Tofu in Hindi: धीरे-धीरे टोफू भी भारतीय रसोई में अपनी जगह बनाता जा रहा है। टोफू (सोया पनीर) का उपयोग आज प्रोटीन के लिए एक विशेष खाद्य आहार के रूप में किया जाता है। अधिकांश लोग टोफू के फायदे और नुकसान जाने बिना ही इसका सेवन करते हैं। असल में टोफू हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होता है क्योंकि इसके 100 ग्राम में 8 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। यह सोयाबीन का एक उत्पाद है जो विशेष रूप से कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। टोफू में मौजूद पोषक तत्व कैंसर, एनीमिया, ऑस्टियोपोरोसिस और गुर्दे की बीमारियों के साथ ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा टोफू के स्वास्थ्य लाभ महिलाओं के लिए भी होते हैं जो रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। इस लेख में आप टोफू के फायदे (tofu ke fayde in hindi) और नुकसान की जानकारी प्राप्त करेंगे।
विषय सूची
1. टोफू क्या है – What Is Tofu in Hindi
2. सोया पनीर बनाने की विधि – How to make tofu in hindi
3. टोफू के पोषक तत्व – Tofu Nutrients in Hindi
4. टोफू के स्वास्थ्य लाभ – Tofu Health Benefits in Hindi
5. टोफू कैसे खाएं – How To Eat Tofu in Hindi
6. टोफू के नुकसान – Tofu Ke Nuksan in Hindi
अक्सर लोगों के मन यह सवाल उठता है कि टोफू है क्या है। टोफू को बीन दही के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह सोयाबीन के दूध से बनाया जाता है। इसे बनाने की प्रक्रिया पनीर बनाने की प्रक्रिया के समान ही होती है। इसलिए कुछ लोग इसे सोया पनीर भी कहते हैं। यह मुख्य रूप से चीन में बनाया गया था जो अब दुनिया भर के व्यंजनों में प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है। यह पावर पैक भोजन शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प होता है। यह एक शुद्ध कार्बनिक भोजन है क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार के पशु उत्पाद नहीं होते हैं। टोफू आज सभी लोगों के लिए अत्यधिक पौष्टिक भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है। आइये जाने टोफू से जुड़ी अन्य जानकारीयां।
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यह आपके लिए शाकाहारी भोजन का एक पौष्टिक विकल्प है। ऐसा माना जाता है कि यह पनीर जितना ही पौष्टिक होता है। इसे बनाने के लिए सोयाबीन से बने दूध का उपयोग किया जाता है। जिस तरह से हम दूध को परिष्कृत कर इसे संपीडित कर पनीर बनाते हैं इसी तरह इसे भी तैयार किया जाता है। सामान्य रूप से पहले सोया दही बनाया जाता है। फिर इस मुलायम सफेद दही को ब्लॉक के रूप में दबाया जाता है। इसके बाद इसे छोटे-छोटे तुकड़ों में काट कर उपयोग किया जा सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया बहुत ही सावधानी के साथ की जानी चाहिए। इसकी अपेक्षा आप इसे बाजार से खरीद कर आसानी से उपयोग कर सकते हैं।
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अपने बेहतर स्वास्थ्य और शारीरिक विकास के लिए सोया पनीर का उपयोग लाभकारी होता है। टोफू में कई पोषक तत्व होते हैं जो इसे हमारे लिए फायदेमंद बनाते हैं। इसमें अमीनो एसिड की अच्छी मात्रा होती है साथ ही इसमें वसा, कार्बोस, विटामिन और खनिज पदार्थों की अच्छी मात्रा होती है।
टोफू की 3.5 औंस (लगभग 100 ग्राम) मात्रा में मौजूद पोषक तत्व इस प्रकार हैं :
दैनिक आवश्यकता के अनुसार खनिज पदार्थों की प्राप्ती प्रतिशत में
इसमें कैलोरी की मात्रा 70 कैलोरी होती है जो टोफू को अत्यधिक पौष्टिक भोजन बनता है। हालांकि इसे बनाने के लिए उपयोग किये गये कोगुलेंट के आधार पर टोफू के सूक्ष्म पोषक तत्व सामग्री अलग-अलग हो सकती है। आइए जाने टोफू के फायदे क्या हैं।
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आप मांस के बजाय टोफू का उपभोग कर सकते हैं। यह आपके लिए मांस से अधिक पौष्टिक और स्वास्थ्य वर्धक हो सकता है। यह एक ऐसा आहार है जिसमें कई प्रकार के पौधे आधारित खाद्य पदार्थ होते हैं। यह मानव शरीर के समग्र स्वास्थ्य और विकास में मदद करते हैं। टोफू का नियमित आधार पर उपभोग करने से यह मोटापे को कम करने, मधुमेह के लक्षणों को दूर करने और हृदय रोग से संबंधित अन्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसके अलावा टोफू त्वचा और बालों के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। आइए विस्तार से जाने टोफू खाने के फायदे और नुकसान क्या हैं।
यदि आप हृदय रोगों की संभावनाओं को कम करना चाहते हैं टोफू एक अच्छा विकल्प है। सोया पनीर में आइसोफ्लेवोंस (isoflavines) की अच्छी मात्रा होता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। हालांकि यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि नहीं करता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि सोया की दैनिक खपत कार्डियोवैस्कुलर बीमारीयों के खतरे को कम कर सकती है। इसके फायदे में वजन, बॉडी मास इंडेक्स और कुल कोलेस्ट्रॉल शामिल है। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। पशु प्रोटीन के विकल्प के रूप में टोफू का उपभोग उच्च रक्तचाप के स्तर को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। इस प्रकार आप कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए टोफू का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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टाइप-2 मधुमेह वाले लोग अक्सर गुर्दे की बीमरीयों के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। इस प्रकार की बीमारी होने की संभावना उनमें अधिक होती है। जिससे शरीर मूत्र के माध्यम से प्रोटीन की बहुत अधिक मात्रा को बाहर कर देता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि जो लोग अपने आहार में सोया प्रोटीन का उपयोग करते हैं वे अन्य लोगों की तुलना में कम प्रोटीन उत्सर्जित करते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह मधुमेह टाइप-2 के लिए फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि प्रोटीन मधुमेह के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि टोफू पनीर का उपयोग कर आप इन समस्याओं से बच सकते हैं।
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बहुत से अध्ययनों से पता चलता है कि टोफू आयु से संबंधित मस्तिष्क विकार के लिए फायदेमंद होता है। ऐसा माना जाता है कि नियमित आधार पर सोयाबीन या इसके उत्पादों जैस की सोया पनीर का उपभोग करने पर मानसिक स्वास्थ्य में बढ़ावा देता है। सोयाबीन में आइसोफ्लेवोंस में होता है जो अशाब्दिक स्मृति (nonverbal memory), मौखिक प्रवाह और कार्यों में बेहतर सुधार करता है। टोफू 65 वर्ष से ऊपर की महिलाओं के लिए स्मृति और संज्ञानातमक कार्य को बेहतर बनाने के लिए भी जाना जाता है। टोफू में मौजूद लीसीथिन सामग्री शरीर को फॉस्फोलाइपिड्स फॉस्फेटिडिक एसिड (phospholipids phosphatidic acid) और फॉस्फेटिडाइलेरिन (phosphatidylserine) का उत्पादन करने में मदद करती है, जो न्यूरॉन्स के सामान्य कामकाज में सहायता करती है। इस तरह से आप भी अपने मस्तिष्क को स्वस्थ्य रखने के लिए टोफू का नियमित उपभोग कर सकते हैं।
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यह महिला स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। रजोनिवृत्ति के लक्षण अक्सर 45 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं में देखने मिलते हैं। यह एक प्राकृतिक और सामान्य स्थिति है जो हर महिला के साथ निश्चित समय में होती है। लेकिन आप इसके लक्षणों को कम जरूर कर सकते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित रूप से सोया उत्पाद का सेवन करने पर यह रजोनिवृत्ति के लक्षणों से छुटकारा दिला सकता है। यह इस दौरान होने वाले हॉट फ्लैश को कम करने में सहायक होता है। सोया उत्पाद जेनिस्टीन में समृद्ध होते हैं जो हॉट फ्लैश की आवृति और गंभीरता को कम करने में मदद करते हैं। इस तरह से सोया पनीर महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित होता है।
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यदि आप अपना वजन कम करने वाले आहार ढूंढ़ रहे हैं तो टोफू का इस्तेमाल करें। यह वेशक हमारे लिए पौष्टिक और ऊर्जा दिलाने वाला आहार है। लेकिन यह आपके वजन को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है। सोया पनीर में कैलोरी की मात्रा बहुत ही कम होती है। यह आपके वजन को प्रभावी रूप से प्रबंधित कर सकता है। एक अध्ययन से पता चलता है कि सोया आधारित कम कैलोरी आहार वजन और रक्त लिपिड को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा एक अन्य अध्ययन बताता है कि 8-52 हफ्तों तक सोया आइसोफ्लावोन का सेवन करने पर यह अन्य लोगों की तुलना में 4.5 किलो ग्राम तक वजन कम कर सकता है। आप भी टोफू को अपने आहार में शामिल कर वजन को कम कर सकते हैं।
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स्वास्थ्य गुणों से भरपूर होने के कारण टोफू का नियमित सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसका सेवन करने पर यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। इसके अतिरिक्त पशु प्रोअीन के विकल्प के रूप में यह हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। मांस की अपेक्षा टोफू में संतृप्त फैटी एसिड की मात्रा कम होती है और असंतृप्त फैटी (unsaturated fatty) एसिड की मात्रा उच्च होती है। यह लेसितिण और लिनोलेइक एसिड (lecithin and linoleic acid) का भी अच्छा स्रोत है जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर और चयापचय को नियंत्रित करता है।
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सोया पनीर में आइसोफ्लावेन मौजूद होता है जो कई प्रकार के कैंसर का उपचार कर सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि टोफू जैसे उत्पादों का अधिक मात्रा में सेवन करने से रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर को रोकने में सहायक होता है। इसके साथ ही टोफू का सेवन स्तन कैंसर, फेफडों के कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के लक्षणों को भी कम कर सकता है। कैंसर एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। इसका उपचार की अपेक्षा रोकथाम ज्यादा प्रभावी होती है। इसलिए टोफू को अपनेआहार में शामिल किया जाना फायदेमंद हो सकता है।
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कैल्शियम और मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा टोफू में होती है। ये पोषक तत्व हड्डियों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहि कारण है कि अधिकांश स्वास्थ्य सलाहकार भी टोफू को नियमित रूप से खाने की सलाह देते हैं। यह विशेष रूप से ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। क्योंकि अधिकांश लोग कैल्शियम की कमी के कारण ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार हो सकते हैं। विशेष रूप से यह समस्या बुजुर्ग महिला और पुरुषों में होती है। टोफू पनीर का सेवन कर आप इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा कर अपनी हड्डीयों को मजबूत कर सकते हैं।
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यह आपके शारीरिक विकास के साथ ही गुर्दे के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। टोफू में प्रोटीन, फास्फोरस और सोडियम की अच्छी मात्रा होती है। इन पोषक तत्वों के कारण टाफू आपके गुर्दे के लिए फायदेमंद भोजन है। ये पोषक तत्व गुर्दे की पुरानी बीमारीयों को भी ठीक करने में मदद करते हैं। इस तरह से आप अपने गुर्दों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाने के लिए टोफू के लाभदायक गुणों का उपयोग कर सकते हैं।
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शरीर में खून की कमी को एनीमिया कहते हैं। टोफू में आयरन की अच्छी मात्रा होती है जो एनीमिया के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में सहायक होता है। जब शरीर में आयरन की कमी होती है जो स्वाभाविक रूप से लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में भी गिरावट होती है। एक अध्ययन से पता चलता है कि टोफू का नियमित सेवन करने पर वयस्कों में एनीमिया के खतरे को कम किया जा सकता है। इस तरह से आप खून की कमी संबंधी बीमारी से बचने के लिए टोफू का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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यदि आप बाल झड़ने की समस्या से ग्रसित हैं तो टोफू आपकी मदद कर सकता है। बहुत से लोग बाल झड़ने की समस्या को रोकने के लिए टोफू का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह केराटिन उपलब्ध कराता है। केराटिन बालों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोटीन है। इसलिए आप अपने बालों के उपचार के लिए केमिकल्स आधारित उत्पादों का उपयोग बंद करें और टोफू को अपने आहार में शामिल करें। यह आपके बालों को झड़ने से रोक सकता है।
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आप टोफू का उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के रूप में कर सकते हैं। आप टोफू का उपयोग कर मीठे व्यंजन तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा इसे आप पनीर की तरह अन्य स्वादिष्ट पकवान बनाने लिए टोफू पनीर का उपयोग कर सकते हैं। कुछ लोग इसे केवल फ्राई करके ही खाना पसंद करते हैं। इस तरह से आप अपनी सुविधा और रूचि के अनुसार टोफू का उपभोग कर सकते हैं।
सोया पनीर हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों को सोया उत्पादों से एलर्जी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति टोफू का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए। आइए जाने टोफू के संभावित नुकसान क्या हैं।
टोफू पेट को नुकसान पहुंचा सकता है : बाजार में उपलब्ध टोफू सहित अधिकांश सोया उत्पाद आनुवंशिक रूप से संशोधित किये जाते हैं। इसलिए अधिक मात्रा में इसका सेवन गुर्दे के पत्थर, पाचन की समस्या और लीवर की परेशानी को बढ़ा सकता है। इन उत्पादों का अधिक मात्रा में सेवन आंत में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए टोफू को कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।
थॉयराइड : एक रिपोर्ट के अनुसार सोया आधारित शिशु आहार बच्चों में थॉयराइड समस्या को जन्म दे सकता है। इसलिए अधिक मात्रा में सोया उत्पादों का उपभोग करने से बचें।
ब्रेस्ट ट्यूमर : टोफू में मौजूद फाइटोस्ट्रोजन एस्ट्रोजेन हार्मोन की तरह कार्य करता है। जब टोफू का अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो यह शरीर में एस्ट्रोजेन के प्राकृतिक उत्पादन को अवरुद्ध कर सकता है। इसलिए स्तन कैंसर से ग्रसित महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
एलर्जी : कुछ लोग एलर्जी प्रतिक्रियाओं का अनुभव कर सकते हैं। इसलिए यदि आप सोया उत्पादों के लिए एलर्जी रखते हैं तो टोफू का सेवन नहीं करना चाहिए।
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