West Nile Fever in Hindi वेस्ट नाइल फीवर यह नाम इन दिनों खबरों में बहुत आ रहा है, आखिर है क्या यह वेस्ट नाइल फीवर जिससे केरल में एक 7 साल के बच्चे की मौत हो गयी है, आईये जानते है इसके बारे में। वेस्ट नाइल बुखार एक वायरल संक्रमण है जो आमतौर पर मच्छरों द्वारा फैलता है। लगभग 80% संक्रमणों में लोगों में इसके कुछ या कोई लक्षण प्रकट नहीं होते हैं। लगभग 20% लोग बुखार, सिरदर्द, उल्टी, या दाने उत्पन्न होते हैं। 1% से कम लोगों में, इंसेफेलाइटिस या मेनिन्जाइटिस, गर्दन की अकड़न, भ्रम या दौरे पड़ सकते है।
वेस्ट नाइल फीवर से रिकवरी में महीनों से लेकर कई सप्ताह लग सकते हैं। वेस्ट नाइल फीवर के कारण तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने वालों में मृत्यु का जोखिम लगभग 10% तक रहता है वेस्ट नाइल फीवर एक तरह का वायरस संक्रमण है जो मच्छरों के द्वारा फैलता है और इससे कई तरह की गंभीर बीमारियाँ उत्पन्न होती है जिससे जान जाने का जोखिम भी हो सकता है।
आज इस लेख में हम वेस्ट नाइल फीवर क्या है इसके लक्षण, कारण जांच, इलाज और उपचार के बारे में जानेंगे।
यह एक तरह का दुर्लभ और खतरनाक वायरस है जो मच्छरों से इंसान, पक्षी, जानवर (घोड़े) और अन्य स्तनधारी जानवरों में फैलता है और उनको संक्रमित कर सकता है। यह एक तरह का पॉजिटिव स्टैण्डर्ड RNA फ्लेविवायरस (flevivirus) होता है और यह रोग, क्यूलेक्स (culex) मच्छर के काटने से होता है। यह वायरस पहली बार यूगांडा के वेस्ट नाइल जिले में 1937 में एक महिला में पाया गया था। इस मच्छर के काटने से मनुष्यों और जानवरों में कई प्रकार की गंभीर बीमारी उत्पन्न हो सकती है।
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वेस्ट नाइल फीवर के कोई ख़ास लक्षण तो दिखाई नहीं देते है परन्तु इसके संक्रमण को फैलने में कम से कम 3-14 दिन का समय लगता है।
शुरुआत में वेस्ट नाइल फीवर के कुछ सामान्य से लक्षण दिखाए देते है जैसे-
ज़्यादातर लोगों में यही सामान्य से लक्षण पाए जाते है परन्तु कुछ लोगों में इसके बहुत खतरनाक लक्षण भी देखने को मिलते है।
इस रोग के कई गंभीर लक्षण भी होते है जिसमें मस्तिष्क की सूजन जिसे मस्तिष्कशोथ (encephalitis) कहा जाता है और मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में होने वाली परेशानी जिसे मेनिन्जाइटिस (meningitis) कहा जाता है,के आसपास की झिल्ली सहित एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
न्यूरोलॉजिकल संक्रमण के कुछ गंभीर और खतरनाक लक्षण भी होते है जैसे-
वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण और उनका असर वैसे तो कुछ दिनों तक ही रहता है परन्तु अगर यह लक्षण एन्सेफलाइटिस या मेनिन्जाइटिस के है तो इसका असर हफ्तों तक रह सकता है। कुछ न्यूरोलॉजिकल संक्रमण के लक्षण जैसे मांसपेशियों में कमजोरी आदि हमेशा के लिए शरीर में परेशानी दे सकती है।
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वेस्ट नाइल फीवर होने के कई कारण होते है, ज्यादातर वेस्ट नाइल वायरस संक्रमित मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों और जानवरों में फैलता है। संक्रमित पक्षियों को खाने के लिए उनपर निर्भर होने से मच्छर संक्रमित हो जाते हैं जिससे इन मच्छरो के काटने से यह रोग फैलता है। परन्तु कोई भी व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के साथ आकस्मिक संपर्क से संक्रमित नहीं हो सकता है इसलिए किसी भी संक्रमित व्यक्ति के छूने से यह रोग नहीं फैलता है।
अधिकांश वेस्ट नाइल वायरस का संक्रमण गर्म मौसम के दौरान होता हैं, क्योकि उस समय यह मच्छर ज्यादा सक्रिय होते हैं,और मनुष्य और जानवर बाहरी वातावरण के संपर्क में ज्यादा रहते है।
इस तरह की स्थिति ऊष्मायन अवधि (incubation period) कहलाता है जब कोई व्यक्ति संक्रमित मच्छर द्वारा काटा जाता हैं और उनकी बीमारी के लक्षणों और लक्षणों की उपस्थिति के बीच की अवधि 2 से 14 दिनों तक होती है।
कुछ ऐसे लोगों में भी इस वायरस से संक्रमण हो सकते है जिन्होंने अंग प्रत्यारोपण (organ transplant) या रक्त आधान (blood transfusion) करवाया हो क्योकि इस स्थिति में संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। और यदि कोई महिला गर्भवती है तो उस महिला के बच्चे को जन्म देने से या स्तनपान कराने से भी यह संक्रमण फ़ैल सकता है, इसलिए सही समय पर इसकी जाँच करवाना बहुत जरुरी है।
कुछ विभिन्न स्थितियों में भी इस रोग से गंभीर संक्रमण होने की संभावना रहती है जैसे-
ज़्यादातर जिन लोगों की उम्र 60 से ऊपर है उन्हें इस रोग का संक्रमण जल्दी हो सकता है।
यदि किसी व्यक्ति को कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और गुर्दे की बीमारी है तो उन लोगों में इस रोग से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है।
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वेस्ट नाइल फीवर की जांच के कई तरीके है जिनमे शामिल है-
रक्त टेस्ट- यदि आप संक्रमित हैं, तो रक्त परीक्षण करवा कर आप वेस्ट नाइल वायरस की वजह से एंटीबॉडी के बढ़ते स्तर को देख सकते है।
मूत्र टेस्ट- मूत्र परिक्षण में आप अपने मूत्र का सैंपल देकर उसमे मौजूद वायरस के संक्रमण की क्षमता को देख सकते है। इसके आलावा आप वेस्ट नाइल फीवर के असर की वजह से उत्पन्न होने वाली परेशानी जैसे एन्सेफलाइटिस या मेनिन्जाइटिस का भी परिक्षण करवा सकते है उनके टेस्ट में शामिल है-
लम्बर पंक्चर (spinal tap) – यह मैनिंजाइटिस के लक्षणों का पता करने का सबसे आम तरीका है। इसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास के मस्तिष्कमेरु द्रव (cerebrospinal fluid) का विश्लेषण किया जाता है। द्रव का नमूना एक ऊंचा सफेद सेल काउंट दिखाता है जिसका संकेत है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली इस संक्रमण से लड़ सकती है और वेस्ट नाइल वायरस के लिए एंटीबॉडी अपना काम कर रही है।
मस्तिष्क परीक्षण (brain test) – इस तरह के परिक्षण में इलेक्ट्रोएन्सेफ़लोग्राफी (ईईजी) प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है जो आपके मस्तिष्क की गतिविधि को नापती है या एमआरआई स्कैन प्रक्रिया का उपयोग करके मस्तिष्क की सूजन का पता लगाया जाता है।
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वेस्ट नाइल फीवर के उपचार के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है परन्तु इसके लक्षणों को देख कर इससे होने वाली गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है जैसे लो बी पी, मधुमेह, दिल का दौरा जैसी बीमारियाँ का इलाज किया जा सकता है। ज्यादातर लोग बिना इलाज के ही वेस्ट नाइल वायरस के प्रभाव से ठीक हो जाते हैं, परन्तु अधिकांश गंभीर मामलों में अंतःशिरा तरल पदार्थ (intravenous fluid) और दर्द की दवा के लिए अस्पताल जाकर सहायक चिकित्सा (supportive therapy) की मदद ली जा सकती है।
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वेस्ट नाइल वायरस से बचने के लिए और मच्छरों की गतिविधियों को रोकने के लिए आप कुछ सावधानियों का पालन कर सकती है, जिससे आप और आपका परिवार इन बीमारियों से दूर रहेंगे और स्वस्थ रहेंगे।
इस तरह की मच्छर जनित बीमारियों से बचने के लिए कुछ उपाय किये जा सकते है जैसे-
इन सभी सावधानियों को अपना कर आप अपने आप को और अपने परिवार को मच्छरों से होने वाली वेस्ट नाइल फीवर जैसी घातक और गंभीर बीमारियों से बचा सकते है।
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