First Foods To Feed Your Baby In Hindi वीनिंग का अर्थ होता है धीरे-धीरे एक नवजात शिशु को मां के दूध को छुड़वाकर। भोजन के रूप में उसे ठोस पदार्थ देना शुरू करना जो कि उसका वयस्क आहार होगा और वह अपनी मां के दूध को पूरी तरह छोड़ देगा। वीनिंग छोटे बच्चे को खाना खिलाने का तरीका है जिससे वह मां के दूध को स्वाभाविक रूप से छोड़ने में सक्षम होगा।
यह माना जाता है कि शिशु तब पूरी तरह ठोस आहार लेना शुरू कर देता है, तब उसे स्तनपान या महिला के स्तन का दूध (या बोतलबंद दूध) नहीं दिया जाता है।
शिशु को ठोस आहार देना शुरू करने के लिए, मां उसकी नर्सिंग (दूध पिलाना) रोकती है वही दूसरी ओर शिशु मां को मजबूर करने की कोशिश करता है कि वह उसको दूध पिलाना जारी रखे। वीनिंग शिशु भोजन के पहले कौर के साथ शुरू होता और मां के अंतिम स्तनपान के साथ खत्म होता है। शिशु को कब और कैसे ठोस खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, यह उसकी स्वस्थ्य खान-पान की आदतों को बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यह आर्टिकल आपको अपने शिशु का दूध कैसे छुड़ायें, इस पर जानकारी देगा जिसमें आप जानेंगी कि आप शिशु को क्या और किस तरह खिलाएं और कौन सा समय उसके खाने के लिए सही है इसके अलावा अन्य और संभावित परेशानियों के बारे में इस लेखे में सुझाव दिये जा रहे हैं।
विषय सूची
1. शिशु को ठोस आहार देना कब शुरू करना चाहिए – When to Start Solid food to Babies in Hindi
2. मां का दूध छुड़ाने के उपाय – Ways To Stop Breastfeeding Baby In Hindi
3. बच्चे को ठोस आहार देने की शुरुआत करने के तरीके – Baby-Led Weaning In Hindi
4. पारंपरिक रूप से बच्चे का दूध छुड़ाना – How Do You Start Weaning A Baby In Traditional Way In Hindi
5. शिशु को ठोस का पहला स्वाद – First Tastes Of A New Born Baby In Hindi
6. छोटे बच्चे को ठोस आहार में क्या दें – Top First Foods To Feed Your Baby In Hindi
7. ब्रैस्ट मिल्क छोड़ने पर बच्चे का आहार – Your Baby’s First Solid Foods In Hindi
8. बच्चे को ठोस आहार देना शुरू करते समय क्या न खिलाएं – Foods To Avoid While Weaning A Baby In Hindi
9. शिशु को ठोस आहार देने के लिए टिप्स – Tips For Successful Weaning In Hindi
10. शिशु को शुरुआती आहार के संभावित खतरे – Weaning Related Potential Threats In Hindi
11. शिशु में चोकिंग के जोखिम को कम करने के लिए टिप्स – Tips To Reduce Risk Of Choking In Baby In Hindi
अधिकांश स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि शिशुओं को लगभग 6 महीने की उम्र में ठोस भोजन खिलाना शुरू कर देना चाहिए।
शिशु को अक्सर छह महीने में ही खाने की चीजें देने की सिफारिश की जाती है क्योंकि इस समय बच्चे उन अतिरिक्त पोषक तत्वों की जरूरत महसूस करने लगतें हैं जो मदर मिल्क में नहीं पाई जाती जैसे कि आयरन और जस्ता (Zink)। शिशु को कम मात्रा में ठोस भोजन देने से आप इन कमियों को पूरा कर सकतीं हैं।
अपने बच्चे को सॉलिड फूड देने का समय तब होता है जब शिशु आपको निम्न संकेत देना शुरू कर दे –
यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा इन संकेत को दिखा रहा है कि वह दूध के अलावा ठोस आहार (सॉलिड फूड) लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी तक 6 महीने का नहीं हुआ है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
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मां के दूध स्वाभाविक रूप से बंद करने के लिए और बच्चे को ठोस आहार देने का कोई सही तरीका नहीं है। प्रत्येक दृष्टिकोण के फायदे और नुकसान को जानने से आपको अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।
सबसे उपयुक्त क्या है यह निर्धारित करने के लिए आप इन विधियों को मिश्रण के तौर पे यूज कर सकतीं हैं। माँ स्वाभाविक रूप से बच्चे को खाना खिलाना दो तरीकों से शुरू कर सकतीं हैं – पारंपरिक और बेबी-लेड वीनिंग।
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बच्चे का दूध बंद करने के लिए माएं शिशुओं को शुरू से ही खुद से खाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। आप बच्चे को छोटे-छोटे ठोस खाद्य पदार्थ दे सकतीं हैं और धीरे धीरे आपका बच्चा अपने खाने को खुद से लेना शुरू कर देगा। इसे बेबी लेड वीनिंग (baby led weaning) कहा जाता है।
बेबी लेड वीनिंग बच्चे में खुद से खाना लेने की आदत डाल सकता है क्योंकि यह उसके स्वतंत्र खाने को जल्दी प्रोत्साहित करता है। इस तरह की खाने की विधि से बच्चे खुद समझ पाते हैं कि उन्हें कितना खाना खाना है और इससे उनकी उम्र बढ़ने पर ओवरवेट होने की संभावना कम हो जाती है। ऐसा होने पर आपको बच्चे के लिए अलग से खाना बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप शिशु के साथ ही पूरे परिवार के साथ खाना खा सकती हैं।
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इस तरीके में आप अपने बच्चे को धीरे-धीरे भोजन देना शुरू करती हैं जिसमे सबसे पहले स्मूथ फ्यूरी शामिल होती है। खाने के लिए आप बच्चे को मेश्ड पोटैटो, फिंगर फूड दे सकतीं हैं।
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खाने की अच्छी आदतें विकसित करने के लिए पहले स्वाद महत्वपूर्ण हैं।
बच्चे को खाने की चीजों से अवगत कराते हुए, वह कितना खा पा रहा है इस पर ध्यान देने की बजाय बच्चे को कई बार खिलाने पर ध्यान दें। शिशु को ठोस आहार देनें (वीनिंग) के शुरुआती स्टेजेस में, आपका शिशु अभी भी ज्यादातर पोषण ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला मिल्क से ही प्राप्त करेगा।
आप अपने बच्चे के नये भोजन के बारे में सकारात्मक अनुभव कराने की कोशिश करें।
दूध पिलाने के लगभग एक घंटे बाद और जब आपका शिशु बहुत थका हुआ नहीं होता है, तब उसको भोजन देने के लिए यह समय अक्सर सबसे अच्छा समय होता है। थोड़े से ब्रेस्टमिल्क या फार्मूला मिल्क के साथ खाद्य पदार्थों को मिलाने से आपका शिशु खाने में रूचि ले सकता है।
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आप अपने बच्चे को ठोस आहार की शुरुआत करने के लिए उबले हुए, और मैश किये हुए या फिंगर फूड्स भोजन के रूप में दे सकतीं हैं। आप शिशु को नरम, पकी हुई सब्जियाँ- ब्रोकोली, गाजर, आलू, शकरकंद, बटरनट स्क्वैश, कद्दू, मटर दे सकतीं हैं। इसके अलावा फलों में आप नरम फल जैसे कि केला, आम, ब्लूबेरी, रेस्पबेरी, एवोकैडो, पका हुआ नाशपाती या सेब, आलूबुखारा खिला सकतीं हैं जो कि प्यूरी के फॉर्म में या मसले हुए या फिंगर फूड की रूप में परोसे जा सकतें हैं। (फिंगर फूड – सीधे हाथ का उपयोग करके खाया जाने वाला भोजन है)
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एक बार जब आपका बच्चा लगभग 6 महीने का हो जाता है और नियमित रूप से ठोस भोजन का सेवन करने लगता है, तो आप धीरे-धीरे रोजाना बच्चे को तीन टाइम का भोजन दे सकतीं हैं।
बस इस बात का ध्यान रखें की बच्चे को विभिन्न बनावट के खान-पान से अवगत कराएं और उन संकेतों को देखें जिससे आपको आपके बच्चे के पेट के भर जाने का पता चलाने में मदद हो।
आप बच्चे के आहार में निम्न चीजें शामिल कर सकतीं हैं –
लगभग 7-9 महीनों तक का होने पर कई बच्चे प्रत्येक दिन तीन बार छोटे भोजन को मैनेज कर सकते हैं। बच्चे में ठोस आहार की शुरुआत में प्रत्येक भोजन में प्रोटीन, कार्ब्स और वसा के स्रोत को शामिल करने का प्रयास करें।
लगभग 9 से 11 महीनों में, कई बच्चे भोजन को छोटे छोटे टुकड़े और बाईट में ले सकते हैं। उन्हें फिंगर फूड, जैसे कच्ची मिर्च, तोरी, सेब, गाजर और ब्रेड दी जानी चाहिए। इस उम्र तक, अधिकांश बच्चे दैनिक रूप से तीन बार खाना खा सकते हैं और कुछ मिठाई भी ले सकते हैं, जैसे कि सादा दही या कोई फल।
1 वर्ष की आयु में, अधिकांश बच्चे परिवार के बाकि लोगों की तरह खाना खा सकते हैं। याद रखें कि प्रत्येक बच्चा अलग होता है – आपका बच्चा अपनी जरूरतों के आधार पर कम या ज्यादा खा सकता है।
एक बार जब आपका बच्चा विभिन्न प्रकार के भोजन को खाना सीख चुका होता है, तो आप धीरे-धीरे उसे और अधिक ठोस पदार्थ दे सकते हैं। 12 महीनों में, बच्चों को प्रत्येक दिन तीन छोटे भोजन और कुछ स्नैक्स खाने चाहिए।
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यह महत्वपूर्ण है कि आपका बच्चा कई प्रकार के भोजन को खाए, लेकिन कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें आपको अपने बच्चे को नहीं देना चाहिए, जिनमें निम्न शामिल हैं –
शहद – 12 महीने से कम उम्र के शिशुओं को बोटुलिज़्म (Botulism) के खतरे के कारण कभी भी शहद न दें, यह गंभीर रूप से बच्चे को फूड पॉइजनिंग दे सकता है।
अंडरकुक्ड अंडे – इनमें साल्मोनेला बैक्टीरिया (Salmonella Bacteria) हो सकते हैं, जो आपके बच्चे को बीमार बना सकते हैं।
अस्वास्थ्यकर डेयरी उत्पाद – पाश्चुरीकरण (Pasteurization) उन डेयरी उत्पादों में बैक्टीरिया को मारता है जो संक्रमण का कारण हो सकते हैं।
मीठे, नमकीन या हाई प्रोसेस्ड फूड आइटम या पेय – ये आमतौर पर बहुत कम पोषक तत्वों से भरे होते हैं। चीनी दांतों को नुकसान पहुंचा सकती है, और बच्चों की किडनी बहुत अधिक नमक का सामना नहीं कर सकती है। पारिवारिक भोजन में भी नमक डालने से बचें।
साबुत मेवे – चोकिंग के जोखिम के कारण 5 साल से कम उम्र के बच्चों को यह खाने को न दें। यदि अखरोट से एलर्जी का पारिवारिक इतिहास है या यदि आपके बच्चे को किसी प्रकार की एलर्जी है, तो अखरोट के उत्पादों को बच्चे को देने से पहले अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
कम वसा वाले उत्पाद – शिशुओं को अपने आहार में वयस्कों की तुलना में अधिक वसा की आवश्यकता होती है।
गाय का दूध – आप गाय के दूध को कम मात्रा में बच्चे के खाने की चीजों में मिला सकती हैं। हालांकि, इसे कभी भी मुख्य पेय के रूप में या बड़ी मात्रा में नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह आपके बच्चे को पर्याप्त आयरन या पोषक तत्व प्रदान नहीं करता है।
हालांकि, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें आपको अपने बच्चे को कभी नहीं देना चाहिए। इनमें शहद, अंडरकुक्ड अंडे और पूरे नट्स शामिल हैं।
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कुछ तरीकों को अपनाने से आपको शिशु को ठोस आहार देने (वीनिंग प्रक्रिया) में आसानी हो सकती है –
बच्चे को सब्जियां पहले खिलाएं – बच्चों को नैचुरली मीठे फूड आइटम पसंद होतें हैं, इसलिए उन्हें सब्जियां पहले खिलाएं और उसके बाद में फल दें ताकि वह सब्जी खाने को मना न करे।
शिशु को कई तरह के फूड आइटम दें – एक ही प्रकार के खाने को बार बार देने से बचें। अगर आपके बच्चे को कुछ खाद पदार्थ पसंद नहीं हैं तो भी उन्हें उसको देने की कोशिश करें जब तक बच्चे को इसकी आदत न पड़ जाये। और इसके साथ दूसरे खाने की चीजों को मिला सकतें हैं।
बच्चे को ओवर ईटिंग न कराएं – अपने बच्चे को कभी भी जबरदस्ती जरूरत से ज्यादा खाना न खिलाएं। क्योंकि बच्चे पेट भर जाने पर अपने आप खाना लेना बंद कर देतें हैं।
शिशु को आराम से खाना खाने दें – भले ही वह यहां वहां खाने के कौरों को गिराए। इससे आप उसको खाने के साथ एक्सपेरिमेंट करने को प्रोत्साहित करेंगी। और उसकी खाने के साथ एक अच्छा सम्बन्ध बनेगा।
बच्चे को परिवार के साथ खाना खिलाएं – इससे बेबी आराम से दूसरों को देखने से ज्यादा आसानी से खाना खा लेते हैं।
बच्चे का खाना फ्रिज में रखें – खाना फ्रिज में आइस क्यूब के बीच में रखें यदि आप रोज-रोज खाना बनाने से बचना चाहतीं हों।
कुछ तरीकों से आप वीनिंग में अधिक सफल हों सकतीं हैं, जैसे कि अपने बच्चे को परिवार के साथ खाना खाते वक्त शामिल करना, मिठाई से पहले बच्चे को डेलीशिअस खाना देना और अपने बच्चे को मेस करने देना।
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हालांकि वीनिंग मज़ेदार और आकर्षक होनी चाहिए, लेकिन इसके जोखिम के बारे में जागरूक होना भी जरुरी है। शिशु के शुरुआती आहार (वीनिंग) के रिस्क इस प्रकार हैं –
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