पोलियो या पोलियोमेलाइटिस (polio or poliomyelitis) एक संक्रामक वायरल बीमारी (contagious viral illness) है, जो गंभीर रूप से तंत्रिका में चोट या क्षति (nerve injury) का कारण बनती है, जिससे पक्षाघात (paralysis) होता है, इसके साथ ही सांस लेने में कठिनाई होती है और कभी-कभी मृत्यु भी होती है। वर्तमान में पोलियो के प्रभावी उपचार के बावजूद, पोलिओ वायरस (poliovirus) बच्चों और वयस्कों को बहुत अधिक प्रभावित करता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) द्वारा पोलियो से बचाने के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। पोलियो की रोकथाम के लिए निष्क्रिय पोलिओवायरस टीका (poliovirus vaccine) (IPV) प्रदान किया जाता है। चूँकि पोलियो का कोई उचित इलाज संभव नहीं है। अतः इसके संक्रमण से बचने के लिए व्यक्तियों को जागरूक होना अतिआवश्यक है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को टीकाकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
अतः आज के इस लेख में आप जानेंगे कि, पोलियो (पोलियोमेलाइटिस) (polio or poliomyelitis) क्या है, इसके प्रकार, कारण, लक्षण क्या हैं तथा इसके निदान, उपचार और रोकथाम के लिए कौन से उचित कदम उठाये जा सकते हैं।
1. पोलियो क्या है – what is polio (poliomyelitis) in hindi
2. पोलियो के प्रकार – Types Of Polio in hindi
3. पोलियो के लक्षण – Polio Symptoms in hindi
4. पोलियो के कारण – Polio Causes in hindi
5. पोलियो के जोखिम – Polio Risk Factor in hindi
6. डॉक्टर को कब देखना है – When to see a doctor in hindi
7. पोलियो का निदान और जांच – Polio Diagnosis in hindi
8. पोलियो के उपचार – Polio Treatment in Hindi
9. पोलियो की रोकथाम और बचाव – Polio Prevention in Hindi
10. वयस्क में पोलियो का टीकाकरण – Adult Polio Vaccination in hindi
पोलियो (Polio), जिसे पोलियोमेलाइटिस (poliomyelitis) भी कहा जाता है, एक वायरस के कारण होने वाली काफी संक्रामक बीमारी है, जो तंत्रिका तंत्र में स्थाई या अस्थाई क्षति का कारण बनती है। वयस्कों की तुलना में, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इस वायरस से संक्रमित होने की संभावना अधिक रहती है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के द्वारा संचरित की जाती है।
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पोलियो के लक्षणों और गंभीरता के आधार पर इसके निम्न प्रकार पाए जाते हैं:
पक्षाघात पोलियो (Paralytic polio) – पक्षाघात पोलियो (Paralytic polio), इस बीमारी का सबसे गंभीर और दुर्लभ प्रकार है। यह पोलियो, रीढ़ की हड्डी में पक्षाघात (spinal polio), brainstem (bulbar polio) या दोनों (bulbospinal polio) प्रकार की समस्याओं का कारण बनती है। यद्धपि पूर्ण पक्षाघात विकसित करना बहुत ही दुर्लभ है। पोलियो पक्षाघात के मामलों में तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुँचता है, जिससे प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है और यह स्थिति मौत का कारण बन सकती है।
गैर-पक्षाघात पोलियो (Non-paralytic polio) – गैर-पक्षाघात पोलियो (Non-paralytic polio), पोलियो का एक सामान्य प्रकार है। यह पक्षाघात (गर्भपात पोलियो) (abortive polio) का कारण नहीं बनता है। यह आम तौर पर हल्के फ्लू जैसे संकेतों और अन्य वायरल बीमारियों के लक्षणों का कारण बनता है।
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यद्यपि पोलियो (polio or poliomyelitis), पक्षाघात और मृत्यु का कारण बन सकता है, लेकिन इस वायरस से संक्रमित अधिकांश व्यक्ति बीमार नहीं होते हैं अर्थात उन्हें पता नहीं होता कि वे वायरस से संक्रमित हैं। अतः लक्षणों को प्रगट किये बगैर, व्यक्ति पोलिओ वायरस (poliovirus) से संक्रमित हो सकता हैं और अन्य व्यक्तियों में वायरस संक्रमण का भी कारण बन सकता हैं। पोलियो के प्रकार के आधार पर संक्रमित व्यक्ति में निम्न लक्षणों को देखा जा सकता है।
गैर-पक्षाघात पोलियो (non-paralytic polio) के लक्षण और संकेत एक से 10 दिनों तक दिखाई दे सकते हैं। ये संकेत और लक्षण फ्लू (flu) की तरह हो सकते हैं। इसके अंतर्गत निम्न लक्षण शामिल हैं:
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लगभग 1 प्रतिशत पोलियो (पोलियोमेलाइटिस) के मामले, पक्षाघात पोलियो (paralytic polio) के रूप में विकसित हो सकते हैं। पक्षाघात पोलियो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी (spinal cord), मस्तिष्क तंत्र (brainstem) या दोनों में पक्षाघात की ओर संकेत करता है।
पक्षाघात पोलियो (paralytic polio) के प्रारंभिक लक्षण गैर-पक्षाघात वाले पोलियो के समान होते हैं। लेकिन इस स्थिति में एक सप्ताह के बाद अधिक गंभीर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पक्षाघात पोलियो (paralytic polio) के लक्षणों में शामिल हैं:
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पोलियो (पोलियोमेलाइटिस), वायरस के कारण फैलने वाली बीमारी है। अत्यधिक संक्रामक पोलिओवायरस (poliovirus), संक्रमित मल (infected feces) के संपर्क में आने से संचारित होता है। संक्रमित मल (infected feces) के संपर्क में आने वाले खिलौने या अन्य वस्तुएं भी वायरस को प्रेषित कर सकती हैं। कभी-कभी यह वायरस छींक या खांसी के माध्यम से संचारित हो सकता है, क्योंकि वायरस संक्रमित व्यक्ति के गले और आंतों में उपस्थित रहता है।
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मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को पोलियो (polio) से प्रभावित होने का जोखिम अधिक होता है। इसके साथ ही जिन व्यक्तियों को टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें भी इस बीमारी से संक्रिमित होने का खतरा रहता है।
पोलियो (polio) प्रभावित क्षेत्र में यात्रा करने से पहले पोलियो टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, निम्न स्थितियों में भी प्रत्येक व्यक्ति को डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए:
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डॉक्टर द्वारा अक्सर पोलियो (पोलियोमेलाइटिस) (polio or poliomyelitis) का निदान मरीज के लक्षणों को देखकर किया जाता है। डॉक्टर मरीज में पीठ और गर्दन में अकड़न या दर्द, सिर को उठाने में कठिनाई, निगलने और सांस लेने में कठिनाई आदि समस्याओं का पता लगाने के लिए शारीरिक परीक्षण कर सकता है।
इसके अतिरिक्त पोलियो के निदान की पुष्टि करने के लिए मरीज के मस्तिष्कमेरु तरल पदार्थ (cerebrospinal fluid), मल या गले से स्रावित रंगहीन तरल पदार्थ का नमूना लेकर पोलिओवायरस का प्रयोगशाला में परीक्षण करने के लिए भेज सकता है। वायरस की उपस्थिति संक्रमण की स्थिति की ओर संकेत करती है।
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चूंकि पोलियो (polio or poliomyelitis) का कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन संक्रमण की स्थिति में डॉक्टर द्वारा इसके लक्षणों को कम करने के लिए इलाज किया जा सकता है। पोलियो नामक बीमारी के जोखिमों और जटिलताओं को कम करने और संक्रमण की स्थिति से बचने का सबसे अच्छा तरीका टीकाकरण है। सहायक उपचार के तौर पर डॉक्टर द्वारा निम्न विकल्पों को अपनाने की सिफारिश की जा सकती है, जैसे:
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पोलियो (polio or poliomyelitis) की बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा और आसान तरीका टीकाकरण (vaccination) प्राप्त करना है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा बच्चों को निश्चित क्रम में टीकाकरण करने की सलाह दी जाती है। पोलिओवायरस को निष्क्रिय करने के लिए बच्चों को टीकाकरण (vaccination) निम्न चार स्तरों में किया जाता है:
निष्क्रिय पोलिओवायरस टीका (inactivated polio-virus vaccine (IPV)) कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए भी सुरक्षित है, लेकिन यह निश्चित नहीं है कि बहुत अधिक प्रतिरक्षा प्रणाली (immune systems) में कमी वाले व्यक्तियों के लिए टीकाकरण (vaccination) कितना सुरक्षात्मक है।
यह टीकाकरण (IPV) कुछ लोगों में एलर्जी उत्पन्न कर सकता है। क्योंकि इस टीका में एंटीबायोटिक्स स्ट्रेप्टोमाइसिन (streptomycin), पोलीमैक्सिन बी (polymyxin B) और नेओमाइसिन (neomycin) की अल्प मात्रा होती है। इसलिए इन दवाओं पर प्रतिक्रिया प्रगट करने वाले किसी भी व्यक्ति को यह टीका नहीं दिया जाना चाहिए। एलर्जी प्रतिक्रिया के संकेत और लक्षण आमतौर पर टीकाकरण (vaccination) के कुछ घंटों या मिनटों के भीतर देखे जा सकते हैं। एलर्जी प्रतिक्रिया के लक्षणों में शामिल हैं:
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आमतौर पर वयस्कों को नियमित रूप से पोलियो के खिलाफ टीकाकरण (vaccination) नहीं किया जाता है क्योंकि अधिकांश व्यक्ति पहले ही पोलियो के प्रति प्रतिरक्षित रहते हैं, तथा संक्रमित होने की सम्भावना बहुत कम होती है।
लेकिन वयस्कों को पोलिओवायरस से संक्रमित होने की उच्च स्थितियों में पोलियो का टीकाकरण किया जाना चाहिए। अतः उस व्यक्ति के लिए टीकाकरण आवश्यक हो जाता है, जो निम्न समूहों के अंतर्गत आता है, जैसे:
यदि किसी व्यक्ति को पोलियो के खिलाफ पहले कभी टीका नहीं किया गया है, तो उसे टीकाकरण (आईपीवी) प्राप्त करने के लिए डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इस स्थिति में व्यक्ति को तीन खुराक प्राप्त करने की सिफारिश की जा सकती है, जैसे:
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