क्या आप जानते हैं कि हमारा शरीर, अपने काम करने के तरीके से यह संकेत देता है कि आपके स्वास्थ्य के साथ कुछ गंभीर तरीके से गलत हो रहा है। जब भी हमारे स्वास्थ्य के साथ कुछ बुरा होता है तब हम खुद अपने आप को कमजोर महसूस करने लगते हैं, किसी भी काम करने की एकाग्रता को खोने लगते हैं और हर समय खुद को थका हुआ महसूस करते है। हमारे शरीर की उपस्थिति ही अपने स्वास्थ्य की स्थिति का गंभीरता से मूल्यांकन करने और उसकी देखभाल के लिए उपाय करने का एक तरीका है। हालाँकि आप कितने स्वस्थ और फिट हैं इसे पता करने के लिए कुछ अन्य तरीके भी मौजूद हैं।
एजिंग (Aging) की प्रक्रिया एक उम्र पर आकर खुद ही तेज हो जाती है और इसे आप अपने शरीर के कुछ संकेतों से जान लेते हैं कि अब वक्त आपके बुढ़ापे का आ चुका है। उम्र बढ़ने का पता लगाने के वैसे तो कई तरीके हैं लेकिन इसे आप एक आसान तरीके से भी पता लगा सकते हैं कि आप कब बूढ़े होंगे। आपको यह सुन कर हैरानी होगी कि आप अपने चलने के तरीका से भी यह पता लगा सकते हैं कि आप कितनी जल्दी से बूढ़े हो रहे हैं।
एक स्टडी (study) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, व्यक्ति कि 40 की उम्र में एक लंबी छलांग से ये पता लगाया जा सकता है कि उसका दिमाग और उसका शरीर कितनी तेजी से बूढ़ा हो रहा है। शोधकर्ताओं (Researchers) ने मनुष्यों में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को पता करने के लिए चाल गति का एक परीक्षण किया था। सभी प्रकार कि स्वास्थ्य स्थिति का गणना करने के लिए पेशेवरों (Professional) द्वारा चाल गति का आकलन किया गया था। यह विशेष रूप से 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में किया गया क्योंकि वे मांसपेशियों की ताकत, फेफड़े की कार्यक्षमता, रीढ़ की शक्ति का संतुलन और दृष्टि को अच्छे से सूचित करने वाले है।
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जामा नेटवर्क ओपन (JAMA Network Open) में प्रकाशित इस स्टडी के परिणामों के लिए 45 साल की उम्र के सैकड़ों लोगों को लिया गया। इसमें 1972 से 1973 के बीच जन्में हुए न्यूजीलैंड (New Zealand) में रहने वाले 1,000 से अधिक व्यक्तियों से डेटा कलेक्ट (Collect) किया और प्राप्त डेटा का मूल्यांकन किया गया।
सभी आंकड़ों का मूल्यांकन करने के बाद, यह पता चलाता कि धीमी गति से चलने वाले व्यक्तियों की उम्र अधिक तेजी से बढ़ती है। इतना ही नहीं बल्कि तेज चलने वाले लोगों की तुलना में जो लोग धीमी गति से चलते है उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली, फेफड़ों और दांतों के कार्य करने की शक्ति में भी तेजी से गिरावट आती है। इसके अलावा धीमी गति से चलना बुढ़ापे से पहले और कई भी समस्या का कारण बन सकता है। इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि बचपन से धीरे-धीरे चलने वाले लोगों में 40 साल बाद, तेज चलने वाले लोगों की अपेक्षा आईक्यू 12 अंक कम था।
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इस स्टडी के अंत में रिसर्च से यह निष्कर्ष निकलता है कि न केवल धीमी गति से चलने वाले लोगों का शरीर जल्दी से बूढ़ा हो जाता है, बल्कि वे 40 की उम्र में भी अधिक बड़े दिखाई देते हैं। उनका मस्तिष्क छोटा और आईक्यू लेवल भी कम होता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि धीमी गति से चलने वाले लोगों में वृद्धावस्था में मनोभ्रंश का खतरा अधिक होता है। हालाँकि, शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि लोगों के स्वास्थ्य और आईक्यू में अंतर उनके जीवनशैली के कारणों पर भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि यह कुछ संकेत प्रारंभिक जीवन में भी देखे जा सकते हैं कि अधिक उम्र के बाद में कौन बेहतर स्वास्थ्य जीवन का आनंद लेगा। कम उम्र में चलने की गति को माप कर उम्र बढ़ने की क्रिया का पता करने का, यह एक तरीका हो सकता है। यह व्यक्ति के दिमाग और शारीरिक स्वास्थ्य के शुरुआती संकेत के रूप में काम करता है जिससे सभी लोग कम उम्र में अपने जीवन में आवश्यक बदलाव करके इससे बच सकें।
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