Tonsils in Hindi टॉन्सिलिटिस गले के टॉन्सिल में एक प्रकार का सूजन है। यह समस्या होने पर टॉन्सिल में सूजन हो जाती है और गले के दोनों तरफ के लिम्फ नोड कठोर हो जाते हैं एवं भोजन निगलने में कठिनाई होती है। टॉन्सिल अंडाकार आकृति को उत्तकों का पैड होता है जो गले के पीछे दोनों तरफ स्थित होता है। टॉन्सिल हमारे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं बनाता है और इंफेक्शन से लड़ने में शरीर की मदद करता है। मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से भी टॉन्सिल लड़ता है। जानिये टॉन्सिल के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव (Tonsils ke karan lakshan aur ilaj in Hindi) के बारे में।
टॉन्सिलिटिस ज्यादातर छोटे बच्चों में पाया जाता है। 5 से 15 वर्ष के बच्चों में टॉन्सिलिटिस बैक्टीरिया के कारण होता है जबकि इससे अधिक उम्र के बच्चों में यह वायरस के कारण होता है। टॉन्सिलिटिस होने पर व्यक्ति को सही तरीके से इस समस्या का निदान कराने के बाद ही इलाज कराना चाहिए।
1. टॉन्सिल के कारण – Tonsils ke karan, Causes of Tonsillitis in Hindi
2. टॉन्सिल के लक्षण – Tonsils ke lakshan, Symptoms of tonsils in Hindi
3. टॉन्सिल का निदान – Diagnosis of tonsils in Hindi
4. टॉन्सिल का इलाज – Tonsils ka ilaj, Treatment for tonsils in Hindi
5. टॉन्सिल से बचाव – Prevention of tonsils in Hindi
टॉन्सिल के कारण – Causes of Tonsillitis in Hindi
टॉन्सिलिटिस आमतौर पर सामान्य से वायरस के कारण होता है लेकिन बैक्टीरियल इंफेक्शन भी इसका मुख्य कारण हो सकता है। यह टॉन्सिलिटिस स्ट्रैप्टोकोकस (Streptococcus) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। लेकिन इसके पीछे अन्य बैक्टीरिया और वायरस भी होते हैं।
- एडीनोवायरस
- इंफ्लूएंजा (influenza) वायरस
- एप्सटिन-बार वायरस
- पैरा इंफ्लूएंजा वायरस
- एंटीरो वायरस
- हर्पिस सिम्पलेक्स वायरस
यदि किसी व्यक्ति को टॉन्सिल बैक्टीरिया के कारण हुआ हो तो यह संक्रामक हो सकता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फैल सकता है। लेकिन यदि टॉन्सिल वायरस के कारण हुआ हो तो यह संक्रामक नहीं होता है।
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टॉन्सिल के लक्षण – Symptoms Of Tonsils in Hindi
टॉन्सिलिटिस (tonsillitis) का मुख्य लक्षण टॉन्सिल में सूजन होना है। इसके कारण कभी-कभी श्वसन मार्ग अवरूद्ध हो जाता है। टॉन्सिल के लक्षण निम्न हैं-
- भोजन निगलने में गले में दर्द होना
- पस भरा हुआ लाल एवं सूजन (swollen) युक्त स्पॉट्स
- शरीर का तापमान अधिक होना
- सिर दर्द
- निगलने में कठिनाई
- कान और गले में दर्द
- थकान
- सोने में कठिनाई
- खांसी और कफ
- ठंड लगना
- लसीका ग्रंथि (lymph glands) में सूजन
इसके अलावा पेट में दर्द और उल्टी, जी मिचलाना, जीभ पर दाने निकल आना, आवाज बदल जाना और मुंह खोलने में कठिनाई होना भी टॉन्सिल के सामान्य लक्षण हैं। टॉन्सिल आमतौर पर छोटा होता है लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में यह 3 सेमी या इससे अधिक भी हो सकता है। टॉन्सिल बहुत पीड़ादायक होता है और कभी-कभी इसे हटाने में भी कठिनाई होती है। लेकिन ये आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है।
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टॉन्सिल का निदान – Diagnosis Of Tonsils in Hindi
टॉन्सिलिटिस के निदान के लिए डॉक्टर सामान्य सा परीक्षण (test) करते हैं और आमतौर पर सूजी हुई टॉन्सिल के आसपास के क्षेत्रों में सफेद धब्बे की जांच करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर गले के ऊपरी हिस्से का भी परीक्षण यह जानने के लिए करते हैं कि लसीका ग्रंथियां कितनी बढ़ी हैं और दाने कितने उभरे हैं। डॉक्टर संक्रमित हिस्से का फाहे में एक नमूना लेकर प्रयोगशाला में यह जांच करते हैं कि यह वायरल इंफेक्शन है या बैक्टीरियल इंफेक्शन।
टॉन्सिल का इलाज – Treatment For Tonsils in Hindi
यदि टॉन्सिलिटिस बहुत हल्का हो तो इलाज कराने की आवश्यकता नहीं होती है, विशेषरूप से तब जब सिर्फ वायरस की वजह से ही बच्चे को सर्दी-खांसी हुई हो।
लेकिन टॉन्सिलिटिस के गंभीर मामलों में इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स दिया जाता है। एंटीबायोटिक्स बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है लेकिन एंटीबायोटिक्स का कोर्स पूरा करना महत्वपूर्ण होता है। डॉक्टर बीच-बीच में मरीज को बुलाकर परीक्षण करते रहते हैं कि दवा कितनी प्रभावी साबित हो रही है। इसके अलावा टॉन्सिलिटिस के इलाज के लिए सर्जरी भी की जाती है जिसमें टॉन्सिल को हटा दिया जाता है जिसे टॉन्सिलेक्टोमी (tonsillectomy) कहते हैं। यह सर्जरी कराने की सलाह सिर्फ उन्हीं लोगों को दी जाती है जिन्हें पुरानी टॉन्सिलिटिस हो या दोबारा से उभर गई हो।
इसके अलावा जिन लोगों में टॉन्सिलिटिस के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है उन्हें अंतःशिरा तरल पदार्थ (intravenous fluids) की आवश्यकता होती है। दर्द निवारक (painkiller) दवाएं टॉन्सिलिटिस के दर्द को ठीक करने में मदद करती है। इसके अलावा पर्याप्त पानी पीने, गुनगुने नमक पानी से दिन में कई बार गरारा करने से भी गले का दर्द ठीक हो जाता है।
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टॉन्सिल से बचाव – Prevention Of Tonsils in Hindi
टॉन्सिलिटिस के वायरस और बैक्टीरिया बहुत संक्रामक होते हैं। इसलिए स्वच्छता अपनाकर इनसे बचा जा सकता है। चूंकि टॉन्सिलिटिस छोटे बच्चों में होता है इसलिए अपने बच्चे को इस समस्या से बचाने के लिए आपको उसे कई चीजें सीखानी पड़ेंगी।
- अपने बच्चे को टॉन्सिलिटिस से बचाने के लिए उसके हाथों को अच्छी तरह से और कई बार धोते रहें, विशेषरूप से टॉयलेट करने के बाद और खाना खाने से पहले।
- बच्चों को सीखाएं कि वे भोजन, पानी पीने का गिलास (water glass), बॉटल और अन्य बर्तन किसी और के साथ शेयर न करें। (और पढ़े – ठंडा पानी पीने के फायदे और नुकसान)
- अगर बच्चे में टॉन्सिलिटिस पाया गया हो तो बच्चे का टूथब्रश बदल दें। (और पढ़ें – ये है ब्रश करने का सही तरीका, ऐसे करें दांत साफ)
- यदि आपके बच्चे को टॉन्सिलिटिस है तो उसे घर के अंदर ही रखें और कोशिश करें कि बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन किसी अन्य व्यक्ति में न फैले।
- अपने बच्चे को छींकने और खांसी आने पर टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना सीखाएं।
- कफ आने और छींकने के बाद बच्चे का हाथ अच्छी तरह से साफ करें।
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