वर्तमान में वायरल इन्फेक्शन अनेक बीमारियों की जड़ है, इसकी जानकारी का अभाव व्यक्तियों की मौत का सबसे बड़ा कारण है। वायरल इन्फेक्शन या वायरल संक्रमण मानव शरीर के अंदर एक हानिकारक वायरस का प्रसार है। वायरल रोग (viral diseases) के लक्षण वायरल इन्फेक्शन के कारण होने वाली कोशिका क्षति, ऊतक विनाश और प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। सभी प्रकार के वायरल इन्फेक्शन संक्रामक नहीं होते हैं, अर्थात एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं। लेकिन कुछ वायरल संक्रमण बेहद संक्रामक होते हैं, जो पीड़ित व्यक्ति के जीवन में हस्तक्षेप कर सकते है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को वायरल इन्फेक्शन फैलने के कारण और इससे बचने के उपाय के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।
इस लेख में वायरल इन्फेक्शन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गई हैं, जिसमें आप वायरल इन्फेक्शन क्या हैं, इसके प्रकार, कारण, लक्षण, जाँच, इलाज, बचाव और वायरल रोग के बारे में जान सकेगें।
विषय सूची
वायरल इन्फेक्शन क्या है – What Is a Viral Infection in Hindi
जब कोई वायरस शरीर की कोशिका पर कब्जा कर उनके कार्य को प्रभावित करता है, तो इसे वायरल संक्रमण कहा जाता है। हमारे आस-पास लाखों अलग-अलग प्रकार के वायरस मौजूद हो सकते हैं, लेकिन अभी तक लगभग 5,000 प्रकार के वायरस की पहचान की जा सकी है। वायरस के अन्दर आनुवंशिक कोड उपस्थित होता है जो प्रोटीन और लिपिड (वसा) अणुओं की परत से सुरक्षित रहता है।
वायरस जीवित कोशिका पर आक्रमण कर उससे जुड़ जाता है। कोशिका में प्रवेश करने के बाद वायरस की आनुवंशिक सामग्री, कोशिका को और अधिक वायरस बनाने के लिए मजबूर करती है। जब संक्रमित कोशिका मर जाती है, तो यह नए वायरस छोड़ती है, जो अन्य नयी कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
हालांकि, सभी वायरस अपनी होस्ट सेल (कोशिका) को नष्ट नहीं करते हैं। बल्कि कुछ वायरस कोशिका के कार्य को परिवर्तित कर देते हैं। जबकि कुछ वायरस, जैसे मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) और एपस्टीन-बार वायरस (Epstein-Barr virus (EBV)), कोशिकाओं को अनियंत्रित तरीके से वायरस का गुणन करने के लिए मजबूर करके कैंसर का कारण बन सकते हैं।
वायरस कुछ समय के लिए निष्क्रिय होकर पुन: सक्रिय हो सकता है, जो व्यक्ति के बार-बार बीमार होने का कारण बनता है।
कुछ सामान्य वायरल संक्रमण में शामिल हैं:
- सामान्य सर्दी – सामान्य सर्दी भी एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है, जो मुख्य रूप से राइनोवायरस (rhinovirus), कोरोनावायरस और एडेनोवायरस (adenovirus) के कारण होती है।
- एन्सेफलाइटिस (encephalitis) और मैनिंजाइटिस (meningitis)- ये दोनों ही वायरल इन्फेक्शन डिजीज, एंटरोवायरस (enteroviruses) और हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV), साथ ही साथ वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus) के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं।
- मस्से (warts) और त्वचा संक्रमण (skin infections) – इस प्रकार के वायरल इन्फेक्शन के लिए एचपीवी (Human papilloma virus) और एचएसवी (Herpes simplex virus) जिम्मेदार होते हैं।
- गैस्ट्रोएंटेराइटिस (gastroenteritis) या पेट का फ्लू (Stomach flu) – इस प्रकार के वायरल इन्फेक्शन का कारण बनने वाला वायरस, नोरोवायरस (norovirus) होता है।
- COVID-19 – यह एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है जिसका मुख्य कारण कोरोनावायरस संक्रमण है।
अन्य प्रकार के वायरल इन्फेक्शन निम्न हैं:
- जीका वायरस (Zika virus)
- HIV
- हेपेटाइटिस सी (hepatitis C)
- पोलियो (polio)
- इन्फ्लूएंजा (फ्लू), स्वाइन फ्लू
- डेंगू बुखार
- इबोला (Ebola), इत्यादि।
वायरल रोग क्या हैं – What Is Viral Diseases in Hindi
किसी भी प्रकार के वायरस के संक्रमण के परिणामस्वरूप वायरल रोग उत्पन्न होता है। भिन्न-भिन्न प्रकार के वायरस का संक्रमण, विभिन्न प्रकार के वायरल रोग का कारण बनता है। वायरल रोग का सबसे आम प्रकार सामान्य सर्दी है, जो ऊपरी श्वसन पथ में वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है। कुछ सामान्य प्रकार के वायरल रोगों में निम्न शामिल हैं:
- फ्लू (इन्फ्लूएंजा)
- हरपीज (Herpes)
- छोटी माता (Chickenpox)
- एचआईवी / एड्स
- संक्रामक मोनोन्यूक्लियोसिस (Infectious mononucleosis)
- वायरल मैनिंजाइटिस (Viral meningitis)
- वायरल हेपेटाइटिस (Viral hepatitis)
- शिंगल्स (Shingles or herpes zoster)
- कण्ठमाला (Mumps), खसरा (measles) और रूबेला (rubella)
- वायरल आंत्रशोथ (Viral gastroenteritis or stomach flu)
- वायरल निमोनिया (Viral pneumonia), इत्यादि।
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वायरल संक्रमण के प्रकार – Viral Infection Types in Hindi
वर्तमान में अनेक प्रकार के वायरल इन्फेक्शन मौजूद हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
श्वसन वायरल संक्रमण – Respiratory Viral Infections in Hindi
श्वसन वायरल संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के फेफड़े, नाक और गले को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार का वायरल संक्रमण वायु में उपस्थित वायरस कणों वाली बूंदों को साँस के माध्यम से अंदर लेने से फैलता है। श्वसन वायरल संक्रमण का कारण बनने वाले वायरस में निम्न को शामिल किया जाता है:
- राइनोवायरस – यह वायरस अक्सर सामान्य सर्दी का कारण बनता है।
- इन्फ्लूएंजा (Seasonal influenza) – यह वायरस मौसमी इन्फ्लूएंजा, मौसमी बुखार या फ्लू का कारण बनता है।
- रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (Respiratory Syncytial Virus) – यह वायरस मुख्य रूप से ऊपरी श्वसन संक्रमण (जैसे सर्दी) और निचले श्वसन संक्रमण (जैसे निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस) का कारण बन सकता है।
- SARS-COV-2 virus – यह एक श्वसन कोरोनावायरस (respiratory coronavirus) है, जो COVID-19 संक्रमण का कारण बनता है।
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स्किन वायरल इन्फेक्शन – Skin Viral Infections in Hindi
वायरल त्वचा संक्रमण (Skin Viral Infections) हल्के से अधिक गंभीर हो सकते हैं, और स्किन पर दाने, दाद, लाल चकत्ते के उत्पन्न होने का कारण बनते है। वायरल त्वचा संक्रमण का कारण बनने वाले वायरस में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- मोलस्कम कन्टेजियोसम वायरस (Molluscum contagiosum Virus) – यह वायरल इन्फेक्शन किसी भी उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन सर्वाधिक 1 से 10 साल की उम्र के बच्चों में अक्सर छोटे, मांस के रंग के बम्प्स का कारण बनता है। बम्प्स (bumps) आमतौर 6 से 12 महीनों में उपचार के बगैर ही गायब हो जाते हैं।
- हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस-1 (Herpes simplex virus-1) – यह वायरस सामान्य सर्दी-जुकाम का कारण बनता है। किश या चुंबन द्वारा लार के माध्यम से या संक्रमित व्यक्ति के साथ भोजन या पेय का साझा करने के माध्यम से फैलता है। कुछ स्थितियों में HSV-1 वायरस जननांग दाद (genital herpes) का भी कारण बनता है।
- वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस (Varicella-zoster virus (VZV)) – यह वायरस चिकनपॉक्स और शिंगल्स (shingles) के विकसित होने का कारण बनता है। जिसकी बजह से स्किन पर खुजली, रिसने वाले फफोले और तेज बुखार जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
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वायरल फूड प्वाइजनिंग – Viral Food Poisoning in Hindi
खाद्य विषाक्तता (food poisoning) के सबसे सामान्य कारण वायरल इन्फेक्शन है। वायरल फूड प्वाइजनिंग का कारण निम्न वायरस हो सकते हैं:
- हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A) – हेपेटाइटिस ए वायरस शरीर के अन्दर पहुंचकर कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक लिवर को प्रभावित करता है। इस वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से मतली, दस्त, पीली त्वचा और उल्टी जैसे लक्षणों के उत्पन्न होने का कारण बनता है।
- नोरोवायरस (Norovirus) – यह वायरस मुख्य रूप से गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारी का कारण बनता है।
- रोटावायरस (Rotavirus) – इस प्रकार के वायरल इन्फेक्शन में पानी के समान गंभीर दस्त लगते हैं जिसके कारण निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न हो सकती है। रोटावायरस ज्यादातर शिशुओं और छोटे बच्चों को अधिक प्रभावित करता है।
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सेक्सुअली ट्रांसमिटेड वायरल इन्फेक्शन – Sexually transmitted viral infections in Hindi
यौन संचारित वायरल इन्फेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शारीरिक तरल पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। कुछ यौन संचारित संक्रमणों को रक्त के माध्यम से भी फैलाया जा सकता है। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड वायरल इन्फेक्शन का कारण बनने वाले वायरस निम्न हैं:
- ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) – यह यौन संचारित संक्रमण का सबसे आम कारण है। एचपीवी (HPV) अनेक प्रकार का होता है। कुछ प्रकार के HPV जननांग मस्से (genital warts) का कारण बनते हैं, जबकि अन्य प्रकार गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
- हेपेटाइटिस बी – यह वायरस दूषित रक्त और शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है, जो लीवर में सूजन का कारण बनता है।
- हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस – हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस यौन संचारित वायरल संक्रमण का एक सामान्य कारण होता है। यह वायरस दो रूपों में पाया जाता है: हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस-2 (HSV-2), जो जेनिटल हर्पीज (Genital herpes) का एक सामान्य कारण है और हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस-1 (HSV-1), जो कोल्ड सोर (cold sores) के लिए जिम्मेदार है।
- ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) – यह वायरस शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाओं (T cells) को प्रभावित करता है। इस वायरस का संक्रमण एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से होता है। जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है, और एड्स हो जाता है।
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वायरल इन्फेक्शन के लक्षण – Viral Infections symptoms in Hindi
विभिन्न प्रकार के वायरल संक्रमण की स्थिति में भिन्न-भिन्न लक्षण प्रगट होते हैं। वायरल इन्फेक्शन की स्थिति में कुछ लक्षण बहुत सामान्य होते हैं, जबकि कुछ इतने गंभीर होते हैं कि तुरंत चिकित्सकीय इलाज की आवश्यकता होती है। वायरल इन्फेक्शन के कुछ सामान्य लक्षण निम्न हैं:
रेस्पिरेटरी वायरल इन्फेक्शन के लक्षण – Respiratory Viral Infections symptoms in Hindi
श्वसन वायरल संक्रमण की स्थिति में व्यक्ति निम्न लक्षणों का अनुभव कर सकता है, जैसे कि:
वायरल खाद्य विषाक्तता के लक्षण – Viral Food Poisoning symptoms in Hindi
फूड प्वाइजनिंग की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति निम्न में से कोई भी लक्षण का अनुभव कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- त्वचा का पीला पड़ना
- जी मिचलाना
- दस्त और उल्टी होना
- निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न होना
- पेट दर्द होना
- पेट और आंतों में सूजन आना।
स्किन वायरल इन्फेक्शन के लक्षण – Skin Viral Infections symptoms in Hindi
वायरल स्किन इन्फेक्शन की स्थिति में अक्सर त्वचा पर चकत्ते (rash) उत्पन्न होते हैं हल्के से लेकर बेहद गंभीर हो सकते हैं। यदि किसी को स्किन वायरल इन्फेक्शन है, तो उसमें निम्न लक्षण प्रगट हो सकते हैं:
- त्वचा पर छोटे, मांस के रंग के पिम्पल्स उत्पन्न होना
- खुजली होना
- तरल रिसने वाले फफोले उत्पन्न होना
- थकान और तेज बुखार
- दाद
- जननांगों में मस्से, खुजली, पिम्पल्स इत्यादि उत्पन्न होना।
वायरल इन्फेक्शन फैलने के कारण – Viral Infections causes in Hindi
चूँकि वायरल संक्रमण, शरीर में वायरस के पहुंचने से होता है। कुछ वायरल इन्फेक्शन बेहद संक्रामक होते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकते हैं। वायरल संक्रमण के फैलने के सामान्य कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
- एक व्यक्ति वायरस को दूषित वायुजनित बूंदों में सांस लेने के माध्यम से ग्रहण कर सकता है।
- दूषित भोजन या पानी का सेवन करना भी वायरस के संक्रमण का कारण बनता है।
- यौन संचारित वायरस से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क रखना भी वायरल इन्फेक्शन का प्रमुख कारण है।
- मच्छर, टिक (tick) या फील्ड माउस (field mouse) के माध्यम से एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस का अप्रत्यक्ष आदान-प्रदान हो सकता है।
- वायरस से दूषित सतहों या शरीर के तरल पदार्थ को छूना भी वायरल इन्फेक्शन होने का उच्च जोखिम होता है।
- चुंबन (kiss), यौन संबंध या एक संक्रमित व्यक्ति के साथ भोजन या पेय का साझा करने से भी वायरस को ग्रहण किया जा सकता है।
- खाद्य जनित वायरल इन्फेक्शन (foodborne viral) फैलने का मुख्य कारण एक संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से बहाए गए वायरस कणों का अंतर्ग्रहण है। अर्थात संक्रमित व्यक्ति द्वारा शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हांथो को नहीं धोना और दूसरों से हाथ मिलाना, भोजन तैयार करना या कठोर सतहों को छूना भी वायरस को दूसरों में स्थानांतरित करने का मुख्य कारण बन सकता है।
वायरल इन्फेक्शन की जाँच – Viral Infections tests in Hindi
कुछ वायरल संक्रमण का निदान लक्षणों को देखकर किया जा सकता है, जबकि कुछ वायरल इन्फेक्शन के लिए प्रयोगशाला परीक्षण की आवश्यकता होती है। अलग अलग प्रकार के वायरल इन्फेक्शन की जाँच करने के लिए अलग-अलग टेस्ट की मदद लेनी पड़ती हैं। वायरल इन्फेक्शन का निदान करने के लिए निम्न प्रयोगशाला परीक्षणों की मदद ली जा सकती हैं, जिनमे शामिल हैं:
वायरल स्किन स्वैब (viral skin swab) – वायरल स्किन स्वैब एक जीवाणुरहित उपकरण होता है जिसे स्किन इन्फेक्शन की स्थिति में त्वचा पर दिखाई देने वाले घाव या फफोले पर हल्के से रगड़ा जाता है। इसके बाद स्वैब (wab) को वायरस की पहचान के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। वायरल स्वैब (viral swab) की मदद से हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (HSV), वेरिसेला-ज़ोस्टर वायरस, एपस्टीन-बार वायरस (Epstein-Barr virus) का पता लगाया जा सकता है।
वायरल सेल कल्चर (viral cell culture) – वायरल सेल कल्चर वह प्रयोगशाला तकनीक है, जिसमें स्वैब नमूनों को उपयुक्त कोशिका ऊतकों के साथ रखा जाता है और संक्रमित वायरस का परीक्षण किया जाता है। जब कोशिकाओं में विशेष परिवर्तन दिखाई देता है तो टेस्ट सकारात्मक है। इस वायरल सेल कल्चर की मदद से हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस (HSV), वैरिसेला जोस्टर वायरस (VZV), मोर्बिलीवायरस (morbillivirus) और अन्य वायरस की भी पहचान की जा सकती है।
इसके अलावा वायरल इन्फेक्शन की जाँच करने के लिए निम्न परीक्षणों का उपयोग किया जा सकता है:
- पूर्ण रक्त गणना परीक्षण
- यूरिन टेस्ट और स्टूल टेस्ट
- एलिसा टेस्ट
- त्वचा बायोप्सी (Skin biopsy), इत्यादि।
वायरल इन्फेक्शन का इलाज – Viral Infections treatment in Hindi
सर्वप्रथम वायरल इन्फेक्शन के प्रकार का निदान कर इसका उपचार किया जाता है। कुछ वायरल संक्रमण के लक्षण बिना इलाज के दूर हो जाते हैं, जबकि कुछ वायरल इन्फेक्शन का इलाज संभव नहीं हैं। अधिकांश उपचार का उद्देश्य लक्षणों को दूर करना और वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना होता है।
पीड़ित व्यक्ति द्वारा इलाज के दौरान एंटीवायरल दवाएं (Antiviral medications) का सेवन कुछ वायरल इन्फेक्शन के लक्षणों को दूर कर सकता हैं। यह दवाएं या वायरस के पुनरुत्पादन पर रोक लगा सकती हैं या फिर वायरस का मुकाबला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत कर सकती हैं।
वायरल इन्फेक्शन के दौरान एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) प्रभावी नहीं हैं। बल्कि इन दवाओं का सेवन आपकी इम्युनिटी को कम कर सकता है।
वायरल इन्फेक्शन से बचाव – Viral Infections prevention in Hindi
- श्वसन वायरल संक्रमण के प्रसार की रोकथाम के लिए बार-बार हाथ धोना, खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को ढंकना और संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचना आदि उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसके अलावा घर, दफ्तर और अन्य कठोर सतहों को कीटाणुरहित रखें, आंखों नाक और मुंह को छूने से बचें, तथा बार बार हाँथ धोने की आदत डालें।
- घर से बाहर जाते समय मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाये रखना, आपको फ्लू और COVID-19 जैसे वायरल संक्रमण से बचने में मदद कर सकते हैं।
- अपनी त्वचा को एलर्जिन के संपर्क में आने से बचाना ही वायरल स्किन इन्फेक्शन से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक संपर्क में न आना, स्विमिंग पूल में नहाने और दूषित तौलिये का उपयोग करने से बचना भी आपको वायरल इन्फेक्शन से सुरक्षित रख सकता है।
- यौन-संचारित वायरल संक्रमण की सम्भावना को कम करने लिए व्यक्ति को स्वस्थ यौन संबंध रखने की सलाह दी जाती है। यौन संचारित वायरल इन्फेक्शन के जोखिम को कम करने के लिए एक से अधिक पार्टनर के साथ सेक्स करने से बचें, केवल एक ही यौन साथी के साथ यौन संबंध में रहें, सेक्स के दौरान कंडोम का उपयोग करें।
- वायरल इन्फेक्शन से बचने के लिए टीकाकरण एक कारगर उपाय है कुछ वायरल इन्फेक्शन के टीके मौजूद हैं जिन्हें आप प्राप्त कर संक्रमण से बाच सकते हैं। एचपीवी, हेपेटाइटिस बी और covid-19 के संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण 90% से अधिक प्रभावी है।
वायरल इन्फेक्शन के प्रकार, लक्षण, इलाज और बचाव (Viral Infection types, symptoms, treatment in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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