक्रमण से बचने का उचित तरीका है। यदि आपको घाव या चोट लगने पर संक्रमण होने का डर है, तो आप डॉक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं।
टीकाकरण टिटनेस संक्रमण से बचने का सबसे प्रभावी उपाय है, लेकिन टीकाकरण तभी प्रभावी है, जब आप अपने बूस्टर शॉट समय पर प्राप्त करते हैं।
डिप्थीरिया-टिटनेस-पर्टुसिस शॉट (diphtheria-tetanus-pertussis shot) के रूप में बच्चों को टिटनेस वैक्सीन दी जाती है, जिसे डीटीएपी (DTaP) शॉट भी कहा जाता है। यह एक थ्री-इन-वन वैक्सीन है जो डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टिटनेस रोगों से रक्षा करती है। बच्चों को 11 या 12 साल की उम्र में बूस्टर शॉट लगवाने की जरुरत होती है। इसके बाद वयस्कों को संक्रमण से बचने के लिए हर 10 साल बाद टीडी बूस्टर वैक्सीन (टिटनेस और डिप्थीरिया के लिए) की जरूरत होती है।
(और पढ़ें: तंत्रिका विकार के कारण, लक्षण और इलाज…)
टिटनेस (लॉकजॉ) के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव (Tetanus (lockjaw) Causes, Symptoms, Treatments in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…