थायराइड समस्या अक्सर वयस्कों में ज्यादातर देखने को मिलती है, लेकिन आप थायराइड रोग स्कूली बच्चों में सबसे आम अंतःस्रावी विकार में से एक है। एक अध्ययन के अनुसार 1,000 बच्चों में से लगभग 37 बच्चों को थायराइड की बीमारी होती है। शरीर की प्रत्येक कोशिका को सही तरीके से काम करने के लिए थायराइड हार्मोन आवश्यक होता है। बाल चिकित्सक के अनुसार थायराइड विकार, बच्चों के स्वास्थ्य और शरीर को कई अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों में थायरॉयड की बीमारी के प्रकार के आधार पर अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं। आज आप इस लेख के माध्यम से बच्चों में थायराइड बीमारी के लक्षण, कारण और शिशुओं में कुछ सामान्य थायराइड समस्याओं के बारे में जानेगें, साथ ही साथ बच्चों में थायराइड समस्या का इलाज और बचाव संबंधी उपाय के बारे में भी जान सकेगें।
मानव शरीर में पाई जाने वाली अंतःस्त्रावी ग्रंथियों में से थायराइड एक प्रमुख ग्रंथि है, जो तितली के आकार की दिखाई देती है। इसीलिए इसे बटरफ्लाई ग्लैंड भी कहा जाता है। यह ग्लैंड बॉडी में कई तरह की चयापचय प्रक्रियाओं (metabolic processes) को नियंत्रित करने का काम करती है। थायराइड एक थर्मोस्टेट (thermostat) की तरह काम करता है। थायराइड का सबसे बड़ा काम शरीर के सभी भागों का सही तरीके से विकास करना है। शरीर का सही तरीके से विकास करने के लिए थायराइड ग्रंथि, एक हार्मोन को उत्पन्न करती है, जिसे थायरोक्सिन (Thyroxine) कहते हैं। बच्चों में थायराइड समस्या अनेक तरीकों से प्रभावित करती है, जिसके कारण उनका पूर्ण विकास होने में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
थायराइड ग्रंथि (Thyroid Gland) से उत्पन्न होने वाले हार्मोन हमारे शरीर में होने वाली सभी मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को कंट्रोल करने का काम करते हैं। यही थायराइड हार्मोन बच्चों की वृद्धि में मदद करने वाले प्रमुख कारक हैं। थायराइड की समस्याओं में घेंघा जैसी छोटी बीमारी से लेकर जानलेवा कैंसर तक हो सकता है। लेकिन जो सबसे आम थायराइड की प्रॉब्लम होती है वह है थायराइड हॉर्मोन्स का सही मात्रा में निर्माण न होना। थायराइड के अंतर्गत दो तरह की समस्याएं आती है-
यह थायराइड समस्याएं कई तरह की परेशानियों के उत्पन्न होने का कारण बन सकती है। अतः थायराइड की सही से जाँच करके और इलाज प्राप्त कर इनसे निजात पाया जा सकता है।
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शिशुओं में या बच्चों में थायराइड की दो सबसे आम समस्याएं हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म हैं। अन्य, बच्चों में कम आम थायराइड मुद्दों में थायराइड कैंसर और थायराइड नोड्यूल (thyroid nodules) भी शामिल हैं।
हाइपोथायरायडिज्म की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। थायराइड हार्मोन शरीर के चयापचय सहित अन्य शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है। जब शरीर को पर्याप्त हार्मोन नहीं मिलता है, तो शरीर की कार्य क्षमता धीमा हो जाती है, जिससे बच्चों में कई लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
चूँकि थायराइड एक थर्मोस्टेट (thermostat) की तरह काम करता है। अर्थात हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में, जब थायराइड हार्मोन का उत्पादन कम होता है, तब शरीर का तापमान कम हो जाता है। शिशुओं और बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब थायराइड ग्रंथि शरीर को पर्याप्त हार्मोन नहीं भेजती है। हाइपोथायरायडिज्म की समस्या जन्मजात हो सकती है, अथात बच्चे जन्म से ही इस समस्या से ग्रस्त होते हैं। इसके अलावा बच्चों को किशोरावस्था या किसी भी समय हाइपोथायरायडिज्म की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बच्चों में थायरॉयडिटिस (हाशिमोटो की बीमारी) थायराइड के निम्न स्तर के सबसे सामान्य कारणों में से एक है, जो कि एक ऑटोइम्यून बीमारी है। यह रोग थायराइड ग्रंथि पर हमला कर ग्रंथि को नुकसान पहुंचाता है। यह समस्या लड़कियों में बेहद आम है, 300 में से लगभग 1 लड़की में इसका निदान किया जाता है।
बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के अन्य सामान्य कारणों में शामिल हैं:
हाइपरथायरायडिज्म की समस्या तब उत्पन्न होती है जब थायराइड ग्रंथि अति सक्रिय हो जाती है और बहुत अधिक थायराइड हार्मोन का स्राव करने लगती है। यह शरीर के चयापचय में वृद्धि करने का कारण बन सकता है।
थायराइड ग्रंथि के थर्मोस्टेट (thermostat) गुण के कारण हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति में, जब थायराइड हार्मोन का उत्पादन अधिक होता है, तब शरीर का तापमान बढ़ जाता है। हाइपरथायरायडिज्म के लक्षणों को सम्मिलित रूप से थायरोटॉक्सिकोसिस (thyrotoxicosis) कहा जाता है। बच्चों में हाइपरथायरायडिज्म के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
हाइपरथायरायडिज्म का सबसे आम कारण ग्रेव्स रोग (Graves’ disease) है, एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो हार्मोन-उत्पादक थायराइड ग्रंथि के एक हिस्से में एंटीबॉडी उत्पन्न करने का कारण बनती है, यह एंटीबॉडी थायराइड ग्रंथि को अधिक हार्मोन बनाने के लिए प्रेरित करती है। शिशुओं या बच्चों में हाइपरथायरायडिज्म की समस्या उत्पन्न करने वाले अन्य कारणों में थायराइड ग्रंथि में सूजन और थायराइड में गांठें (Thyroid nodules) भी शामिल हैं।
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शिशुओं या बच्चों में थायराइड रोग का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह विकास से सम्बंधित अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह समस्या कुछ बच्चों में थायरॉयड कैंसर का भी कारण बन सकती है।
बच्चों में थायराइड रोग की जटिलताओं में शामिल हैं:
बच्चों की थायराइड समस्याएं अक्सर वंशानुगत होती हैं, इसलिए यदि माता-पिता के पास थायराइड रोग है तो उन्हें अपने बच्चों में थायराइड रोग की जांच कराने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा यदि आपको बच्चों में हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण प्रतीत होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय पर इन लक्षणों के कारणों की पहचान की जा सके और इनका इलाज किया जा सके।
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बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों में थायराइड रोग का निदान करने के लिए पारिवारिक इतिहास के बारे में जानकारी लेगें।
बच्चों में थायराइड से जुड़ी समस्याएँ इतनी सामान्य होती जा रहीं हैं कि हर एक बच्चे के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए थायराइड की जांच कराना अनिवार्य हो गया है। डॉक्टर एक सामान्य रक्त परीक्षण के आधार पर थायराइड समस्या का निदान कर सकते हैं जिसमें थायराइड हार्मोन के स्तर की जांच की जाती है।
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डॉक्टर हाइपोथायरायडिज्म का इलाज करने के लिए आमतौर पर लेवोथायरोक्सिन (levothyroxine (Synthroid)) नामक दवा के साथ डेली थायराइड हार्मोन थेरेपी (thyroid hormone therapy) का उपयोग कर सकते हैं। दवा की खुराक बच्चे की उम्र और अन्य कारकों कारकों के आधार पर डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जाती है।
हाइपरथायरायडिज्म की इलाज प्रक्रिया में थायराइड हार्मोन के स्तर को कम करने पर ध्यान दिया जाता है। हाइपरथायरायडिज्म की उपचार प्रक्रियाओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
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