Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan वयस्कों में विटामिन डी की कमी के लक्षण क्या होते हैं ? विटामिन डी एक आवश्यक विटामिन है जिसकी कमी मानव के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। जब हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है तो वह कई तरह के संकेत देने लगता है। जानें शरीर में विटामिन डी की कमी के लक्षण और संकेत के बारे में हिंदी में।
विटामिन डी की कमी के लक्षण भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न भिन्न हो सकते हैं। विटामिन डी की कमी से सम्बंधित व्यक्तियों में चक्कर और थकान, बालों का झड़ना, फ्लू और वजन बढ़ना आदि लक्षणों का कारण बनती है। विटामिन डी की कमी और उससे उत्पन्न होने वाले लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त करना अति आवश्यक है, जिससे व्यक्ति जल्द से जल्द सही तरीके से उपचार प्राप्त कर इसके जोखिमों के उत्पन्न होने से बच सके।
आज के इस लेख में हम विटामिन डी की कमी से जुड़े मुख्य लक्षणों के बारे में में चर्चा करेगें।
विषय सूची
1. विटामिन D क्या है – What is Vitamin D in Hindi
2. विटामिन D की कमी – Vitamin D deficiency in Hindi
3. विटामिन डी की कमी के लक्षण – Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan In Hindi
विटामिन डी, वसा में घुलनशील एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जिसका निर्माण त्वचा द्वारा सूर्य प्रकाश के संपर्क में आने से होता है। चूँकि सूर्य प्रकाश विटामिन डी का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत हैं। सूर्य प्रकाश से प्राप्त होने के कारण विटामिन डी को “सनशाइन विटामिन” के नाम से भी जाना जाता है। भोजन में उपस्थित विटामिन डी यकृत (liver) द्वारा 25-हाइड्रॉक्सीविटामिन डी (25-hydroxy vitamin D) नामक रसायन के रूप में संचित रहता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनेक प्रकार से लाभदायक होता है। चूँकि मानव शरीर में विटामिन D का संचय अधिक समय के लिए नहीं होता है, इसी कारण से प्रत्येक मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन विटामिन D की एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता होती है।
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सही तरीके से काम करने, कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करने एवं हड्डियों को स्वास्थ्य रखने में मदद करने के लिए विटामिन डी आवश्यक होता है। विटामिन डी एक हार्मोन की तरह काम करने वाला विटामिन है, और शरीर की प्रत्येक कोशिका में विटामिन डी के लिए एक रिसेप्टर होता है।
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किसी व्यक्ति के रक्त में विटामिन D के सामान्य से कम स्तर विटामिन D की कमी की ओर संकेत करते हैं। विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिसके कारण रिकेट्स तथा अन्य गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती है। विटामिन डी की कमी दिल के दौरे, अवसाद (depression), बच्चों में अस्थमा और मधुमेह की समस्या सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। विटामिन डी की कमी बहुत आम है। शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण अनेक प्रकार के लक्षणों को महसूस किया जा सकता है।
विशेष रूप से विटामिन डी की कमी से संबंधित जोखिम कारकों में बुढ़ापा, मोटापा, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, शिशुओं और कम धूप वाले क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों आदि को शामिल किया जा सकता है। शरीर में विटामिन डी की कमी, हड्डियों की कमजोरी (osteoporosis) और हड्डियों में विकृति (rickets) का कारण बन सकती है। डॉक्टर साधारण रक्त परीक्षण के माध्यम से विटामिन डी की कमी का निदान कर सकता है। लेकिन विटामिन डी की कमी का प्रारंभिक निदान करने के लिए इसके लक्षणों का ज्ञान होना आवश्यक होता है जिससे कि विटामिन डी की कमी से सम्बंधित जोखिमों को रोकने में मदद मिल सके। आइये विटामिन डी की कमी के बारे में इस लेख के माध्यम से विस्तार में जानते हैं।
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विटामिन डी की कमी से सम्बंधित व्यक्ति में अनेक प्रकार के लक्षणों का कारण बनती है। अतः इन लक्षणों का निदान कर विटामिन डी की कमी के जोखिमों को भी कम करने में में सहायता मिल सकती है। विटामिन डी की कमी के लक्षणों में निम्न शामिल हैं:
विटामिन डी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिससे कि बीमारी पैदा करने वाले वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिल सके। अतः यदि कोई व्यक्ति अक्सर जुकाम या फ्लू जैसी बीमारियों से प्रभावित होता है तो उसमें विटामिन डी के कम स्तर का योगदान हो सकता है।
अतः अध्ययनों में देखा गया है कि विटामिन डी की कमी का सम्बन्ध सर्दी, ब्रोंकाइटिस (bronchitis), निमोनिया और अन्य श्वसन पथ के संक्रमण से होता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि प्रतिदिन 4,000 IU (100 माइक्रोग्राम) की मात्रा में विटामिन डी सप्लीमेंट लेने से श्वसन तंत्र में संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
अतः कहा जा सकता है कि विटामिन डी की कमी के लक्षणों में बार बार बीमार होना या संक्रमित होना शामिल है।
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थकान को विटामिन डी की कमी के सामान्य लक्षणों में शामिल किया जाता है। अनेक कारणों से थकान महसूस हो सकती है लेकिन विटामिन डी की कमी भी थाकावट और ऊर्जा में कमी का कारण बनती है। अक्सर थकान के संभावित कारणों को अनदेखा किया जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन डी की मात्रा में सुधर कर थकान और कमजोरी आदि लक्षणों को कम करने में सफलता प्राप्त की जा सकती है। अतः नींद संबंधी विकार, सामान्य सुस्ती या ऊर्जा की कमी के लक्षण विटामिन डी की कमी के कारण उत्पन्न हो सकते हैं।
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बालों के झड़ने की समस्या का सामान्य कारण तनाव को माना जाता है। हालांकि, जब बालों का झड़ना अधिक गंभीर होता है, तो यह एक बीमारी या पोषक तत्वों की कमी की ओर संकेत देता है। चूँकि विटामिन डी, बालों को मजबूत रखने के लिए आवश्यक विटामिन है, इसीलिए जब भी विटामिन डी के रक्त स्तर में कमी आती है तो बालों के झड़ने से सम्बंधित लक्षण प्रगट हो सकती है।
एलोपेशीया एरेटा (alopecia areata) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो सिर और शरीर के अन्य हिस्सों से बालों के गंभीर रूप से झड़ने का कारण बनता है। अतः अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि विटामिन डी की कमी, एलोपेशीया एरेटा (alopecia areata) के जोखिम से सम्बंधित है, जो कि बालों के झड़ने का कारण बनती है।
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एक अध्ययन के अनुसार वर्टिगो (vertigo) का सीधा सम्बन्ध विटामिन डी के कम स्तर से होता है। कम विटामिन डी के स्तर वाले लोगों को बेनाइन पैरॉक्सिज्मल पोजिशनल वर्टिगो (BPPV) की स्थिति अधिक प्रभावित करती है, यह स्थिति अचानक सिर के कार्यों में परिवर्तन, चक्कर आना और संतुलन खोने से सम्बंधित लक्षणों का कारण बनती है। अतः स्पष्ट है कि विटामिन डी की कमी, सिर चकराने के लक्षणों को प्रगट कर सकती है।
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विटामिन डी अनेक कारणों से हड्डी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में सुधार कर, हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है। अतः किसी भी व्यक्ति की हड्डी में दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द सम्बन्धी लक्षण रक्त में विटामिन डी के अपर्याप्त स्तर की ओर संकेत दे सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है, कि जिन महिलाओं के रक्त में विटामिन डी के कम स्तर थे, वह अन्य महिलाओं की अपेक्षा अधिक हड्डी और पीठ दर्द से सम्बंधित लक्षणों को महसूस करती हैं।
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अनुसंधान से पता चला है कि विटामिन डी व्यक्ति के मूड (mood) को नियंत्रित करने और डिप्रेशन को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। विटामिन डी सेरोटोनिन (serotonin) और डोपामाइन (dopamine) की कमी होने से रोकता है, यह दोनों रसायन मूड को प्रसन्न रखने और डिप्रेशन से बचाने के लिए उत्तरदाई होते हैं। अतः विटामिन डी की कमी सेरोटोनिन (serotonin) और डोपामाइन (dopamine) की कमी का कारण बन सकती है, जिससे डिप्रेशन से सम्बंधित लक्षण प्रगट हो सकते हैं। एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि फाइब्रोमाइल्गिया (fibromyalgia) से पीड़ित व्यक्तियों में विटामिन डी की कमी चिंता और डिप्रेशन जैसे लक्षणों को उत्पन्न कर सकती है। अतः डिप्रेशन भी विटामिन डी की कमी का एक संकेत हो सकता है, जो पुराने वयस्कों में अधिक देखने को मिलता है।
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विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों के चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन डी की कमी से सम्बंधित व्यक्ति का शरीर कैल्शियम का अवशोषण करने में सक्षम नहीं होता है, जिसके कारण हड्डियों का कमजोर होना तथा हड्डियों के नुकसान से सम्बंधित लक्षण प्रगट हो सकते हैं।
कम अस्थि घनत्व (low bone density) की समस्या हड्डियों में कैल्शियम और अन्य खनिजों की कमी की ओर संकेत करती है, जिसके कारण फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। चूँकि कैल्शियम अवशोषण की क्षमता का सीधा सम्बन्ध रक्त में विटामिन डी की मात्रा से होता है। अतः विटामिन डी की कमी कैल्शियम के अवशोषण में कमी का कारण बनती है, जिसके कारण हड्डियों के नुकसान से सम्बंधित लक्षण प्रगट होते हैं।
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विटामिन डी की कमी बच्चों और वयस्कों की मांसपेशियों में दर्द का संभावित कारण बन सकती है। अतः पुराने दर्द और विटामिन डी के निम्न रक्त स्तर के बीच निकटता का संबंध होता है।
एक अध्ययन में, विटामिन डी के सेवन के परिणामस्वरूप पुराने दर्द से सम्बंधित 71% व्यक्तियों के मांसपेशी दर्द में कमी पाई गई। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि उच्च मात्रा में विटामिन डी सप्लीमेंट का सेवन लेने से उन लोगों में विभिन्न प्रकार के दर्द कम हो सकते हैं।
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सर्जरी या चोट के बाद घावों का धीमी गति से उपचार, विटामिन डी के बहुत कम स्तर की ओर संकेत हो सकता है। एक अध्ययन के परिणामस्वरुप ज्ञात हुआ है, कि विटामिन डी ऐसे यौगिकों के उत्पादन को बढ़ावा देता है, जो घाव भरने की प्रक्रिया में नई त्वचा बनाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। डेंटल सर्जरी के दौरान भी विटामिन डी की कमी घाव के उपचार की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए जिम्मेदार होती है। इसके अलावा विटामिन की कमी सूजन को नियंत्रित करने और संक्रमण से लड़ने की क्षमता में कमी से सम्बंधित लक्षणों के उत्पन्न होने का भी कारण बनती है।
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एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने, विटामिन डी के स्तर और रक्तचाप (Blood Pressure) पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया और पाया कि विटामिन डी के स्तर में कमी, रक्तचाप में वृद्धि का कारण बनती है। इसके अतिरिक्त कुछ शोध में यह भी पाया गया है कि विटामिन डी 3 सप्लीमेंट का सेवन रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है। अतः यदि कोई व्यक्ति उच्च रक्तचाप के लक्षणों को प्रगट करता है, तो यह समस्या विटामिन डी की कमी की ओर संकेत कर सकती है।
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यदि कोई व्यक्ति स्तंभन दोष (erectile dysfunction) से पीड़ित है, तो उसे विटामिन डी की कमी हो सकती है। एक अध्ययन में पाया गया कि गंभीर स्तंभन दोष वाले पुरुषों में अन्य व्यक्तियों की तुलना में विटामिन डी के स्तर काफी कम पाए गए। स्तंभन दोष से सम्बंधित पुरुषों को अक्सर हृदय रोग की सिकायत होती है, जो विटामिन डी की कमी से भी सम्बंधित होता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि विटामिन डी की कमी का इलाज करने से स्तंभन दोष (erectile dysfunction) का खतरा कम हो सकता है।
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सूरज की किरणों से सीधा विटामिन डी लिया जा सकता है। सूरज के आलावा आप खाने में विटामिन डी से भरपूर चीजों को शामिल कर विटामिन डी की कमी को दूर कर सकते हैं। आपकी मदद के लिए हमने विटामिन डी से भरपूर आहार कि सूची तैयार की है –
Vitamin D Rich Foods | ||
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फैटी फिश जैसे सेलमन, टूना, मेकरेल आदि | अंडे का सफेद भाग | सोया मिल्क |
डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, दही आदि | मशरूम | अनाज |
चीज | संतरे का जूस | कोका |
इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आप विटामिन डी से भरपूर आहार लें रहें हैं या नहीं। यह निरोगी और स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी विटामिन है। इन्अहें लेने के बाद भी यदि आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कुछ लक्षण दिखते हैं तो अपने डॉक्टर से बात इसके बारे में बात करें।
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