Vasisthasana in Hindi: वशिष्ठासन योग पूरी तरह से हाथों पर संतुलन की मुद्रा है, जो सीधे आपकी कलाई और ट्राइसेप को लक्षित करता है। साइड प्लैंक पोज मध्यवर्ती स्तर योगियों के लिए एक आदर्श आसन है। जब आप इस आसन का अभ्यास करते हैं, तो आपका मन शांत और तनाव मुक्त होता है। लेकिन जब आप तनावमुक्त हो रहे होते हैं, तो आपके हाथ और कंधे इस योग के माध्यम से ताकत पैदा कर रहे होते हैं। वशिष्ठासन योग हार्ट चक्र को सक्रिय करने के लिए जाना जाता है। यह आसन एक शक्तिशाली आसन है जो आपको आंतरिक शक्ति विकसित करने में भी मदद करता है। इस आसन को करते समय अपने शरीर को पूरी तरह से सीधा रखा जाता है। वाशिष्ठासन योग बच्चों या पुरुषों सभी में शारीरिक और मानसिक संतुलन की भावना को बेहतर बनाने में मदद करता करता है।
आइये वशिष्ठासन योग करने के तरीके और उसके फायदे विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. वशिष्ठासन क्या है – What is Vasisthasana in Hindi
2. वशिष्ठासन योग करने से पहले करें यह आसन – Vasisthasana yoga karne se pahle Kare ye aasan in Hindi
3. वशिष्ठासन योग करने का तरीका – Steps to do Vasisthasana yoga in Hindi
4. शुरुआती लोगों के लिए वशिष्ठासन योग करने के टिप – Beginner’s Tip to do Vasisthasana yoga in Hindi
5. वशिष्ठासन योग करने फायदे – Benefits Of The Vasisthasana yoga in Hindi
6. वशिष्ठासन योग करने से पहले यह सावधानी रखें – Precautions to do Vasisthasana yoga in Hindi
वसिष्ठासन प्लैंक पोज़ का साइड वेरिएशन है और मध्यवर्ती स्तर के अंतर्गत आता है। वशिष्ठासन योग का नाम संस्कृत से लिया गया हैं। “वशिष्ठ” सात ऋषियों में से एक महान ऋषि का नाम है, इसलिए वसिष्ठासन योग महान ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है। वसिष्ठासन योग दो शब्दों “वशिष्ठ” और “आसन” से मिलकर बना है, जिसमें वशिष्ठ एक महान ऋषि का नाम है जिसका अर्थ “धनवान” होता है और दूसरा शब्द “आसन” जिसका अर्थ “पोज़ या मुद्रा” होता हैं। यह आसन स्वास्थ्य का पावरहाउस है, इसलिए इसका नाम वशिष्ठ के नाम पर रखा गया है। वसिष्ठासन को साइड प्लैंक पोज (side plank pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को वन आर्म बैलेंस पोज (One Arm Balance Pose) भी कहा जाता है।
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वशिष्ठासन योग करने से पहले आप नीचे दिए गए कुछ आसन का अभ्यास करें जिससे आपको इस आसन करने में आसानी होगी-
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वशिष्ठासन योग आसन आपको पहले करने थोड़ा कठिन लग सकता है, लेकिन लगातार अभ्यास के बाद आप इस योग को आसानी से कर सकते हैं। आप वशिष्ठासन योग करने के लिए निम्न स्टेप्स को करें।
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यदि आप एक बिगिनर हैं और योग अभ्यास की अभी अभी शुरुआत कर रहें है तो जब आप इस आसन में होते हैं तो अपने आप को संतुलित करना मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आपको वशिष्ठासन योग को करते समय अपने घुटनों को फर्श पर रखना चाहिए जिससे आपके हाथों को ताकत मिलती है और फिर आप अपने शरीर के भार को उठा सकते हैं। इसके अलावा अगर बिगिनर को एक पैर को दूसरे पैर पर रखने में भी कठिनाई होती है तो वो पैरों को थोड़ा अलग रखें, जैसे कि दाएं पैर का किनारा बाहर और बाएं पैर का किनारा भीतरी ओर रहें।
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वशिष्ठासन योग आसन हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। यह हमारे शरीर में होने वाली कई प्रकार की समस्या से हमें दूर रखता हैं। आइये इसके लाभों को विस्तार से जाते हैं।
वाशिष्ठासन योग का अभ्यास मुख्य रूप से हाथों, भुजाओं और कंधों की ताकत में सुधार करने के लिए किया जाता है। इसलिए इसे वन साइड आर्म बैलेंस पोज भी कहा जाता है। इस योग का अभ्यास कंधे की हड्डी को जोड़ने के लिए किया जाता हैं, क्योंकि यह सभी हाथ संतुलन योग के लिए आवश्यक है। वाशिष्ठासन योग आपके हाथों को टोन करने में भी मदद करता हैं।
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साइड प्लैंक पोज़ (वसिष्ठासन) का अभ्यास संतुलन और स्थिरता के लिए किया जाता हैं। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ दोनों तरफ समान खिंचाव और स्थिरता पाने में मदद मिलती हैं। इससे मिलने वाला खिंचाव, स्थिरता पाने और ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ मन के दोनों हिस्सों में संतुलन लाने में मदद करता है।
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निचले शरीर को मजबूत करने के लिए वशिष्ठासन योग बहुत ही लाभदायक होता हैं। यह योग ग्लूटस मैक्सिमस (gluteus maximus), हैमस्ट्रिंग, क्वाड्रिसेप्स और पिंडलियों को मजबूत करने में एक महान भूमिका निभाता है। इससे निचले शरीर की टोनिंग की जाती है साथ में उसकी ताकत और लचीलेपन में सुधार किया जाता है।
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अपनी कोर को मजबूत करने के लिए वशिष्ठासन योग बहुत ही फायदेमंद होता हैं। इसके अलावा यह योग आपके पेट की मांसपेशियों पर भी काम करता हैं। इस योग के दौरान आपको अपनी रीढ़ की हड्डी को पूरी तरह सीधा रखना होता है जिसे आपकी पेट की मांसपेशियों पर जोर पड़ता हैं। इसलिए यदि आप एक मजबूत कोर और एब्स चाहते हैं, तो साइड प्लैंक से शुरू करें।
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जब आप वशिष्ठासन योग को करते है तो आपको इसे करने के लिए अपने दोनों कूल्हों को फर्श से उठा कर रीढ़ की हड्डी की रेखा में करना पड़ता हैं, तो इससे आप श्रोणि तल की मांसपेशियों का भी उपयोग करते हैं। यह योग दोनों तरफ समान रूप से अभ्यास करने पर कूल्हों में स्थिरता लाने में मदद करेगा। जब कूल्हों में स्थिरता होती है और कोर की मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं, तो यह दोनों रीढ़ की हड्डी का समर्थन करते हैं।
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साइड प्लैंक पोज़ अर्थात वशिष्ठासन योग ज्यादातर शरीर के भार को कलाई और पैरों पर आराम देने के साथ दबाव डालता है। कलाई सभी आर्म बैलेंस पॉज़ का अनिवार्य हिस्सा है, इसलिए ताकत और लचीलापन बनाने के लिए, उन पर काम करने के लिए वशिष्ठासन योग एक महान मुद्रा है।
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वशिष्ठासन योग हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का बेहतर तरीका है। लेकिन इस योगासन को करने के दौरान आपको विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।
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