vaginal atrophy in Hindi वेजाइनल एट्रॉफी यौन संबंधी समस्या है जो आमतौर पर महिलाओं को होती है। अपने जीवन काल में लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं वेजाइनल एट्रॉफी के लक्षणों को महसूस करती हैं लेकिन शर्म और झिझक (Hesitation) के कारण सिर्फ 25 प्रतिशत महिलाएं ही इस बीमारी का इलाज करा पाती हैं। इसके साथ ही कुछ महिलाएं घर पर ही इस समस्या का घरेलू उपचार कर लेती हैं लेकिन वे डॉक्टर के पास जाना पसंद नहीं करती हैं। कुछ मामलों में इस समस्या की अनदेखी करने पर यह गंभीर हो सकती है। आइये वेजाइनल एट्रॉफी के कारण, लक्षण और उपचार को विस्तार से जानते है।
विषय सूची
1. वेजाइनल एट्रॉफी क्या है? – What is vaginal atrophy in Hindi
2. वेजाइनल एट्रॉफी के लक्षण – Symptoms of vaginal atrophy in Hindi
3. वेजाइनल एट्रॉफी के कारण – Causes of vaginal atrophy in Hindi
4. मवेजाइनल एट्रॉफी का निदान – Diagnosis of vaginal atrophy in Hindi
5. वेजाइनल एट्रॉफी का इलाज – Treatment of vaginal atrophy in Hindi
6. वेजाइनल एट्रॉफी से बचाव – Prevention of vaginal atrophy in Hindi
वेजाइनल एट्रॉफी क्या है? – What is vaginal atrophy in Hindi
योनि में सूखापन (dryness) आने एवं योनि की दीवार पतली हो जाने की स्थिति को वेजाइनल एट्रॉफी कहा जाता है। यह बीमारी आमतौर पर महिलाओं को मेनोपॉज के बाद होती है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है जिसके कारण योनि की दीवार (vagina’s wall) पतली हो जाती है। आपको बता दें कि महिलाओं में मेनोपॉज 45 से 55 वर्ष की उम्र के बी होता है और इसके बाद महिलाओं का अंडाशय अंडे नहीं बनाता है। इसके बाद उनका मासिक धर्म बीच बंद हो जाता है। वेजाइनल एट्रॉफी से पीड़ित महिलाओं की योनि और मूत्राशय में तेजी से संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा यौन संबंध बनाने के दौरान भी उनकी योनि में तेज दर्द होता है।
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वेजाइनल एट्रॉफी के लक्षण – Symptoms of vaginal atrophy in Hindi
vaginal atrophy वेजाइनल एट्रॉफी के लक्षण हर महिला में अलग-अलग दिखायी दे सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि महिलाओं को vaginal atrophy के सभी लक्षण एक साथ महसूस हों। वेजाइनल एट्रॉफी के लक्षण निम्न हैं।
- सेक्स की इच्छा में कमी होना
- योनि में सूखापन और खुजली होना
- योनि से तरल पदार्थों का स्राव होना
- संभोग के दौरान योनि में चिकनाहट न होना
- संभोग (intercourse) के बाद ब्लीडिंग होना।
- मूत्राशय में संक्रमण होना
- योनि में अत्यधिक सिकुड़न
- बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना।
- योनि में जलन होना।
- यौन संबंध बनाने में परेशानी होना
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वेजाइनल एट्रॉफी के कारण – Causes of vaginal atrophy in Hindi
मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन घट जाना वेजाइनल एट्रॉफी का एक आम (common) कारण है। इसके अलावा यह समस्या बच्चे को जन्म देने के बाद भी महिलाओं को होती है और किसी बीमारी के इलाज के लिए एंटी एस्ट्रोजन दवाओं (anti estrogen drug) के इस्तेमाल से भी वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या हो जाती है।
जब तक महिलाओं को मेनोपॉज नहीं होता है तब तक उनके अंडाशय (ovary) में एस्ट्रोजन बनता रहता है। लेकिन मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन बनना बंद हो जाता है। मेनोपॉज से पहले महिलाओं के ब्लड स्ट्रीम में मौजूद एस्ट्रोजन योनि की त्वचा की रक्षा करता है और योनि स्राव को उत्तेजित करता है। लेकिन मेनोपॉज के बाद जब अंडाशय (ovaries) में एस्ट्रोजन का निर्माण होना बंद हो जाता है तो योनि की दीवार पतली हो जाती है जिसके कारण योनि से स्राव होना बंद हो जाता है।
इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर, एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis), फाइब्रायड्स (fibroids) और बांझपन के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं एवं हार्मोन के कारण भी एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है और इसके कारण vaginal atrophy की समस्या हो सकती है।
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वेजाइनल एट्रॉफी होने के अन्य कारण निम्न हैं।
- श्रोणि क्षेत्र (pelvic area) का इलाज
- अनियंत्रि डायबिटीज
- कीमोथेरेपी
- अत्यधिक तनाव
- डिप्रेशन
- कठिन एक्सरसाइज
कम उम्र की ऐसी महिलाएं जिन्होंने अपना अंडाशय निकलवाने के लिए सर्जरी करवायी हो, उन्हें भी वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या हो सकती है। इसके अलावा बच्चे को दूध पिलाने (breastfeeding) के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर स्वाभाविक रूप से घट जाता है जिसके कारण महिलाओं को वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या हो सकती है।
योनि में साबुन लगने एवं लोशन और परफ्यूम के कारण जलन (irritation) और खुजली से वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या हो सकती है। अधिक स्मोकिंग, टैम्पोन, यीस्ट इंफेक्शन और कंडोम वेजाइनल एट्रॉफी या योनि में सूखेपन की समस्या को और अधिक गंभीर कर बना सकता है।
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वेजाइनल एट्रॉफी का निदान – Diagnosis of vaginal atrophy in Hindi
यौन संबंधी समस्याओं (sexual problem) के बारे में बात करने में ज्यादातर महिलाएं शर्म या संकोच करती हैं। यही कारण है कि वे डॉक्टर के पास भी जाना नहीं चाहती हैं। लेकिन यदि आपको वेजाइनल एट्रॉफी के लक्षण दिखायी दे रहे हों तो इसकी अनदेखी न करें और डॉक्टर के पास जाकर इस समस्या का निदान कराएं।
वेजाइनल एट्रॉफी के निदान के लिए डॉक्टर पीड़ित मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं और उससे इस बारे में भी पूछते हैं कि उसका पीरियड बंद हुए कितना समय हो चुका है, उसे पहले कैंसर जैसी बीमारी तो नहीं रही है। इसके अलावा मरीज से यह भी पूछा जाता है वह कौन सा साबुन, परफ्यूम या डियोडोरेन्ट्स का इस्तेमाल करती है।
महिलाओं के आंतरिक यौन अंग इन उत्पादों के प्रति संवेदनशील होते हैं और इसके कारण वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या हो सकती है। इसके बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ महिलाओं के पेल्विक की जांच करती हैं और जननांग के बाहरी हिस्से की जांच करके योनि की चिकनाई, योनि की परत (vaginal lining), लचीलापन (flexibility), मूत्राशय की कोशिकाओं में खिंचाव आदि के बारे में पता लगाती हैं। इसके बाद वेजाइनल एट्रॉफी के निदान के लिए मरीज को ब्लड टेस्ट, पेल्विक परीक्षण, वेजाइनल स्मीयर टेस्ट( vaginal smear test), यूरिन टेस्ट और वेजाइनल एसिडिटी टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।
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वैजाइनल स्मियर टेस्ट (Vaginal Smear Test)
इस टेस्ट में डॉक्टर योनि की दीवार से कोशिकाओं को लेकर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से उसका परीक्षण करते हैं और यह देखते हैं की इन कोशिकाओं में किस तरह का बैक्टीरिया मौजूद है।
वेजाइनल एसिडिटी टेस्ट (Vaginal acidity test)
इस टेस्ट में डॉक्टर योनि में एक पेपर इंडिकेटर को प्रवेश कराते हैं और योनि के स्राव को इकट्ठा करके उसका परीक्षण करते हैं।
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वेजाइनल एट्रॉफी का इलाज – Treatment of vaginal atrophy in Hindi
vaginal atrophy वेजाइनल एट्रॉफी का इलाज संभव है औऱ समय पर इस समस्या का इलाज कराकर पहले की तरह जीवन को सामान्य बनाया जा सकता है। आमतौर पर वेजाइनल एट्रॉफी का इलाज इसके लक्षणों पर ही निर्भर होता है। यदि इस बीमारी के लक्षण अधिक गंभीर हों तो डॉक्टर एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने की सलाह देते हैं, इससे योनि में लचीलापन और प्राकृतिक नमी (natural moisture) लौट आती है। एस्ट्रोजन मुंह के माध्यम से ही लिया जाता है और यह रक्त धारा (bloodstream) में मिलकर वेजाइनल एट्रॉफी के लक्षणों को कम कर देता है।
इसके अलावा एस्ट्रिंग (Estring) नामक वेजाइनल रिंग भी योनि में डाली जाती है जो ब्लड स्ट्रीम में एस्ट्रोजन को पहुंचाती है। वेजाइनल एट्रॉफी के इलाज के लिए प्रीमैरिन (Premarin) और एस्ट्रेस (Estrace) नामक एस्ट्रोजन क्रीम भी उपलब्ध है जिसे कुछ हफ्तों तक रात को सोते समय योनि में लगाने से योनि में प्राकृतिक रूप से (naturally) नमी लौट आती है और योनि लचीली भी हो जाती है।
बाजार में वेजिफेम (Vagifem) नामक वेजाइनल एस्ट्रोजन टेबलेट भी मौजूद है जिसे डिस्पोजल से योनि में डाला जाता है और हफ्ते में दो बार इसे योनि में डालने से वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या खत्म हो जाती है।
नोट – किसी भी क्रीम या टैबलेट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
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वेजाइनल एट्रॉफी से बचाव – Prevention of vaginal atrophy in Hindi
- अगर आपको मेनोपॉज हो गया हो तो वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या से पीड़ित होने से पहले ही एस्ट्रोजन का इस्तेमाल करें ताकि आप इस समस्या से बच सकें।
- प्रतिदिन सेक्स करने से वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या से बचा जा सकता है। यौन संबंध बनाने के दौरान पानी में घुलनशील वेजाइनल ल्यूब्रिकेंट (vaginal lubricant) का प्रयोग करना चाहिए, यह योनि में नमी (moisture) और चिकनाहट को बनाये रखने में मदद करता है।
- यदि आप स्मोकिंग करती हैं तो आपको वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या हो सकती है क्योंकि धूम्रपान करने से योनि में पर्याप्त खून का प्रवाह नहीं हो पाता है और सिगरेट में मौजूद केमिकल शरीर में प्राकृतिक रूप से एस्ट्रोजन के निर्माण को रोकते हैं। इसलिए धूम्रपान छोड़कर इस समस्या से बचा जा सकता है।
- यदि बच्चे को जन्म देने के बाद या मेनोपॉज के बाद आपको कुछ असामान्य (uncommon) से लक्षण महसूस होते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। समय पर इलाज कराकर आप वेजाइनल एट्रॉफी की समस्या से बच सकती हैं।
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