अभी हाल ही मे हुए अध्यन के अनुसार 10 में से 1 भारतीय थाइराइड बीमारी (Thyroid disorder) से पीड़ित है। क्योंकि, इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता बहुत ही कम है। यदि किसी व्यक्ति में थायराइड के लक्षण हैं, तो सही समय पर इनका निदान और इलाज किया जाना आवश्यक होता है। थायराइड समस्याओं के बारे में जानने से पहले हमें थायराइड के बारे में जानना होगा? तो इस लेख में आज हम जानेगें कि थायराइड क्या है, थायराइड डिसऑर्डर के लक्षण, कारण, जांच, उपचार और घरेलू इलाज के बारे में।
थायराइड क्या होता है? – What is Thyroid in Hindi?
मानव शरीर में पाई जाने वाली अंतःस्त्रावी ग्रंथियों में से थायराइड एक प्रमुख ग्रंथि है, जो तितली के आकार की दिखाई देती है। इसीलिए इसे बटरफ्लाई ग्लैंड भी कहा जाता है। यह ग्लैंड गले के आगे के हिस्से में मौजूद होती है और यह बॉडी में कई तरह की चयापचय प्रक्रियाओं (metabolic processes) को नियंत्रित करने का काम करती है।
थायराइड का सबसे बड़ा काम शरीर के सभी भागों का सही तरीके से विकास करना है। शरीर का सही तरीके से विकास करने के लिए थायराइड ग्रंथि, एक हार्मोन को उत्पन्न करती है जिसे थायरोक्सिन (Thyroxine) कहते हैं।
वर्तमान में 50 में से 1 महिला को थायराइड ग्लैंड से जुड़ी बीमारियों की सिकायत होती है। अतः यदि किसी महिला का स्वास्थ्य बीच-बीच में बिगड़ रहा है तो उसे डॉक्टर से थायराइड टेस्ट के बारे में जरुर बात करनी चाहिए।
थायराइड की बीमारी क्या हैं – What is Thyroid disease in Hindi
थायराइड ग्रंथि (Thyroid Gland) से उत्पन्न होने वाले होर्मोन हमारे शरीर में होने वाली सभी मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को कंट्रोल करने का काम करते हैं। थायराइड की समस्याओं में घेंघा जैसी छोटी बीमारी से लेकर जानलेवा कैंसर तक हो सकता है। लेकिन जो सबसे आम थायराइड की प्रॉब्लम होती है वह है थायराइड हॉर्मोन्स का सही मात्रा में निर्माण ना होना। थायराइड के अंतर्गत दो तरह की समस्याएं आती है-
- हाइपरथायरायडिज्म या अतिसक्रीय थायराइड (Hyperthyroidism)
- हाइपोथायरायडिज्म या अंडरएक्टिव थायरॉयड (Hypothyroidism)
यह थायराइड समस्याएं कई तरह की परेशानियों के उत्पन्न होने का कारण बन सकती है। अतः थायराइड की सही से जाँच करके और इलाज प्राप्त कर इनसे निजात पाया जा सकता है।
थायराइड बीमारी के प्रकार – Types of Thyroid disease in Hindi
मुख्य रूप से थायराइड से सम्बंधित दो प्रकार की बीमारियाँ संलग्न होती हैं:
हाइपोथायरायडिज्म – Hypothyroidism in Hindi
थायराइड से जुड़ी इस हाइपोथायरायडिज्म की समस्या को अंडरएक्टिव थायराइड भी कहा जाता है। इस स्थिति से पीड़ित मरीज के रक्त में थायराइड हार्मोन की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है। अर्थात थायराइड ग्रंथि किसी कारणवश पर्याप्त मात्रा में हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। पुरुषों की तुलना में महिलाऐं ज्यादातर हाइपोथायरायडिज्म की समस्या से पीड़ित होती है। गर्भावस्था के दौरान हाइपोथायरायडिज्म से जूझते हुए महिलाओं को अपना बहुत ख्याल रखना पड़ता है।
हाइपरथायराइडिज्म – Hyperthyroidism in Hindi
हाइपरथायराइडिज्म की अवस्था में थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने लगती है, जिसके कारण रक्त में थायरोक्सिन की मात्रा बढ़ जाती है। इस स्थिति को ओवरएक्टिव थायराइड (overactive thyroid) के नाम से भी जाना जाता है। थायराइड की मात्रा शरीर में ना ही ज्यादा होनी चाहिए और ना ही कम होनी चाहिए। इसकी मात्रा हमेशा संतुलित रहना चाहिए, जो स्वास्थ्य के लिए सही है।
ओवरएक्टिव थायराइड (Hyperthyroidism) के अधिकतर मरीजों में थायराइड का साइज़ बड़ा हो जाता है, जिसे हम घेंघा या गोइटर (goiter) भी कहते हैं।
थायराइड बीमारी के कारण – Causes of Thyroid disease in Hindi
दोनों ही प्रकार के थायराइड डिसऑर्डर के कारण अलग-अलग हो सकते हैं, जो थायराइड ग्रंथि के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म के कारण – Hypothyroidism Causes in Hindi
हाइपोथायरायडिज्म होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसके कारण शरीर में थायरोक्सिन हार्मोन के लेबल कम हो जाते हैं। हाइपोथायरायडिज्म के कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं :
- हाशिमोटो रोग (Hashimoto’s disease) – हाशिमोटो एक दर्द रहित ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली थायराइड ग्रंथि पर हमला करती हैं और उसे नुकसान पहुंचाती हैं। जिससे हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है।
- थाइरोइडिटिस (Thyroiditis) – यह रोग थाइरोइड ग्रंथि में सूजन की स्थिति से सम्बंधित है, जिसके कारण थायराइड ग्रंथि प्रारंभ में अधिक थायरोक्सिन हार्मोन उत्पन्न करती है और उसके बाद में थायराइड हार्मोन में कमी आती है, जो हाइपोथायरायडिज्म का रूप ले लेती है। यह प्रॉब्लम ज्यादातर महिलाओं में गर्भावस्था के बाद देखने को मिलती है।
- आयोडीन की कमी (Deficiency of Iodine) – खाने में आयोडीन की कमी के कारण भी ज्यादातर लोग हाइपोथायरायडिज्म की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं। मनुष्य के शरीर को मात्र सुई की नोक जितना आयोडीन प्रतिदिन जरुरी है, इसलिए आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
- दवाइयां (Medicines) – हाइपरथायरायडिज्म के लिए ली जाने वाली दवाइयों के कारण भी थायराइड ग्रंथि पर्याप्त थायरोक्सिन की मात्रा का उत्पादन नहीं कर पाती है।
हाइपरथायरायडिज्म होने के कारण – Causes of Hyperthyroidism in Hindi
थायराइड हार्मोन के अधिक उत्पादन के परिणामस्वरूप हाइपरथायरायडिज्म की समस्या उत्पन्न होती है, जिसके अनेक कारण हो सकते हैं:
- ग्रेव्स रोग (Graves’ disease) – वयस्क लोगों में ग्रेव्स रोग, हाइपरथायराइडिज्म का एक मुख्य कारण बनता है। इस स्थिति में पूरी थायरॉयड ग्रंथि अति सक्रिय हो सकती है और बहुत अधिक हार्मोन का उत्पादन कर सकती है। इस समस्या को डिफ्यूज टॉक्सिक गोइटर (बढ़ी हुई थायरॉयड ग्रंथि) भी कहा जाता है। आमतौर पर ये प्रॉब्लम कम उम्र की औरतों को होती है।
- थाइरोइडिटिस (Thyroiditis) – थायराइड की सूजन को थाइरोइडिटिस कहते हैं। इसमें किसी वायरस या इम्यून सिस्टम में प्रॉब्लम की वजह से थायराइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है जिसके कारण ग्रंथि ब्लड में हार्मोन का स्राव करने लगती है।
- दवाइयां (hypothyroidism Medicines) – हाइपोथायरायडिज्म के लिए ली जाने वाली दवाइयों के कारण भी कभी-कभी लोगों को हाइपरथायराइडिज्म की समस्या से गुजरना पड़ सकता है। थायराइड के रोगियों को बार-बार एक समयांतराल में थायराइड हार्मोन के परिमाण को जानने के लिए टेस्ट करवाना बहुत ही जरूरी होता है।
- घेंगा रोग (Goiter) – कभी-कभी कुछ अन्य कारणों से थायराइड ग्रंथि बढ़ जाती है या फिर उसमें एक से ज्यादा गठानें उत्पन्न होने लगती है, जिसे घेंगा रोग कहते हैं। थायराइड ग्रंथि के बड़े हो जाने के कारण थायराइड ग्रंथि में थायरोक्सिन के उत्पादन में वृद्धि हो जाती है। और सम्बंधित व्यक्ति हाइपरथायराइडिज्म से पीड़ित हो जाता है।
- विटामिन बी12 की कमी (deficiency of Vitamin B12) – विटामिन बी12 की कमी के कारण भी हाइपोथायराइडिज्म हो सकता है। अंडे, दूध, पनीर, दूध उत्पाद, मांस, मछली आदि में विटामिन बी12 की मात्रा ज्यादा पाई जाती है, जिनका सेवन शरीर के लिए लाभदायक होता है।
थायराइड बीमारी के लक्षण – Symptoms of Thyroid in Hindi
थायराइड रोग के प्रकार के आधार पर लक्षण अलग-अलग होते हैं, जो निम्न हैं:
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण – Hypothyroidism symptoms in Hindi
इसके लक्षण बहुत साफ नहीं होते और अन्य बीमारियों से मैच कर सकते है। हाइपोथायरायडिज्म के लक्षणों में शामिल हैं:
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बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण – Hypothyroidism symptoms in children in Hindi
बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के hypothyroidism के सिम्पटम्स जल्दी पता नहीं चलते। कुछ लक्षण निम्न हैं:
हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण – Hyperthyroidism symptoms in Hindi
अतिसक्रीय थायराइड या हाइपरथायराइडिज्म की समस्या से पीडित व्यक्तियों को निम्न लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
- बार-बार घबराहट महसूस होना
- चिंता, घबराहट और चिड़चिड़ापन
- भूख बढ़ने के बावजूद भी वजन कम होना
- ज्यादा गर्मी वाले तापमान को सहन न कर पाना
- घेंगा रोग होना
- हृदय का अनियमित तरीके से या जल्दी-जल्दी धड़कना
- सही से नींद ना आना
- दोहरी दृष्टि की समस्या उत्पन्न होना
- आँखों का बाहर निकलना
- मांसपेशियों में कमजोरी, विशेष रूप से जांघों और ऊपरी बाहों में दर्द
- उँगलियों के नाखुनो का तेजी से बढ़ना
- हाथों का कांपना
- पसीना आना
- त्वचा का पतला होना, इत्यादि।
थायराइड की जटिलताएं – Thyroid complications in Hindi
व्यक्तियों में थायराइड समस्याओं का समय पर निदान नहीं किया गया, तो यह अनेक प्रकार की जटिलताओं को उत्पन्न कर सकती हैं। थायराइड बीमारियों से जुड़ी जटिलताएं इस प्रकार हैं:
हाइपोथायरायडिज्म से होने वाली जटिलताएं – Hypothyroidism complications in Hindi
अनुपचारित हाइपोथायरायडिज्म की समस्या अनेक प्रकार की जटिलताओं को उत्पन्न कर सकती है जिनमें शामिल हैं
- दिल की बीमारी (Heart problems)
- बांझपन (Infertility)
- जॉइंट पेन
- मोटापा
- गर्भवती महिलाओं में यह समस्या होने वाली शिशु के विकास को बाधित कर सकती है। प्रेगनेंसी के पहले महीनो में बच्चे को अपनी माँ से ही थायराइड हॉर्मोन प्राप्त होता है और यदि माँ को ये समस्या है, तो बेबी के मानसिक विकास (mental development) में दिक्कत आ सकती है।
- यदि थायराइड हॉर्मोन का लेवल बहुत ही कम हो जाता है, तो व्यक्ति को हाइपोथायरायडिज्म का सबसे गंभीर रूप मिक्सोडेमा (myxedema) हो सकता है। इस कंडीशन में इंसान कोमा में जा सकता है या उसके शरीर का तापमान बहुत नीचे गिर सकता है, जिससे मौत भी हो सकती है।
हाइपरथायरायडिज्म की जटिलताएं – Hyperthyroidism complications in Hindi
अतिसक्रीय थायराइड या हाइपरथायरायडिज्म होने पर इसका उचित इलाज करना बेहद ज़रूरी है। ऐसा न करने पर गंभीर और जानलेवा समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अनियमित हार्ट रेट (Irregular heart rhythm)
- ह्रदय का फेल होना (Heart failure)
- गर्भपात
- ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों का टूटना ( hyperthyroidism की वजह से bones से calcium तेजी से ख़त्म होता है)
हाइपरथायरायडिज्म के लक्षणों का तेजी से बिगड़ना थायरोटॉक्सिक क्राइसिस (Thyrotoxic crisis) कहलाता है और इसका फ़ौरन इलाज कराना बेहद ज़रूरी है।
थायराइड रोग की जाँच – Tests for Thyroid Diseases in Hindi
संपूर्ण चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण के अलावा, थायराइड विकार और समस्याओं का निदान करने के लिए कुछ विशेष परीक्षणों का उपयोग किया जाता है, जो इस तरह है:
- हार्मोन की सही मात्रा जानने के लिए T3, T4 Test
- थाइरोइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (Thyroid-stimulating hormone (TSH) test) की जाँच
- थायराइड एंटीबॉडी टेस्ट
- रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी (Radioactive iodine uptake) (RAIU)
- थायराइड स्कैन
- थायराइड का अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी।
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थायराइड बीमारी का इलाज – Treatment for Thyroid Disease in Hindi
डॉक्टर थायराइड बीमारियों का इलाज करने के लिए थायराइड हार्मोन के स्तर को सामान्य करने का प्रयास करता है। थायरॉयड समस्याओं के कारणों के आधार पर निम्न उपचार प्रक्रियों को अपनाया जा सकता है:
हाइपरथायरायडिज्म का इलाज – Hyperthyroidism Treatment in Hindi
यदि किसी व्यक्ति में थायराइड हार्मोन के उच्च स्तर (हाइपरथायरायडिज्म) का निदान किया गया है, तो उपचार विकल्पों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- एंटी-थायरॉइड दवाएं (Anti-thyroid drugs) – methimazole and propylthioracil दवाएं थायराइड ग्रंथि को हार्मोन के निर्माण से रोकती हैं।
- रेडियोधर्मी आयोडीन – यह उपचार थायरॉयड की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे उच्च थायराइड हार्मोन के स्तर को बनाने से रोकने में मदद मिलती है।
- बीटा ब्लॉकर्स – बीटा ब्लॉकर्स दवाएं शरीर में हार्मोन की मात्रा को नहीं बदलती हैं, बल्कि यह आपके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
- सर्जरी – हाइपरथायरायडिज्म का इलाज करने के लिए डॉक्टर शल्य चिकित्सा द्वारा थायरॉयड को हटा सकता है। सर्जरी के बाद मरीज को पूरे जीवन के लिए थायराइड रिप्लेसमेंट हार्मोन लेने की आवश्यकता होगी।
हाइपोथायरायडिज्म का इलाज – Hypothyroidism Treatment in Hindi
यदि किसी व्यक्ति में थायराइड हार्मोन का निम्न स्तर (हाइपोथायरायडिज्म) का निदान किया जाता है, तो डॉक्टर इसके उपचार के लिए निम्न तरीका अपनाया जा सकता है:
- थायराइड प्रतिस्थापन दवा (Thyroid replacement medication) – यह दवा हाइपोथायरायडिज्म मरीज के शरीर में थायराइड हार्मोन को वापस जोड़ने का एक सिंथेटिक तरीका है। आमतौर पर हाइपोथायरायडिज्म के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा के रूप में लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) को शामिल किया जाता है। इस दवा का उपयोग करके, मरीज थायराइड रोग को नियंत्रित कर सकते हैं और एक सामान्य जीवन जी सकते हैं।
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थायराइड का घरेलू इलाज – Thyroid home remedy in Hindi
थायराइड ग्रंथि के कार्य को नियंत्रित करने तथा थायराइड समस्याओं से सम्बंधित लक्षणों को कम करने के लिए कुछ घरेलू तरीके अपनाए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- हल्दी दूध – थायराइड को कण्ट्रोल करने के लिए रोजाना दूध में हल्दी मिलाकर और उसे उबालकर पीना चाहिए। अगर हल्दी वाला दूध न पिया जाये तो हल्दी को भून कर इसका सेवन करे।
- लौकी का जूस – रोजाना सुबह खली पेट लौकी का जूस पीने से थायराइड बीमारी को जड़ से खत्म करने में मदद मिलती है। जूस पिने के आधे घंटे तक कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए।
- तुलसी और एलोवेरा – दो चम्मच तुलसी के रस में आधा चम्मच एलोवेरा रस मिला कर इसका सेवन करना लाभदायक होता है। तुलसी और एलोवेरा थायराइड के लिए रामबाण इलाज है।
- लाल प्याज – लाल प्याज थायराइड बीमारी का इलाज करने के लिए उत्तम घरेलू उपाय है। प्याज को बीच से काट कर दो टुकड़े कर ले और रात को सोने से पहले थायराइड ग्रंथि के आस पास मसाज करें और सो जाएं।
- हरा धनिया – थायराइड का घरेलू ट्रीटमेंट करने के लिए हरा धनिया पीस कर चटनी बनाये और एक गिलास पानी में एक 1 चम्मच चटनी घोल कर पिए। इस उपाय को जब भी करें ताजी चटनी बना कर ही सेवन करें।
- काली मिर्च – काली मिर्च थायराइड का उपचार में काफी फयदेमंद है। किसी भी तरीके से ले आप काली मिर्च का सेवन करें।
- बादाम और अखरोट – बादाम और अखरोट में सेलेनियम तत्व मौजूद होता है, जो थायराइड के इलाज में फायदा करता है। इसके सेवन से गले की सूजन में भी आराम मिलता है। हाइपोथायरायडिज्म के उपचार में यह आहार ज्यादा फायदेमंद है।
- अश्वगंधा – थायराइड के घरेलू इलाज के लिए रात को सोते वक़्त एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गाय के गुनगुने दूध के साथ सेवन करें।
- ओमेगा 3 फैटी एसिड – थायराइड के उपचार के लिए टूना, ट्राउट जैसी ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त मछलियों का सेवन करना फायदेमंद होता है।
- एक्सरसाइज – रोजाना आधा घंटा एक्सरसाइज करे, इससे थाइरोइड बढ़ता नही है और कंट्रोल में रहता है।
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