Tips for normal delivery in Hindi आज के समय में नॉर्मल डिलीवरी होना एक लक के समान माना जाने लगा है जिससे हर महिला नॉर्मल डिलीवरी करने के उपाय के बारे में जानना चाहती है हर महिला की इच्छा होती है की उसको नन्हा सा सुन्दर और तंदुरुस्त बच्चा हो बह भी नार्मल डिलीवरी (normal delivery) से, मगर दोस्तों एक माँ ही बच्चे के जन्म का दर्द समझ सकती है की बच्चा पैदा करने के लिए कितने दर्द से गुजरना पड़ता है।
महिलाओ को अपनी डिलीवरी होने से पहले हर एक चीजों का ख्याल रखना पड़ता है बिना किसी कष्ट के नॉर्मल डिलीवरी हो यह हर गर्भवती महिला की चाहत होती है लेकिन कमजोर शरीर, बुरी आदतें व प्रेग्नन्सी के साथ जुड़े कॉम्प्लिकेशन ऐसा होने नहीं देते। लेकिन कई बार न चाहते हुए कुछ महिलाओं को सीजेरियन सेक्शन (सर्जरी के जरिए डिलीवरी) से गुजरना पड़ता है। वैसे ऐसा कोई लक्षण नहीं होता है जिससे यह पता किया जा सके कि बच्चे की डिलिवरी सीजेरियन हो या नॉर्मल।
मगर फिर भी कुछ कारणों के कारण प्रेगनेंसी करते समय डिलीवरी नॉर्मल के बजाय सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है, हालांकि नीचे दिये गए इन बातों का ध्यान यदि आप देतीं हैं तो बहुत संभव है कि बच्चे की डिलिवरी नॉर्मल रहेगी। आज हम आपको डिलीवरी कैसे होती है की जानकारी देंगे जिसमे आप प्रेगनेंट होने पर नॉर्मल डिलीवरी करने के उपाय जानकर नॉर्मल डिलीवरी से बच्चा पैदा कर सकती हैं।
डिलीवरी कैसे होती है – How delivery occurs in Hindi?
दोस्तों आमतौर प्रेगनेंट लेडी की डिलीवरी में दो तरीको का इस्तमाल किया जाता है वो है-
- नॉर्मल डिलीवरी (Vaginal delivery)
- सिजेरियन डिलीवरी (Cesarean delivery)
दोनों ही डिलीवरी अपनी जगह सही है परन्तु जहा नार्मल डिलीवरी होने पर माँ जल्दी स्वस्थ हो जाती है वाही सिजेरियन से डिलीवरी होने पर माँ को रिकवर होने में थोड़ा अधिक समय लगता है
नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी में अंतर – Differences in Normal Delivery and Cesarean Delivery in hindi
नार्मल डिलीवरी में बच्चे का जन्म प्राक्रतिक तरीके से होता है लेकिन इसमें माँ को अधिक दर्द जिसे लेवर पैन कहता होता है परन्तु नार्मल डिलीवरी में माँ जल्दी ही स्वस्थ हो जाती है और दूसरी बार प्रेगनेंट होने में भी कोई परेशानी नहीं होती।
जबकि बही सिजेरियन डिलीवरी में माँ को कम लेवर पैन होता है क्योकि सिजेरियन मैं माँ के पेट के नीचे कट लगा के ऑपरेशन के द्वारा बच्चे को माँ के पेट से बाहर निकाल लिया जाता है इसे ही सिजेरियन डिलीवरी कहते है इस डिलीवरी में माँ को कुछ दिनों तक कुछ खास साबधानियाँ रखनी पड़ती है। इस लेख में आप जानेगी नॉर्मल डिलीवरी करने के उपाय के बारे में जो आपको नार्मल डिलीवरी में हेल्प करेगें।
[और पढ़े: गर्भ में पल रहा बच्चा क्यों मारता है किक]नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है – Pregnancy tips for normal delivery in hindi
बच्चे का जन्म नार्मल हो यह महिला को पहले से प्लान कर लेना चाहिए। नॉर्मल डिलीवरी में खाने एवं पीने के लिए अनुमति होती है इसमें महिला को अधिक लेबर पेन होता है। वहीँ जब महिला को ऑपरेशन करके डिलीवरी कराई जाती है तो सब कुछ मना कर दिया जाता है जैसे खाना -पीना आदि। महिला को ये ध्यान देना चाहिए कि लेबर पेन के वक़्त उसको कैसा फील हो रहा है।
जिससे उसे किस रूम में ले और उसकी उस समय की कंडीशन क्या है और डॉक्टर की टीम को इसका ख्याल होना चाहिए कि आपको ऑपरेशन से डिलीवरी या नॉर्मल डिलीवरी चाहिए ताकि आपको उस रूम में ले जाया जा सके। महिला को नॉर्मल डिलीवरी के बाद बच्चे का गर्भनाल काटने के बाद बच्चे को माँ के सीने से लगा कर हीट देने के लिए दे दिया जाता है। इसके बाद बच्चे के सारे और काम किया जाना शुरू कर दिया जाता है जैसे बच्चे को क्या -क्या देना चाहिए फीडिंग से लेकर सुलाने तक सभी चीजों का विशेष ध्यान रखना होता है।
नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण – Symptoms of normal delivery in 9th month in hindi
डिलीवरी के समय महिला के मन में हर समय यही बात चलती रहती ही की उसका बच्चा किसे होगा , डिलीवरी नार्मल हो सकेगी या नहीं। एसे कोई भी पर्याप्त लक्षण नहीं है जिससे आपको बताया जा सके की आपकी डिलीवरी नार्मल होगी या नहीं , पर अगर आप शुरुआत से ही अपने किसी डॉक्टर के संपर्क में है तो वो माँ और बच्चे के स्वास्थ को देखकर बता सकते है की नार्मल डिलीवरी के कितने चांस है।
- नॉर्मल डिलीवरी के समय महिला को रीढ़ की हड्डियों में बेहद दर्द शुरू होता है इसके लिए महिला को चलने के लिए कहा जाता है।
- ज्यादातर नॉर्मल डिलीवरी के वक़्त महिला को वेजाइनल डिस्चार्ज होने लगता है।
- नॉर्मल डिलीवरी के वक़्त माहवारी के दर्द जैसा अनुभव होता है।
- डिलीवरी के समय पेट में ऐठन महसूस करना।
- कमर के नीचे दबाव से महसूस करना।
- नॉर्मल डिलीवरी के वक़्त योनि और गुदा (anus) के बीच की परत खुल जाती है जिससे बच्चा आसानी से बाहर आने लगता है ऐसी अवस्था को नॉर्मल डिलीवरी कहते हैं।
नार्मल डिलीवरी करने के उपाय – Tips for normal delivery in Hindi
अगर डिलीवरी होने के समय पर आपको प्राकृतिक प्रसव मतलब नॉर्मल डिलीवरी चाहिए तो आपको कुछ बातों को फॉलो करना होगा जिससे आप सिजेरियन डिलीवरी में होने वाले दर्द से और बाद में होने बाले खतरों से बच सकते हो।
1.अगर चाहती है नार्मल तो डॉक्टर से लेते रहें सलाह – Keep taking advice from doctor in Hindi
नॉर्मल डिलीवरी के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से सलाह लेते रहें। ऐसे समय में डॉक्टर न केवल आपका मनोबल बढ़ाते हैं बल्कि डिलिवरी संबंधित जितने भी डर हैं उनको दूर भी करते हैं।
डिलिवरी संबंधित यदि आपके मन में कोई बात है तो उन्हें बताएं। बात को अंदर दबाने से केवल गुस्सा बढ़ता है जिसके कारण तनाव बढ़ता है। इधर उधर की बातो पर ध्यान न दे, इस दौरान आप दोस्तों, रिश्तेदारों तथा अपने पड़ोसियों से भी बातें कर सकती हैं। हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही कोई भी चीज़ का सेवन करे।
2.सैर सपाटा दिलाएगा नार्मल डिलीवरी – Normal delivery tips in Hindi
प्रेगनेंसी में महिला को पैदल टहलना सबसे बढ़िया तरीका है नॉर्मल डिलीवरी के लिए, दिन में कुछ समय सैर-सपाटे के लिए निकालें। इससे आप न केवल खुद को रिलेक्स महसूस करेंगे बल्कि ताजी हवा आपके और आपके बच्चे के लिए सुकून का काम करेगी। आप चाहे तो सुबह या शाम कुछ समय अपने घर के आसपास पार्क में टहल सकती हैं।
3. नियमित रूप से व्यायाम करें नॉर्मल डिलीवरी के लिए – Exercise Regularly for Normal Delivery in Hindi
ज्यादातर देखा गया है कि गर्भावस्था में महिलाओं को आराम करने के लिए कहा जाता है, लेकिन आराम के साथ-साथ यह जरूरी है कि अपने आप को स्वस्थ्य रखने के लिए क्या-क्या कर रही हैं। दरअसल प्रेग्नेंसी में मांसपेशियों का स्वस्थ्य और मजबूत होना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे प्रसव के दौरान पीड़ा से लड़ने में मदद मिलती है। ध्यान रखें कि व्यायाम करते समय ज्यादा भारी चीजों को न उठाए और किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।
सेहतमंद नॉर्मल डिलीवरी के लिए एक्सरसाइज और योगा करने से दर्द कम होता है अगर आप गलत तरीके से कोई व्यायाम कर रही हैं तो यह आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है और नॉर्मल डिलीवरी में भी बाधक हो सकता है ।
4.पर्याप्त नींद लेना है जरुरी – It is necessary to have enough sleep for normal delivery in Hindi
पर्याप्त, अबाधित और अच्छी नींद नॉर्मल डिलविरी में कई तरह की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा सोने से दो घंटे पहले चाय या कॉफी का सेवन मत कीजिए।
[ और पढ़े: गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना, सही या गलत Sex During Pregnancy, Safe Or Not in hindi ]5. अगर चाहती है नार्मल डिलीवरी तो तनाव से दूरी बनाए – make the distance from stress in Hindi
तनाव लेना एवं डिप्रेशन में जाना किसी भी अच्छे काम में रुकावट बन सकता है। यही बात आपके गर्भावस्था में भी लागू होती है। तनाव गर्भावस्था में कॉम्प्लिकेशन को भी बढ़ाता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव आपके व आपके बच्चे की सेहत पर पड़ेगा। यह एक ऐसा दौर होता है जब आपको शांत और संतुलित रहने की जरूरत है। इसके लिए टीवी पर अच्छा प्रोग्राम देख सकती हैं या फिर कोई अच्छी बुक पढ़ सकती हैं। इसके अलावा आप नकारात्मक चीजों पर ज्यादा ध्यान न दें।
6.ध्यान और सांस लेने वाले प्राणायाम – Meditation and breathing pranayama in Hindi
प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी हो इसके लिए आप सांस लेने वाले प्राणायाम कर सकती हैं। इसका फायदा यह होता है कि उचित और पर्याप्त ऑक्सीजन बेबी को मिलती रहती है, जिससे बच्चे का सही तरह से विकास भी होता है। इसलिए नियमित रूप से ध्यान और सांस लेने वाले प्राणायाम कीजिए।
[ और पढ़े: शिशु के जन्म के कितने दिनों बाद हो आप हो सकती हैं गर्भवती]7. प्रेग्नेंसी के दौरान न हो पानी की शरीर में – during pregnancy never get deficient of water in the body in Hindi
गर्भावस्था के दौरान यह ध्यान रखिए कि शरीर में पानी की कमी न हो। पानी केवल आपको हाइड्रेटेड ही नहीं रखता बल्कि नोर्मल डिलिवरी पाने में आपकी सहायता भी करता है। गर्भवती महिला को हर दिन रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना सेहतमंद होता है और पानी की कमी दूर होती है।
8. प्रेग्नेंसी में खान–पान का विशेष ध्यान रखें – Take care of your diet during pregnancy in Hindi
प्रेग्नेंसी में आप क्या खा रहीं हैं और क्या नहीं खा रहीं हैं यह भी आपकी नोर्मल डिलिवरी योगदान देते हैं। ऐसी अवस्था में आप सही समय पर सही आहार खाएं। प्रेगनेंसी में आयरन और कैल्शियम की कमी नहीं होनी देनी चाहिए इसके लिए हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।अपने आहार में जूस, अंडा और फल आदि को शामिल करें। इससे आपको और आपके पेट में पल रहे बच्चे को प्रोटीन और विटामिन मिलते रहेंगे। आप आपने डॉक्टर की सलाह से डाइट ले सकती है।
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