Vitamin D Test In Hindi विटामिन डी टेस्ट का उपयोग शरीर में विटामिन डी के स्तर की माप करने के लिए किया जाता है। शरीर में विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। तथा इसके साथ ही अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। अतः डॉक्टर द्वारा मरीज में विटामिन डी के स्तर को मापने के लिए रक्त परीक्षण कराने का आदेश दिया जा सकता है। विटामिन डी की कमी के लक्षणों का पता लगाने, हड्डियों की समस्या तथा पैराथायरायड ग्रंथि (parathyroid gland) की समस्याओं के निदान के लिए विटामिन डी टेस्ट अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
आज के इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि विटामिन डी टेस्ट क्या है, यह कब किया जाता है इसकी तैयारी, प्रक्रिया और परिणाम क्या हैं तथा इसकी कीमत क्या है।
विषय सूची
विटामिन डी, स्टेरॉयड हार्मोन (steroid hormones) के एक वर्ग के रखा जाता है, जो वसा में घुलनशील है और शरीर के लिए अत्यंत ही आवश्यक है। मनुष्यों में, विटामिन डी 2, जिसे एर्गोकैल्सिफेरोल (ergocalciferol) के रूप में भी जाना जाता है, और विटामिन डी 3, जिसे कॉलेकैल्सिफेरॉल (cholecalciferol) के रूप में भी जाना जाता है, सबसे महत्वपूर्ण विटामिन डी के प्रकार हैं। विटामिन डी मानव रक्त में, 25-हाइड्रोक्सीविटामिन डी और 1, 25- डाईहाइड्रोक्सीविटामिन डी के रूप में पाया जा सकता है।
विटामिन डी मछली और अंडे जैसे खाद्य पदार्थों से भी प्राप्त किया जा सकता है और यह सप्लीमेंट (supplements) के रूप में भी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, सूर्य से प्राप्त यूवीबी विकिरण को त्वचा द्वारा अवशोषित कर विटामिन डी बनाया जा सकता है। विटामिन डी लिवर और किडनी में चयापचय के दौरान सक्रिय होता है। विटामिन डी फॉस्फेट और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों के अवशोषण को सक्षम बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। सूरज की रोशनी के माध्यम से लगभग 90% विटामिन डी की पूर्ति की जा सकती है।
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कुछ लोगों में विटामिन डी के कम स्तर पाये जा सकते हैं। विशेष रूप से विटामिन डी की कमी के जोखिम कारकों में जो बुढ़ापा, मोटापा, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, शिशुओं और कम धूप वाले क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों आदि को शामिल किया जा सकता है। विटामिन डी, कैल्शियम के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अतः शरीर में विटामिन डी की कमी, हड्डियों की कमजोरी (osteoporosis) और हड्डियों में विकृति (rickets) का कारण बन सकती है। विटामिन डी के कम स्तर व्यक्तियों में दिल के दौरे, कैंसर, श्वसन विकारों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के बढ़ते जोखिमो से संबन्धित हो सकते हैं। यकृत (liver) द्वारा त्वचा या भोजन से प्राप्त होने वाले विटामिन डी को 25-हाइड्रॉक्सीविटामिन डी नामक रसायन के रूप में भंडारण करके रखा जाता है।
अतः परीक्षण के माध्यम से प्राप्त होने वाले विटामिन डी के असामान्य स्तर मुख्यरूप से हड्डियों सम्बन्धी विकारों, पोषण समस्याओं, अंग की क्षति या अन्य चिकित्सकीय स्थितियों की ओर संकेत कर सकते हैं।
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विटामिन डी टेस्ट एक प्रकार का रक्त परीक्षण है, जिसका उपयोग विटामिन डी की कमी से सम्बंधित लक्षणों का निदान करने के लिए किया जाता है। विटामिन डी का शरीर द्वारा आवश्यक कार्यों में उपयोग किए जाने से पहले, इसे शरीर में कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। सर्वप्रथम विटामिन डी का उपयोगी परिवर्तन यकृत से शुरू होता है। मानव शरीर में यकृत (liver) द्वारा विटामिन डी को 25-हाइड्रोक्सीविटामिन डी (25-hydroxyvitamin D) नामक रसायन में परिवर्तित किया जाता है, जिसे कैल्सीडिओल (calcidiol) भी कहा जाता है। अतः विटामिन डी टेस्ट को अन्य नामों से भी जाना जाता है , जैसे-
25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी टेस्ट, शरीर में विटामिन डी के स्तर की जांच करने का सबसे अच्छा तरीका है। मानव रक्त में 25-हाइड्रोक्सीविटामिन डी के स्तर यह निर्धारित कर सकते हैं कि संबन्धित व्यक्ति में विटामिन डी का स्तर बहुत अधिक या बहुत कम है। यह परीक्षण ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) (हड्डी की कमजोरी) और रिकेट्स (rickets) के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक परीक्षण हो सकता है।
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डॉक्टर कई अलग-अलग कारणों का निदान करने के उद्देश्य से 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी परीक्षण या विटामिन डी टेस्ट की सिफ़ारिश कर सकता है। इसके अतिरिक्त विटामिन डी की कमी के उच्च जोखिम से संबन्धित व्यक्तियों में विटामिन डी के स्तर की निगरानी करने के लिए भी यह टेस्ट आवश्यक हो जाता है। जिन व्यक्तियों को विटामिन डी की कमी होने का उच्च जोखिम होता है, उनमें शामिल हैं:
इसके अतिरिक्त डॉक्टर द्वारा निम्न स्थितियों में भी विटामिन डी टेस्ट की सिफारिश की जा सकती है:
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25-हाइड्रोक्सी विटामिन डी टेस्ट एक प्रकार का रक्त परीक्षण है। विटामिन डी परीक्षण के लिए सम्बंधित व्यक्ति को कोई विशेष तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है। विटामिन डी टेस्ट प्रारम्भ करने के चार से आठ घंटे पहले डॉक्टर द्वारा संबन्धित व्यक्ति को कुछ न खाने या उपवास रखने की सिफारिश की जा सकती है। टेस्ट से पूर्व सम्बंधित व्यक्ति को अपने द्वारा ली जाने वाली दवाओं की जानकारी डॉक्टर को दी जानी चाहिए।
25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी परीक्षण के लिए एक सामान्य रक्त परीक्षण की आवश्यकता होती है। अतः टेस्ट के दौरान मरीज के रक्त नमूना को प्राप्त करने की प्रक्रिया को शामिल किया जाता है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता सुई का उपयोग करके मरीज की बांह की एक नस से खून खींचेगा।आमतौर पर रक्त नमूना एकत्रित करने में पांच मिनट से भी कम समय लगता है। बच्चों और शिशुओं के रक्त का नमूना प्राप्त करने के लिए उनकी उंगली में सुई को चुभाकर एकत्रित किया जा सकता है। रक्त नमूना एकत्रित करने के बाद परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है तथा परीणामों के आने तक मरीज को इंतजार करने का आदेश दिया जाता है।
विटामिन डी टेस्ट के बाद मरीज को परिणाम आने तक इन्तजार करने की सिफारिश की जाती हैं तथा घर जाने की अनुमति भी दी जा सकती है। टेस्ट के बाद मरीज को अपनी दैनिक क्रियाएँ पहले की तरह ही नियंत्रित कर सकता है। यदि टेस्ट के पहले उपवास रखने या दवाओं को रोकने की सलाह दी जाती है तो टेस्ट के तुरंत बाद व्यक्ति आहार का सेवन कर सकता है तथा डॉक्टर की सलाह पर ली जाने वाली दवाओं को पुनः प्रारंभ कर सकता है। इस परीक्षण के माध्यम से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर निगरानी रखने के लिए वर्ष में एक बार परीक्षण को प्राप्त करना महत्वपूर्ण होता है।
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विटामिन डी टेस्ट के दौरान रक्त को निकालने में थोड़ा जोखिम शामिल हो सकता है। कुछ व्यक्तियों से रक्त नमूने को निकलना, अन्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक कठिन हो सकता है। रक्त नमूना लेते समय निम्न प्रकार के जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:
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विटामिन डी टेस्ट के परिणाम संबन्धित व्यक्ति की आयु, लिंग और परीक्षण के लिए उपयोग किए गए तरीकों पर निर्भर करते हैं। विभिन्न प्रयोगशालाओं के आधार पर परिणामों में भी थोड़ी भिन्नता पाई जा सकती है।
मानव रक्त में पाये जाने वाले 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन D के स्तर को नैनोमोल्स / लीटर (nmol / L) या नैनोग्राम / मिलीलीटर (ng/mL) में मापा जाता है। विटामिन डी टेस्ट के परिणाम निम्नलिखित संकेत प्रदान कर सकते हैं, जैसे:
विटामिन डी टेस्ट के उच्च स्तर – 125 nmol/L (50 ng/mL) से अधिक प्राप्त होने वाले परिणाम, विटामिन डी के उच्च स्तर को प्रगट करते हैं।
विटामिन डी टेस्ट के सामान्य स्तर – 50 nmol/L (20 ng/mL) और 125 nmol/L (50 ng/mL) के मध्य प्राप्त होने वाले परिणाम सामान्य स्तर को प्रगट करते हैं।
विटामिन डी टेस्ट के परिणाम संभावित कमी – 30 nmol/L (12 ng/mL) और 50 nmol/L (20 ng/mL) के बीच प्राप्त टेस्ट के परिणाम विटामिन डी की संभावित कमी को दिखाते हैं।
विटामिन डी टेस्ट के कम स्तर – परीक्षण से प्राप्त 30 nmol/L (12 ng/mL) से कम स्तर विटामिन डी की कमी को प्रदर्शित करते हैं।
यदि किसी व्यक्ति में विटामिन डी के स्तर कम है और हड्डी में दर्द से संबन्धित लक्षण प्रगट होते हैं, तो डॉक्टर हड्डी के घनत्व (bone density) की जांच के लिए एक विशेष स्कैन की सिफारिश कर सकते हैं। डॉक्टर किसी व्यक्ति की हड्डी के स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए इस दर्द रहित स्कैन का उपयोग करते हैं।
25-हाइड्रोक्सी विटामिन डी के निम्न स्तर, आमतौर पर निम्न स्थितियों को प्रगट करते हैं, जैसे:
रक्त में विटामिन डी के उच्च स्तर का प्रमुख कारण, बहुत अधिक मात्रा में विटामिन की गोलियां और अन्य पोषक तत्वों के सप्लीमेंट का सेवन करने के परिणामस्वरूप होता है। विटामिन डी की उच्च खुराक से हाइपरविटामिनोसिस (Hypervitaminosis) नामक स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हाइपरविटामिनोसिस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति है, जो संबन्धित व्यक्ति में लिवर या किडनी की समस्याओं के लिए गंभीर जोखिम उत्पन्न कर सकती है। लेकिन विटामिन डी का उच्च स्तर खाद्य पदार्थों या धूप के संपर्क में आने से नहीं हो सकता है।
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यदि विटामिन डी टेस्ट के दौरान किसी व्यक्ति में विटामिन डी के कम स्तर पाये जाते हैं, तो डॉक्टर इसका इलाज करने के लिए सप्लीमेंट या अन्य उपचार की सिफ़ारिश कर सकता है। आहार में सप्लीमेंट को शामिल करने के अलावा विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन, विटामिन डी के स्तर को स्थिर रखने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त शरीर को लगभग 90% विटामिन डी की पूर्ति, त्वचा द्वारा सूर्य प्रकाश के संपर्क में आने से होती है। अतः विटामिन डी की पूर्ति के लिए व्यक्ति को सुबह-शाम नियमित रूप से धुप लेना चाहिए।
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विटामिन डी टेस्ट की कीमत भिन्न-भिन्न शहरों के आधार पर तथा प्रयोगशाला की गुणवत्ता के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। इंडिया में विटामिन टेस्ट की कीमत Rs. 700 से Rs. 3000 तक हो सकती हैं।
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