Type 2 Diabetes in Hindi डायबिटीज या मधुमेह (शुगर) दो प्रकार से होती हैं, जिसमें पहला है टाइप 1 डायबिटीज और दूसरा है टाइप 2 डायबिटीज । टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) वयस्कों में डायबिटीज का एक सामान्य प्रकार हैं, जो अधिक वजन या मोटापा वाले बच्चों को भी प्रभावित करती है। टाइप 2 मधुमेह कई गंभीर स्थितिओं का कारण बनता है जिनमें तंत्रिका क्षति (न्यूरोपैथी), गुर्दे की क्षति (kidney damage), आँखों की समस्या आदि समस्याओं शामिल हैं। इस बीमारी का कोई उचित स्पष्ट इलाज नहीं हैं। इस बीमारी को जीवन शैली में परिवर्तन, उचित व्यायाम और स्वस्थ्य आहार को अपनाकर को कम किया जा सकता है। यदि टाइप 2 शुगर का समय पर निदान न किया जाये तो यह अनेक स्वस्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं, अतः प्रत्येक व्यक्ति द्वारा समय पर इसके लक्षणों की पहचान की जानी चाहिए।
अतः आज के इस लेख में आप जानेगें कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) क्या है, इसके प्रकार, कारण, लक्षण क्या हैं और टाइप 2 डायबिटीज का निदान, उपचार और रोकथाम कैसे किया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) एक क्रोनिक डिजीज है, जिसे वयस्क-शुरुआत (adult-onset) या नॉनइनसुलिन-निर्भर मधुमेह (noninsulin-dependent diabetes) के रूप में जाना जाता है। टाइप 2 मधुमेह, शरीर में शुगर (ग्लूकोज) को चयापचय करने के तरीके को प्रभावित करती है, यह शुगर (ग्लूकोज) शरीर की उर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करता है।
टाइप 2 मधुमेह की स्थिति में मानव शरीर, इंसुलिन के प्रभाव में प्रतिरोध उत्पन्न करता है या ग्लूकोज स्तर को सामान्य बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्र में इंसुलिन उत्पन्न नहीं करता है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो कोशिकाओं में शुगर (ग्लूकोज) के संचार को नियंत्रित करता है।
अधिक समय तक चलने वाली अनियंत्रित टाइप 2 डायबिटीज की समस्या रक्त शर्करा (blood sugar) के उच्च स्तर का कारण बन सकती है, जिससे सम्बंधित व्यक्ति में अनेक प्रकार के लक्षण प्रगट होते हैं और गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकते हैं। टाइप 2 डायबिटीज, वयस्कों में अधिक सामान्य बीमारी है, लेकिन यह बच्चों को मोटापे में वृद्धि के साथ तेजी से प्रभावित करती है।
टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) के लिए कोई उचित इलाज नहीं है, लेकिन स्वस्थ वजन को बनाये रखने के लिए अभ्यास और व्यायाम करके इस स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए दवाओं या इंसुलिन थेरेपी (Insulin therapy) भी प्रयोग में लाई जा सकती है।
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टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) का मुख्य कारण शरीर द्वारा इंसुलिन प्रतिरोध उत्पन्न करना या पैनक्रियाज (अग्न्याशय) द्वारा पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन न कर पाना है। टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) वाले व्यक्ति इंसुलिन का उत्पादन करते हैं, लेकिन उस व्यक्ति की कोशिकाएं इसका उपयोग नहीं कर पाती हैं। डॉक्टर इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध के नाम से जानते हैं। इंसुलिन प्रतिरोध क्यों उत्पन्न होता है, इसके कारण अभी तक अज्ञात हैं। आमतौर पर निम्न संभावनाएं टाइप 2 मधुमेह का कारण बन सकती हैं, जिसमें शामिल हैं:
अतः शारीरिक सामस्याओं के कारण जब मानव शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उपयोग नहीं करता तथा ग्लूकोज (चीनी) शरीर की कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाता, तो ग्लूकोज रक्त प्रवाह में बना रहता है। जिसके कारण अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
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टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) की स्थिति में शरीर, कोशिकाओं तक ग्लूकोज को ले जाने के लिए सही तरीके से इंसुलिन का उपयोग करने में सक्षम नहीं होता है। टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) की समस्या किसी भी व्यक्ति में धीरे-धीरे विकसित होती है, तथा इसके प्रारंभिक लक्षणों को पहचानना मुश्किल होता है।
टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता हैं:
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जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती जाती है, लक्षण भी ओर अधिक गंभीर होते जाते हैं। यदि मानव शरीर में लंबे समय तक रक्त शर्करा (blood sugar) का उच्च स्तर बना रहता है, तो निम्न लक्षणों को देखा जा सकता हैं:
किसी भी प्रकार के लक्षण प्रगट होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। उपचार के बिना, मधुमेह जीवन की खतरनाक जटिलताओं का कारण बन सकता है।
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टाइप 2 डायबिटीज (diabetes type 2) को शुरूआती चरणों में अनदेखा करने पर यह विभिन्न प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है, जैसे:
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हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया जा सकता कि कौन से करक टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) को विकसित करने में अपना योगदान करते हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि कुछ कारक इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
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प्रत्येक व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) से सम्बंधित लक्षण प्रगट होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अतः यदि डॉक्टर द्वारा मधुमेह का निदान किया जाता है, तो टाइप 1 मधुमेह और टाइप 2 मधुमेह के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए अन्य परीक्षण की सलाह दी जा सकती है, क्योंकि इन दोनों ही प्रकार के मधुमेह की स्थितियों में अक्सर भिन्न-भिन्न उपचार की आवश्यकता होती है।
डॉक्टर टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) का इलाज करने के लिए विभिन्न प्रकार के नैदानिक परीक्षण प्रयोग में ला सकता हैं, जिनमें शामिल हैं:
यह रक्त परीक्षण पिछले दो से तीन महीने तक की औसत रक्त शर्करा (average blood glucose) को प्रदर्शित करता है। ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन परीक्षण (Glycated hemoglobin test) की सहायता से लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन-वाहक प्रोटीन तथा हीमोग्लोबिन से जुड़ी रक्त शर्करा (blood sugar) का प्रतिशत मापा जाता है।
इस परीक्षण के आधार पर 6.5 प्रतिशत या उससे अधिक A1C स्तर मधुमेह की स्थिति की ओर इंगित करता है। 5.7 और 6.4 प्रतिशत के बीच प्राप्त परिणाम मधुमेह के विकास का उच्च जोखिम प्रदर्शित करते हैं। 5.7 प्रतिशत से नीचे के स्तर को सामान्य स्तर माना जाता है।
इस परीक्षण से पहले सम्बंधित व्यक्ति को आठ घंटे तक उपवास करना पड़ता है। यह परीक्षण रक्त प्लाज्मा में ग्लूकोज स्तर को मापता है। 100 mg/dL (5.6 mmol/L) से कम परीणाम सामान्य स्तर को प्रगट करते हैं। तथा 126 mg/dL (7 mmol/L) से अधिक परिणाम प्राप्त होने पर टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) की बीमारी को स्पष्ट किया जाता है।
ग्लूकोज सहिष्णुता परीक्षण (glucose tolerance test) के दौरान, मरीज को सर्वप्रथम शर्करा तरल (sugary liquid) या ग्लूकोज को पिलाने के दो घंटे बाद रक्त का नमूना लिया जाता है। रक्त नमूने में प्रयोगशाला परीक्षण के दौरान शर्करा (ग्लूकोज) के स्तर को मापा जाता है। परिणामों के आधार पर टाइप 2 मधुमेह का निदान कर लिया जाता है। रक्त नमूने में 140 mg/dL (7.8 mmol/L) से कम शुगर का स्तर सामान्य स्तर माना जाता है, तथा 200 mg/dL (11.1 mmol/L) या उससे अधिक रक्त शुगर के परिणाम टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) होने की स्थिति को स्पष्ट करते हैं।
रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट के तहत् एक अनियमित (random) समय पर रक्त नमूना लिया जाता है। रक्त शर्करा के स्तर को मिलीग्राम / डेसीलीटर (mg/dL) या मिलीमोल प्रति लीटर (mmol/L) में व्यक्त किया जाता है। अतः किसी व्यक्ति के रक्त नमूने में रैंडम ब्लड शुगर का स्तर 200 मिलीग्राम / डीएल (11.1 mmol/L) या उससे अधिक प्राप्त होने पर यह मधुमेह (type 2 diabetes) की स्थिति की और संकेत देता है।
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टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) का प्रबंधन या उपचार करने के लिए निम्न तरीके शामिल किये जा सकते हैं:
ये सभी तरीके रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य रखने में और जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकते हैं।
मधुमेह के उपचार के लिए कोई विशिष्ट आहार नहीं है। हालांकि, उच्च फाइबर, कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन वजन को संतुलित करने और रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने में अपना योगदान दे सकते हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) की स्थिति में निम्न आहार को अपनाना चाहिए:
कम पशु उत्पादों, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट (refined carbohydrates) और मिठाई को भी अल्प मात्रा में सेवन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स खाद्य पदार्थ (Low glycemic index foods) के सेवन पर भी ध्यान देना चाहिए।
टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) वाले कुछ व्यक्ति आहार और व्यायाम के आधार पर रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य करने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन कुछ व्यक्तियों को मधुमेह की दवाओं या इंसुलिन थेरेपी की भी आवश्यकता होती है। व्यक्ति के पास रक्त शर्करा के स्तर और किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या की स्थिति के आधार पर ही दवाओं की सिफारिश की जाती है।
टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) का इलाज करने के लिए डॉक्टर सुई और सिरिंज (इंसुलिन पेन या इनहेलर) की मदद से इंसुलिन लेने की सिफारिश कर सकते हैं। तथा कुछ व्यक्तियों के लिए इस दवा को लगातार प्राप्त करने के लिए इंसुलिन पंप का उपयोग करना पड़ सकता है। इंसुलिन का प्रभाव एक समय तक ही सीमित रह सकता है। अतः एक से अधिक प्रकार के इंसुलिन उपयोग में लाये जा सकते हैं।
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ये दवाएं भूख न लगने और पेट के भरे होने की भावना को महसूस कराती हैं। ये दवाएं भोजन को अधिक समय तक पेट में नहीं रहने देती है, तथा यकृत द्वारा अधिक ग्लूकोज के निर्माण पर रोक लगाती हैं।
इसके अलावा यह दवाएं पैनक्रियास को इंसुलिन बनाने में भी मदद करती हैं। डॉक्टर द्वारा इन दवाओं की सिफारिश की जा सकती हैं। यह दवा हार्मोन, एमिलिन (amylin) की तरह काम करती है।
मेटफॉर्मिन (ग्लूकोफेज, ग्लुमेट्ज़ा, अन्य) (Metformin) – आमतौर पर मेटफॉर्मिन (Metformin), टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) का इलाज करने के लिए निर्धारित पहली दवा है। यह शरीर के ऊतकों की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता में सुधार करती है, जिससे शरीर इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर सके। इसके अलावा मेटफॉर्मिन, यकृत द्वारा ग्लूकोज के उत्पादन को भी कम करता है। मेटाफॉर्मिन (Metformin) के संभावित साइड इफेक्ट्स के रूप में जी मिचलाना और दस्त की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
सल्फोनिलयूरिया (Sulfonylureas ) – ये दवाएं शरीर को अत्यधिक इंसुलिन उत्पादन में मदद करती हैं। इस वर्ग में ग्लाइबराइड (glyburide), ग्लिपिजाइड (glipizide) और ग्लिमेपाइराइड (glimepiride) आदि दवाओं को शामिल किया जाता है। इसके साइड इफेक्ट्स के रूप में कम रक्त शर्करा और वजन में वृद्धि शामिल है।
इसके अलावा मैग्लिटिनाइड्स (Meglitinides), Thiazolidinediones, डीपीपी -4 इनहिबिटर्स (DPP-4 inhibitors), SGLT2 inhibitors आदि दवाओं का प्रयोग टाइप 2 मधुमेह का उपचार करने के लिए किया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) की रोकथाम के लिए निम्न युक्तियों का पालन करना चाहिए:
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एक स्वस्थ एवं संतुलित आहार का सेवन दिल को स्वस्थ और रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित रखने के लिए महत्वपूर्ण है। टाइप 2 मधुमेह (type 2 diabetes) से सम्बंधित व्यक्तियों को एक उचित आहार प्रणाली को अपनाये जाने की सलाह दी जाती है। टाइप 2 मधुमेह के लिए स्वास्थ्य आहार के रूप में निम्न को शामिल किया जाता है:
कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ का सेवन करें।
स्वस्थ कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार जैसे – हरी सब्जियां, फल, फलियां (जैसे सेम), साबुत अनाज आदि का सेवन।
ओमेगा -3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे – टूना, सार्डिन, सैल्मन और छोटी मछली आदि।
स्वस्थ मोनोअनसैचुरेटेड (monounsaturated fats) और पॉलीअनसैचुरेटेड (polyunsaturated fats) वसा जैसे – जैतून का तेल, मूंगफली का तेल, बादाम, कैनोला ऑयल (canola oil), अखरोट (walnuts) और , एवोकैडो (avocados) आदि।
कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का चयन करें।
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कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जो टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) की समस्या में वृद्धि कर सकते हैं अतः इन पदार्थों के सेवन पर रोक लगाई जानी चाहिए। इन पदार्थों में शामिल हैं:
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