What is kala Azar in hindi काला अजार परजीवियों से होने वाली एक बीमारी है और इस परजीवी का नाम लीशमैनिया (Leishmania parasite) है। यह परजीवी आमतौर पर संक्रमित सैंड फ्लाई (Sandfly) के शरीर में रहते हैं। सैंड फ्लाई के काटने पर लीशमैनियासिस (Leishmaniasis) या काला ज्वर इंसान के शरीर में फैल जाता है। कालाजार या काला ज्वर के इलाज के लिए उचित संसाधनों की कमी होने से पीड़ित मरीज का सही ढंग से इलाज नहीं हो पाता है। विशेषज्ञों के अनुसार काला ज्वर (kala Azar) एक खतरनाक बीमारी है। मलेरिया के बाद परजीवियों से फैलने वाली यह दूसरी सबसे आम बीमारी है, जिसके कारण इंसान की मौत भी हो जाती है। इस आर्टिकल में हम आपको कालाजार होने के कारण, लक्षण, काला ज्वर का इलाज और लीशमैनियासिस से बचने के उपाय के बारे में बताएँगे।
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कालाजार क्या है – What is Kala Azar in Hindi
काला अजार या लीशमैनियासिस परजीवी से होने वाली एक बीमारी (parasitic disease) है, और इस परजीवी का नाम लीशमैनिया (Leishmania parasite) है। यह परजीवी आमतौर पर संक्रमित सैंड फ्लाई (Sandfly) के शरीर में पाया जाता है। संक्रमित सैंड फ्लाई के काटने पर इंसान लीशमैनियासिस (Leishmaniasis) या काला अजार से पीड़ित हो जाता है। सैंड फ्लाई (Sandfly) आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय वातावरण में रहती हैं।
काला अजार या लीशमैनियासिस आमतौर पर तीन प्रकार का होता है:
- त्वचीय लीशमैनियासिस (Cutaneous leishmaniasis) – यह त्वचा पर अल्सर (ulcers) उत्पन्न होने का कारण बनता है। यह लीशमैनियासिस का सबसे सामान्य रूप है।
- आंत लीशमैनियासिस (Visceral leishmaniasis) – आंत या विसरल लीशमैनियासिस को कभी-कभी काला अजार के रूप में जाना जाता है। यह आमतौर पर सैंड फ्लाई के काटे जाने के दो से आठ महीने बाद होता है। यह आंतरिक अंगों जैसे कि तिल्ली (spleen), यकृत और अस्थि मज्जा को नुकसान पहुंचाता है।
- श्लेष्मिक लीशमैनियासिस (Mucocutaneous leishmaniasis) – यह लीशमैनियासिस रोग का एक दुर्लभ रूप है और त्वचा के अल्सर के ठीक होने के कई महीनों बाद हो सकता है। इस प्रकार के लीशमैनियासिस की स्थिति में परजीवी आपकी नाक, गले और मुंह में फैल जाते हैं। इस संक्रमण के फलस्वरूप उन क्षेत्रों में श्लेष्मा झिल्ली का आंशिक या पूर्ण विनाश हो सकता है।
लीशमैनिया परजीवी की विभिन्न प्रजातियां काला अजार की बीमारी उत्पन्न करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग 20 लीशमैनिया प्रजातियां है जो मनुष्यों में रोग उत्पन्न होने का कारण बनती हैं।
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कालाजार होने के कारण – Causes of kala Azar in hindi
जैसा कि हम आपको ऊपर ही बता चुके हैं कि काला अजार (black fever) लिशमैनिया प्रजाति के प्रोटोजन परजीवी (protozoan parasites) से होता है। जब सैंड फ्लाई किसी व्यक्ति को काट लेती है तो यह बीमारी हो जाती है। कालाजार बीमारी का परजीवी मादा सैंड फ्लाई (एक प्रकार की मक्खी) के शरीर में रहता है और वहीं पर अपनी संख्या भी बढ़ता है। कालाजार (Black Fever) के परजीवी आर्द्र (humid) या नम वातावरण में ज्यादा एक्टिव हो जाता है और गर्म महीनों में रात, शाम और भोर में भी यह परजीवी सबसे अधिक संक्रमित करता है।
कुत्ते जैसे घरेलू जानवर में इस परजीवी की भरमार होती है। कुत्ते के अलावा दूसरे जानवरों के शरीर में काला अजार के परजीवी उत्पन्न होते हैं और फिर जानवरों से सैंड फ्लाई के शरीर में विकसित होते हैं और ये सैंड फ्लाई फिर इंसानों को काटकर उनके शरीर में इन परजीवियों को छोड़ देती हैं।
किसी को खून देने से या एक ही इंजेक्शन कई व्यक्तियों को लगाने से यह परजीवी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्तियों में भी फैल जाता है।
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कालाजार के लक्षण – Symptoms of Kala Azar in Hindi
काला अजार (black fever) का परजीवी लिशमैनिया काफी लंबे समय तक मनुष्य के शरीर में रहने के बाद भी न तो उन्हें जल्दी बीमार करता है और न ही उसके शरीर में होने के कोई विशेष संकेत मिलते हैं। कालाजार के लक्षण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं।
त्वचीय लीशमैनियासिस के लक्षण – Cutaneous leishmaniasis symptoms in Hindi
अगर किसी को त्वचीय कालाजार (Cutaneous kala Azar) होता है, तो इस बीमारी में स्किन पर अल्सर (skin ulcer) उत्पन्न हो जाते हैं, जिसमें दर्द नहीं होता है। सैंड फ्लाई के काटने के कुछ हफ्तों बाद ही त्वचीय काला ज्वर के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जब कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि इसके कुछ लक्षण कई महीनों या सालों तक नहीं दिखाई देते हैं।
श्लेष्मिक लीशमैनियासिस के लक्षण – Mucocutaneous leishmaniasis symptoms in Hindi
श्लेष्मिक कालाजार या काला ज्वार (Mucocutaneous kala Azar) में त्वचीय कालाजार से संक्रमित होने के एक से पांच साल के बाद इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। इस बीमारी में सर्वप्रथम मुंह में अल्सर होता है इसके बाद नाक और फिर होठ को भी घेर लेता है। नाक का लगातार बहना या हमेशा भरे रहना, नाक से खून बहना और साँस लेने में दिक्कत होना आंत काला अजार के लक्षण होते हैं।
आंत लीशमैनियासिस के लक्षण – Visceral leishmaniasis symptoms in Hindi
आंत के कालाजार या काला ज्वार (Visceral kala Azar) की स्थिति में परजीवी के काटने के बाद लक्षण अक्सर महीनों तक प्रकट नहीं होते हैं। अधिकांश मामले संक्रमण होने के दो से छह महीने बाद लक्षण स्पष्ट होते हैं। इसके सामान्य संकेतों और लक्षणों में शामिल हैं:
- वजन घटना
- कमजोरी महसूस होना
- कई हफ्ते या महीने तक बुखार बना रहना
- प्लीहा बड़ी हो जाना (enlarged spleen)
- लिवर में वृद्धि होना (enlarged liver)
- ब्लड सेल में कमी आना
- रक्तस्राव होना
- लसीका ग्रंथियों में सूजन आना।
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लीशमैनियासिस का निदान – Leishmaniasis diagnosis in Hindi
डॉक्टर कालाजार और उसके प्रकार का निर्धारण करने के लिए एक या एक से अधिक परीक्षण करने की सिफारिश कर सकता है।
- त्वचीय लीशमैनियासिस का निदान करने के लिए डॉक्टर किसी मरीज के किसी एक अल्सर को खुरच कर बायोप्सी के लिए नमूना ले सकता है।
- आंत लीशमैनियासिस का निदान करने के लिए अनेक परीक्षण किये जा सकते है। बढ़े हुए प्लीहा या लिवर की जाँच करने इमेजिंग परीक्षण की सहायता ली जा सकती है, इसके अलावा अस्थि मज्जा बायोप्सी या रक्त परीक्षण भी किया जा सकता है।
कालाजार का इलाज – Treatments For Kala Azar in Hindi
काला अजार के इलाज के लिए अम्फोटेरिसिन बी (amphotericin B) जैसी एंटीपैरासिटिक दवा दी जाती है। लेकिन पहले डॉक्टर मरीज की जांच करता है फिर उसी के अनुसार वह दवा भी लेने की सलाह देता है।
त्वचीय अल्सर आमतौर पर बिना किसी इलाज के ही ठीक हो जाता है। हालांकि अगर इलाज कराया जाता है तो यह तेजी से घाव को भरता है और दाग-धब्बे ठीक करता है, इसके अलावा आगे बीमारी उत्पन्न होने के खतरे को भी कम करता है। सभी प्रकार के ऐसे स्किन अल्सर, जो चेहरे को कुरूप या भद्दा कर देते हैं उनके लिए प्लास्टिक सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
आंत कालाजार की स्थिति में क्षतिग्रस्त त्वचा प्राकृतिक रूप से ठीक नहीं होती है। इसे ठीक करने के लिए इलाज की ही जरूरत पड़ती है। लिपोसोमल अम्फोटेरिसिन बी (Liposomal amphotericin B) और पैरोमोमाइसिन (paromomycin) आंत काला अजार के इलाज के लिए मरीज को दी जाती है।
श्लेष्मिक काला अजार को ठीक करने के लिए हमेशा इलाज की जरूरत पड़ती है। इसके लिए कई तरह की दवाएं भी उपलब्ध हैं। आमतौर पर सोडियम स्टिबोग्लुकोनेट (sodium stibogluconate), पेंटोस्टैम (Pentostam), अम्फोटेरिसिन बी (amphotericin B) आदि दवाएं कालाजार को ठीक करने के लिए दी जाती हैं। अन्य दवाएं, जैसे कि एंटिफंगल एजेंट इट्राकोनाजोल (itraconazole) और केटोकोनाज़ोल (ketoconazole) भी इस स्थिति का इलाज कर सकती हैं।
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कालाजार से बचने के उपाय – Kala Azar Prevention in Hindi
इस बीमारी से बचने के लिए कोई टीका (vaccine) या रोगनिरोधी दवा (prophylactic medication) मौजूद नहीं है। कालाजार या काला ज्वर से बचने का सिर्फ एक उपाय है और वह यह है कि सैंड फ्लाई के काटने से पूरी तरह बचने की कोशिश करना। हम यहां कुछ टिप्स बता रहे हैं जिससे कि कालाजार से बचा जा सकता है।
- जहां तक संभव हो शरीर को पूरा ढक कर रखें। फुल बांह की कमीज (shirts), फुल पैंट और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, ताकि सैंड फ्लाई किसी तरह आपके शरीर पर काट न सके।
- जितने दूर तक शरीर खुला दिखे वहां इंसेक्ट रेप्लेंट (insect repellants) का इस्तेमाल करें, जैसे कि पैरों के नीचे या हथेली पर। इंसेक्ट रेप्लेंट का खुली जगहों पर छिड़काव करने से सैंड फ्लाई दूर भाग जाती है।
- शाम के समय और भोर (dawn) में दरवाजा न खोलें। इस समय सैंड फ्लाई ज्यादा एक्टिव होती हैं।
- विंडो स्क्रीन (window screens) वाले वातानुकूलित कमरे में सोएं
- जानवरों के आवास के पास अपना शिविर लगाने से बचें, क्योंकि ऐसी जगह पर लीशमैनियासिस या कालाजार होने का अधिक ख़तरा होता है
- उन क्षेत्रों की यात्रा करने से बचें जहां लीशमैनियासिस हो सकता है
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इस आर्टिकल में आपने जाना कालाजार होने के कारण, लक्षण, कालाजार का इलाज (treatments for kala Azar in hindi) और काला अजार से बचने के उपाय (kala Azar prevention in Hindi) के बारें में।
कालाजार (काला ज्वर) के कारण, लक्षण, इलाज एवं बचाव – Kala Azar (Leishmaniasis) Causes, Symptoms, Treatment in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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