Typhoid In Babies in Hindi: बच्चों में टाइफाइड आमतौर पर उचित स्वच्छता नहीं रखने के कारण होता है । टाइफाइड एक प्रकार का जीवाणु संक्रमण (bacterial infection) है, जो खराब स्वच्छता वाले देशों में अधिक सामान्य है। बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली विकास की अवधि में होने पर, उनमें सूक्ष्म जीवाणुओं के संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इसलिए टाइफाइड बुखार वयस्कों की अपेक्षा बच्चों और नवजात शिशुओं में अधिक गंभीर हो सकता है, तथा इलाज के अभाव में टाइफाइड बुखार से पीड़ित बच्चों की मृत्यु तक हो सकती है। बच्चे में टाइफाइड बुखार का पता लगाने के लिए इसके कारणों, लक्षणों और निदान के तरीकों के बारे में जानना आवश्यक होता है, तभी माता पिता अपने बच्चों को टाइफाइड से बचा सकते हैं और उचित इलाज प्रदान कर सकते हैं।
यदि आपके बच्चे में टाइफाइड के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि बिना सही इलाज के मामलों में इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। आज के इस लेख में आप जान सकते हैं कि बच्चों में टाइफाइड क्या है, बच्चों में टाइफाइड के लक्षण, कारण, इलाज, बचाव और घरेलू उपचार के बारे में।
विषय सूची
- शिशुओं में टाइफाइड – तथ्य और कारण – Typhoid In Babies – Facts And Causes in Hindi
- बच्चों में टाइफाइड बुखार – Typhoid in babies in Hindi
- बच्चों में टाइफाइड के लक्षण – Typhoid fever in babies symptoms in Hindi
- शिशुओं में टाइफाइड के कारण – Typhoid fever in babies causes in Hindi
- बच्चों में टाइफाइड के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए – When to see a doctor for babies typhoid in Hindi
- शीशुओं में टाइफाइड का निदान – Typhoid fever in babies diagnosis in Hindi
- बच्चों में टाइफाइड का इलाज – Typhoid in babies treatment in Hindi
- शिशुओं में टाइफाइड के जोखिम कारक – Typhoid fever in babies Risk factors in Hindi
- शिशुओं में टाइफाइड से बचाव – Typhoid fever in babies prevention in Hindi
- बच्चों के लिए टाइफाइड वैक्सीन – Typhoid vaccine in babies in Hindi
- छोटे बच्चों में टाइफाइड की जटिलताएं – Typhoid fever in babies Complications in Hindi
- टाइफाइड में बच्चों को क्या खिलाना चाहिए – Typhoid fever diet in babies in Hindi
शिशुओं में टाइफाइड – तथ्य और कारण – Typhoid In Babies – Facts And Causes in Hindi
- बच्चों में टाइफाइड खतरनाक हो सकता है, यह महत्वपूर्ण है कि आप रोग पैदा करने वाले कारकों को जानते हैं। यहाँ टाइफाइड बुखार के कुछ कारण दिए गए हैं:
- टाइफाइड आमतौर पर हैजा की तरह ही भोजन और पानी से फैलता है; यह एक छूत की बीमारी (contagious disease) है जो आसानी से फैलती है।
- अपने और अपने बच्चे के हाथों को बार-बार धोएं, ताकि टाइफाइड बेसिलस पानी या भोजन के माध्यम से स्थानांतरित न हो पाये ।
- हाथ धोना इसलिए भी आवश्यक है ताकि यह दूषित हाथों से न फैल सके।
(और पढ़ें – टाइफाइड बुखार कारण लक्षण और इलाज)
बच्चों में टाइफाइड बुखार – Typhoid in babies in Hindi
टाइफाइड बुखार को आंत्र ज्वर के नाम से भी जाना जाता है, जो कि साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। चूँकि शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाती है, जिसके कारण शिशु वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। टाइफाइड बुखार किसी भी उम्र में व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन बच्चों और नवजात शिशुओं में यह बीमारी बहुत अधिक गंभीर हो सकती है तथा इलाज के अभाव में पीड़ित बच्चों की मृत्यु तक हो जाती है। अतः उचित स्वच्छता बनाए रखना ही बच्चों और शिशुओं को संक्रमण से बचाने का उचित तरीका है।
यदि बच्चे या नवजात शिशुओं में टाइफाइड बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। टाइफाइड की रोकथाम के लिए दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को टीका लगाया जा सकता है।
बच्चों में टाइफाइड के लक्षण – Typhoid fever in babies symptoms in Hindi
टाइफाइड बुखार के संकेत और लक्षण, संक्रमण की स्थिति से 7 से 14 दिन के बाद प्रगट हो सकते हैं। अतः यह दिखाई देने वाले लक्षण हल्के से गंभीर होते चले जाते हैं और लगभग 4 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं। शिशुओं में टाइफाइड बुखार के लक्षणों और संकेतों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- शिशुओं को लगातार तेज बुखार रहना
- बुखार में धीरे-धीरे 39°C से 40°C तक की वृद्धि होना
- बच्चों के गले में खराश
- शिशुओं में कमजोरी आना
- ऊर्जा में कमी दिखाई देना
- बचों में चिड़चिड़ापन
- भूख में कमी आना
- दस्त लगना
- बच्चे के वजन में कमी आना
- पेट या छाती पर अस्थायी गुलाबी धब्बे (चकत्ते) दिखाई देना, इत्यादि।
शिशुओं में टाइफाइड के कारण – Typhoid fever in babies causes in Hindi
टाइफाइड बुखार का मुख्य कारण साल्मोनेला टायफी नामक बैक्टीरिया होता है। इस बैक्टीरिया का प्रमुख वाहक एक संक्रमित व्यक्ति होता है और दूषित भोजन या पानी के माध्यम से फैलता है। एक संक्रमित व्यक्ति के मूत्र या मल के माध्यम से इसे उत्सर्जित किया जाता है। इसके अतिरिक्त संक्रमण तब भी हो सकता है, जब एक संक्रमित व्यक्ति द्वारा बाथरूम का उपयोग करने के बाद बिना धुले हांथों से भोजन या पेय को परोसा जाता है।
बच्चों में टाइफाइड के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए – When to see a doctor for babies typhoid in Hindi
यदि नवजात शिशु में तेज बुखार, बेचैनी, लगातार उल्टी और दस्त के लक्षण दिखाई दे रहें हो, तो इस स्थिति में बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। यहां तक कि अगर लक्षण बहुत हल्के हैं, फिर भी संक्रमण की स्थिति का तुरंत निदान करने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
शीशुओं में टाइफाइड का निदान – Typhoid fever in babies diagnosis in Hindi
बच्चों और नवजात शिशुओं में टाइफाइड का निदान करने के लिए डॉक्टर बच्चे के लक्षणों के बारे में प्रश्न पूंछ सकता है। यदि डॉक्टर को शिशु में टाइफाइड बुखार होने का संदेह होता है, तो डॉक्टर बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की सिफारिश कर सकता है। चूँकि टाइफाइड में शिशुओं में दिखाई देने वाले लक्षण आसानी से अन्य बीमारियों के साथ भ्रमित कर सकते हैं। अतः एक बाल रोग विशेषज्ञ टाइफाइड का सटीक निदान करने के लिए बच्चे के मल, मूत्र या रक्त के नमूने की जाँच करने की भी सिफ़ारिश कर सकता है। जबकि रक्त और मल परीक्षण के परिणामों के आधार पर ही डॉक्टर द्वारा टाइफाइड बुखार की पुष्टि की जा सकती है।
बच्चों में टाइफाइड का इलाज – Typhoid in babies treatment in Hindi
बीमार बच्चे में साल्मोनेला टायफी बैक्टीरिया के संक्रमण की पुष्टि की जाने के बाद डॉक्टर द्वारा बच्चों के टाइफाइड बुखार का इलाज एंटीबायोटिक द्वारा किया जा सकता है, आमतौर पर एंटीबायोटिक द्वारा इलाज प्रारम्भ करने के कुछ दिनों बाद ही लक्षणों में कमी देखने को मिल सकती है। डॉक्टर द्वारा बच्चे की उम्र और वजन के आधार पर सही खुराक को निश्चित किया जाता है।
अतः शिशुओं या बच्चों को इलाज के दौरान मौखिक एंटीबायोटिक दवाओं की सिफ़ारिश की जा सकती है। जबकि गंभीर मामलों में, एंटीबायोटिक दवाओं को अंतःशिरा के माध्यम से दिया जाता है। टाइफाइड से पूरी तरह ठीक होने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का पूरा कोर्स प्राप्त करना आवश्यक होता है।
टाइफाइड बुखार की स्थिति में बच्चे को पसीने, उल्टी और दस्त जैसे लक्षणों के कारण निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न हो सकती है। टाइफाइड की स्थिति में बच्चों को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ के सेवन की सिफारिश की जाती है तरल पदार्थ के रूप में शिशुओं के लिए पानी और स्तन दूध देना सुरक्षित होता है। डॉक्टर या बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा छोटे बच्चों में निर्जलीकरण की समस्या को दूर करने के लिए ओआरएस (ORS) या मौखिक पुनर्जलीकरण विलयन (oral rehydration solution) की सिफारिश की जा सकती है।
रीफ्रेशिंग वॉश: यदि बीमारी के दौरान माता-पिता अपने बच्चे को प्रतिदिन नहलाना नहीं चाहते हैं, तो बच्चे को दिन में कम से कम एक बार रिफ्रेशिंग वॉश (Refreshing wash) देने की कोशिश करनी चाहिए। स्पंज स्नान (sponge bath) भी बच्चों के स्नान का एक पसंदीदा तरीका हो सकता है। बुखार की स्थिति में बच्चों के प्रतिदिन दिन कपड़े बदलें, ताकि वह तरोताजा महसूस करे।
(और पढ़ें – बच्चों के दस्त (डायरिया) दूर करने के घरेलू उपाय)
शिशुओं में टाइफाइड के जोखिम कारक – Typhoid fever in babies Risk factors in Hindi
जिन बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उन बच्चों में संक्रमण का अधिक जोखिम होता है। इसके अतिरिक्त संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बच्चों के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है।
पूरी तरह से स्तनपान पर आश्रित शिशुओं को टाइफाइड संक्रमण होना असामान्य है, क्योंकि वे अपनी मां के दूध के माध्यम से प्रतिरक्षा हासिल करते हैं और दूषित भोजन की चपेट में नहीं आते हैं।
शिशुओं में टाइफाइड से बचाव – Typhoid fever in babies prevention in Hindi
टाइफाइड बुखार से बच्चे को बचाने के लिए रोकथाम उपाय अपनाए जाने चाहिए। अतः शिशुओं या बच्चों को टाइफाइड संक्रमण से बचाने के लिए रोकथाम उपाय निम्न हैं जैसे:
- दूषित पेयजल संक्रमण का एक प्रमुख कारण बनता है, अतः बच्चों को उबला और साफ पानी देना चाहिए
- बच्चों को खाना खिलाते समय हाथ साफ रखना चाहिए
- पूरी तरह स्तन दूध पर आश्रित शिशुओं को टाइफाइड का ख़तरा बहुत कम होता है, अतः शिशुओं को स्तनपान के माध्यम से उचित पोषण प्रदान करें
- बच्चों के बार-बार हाथ धुलाना चाहिये
- यदि बच्चों को बाहर का खाना न खिलाएं
- बच्चों या शिशुओं को अच्छी तरह उबले आहार का सेवन कराना चाहिए
- टाइफाइड में बच्चों को गर्म पानी से नहलाना चाहिए, तथा शरीर को साफ टाबिल से पोंछना चाहिए
- परिवार के सदस्यों सहित बड़े बच्चों को भी अच्छी स्वच्छता रखने के तरीकों के बारे में सिखाना चाहिए, जैसे खाना खाने, खाना पकाने और बच्चे को खिलाने से पहले अच्छी तरह साबुन और गर्म पानी से हाँथ धोना, शौचालय का उपयोग करने, पालतू जानवरों को छूने के बाद भी हाँथ धोना इत्यादि।
(और पढ़ें – हाथ धोने का सही तरीका और फायदे )
बच्चों के लिए टाइफाइड वैक्सीन – Typhoid vaccine in babies in Hindi
एक टाइफाइड वैक्सीन का उपयोग टाइफाइड की रोकथाम के लिए किया जाता है दो साल से अधिक उम्र के छोटे बच्चों के लिए नियमित रूप से टीकाकरण किया जाना आवश्यक होता है। टाइफाइड टीके तीन साल तक बच्चों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। अतः बच्चों को संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने लिए टीकाकरण कराना सुनिश्चित करें। 2 साल से छोटे बच्चों को इस टीके की सिफारिश नहीं की जाती है। बच्चों में टाइफाइड की रोकथाम के लिए दो प्रकार के टीके उपलब्ध हैं:
वैक्सीन इंजेक्शन (vaccine Injection) – इस प्रकार के टीके को दो साल या इससे अधिक उम्र के बच्चों की बाहों में इंजेक्ट किया जाता है।
मौखिक वैक्सीन (oral vaccines) – मौखिक वैक्सीन उन बच्चों की सिफारिश उन बच्चों को की जाती है जिनकी उम्र छह साल या उससे अधिक होती है।
छोटे बच्चों में टाइफाइड की जटिलताएं – Typhoid fever in babies Complications in Hindi
यदि टाइफाइड बुखार का जल्द से जल्द इलाज नहीं किया जाए, तो यह बच्चों में अनेक प्रकार की जटिलताओं को उत्पन्न कर सकता है। बच्चों में टाइफाइड बुखार से सम्बंधित जटिलताओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- आंत्र से रक्तस्राव या आंत्र की क्षति
- गंभीर रूप से वजन में कमी
- गंभीर दस्त की समस्या
- किडनी या पित्ताशय में संक्रमण
- मैनिंजाइटिस (Meningitis)
- निमोनिया
- ब्रोंकाइटिस
- रक्त-विषाक्तता (Blood poisoning)
- लगातार तेज बुखार
- प्रलाप (delirium) या मतिभ्रम की समस्या
टाइफाइड में बच्चों को क्या खिलाना चाहिए – Typhoid fever diet in babies in Hindi
टाइफाइड की स्थिति में शिशुओं या बच्चों को उचित और सुरक्षित आहार खिलाने की सलाह दी जाती है। शिशुओं को आहार में स्तनपान दूध सबसे सुरक्षित आहार माना गया है। टाइफाइड से पीड़ित बच्चा बड़ा है, तो उसे स्वस्थ और सुरक्षित भोजन प्रदान करना चाहिए। स्वस्थ आहार के तहत निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
- कुछ प्रोटीन उत्पाद जैसे मसूर दाल, बीन्स, राजमा, अंडे या दुबला मांस (lean meat)
- फल और सब्जियां शामिल
- डेयरी उत्पाद जैसे उबला हुआ दूध, दही इत्यादि
- टाइफाइड से पीड़ित बच्चों को हमेशा गर्म और अच्छी तरह पका हुआ खाना देना चाहिए।
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