Triphala churna in Hindi त्रिफला एक आयुर्वेदिक हर्बल चूर्ण है जिसे तीन फलों अमालकी (आंवला), बिभितकी (बहेड़ा) और हरितकी (हरड़) को पीसकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है। इन तीनों फलों में पांच अलग-अलग तरह के स्वाद होते हैं त्रिफला चूर्ण के फायदे अनेक है और इनका उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है। आयुर्वेद में ऐसी कम ही जड़ी-बूटियां मौजूद हैं जिनमें मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा और तीखा पांच अलग-अलग तरह के स्वाद आते हैं। त्रिफला चूर्ण अपने अनोखे स्वाद की वजह से सेहत के लिए कई मायनों में उपयोगी है। हरितकी वात दोष को दूर करने के लिए, बिभितकी कफ दोष में और अमालकी पित्त दोष में इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेद में माना जाता है कि यदि वात, कफ और पित्त दोष ठीक रहे तो व्यक्ति की सेहत भी ठीक रहती है। त्रिफला इन दोषों के असंतुलन को ठीक कर स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। आइये जानते है त्रिफला चूर्ण के फायदे और नुकसान के बारें में
तीन फलों अमालकी (आंवला), बिभितकी (बहेड़ा) और हरितकी (हरड़) को पीसकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है।
एक भाग हरड़, दो भाग बहेडा और एक चौथाई भाग आंवला का मिश्रण होता है। इन तीनों को धूप में सूखाकर महीन पीस लें। कपड़े से छानकार काँच की शीशी में भरकर रख लें।
और पढ़े – आंवला के फायदे, गुण, लाभ और नुकसान
एक रिसर्च में पाया गया है कि त्रिफला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर से बचाव में सहायक होते हैं। इसके अलावा यह शरीर से मैलिक एसिड, गैलिक एसिड, मुक्त कणों को खत्म कर कैंसर से शरीर की सुरक्षा करता है। यहां हम आपको त्रिफला चूर्ण का उपयोग कैसे करें, त्रिफला चूर्ण के सेवन के फायदे और त्रिफला चूर्ण के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।
त्रिफला चूर्ण का उपयोग कैसे करें यह जानने से पहले आपको यह बता दें कि त्रिफला सभी मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होता है। यह चूर्ण, कैप्सूल, टैबलेट और लिक्विड फॉर्म में भी बाजारों में उपलब्ध है।
वैसे तो त्रिफला चूर्ण को आमतौर पर खाली पेट लिया जाता है लेकिन इसे कुछ अन्य तरीकों से भी खाया जा सकता है। आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण को चाय बनाते समय एक कप उबलते पानी में मिलाकर इसे हल्का ठंडा करने के बाद भी लिया जा सकता है। इसके अलावा भोजन करने से पहले इसे घी या शहद के साथ भी लिया जा सकता है। त्रिफला के टैबलेट या कैप्सूल को आमतौर पर भोजन से पहले दिन में दो बार लिया जाता है। इसके अलावा त्रिफला के लिक्विड की कम से कम 30 बूंदों को पानी या जूस में मिलाकर दिन में एक से तीन बार लिया जा सकता है।
पाचन टॉनिक के रूप में त्रिफला का सेवन रात में भोजन करने के दो घंटे बाद और सोने से आधे घंटे पहले किया जाता है। जब भी आप त्रिफला चूर्ण, कैप्सूल या टैबलेट खरीदते हैं, उसके पैकेट पर इसकी खुराक की मात्रा लिखी होती है। कम मात्रा में त्रिफला चूर्ण का सेवन करने पर यह धीरे-धीरे ब्लड को प्यूरीफाई करता है।
अधिकतर लोग त्रिफला चूर्ण लेने के आदी हो जाते हैं और लंबे समय तक इसका सेवन करते रहते हैं। लेकिन डॉक्टर सलाह देते हैं कि दस हफ्तों तक त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के बाद इसे दो से तीन हफ्तों के लिए बंद कर देना चाहिए। इससे शरीर को राहत मिलती है और शरीर में त्रिफला का प्रभाव भी बना रहता है।
रिसर्च में पाया गया है कि त्रिफला चूर्ण का हाइपो-ग्लाइसेमिक प्रभाव शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम नहीं होने देता है। त्रिफला चूर्ण इंसुलिन के लेवल को बढ़ाने के लिए कोशिकीय प्रतिरोध को कम करता है और कोशिकाओं में इंसुलिन के सही तरीके से उपयोग में मदद करता है। इसलिए त्रिफला चूर्ण का सेवन को डायबिटीज के मरीजों के इलाज में काफी प्रभावी माना जाता है।
(और पढ़े – शुगर ,मधुमेह लक्षण, कारण, निदान और बचाव के उपाय)
तीन चीजो से बने त्रिफला चूर्ण में आंखों की मोतियाबिंद के लक्षणों को दूर करने के गुण पाये जाते हैं। आयुर्वेद में यह माना जाता है कि त्रिफला से नेत्र की रोशनी बढ़ती है और मोतिबिंद सहित आंखों की कई बीमारियों से भी हमें बचाता है। त्रिफला चूर्ण में यष्टिमधु और लौहभस्म के अलावा सप्तामृत लौह की मात्रा पायी जाती है जो आंख संबंधी बीमारियों के इलाज में उपयोगी है। इसके अलावा शुद्ध मक्खन से बना त्रिफला घृत और त्रिफला पावडर भी आंखों के लिए फायदेमंद है। यह आंख के रोगों से दूर रखता है और दृष्टि बढ़ाता है।
(और पढ़े – आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय)
यह मेटाबोलिज्म को ठीक करता है और अधिक वजन घटाने में मददगार है। त्रिफला चूर्ण पाचन ठीक करने और भूख को बढ़ाने, लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने और शरीर में अतिरिक्त वसा की मात्रा को कम करने में सहयोग करता है। त्रिफला को एक चाय या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है। त्रिफला काढ़े में शहद मिलाकर पीने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है।
(और पढ़े – वजन कम करने के लिए जूस रेसिपी)
त्रिफला चूर्ण कब्ज दूर करने के लिए एक घरेलू उपाय है। इसके सेवन से मलत्याग करने में आसानी होती है और पेट अच्छी तरह से साफ हो जाता है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण का सेवन उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो रोजाना शौच करने में समस्या होती है और पूरे दिन उन्हें भारीपन सा लगता है। एक चम्मच त्रिफला चूर्ण के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।
(और पढ़े – कब्ज के कारण और इलाज)
तीन चीजो से बने त्रिफला चूर्ण में लिपिड को नियंत्रित करने के महत्वपूर्ण गुण पाये जाते हैं। त्रिफला चूर्ण का सेवन करने करने के कुछ ही हफ्तों बाद यह सीरम कोलेस्ट्रॉल को घटा देता है। इसके अलावा यह खून में लाइपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी घटाने में उपयोगी है।
(और पढ़े – जानिए उच्च रक्तचाप के बारे में सब कुछ)
आयुर्वेदिक त्रिफला चूर्ण में खून को शुद्ध और साफ करने के गुण मौजूद होते हैं। यह शरीर में ब्लड को साफ करता है और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक रखता है। इसके अलावा यह लीवर और फेफड़े की भी सफाई करता है। त्रिफला चूर्ण लीवर और फेफेड़े से जुड़ी बीमारी जैसे पीलिया और ब्रोन्काइटिस से भी बचाव करता है। त्रिफला चूर्ण में एंटीऑक्सीडेंट गुण होने के कारण यह कई तरह के बुखार से लड़ता है और इम्यूनिटी सिस्टम को भी मजबूत रखता है।
(और पढ़े – लीवर की कमजोरी कारण लक्षण और दूर करने के उपाय)
गर्भावस्था के दौरान त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से यह आंत्रशोथ को उत्तेजित कर देता है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके प्रभाव से कभी-कभी गर्भपात की भी संभावना बनी रहती। इसलिए आमतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान आयुर्वेद के चिकित्सक किसी भी महिला को त्रिफला चूर्ण का सेवन न करने की सलाह देते हैं।
(और पढ़े – गर्भावस्था के समय क्या न खाएं)
आयुर्वेदिक त्रिफला चूर्ण में पेट की सफाई करने के गुण पाए जाते हैं। यह आंतों की दीवारों को उत्तेजित कर देता है जिसकी वजह से आपका पेट गड़बड़ हो सकता है और आपको डायरिया हो सकता है और आपको बार-बार वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन जिन लोगों को कब्ज की समस्या है उनके लिए त्रिफला चूर्ण उपयोगी है।
(और पढ़े – दस्त (लूस मोशन) रोकने के उपाय)
अधिक मात्रा में त्रिफला की खुराक लेने पर आपको डिहाइड्रेशन की भी समस्या हो सकती है। अधिक खुराक में त्रिफला अधिक तेजी से पेट की सफाई करता है जिससे शरीर से अधिक पानी निकल जाता है। जिसकी वजह से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है और कभी-कभी व्यक्ति की हालत गंभीर भी हो सकती है।
(और पढ़े – डिहाइड्रेशन से बचने के घरेलू उपाय, जानलेंगें तो कभी नहीं होगी पानी की कमी)
ऐसी कई घटनाएं हैं जहां लोगों को त्रिफला चूर्ण का सेवन करने के बाद नींद में बाधा और इन्सोमेनिया की समस्या हो जाती है। इस समस्या से पीड़ित लोगों को त्रिफला चूर्ण की खुराक कम मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा उन्हें रात में सोने से पहले त्रिफला चूर्ण लेने के बजाय सुबह खाली पेट इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है।
(और पढ़े – अच्छी नींद के लिए सोने से पहले खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ)
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…