Vidyarthi jeevan aur anushasan विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन ही सफलता की कुंजी है, अनुशासन का हम सभी के जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। लेकिन विद्यार्थियों के जीवन में अनुशासन की भूमिका काफी बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि विद्यार्थियों को कच्चे घड़े के समान माना जाता है। इसका अर्थ यह है कि छात्र अपने विद्यार्थी जीवन से जो कुछ भी सीखता है उसी से उसके भविष्य और व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यही कारण है कि घर में माता पिता और स्कूल में शिक्षक हमें अनुशासन में रहना सिखाते हैं। वास्तव में अनुशासित जीवन जीना कभी कभी बहुत मुश्किल काम हो सकता है लेकिन जब इसकी आदत पड़ जाती है और विद्यार्थी को इसका मनचाहा फल मिलने लगता है तो वह इसका आदी हो जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
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विद्यार्थी जीवन से ही छात्रों को अनुशासन का महत्व बताने से उन्हें अपने काम, पढ़ाई की गतिविधियों और लक्ष्य के प्रति ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। जब बचपन से ही एक लक्ष्य निर्धारित हो जाता है तो विद्यार्थी उसी के अनुसार पढ़ाई में भी मेहनत करते हैं और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जुट जाते हैं। वास्तव में अनुशासन मस्तिष्क को लक्ष्य से भटकने नहीं देता है जिसके कारण अनुशासन में रहने वाले छात्र बहुत जल्द ही सफलता प्राप्त कर लेते हैं और अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं।
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अक्सर हम देखते हैं कि कक्षा में शिक्षकों की आज्ञा का पालन करने वाले और अनुशासन में रहने वाले छात्र का हर कोई सम्मान करता है। माना जाता है कि जो छात्र अनुशासन में रहता है उसके काम करने का तरीका भी काफी अलग होता है। ऐसे छात्र सबके बीच बहुत लोकप्रिय होते हैं और हर कोई उनकी तारीफ करता है। इसके अलावा अनुशासन का छात्र जीवन में एक अन्य महत्व यह है कि अनुशासित रहने से विद्यार्थी के कार्यक्षमता में सुधार होता है, जिससे वे समय रहते अच्छे तरीके से अपने परीक्षा की बेहतर तैयारी कर पाते हैं और अच्छे परिणाम आने पर माता पिता के साथ ही गुरुजनों से भी सम्मान प्राप्त करते हैं।
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विद्यार्थी के अनुशासन की भूमिका सिर्फ शिक्षकों की बात मानना ही नहीं है बल्कि इसमें समय पर भोजन, स्नान, प्रार्थना, व्यायाम करना, पढ़ाई, सही समय पर स्कूल पहुंचना, सोना और माता पिता का आदर करना भी शामिल है। वास्तव में विद्यार्थियों में व्यायाम सहित रोजाना की अन्य आदतें उनके मस्तिष्क और शरीर को इतनी अच्छी तरह से ट्यून करती हैं कि विद्यार्थी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। यहां तक कि स्वस्थ रहने पर विद्यार्थी का पढ़ाई में भी बहुत मन लगता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का यह एक विशेष महत्व है।
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माना जाता है कि अनुशासन विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने का एक तरीका है। अनुशासन छात्रों में भीतर से उत्साह और आत्मविश्वास पैदा करने में मदद करता है। जिसके कारण विद्यार्थी आलस छोड़कर अधिक सक्रिय होकर अपना काम करते हैं। आमतौर पर अनुशासित जीवन जीने वाले विद्यार्थियों की रणनीतियां भी दूसरों से काफी हटकर होती हैं। वे हर क्षेत्र में काफी फुर्तीले तरीके से अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। चाहे स्कूल में क्रिकेट मैच हो, खेल प्रतियोगिता, लेखन प्रतियोगिता हो या फिर अन्य कोई प्रतियोगिता, अनुशासित जीवन जीने वाला छात्र बेहतर परिणाम लाता है।
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मनोचिकित्सकों का मानना है कि अनुशासन विद्यार्थी को आत्म नियंत्रण यानि खुद के ऊपर कंट्रोल करना सीखाता है। इससे छात्र को यह पता चलता है कि वह कहां अपना कीमती समय बर्बाद कर रहा है, किसके साथ कैसा व्यवहार कर रहा है और कौन सी गंदी हरकतें कर रहा है। एक अनुशासित जीवन जीने वाला छात्र अपना दीपक खुद ही होता है क्योंकि अनुशासन उसे इतना कुछ सीखा देता है कि वह गलत और सही में फर्क करना सीख जाता है और वह रास्ते से अगर भटक भी रहा हो तो खुद को संभाल लेता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन की यह सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है।
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बेहतर शिक्षा के लिए किसी भी विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन होना बहुत जरूरी है। अनुशासन सीखे बिना शिक्षा अधूरी है। कक्षा में अनुशासन छात्रों को अच्छी तरह से शिक्षक की बातों को सुनने और पूरे पाठ्यक्रम को पूरा करने में मदद करता है। इसके अलावा अनुशासन से उन्हें सुबह स्कूल आने के लिए जल्दी जागने में मदद मिलती है। विद्यार्थियों को सुबह उठकर माता पिता को चरण स्पर्श करना सीखाया जाता है। अनुशासित छात्र शिक्षक की बातों का पालन करता है। यही कारण है कि छात्र जीवन में अनुशासन की भूमिका बढ़ जाती है।
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छात्र चाहे किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा हो या फिर स्कूल कॉलेज में नियमित पढ़ने जाता हो, अगर अनुशासित होकर अपनी दिनचर्या का पालन करता है तो उसे बेवजह का तनाव नहीं होता है। मनोविशेषज्ञ मानते हैं कि परीक्षा के दौरान डॉक्टर के पास आने वाले ऐसे छात्रों की संख्या बढ़ जाती है जो पूरे साल अनुशासनहीन होकर अपना समय बर्बाद करते हैं और परीक्षा के समय डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। कुछ विद्यार्थियों को एक्जाम फोबिया भी हो जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए चिकित्सक भी छात्रों को अनुशासित होकर समय पर कार्य करने की सलाह देते हैं।
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अनुशासित जीवन जीने वाला विद्यार्थी एक अलग तरह की शांति और खुशी का अनुभव करता है। इसका कारण यह है कि वह अपना काम बहुत तेजी से और सही समय पर पूरा कर लेता है। उसे टाल मटोल करने की आदत नहीं होती है। जिसके कारण उसके पास अन्य कामों के लिए भी पर्याप्त समय बच जाता है। बचे समय में वह खेलने जा सकता है, अपने भाई बहन का होमवर्क कराने में मदद कर सकता है या फिर बाजार जाकर कोई सामान भी ला सकता है। अनुशासन का महत्व समझने वाले विद्यार्थी को कम से कम इस बात की शिकायत नहीं रहती है कि घर के काम के कारण वह स्कूल का काम पूरा नहीं कर पा रहा है।
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अक्सर देखा गया है कि अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थियों की कक्षा में उपस्थिति भी सौ प्रतिशत होती है। ऐसे विद्यार्थी रोजाना स्कूल आते हैं और कभी भी स्कूल न जाने का बहाना नहीं करते हैं। इसके अलावा अनुशासित छात्र कक्षा में शिक्षक की बातों को ध्यान से सुनते हैं, इनके अंदर पाठ्यक्रम सामग्री सीखने की ललक रहती है। कक्षा में बेहतर उपस्थिति दर्ज कराने वाले छात्रों पर शिक्षकों की भी नजर रहती है और शिक्षक भी ऐसे छात्रों का उत्साहवर्धन करते हैं और छात्रों के मन में उठने वाले हर सवालों को सुलझाने के लिए तत्पर रहते हैं। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का यह एक बड़ा फायदा होता है।
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