Sesame oil benefits in Hindi तिल के तेल को सभी तेलों की रानी (queen of all oils) भी कहा जाता है। यह सदियों से उपचार तेल के रूप में प्रयोग किया जाता है। तिल के तेल के फायदे इसमें मौजूद औषधीय गुणों के कारण और बढ़ जाते है, इस कारण इसे प्राचीन भारत के वेदों में मनुष्यों के लिए बिल्कुल सही बताया गया था। इस तेल में एक जीवाणुरोधी गुण होते है जो सामान्य त्वचा रोगजनकों जैसे स्ट्रेप्टोकोकस और स्टाफिलोकोकस और एथलीट पैर जैसी त्वचा कवक को ठीक करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीवायरल, एंटी इंफ्लामेंट्री (anti-inflammatory) होता है। आइये जानते है तिल के तेल के फायदे और नुकसान (Til Ke Tel Ke Fayde aur Nuksan in Hindi) के बारे में।
तिल के तेल के फायदे और स्वास्थ्य लाभ में यह बालों के समय से पहले भूरे रंग के इलाज में मदद करता है, रूमेटोइड गठिया (rheumatoid arthritis) के लक्षणों का इलाज करने में सहायक होता है, यह रक्तचाप को कम करता है, तनाव और अवसाद से लड़ता है और मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इसके इन्फ्लामेट्री एजेंट त्वचा को डिटोक्सिफाइ (detoxifies skin) करने, मधुमेह, एनीमिया, कैंसर और आंखों के उपचार में मदद करते है।
1. तिल का तेल कैसे बनता है – Sesame Oil in Hindi
2. तिल के तेल के फायदे – Til Ke Tel Ke Fayde in Hindi
3. तिल के तेल के नुकसान – Sesame Oil side effects in Hindi
इस वनस्पति तेल (vegetable oil) को इसके बीजों से निकाला जाता है। जो दक्षिण भारत में खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसमें एक विशिष्ट स्वाद और सुगंध होती है। तिल के बीजों से निकाला गया तेल मालिश और वैकल्पिक (alternative) चिकित्सा में लोकप्रिय है। तिल के तेल में वसा, लिनोलेइक एसिड, ओलेइक एसिड, विटामिन ई आदि पोषक तत्व उपस्थित होते हैं। इसमें कुछ मात्रा में कोलाइन (Choline) भी होता है।
आयुर्वेद के अनुसार तिल का तेल बालों, त्वचा और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। इस लेख में आप जानेगें कि तिल का तेल (sesame oil) बालों और त्वचा के अलावा आपको कौन कौन से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
प्राचीन समय से ही तिल के तेल का उपयोग खाद्य तेल (cooking oils) के रूप में किया जा रहा है। अन्नामलाई विश्वविद्यालय के एक भारतीय शोधकर्ता द्वारा किये गए एक अध्ययन से पता चलता है कि खाद्य तेल के रूप में तिल का तेल रक्तचाप को कम करता है, और लिपिड पेरोक्साइडेन कम करता है। यह उच्च रक्तचाप वाले रोगियों में एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) गुणों को बढ़ाता है।
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“येल जर्नल ऑफ बायोलॉजी एंड मेडिसिन” में 2006 में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने रोजाना 2.6 चम्मच तिल के तेल का उपभोग किया, उनका वजन काफी हद तक घट गया जो की 45 दिनों में औसत 2.6 पाउंड था। जब प्रतिभागियों ने 45 दिनों की अवधि के लिए तिल का तेल खाना बंद कर दिया, तो उनका वजन फिर से बढ़ने लगा जो उन्होंने कम किया था। इस अध्ययन का संचालन करने वाले शोधकर्ताओं का सुझाव है कि तिल के तेल में मौजूद पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि वे लेप्टिन के प्लाज्मा स्तर को बढ़ाते हैं, यह एक हार्मोन जो ऊर्जा संतुलन को नियंत्रित करता है और भोजन के सेवन को दबाता है।
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सेस्मीन (Sesamin) और सेसमोल की अच्छी मात्रा तिल के तेल में उपलब्ध रहती है। ये पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड हैं जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने में मदद करते है। जिससे यह एक मजबूत कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली (Cardiovascular system) को बनाए रख सकता है। यह एथेरोस्क्लेरोसिस की घटनाओं को कम करता है, जो उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर से संबंधित स्थिति है। इसलिए दैनिक आहार में तिल के तेल का उपयोग करें जो दिल के दौरे और स्ट्रोक (attacks and strokes) को कम करने में मदद करेगा।
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तनाव और अवसाद को दूर करने के लिए तिल बहुत अच्छा होता है। तिल में एमीनो एसिड होता है जिसे टायरोसिन कहा जाता है, जो सीधे सेरोटोनिन गतिविधि से जुड़ा होता है। सेरोटोनिन (Serotonin) एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो हमारे मनोदशा को प्रभावित करता है। इसके असंतुलन से अवसाद और तनाव हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार आहार में तिल का तेल शामिल करना सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करता है जो बदले में सकारात्मक महसूस करने और पुराने तनाव (chronic stress) को दूर रखने में मदद करता है।
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शुरुआती शोध से पता चलता है कि तिल के तेल को अपने मुंह में चारों ओर लगाने से आपके मसूढ़ों की सूजन को कम करने में मदद करता है। आप सुबह ब्रश करने से पहले अपने दांतों में लित के तेल से 10 मिनिट तक रगड़ सकते हैं, यह आपके दांतों से दंत प्लेक और मसूढ़ें की सूजन (dental plaque and gingivitis) को कम कर देता है।
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शुरुआती शोधों से पता चलता है कि अन्य खाना पकाने वाले तेलों (cooking oils) के स्थान पर तिल का तेल उपयोग 45 दिनों तक करने से मधुमेह वाले लोगों में रक्त शर्करा कम हो जाता है। तिल के बीज मैग्नीशियम के साथ कई अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत हैं। ये सब एक साथ रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करने के लिए तिल को सक्षम करते हैं, जिससे मधुमेह के खतरे को कम किया जा सकता है। यदि आप मधुमेह (diabetes) रोग से पीडित हैं तो तिल का तेल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
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लौह तत्व की बहुत अच्छी मात्रा तिल के तेल में उपलब्ध रहती है, यही कारण है कि वे एनीमिया के साथ-साथ अन्य लोहे की कमी वाली समस्याओं के लिए सबसे अधिक प्रचलित घरेलू उपचारों में से एक हैं।
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शुरुआती शोध से पता चलता है कि छोटे बच्चों के लिए तिल के तेल का उपयोग करने से उनके शारीरिक विकास को मदद मिलती है। 4 सप्ताह तक तिल के तेल से मालिश की जाए तो यह शिशु विकास (Infant growth) में सुधार करता है।
मैग्नीशियम, तिल के तेल में अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं जो एक खनिज हैं जो एंटी-कैंसर गुणों में समृद्ध होते हैं। इसमें उपस्थित एंटी- कैंसर योगिक को फाइटेट कहा जाता है। इन अवयवों के सहक्रियात्मक क्रियाएं कोलोरेक्टल ट्यूमर (colorectal tumors) के जोखिम को कम करती हैं और यहां तक कि उनकी शुरुआत को रोकती हैं।
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यकृत के लिए तिल का तेल प्राकृतिक टॉनिक (natural tonic) के रूप में काम करता है। जो रक्त में बेहतर प्रवाह को रक्षम बनाता है। यह बदले में आंखों को पोषण देता है। ये उपचारात्मक प्रभाव धुंधली द्रष्टि (blurred vision), थकी हुई आंख का भी इलाज कर सकते हैं। तिल के तेल के साथ आंखों की पलकों की नियमित मालिश करने से डार्क सर्कल और झुर्रियों (Dark circles and wrinkles) को मिटाने में भी मदद मिल सकती है।
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तिल के तेल के साथ बाल और खोपड़ी (Hair and scalp) की मालिश समय से पहले भूरे हुए बाल को रोकने में मदद कर सकता है और लंबे समय तक बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में मदद करता है। वास्तव में, तिल के तेल में बालों को काला बनाने के गुण होते हैं। इस तेल का नियमित उपयोग बाल को काला और स्वस्थ्य रखने मे मदद कर सकता है।
मैग्नीशियम, विटामिन ई, विटामिन डी, नियासिन (niacin), तांबा, मैग्नीज आदि जैसे पोषक त्तवों की अच्छी मात्रा तिल के तेल में मौजूद रहती है। इसमें जीवाणुरोधी और एंटी-इंफ्लामैट्री गुण होते हैं और यह एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होता है। ये सभी पोषक तत्व त्वचा को पोषण देते हैं और इसे नरम (soft) बनाते हैं।
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आहार तेल में तिल के तेल को शामिल करने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे कि :
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