बीमारी

फिशर और फिस्टुला में क्या अंतर है?

फिशर और फिस्टुला में क्या अंतर है?

फिशर और फिस्टुला दोनो गुदा (anus) की बीमारियाँ हैं। दोनो अलग-अलग हैं, लेकिन कुछ लक्षण कॉमन हैं। यही कारण है कि, इन बीमारियों को लेकर लोग भ्रम में रहते हैं। इस भ्रम को दूर करने के लिए हम फिशर और फिस्टुला को विस्तार से जानेंगे और इनकी भिन्नता भी समझेंगे।

परिभाषा

फिशर क्या है?

फिशर या एनल फिशर गुदा नलिका (anal canal) की दरार है। यह दरार मल (stool) कठोर होने पर बनता है। मल का त्याग करते वक्त की गई ग़लतियों से भी यह समस्या हो सकती है। फिशर दर्दनाक होते हैं और मल त्याग के दौरान दर्द और भी बढ़ जाता है।

बच्चों में यह समस्या अक्सर देखने को मिलती है। बुजुर्ग और जवान भी इससे पीड़ित हो सकते हैं। फिशर होने पर जल्द से जल्द इलाज करा लेना चाहिए। अधिक समय तक बीमारी रही तो क्रोनिक एनल फिशर हो सकता है।

फिस्टुला क्या है?

फिस्टुला में व्यक्ति के गुदा में फोड़े आ जाते हैं। फोड़े जलन पैदा करने वाले और दर्दनाक होते हैं। मलत्याग करते वक्त खून निकलने और दर्द बढ़ने का खतरा रहता है। उठने-बैठने पर दर्द होता है। लंबे समय से फिस्टुला है तो गुदा में पस बनने लगता है। फिर भी इलाज न कराया जाए तो ट्यूबरक्लोसिस और कैंसर हो सकता है जिससे मौत हो सकती है। फिस्टुला का इलाज कई तरीकों से किया जाता है जिनमे लेजर सर्जरी अधिक उपयोगी और आसान साबित होती है।

कारण

फिशर के कारण

फिशर के अनेक कारण हैं जैसे- लंबे समय से कब्ज, कठोर खाद्यान्न, तैलीय पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक, फ़ास्ट फ़ूड और मैदे से बनी चीजों का अधिक सेवन करना। शरीर मे पानी की कमी है तो मल कठोर हो जाता है और फिशर की समस्या खड़ी कर देता है।

मल का त्याग करते वक्त अत्यधिक जोर लगाना भी फिशर का कारण हो सकता है। इसके अलावा कुछ बीमारियां जैसे, इंफ्लेमेट्री बाउल डिजीज, डायरिया, प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज,और अल्सरेटिव कोलाइटिस से भी फिशर होने की संभावना बढ़ जाती है।

फिस्टुला के कारण

आंतों में सूजन, एड्स, ट्यूबरक्लोसिस, एनस सर्जरी कराना, सिगरेट शराब या अन्य नशीले पदार्थों का उपयोग, गुदा में चोट लगना आदि फिस्टुला के प्रमुख कारण हैं। गुदा के आसपास किसी बीमारी का रेडिएशन ट्रीटमेंट कराने से भी फिस्टुला का खतरा बढ़ जाता है।

लक्षण

एनल फिशर के लक्षण

एनल फिशर के कई लक्षण नजर आते हैं। इन्ही लक्षणों के आधार पर डॉक्टर फिशर का टेस्ट करते हैं। नीचे बताए गए लक्षणों पर गौर करें-

  • मल त्याग के दौरान दर्द
  • गुदा में सूजन और दर्द
  • गुदा मार्ग में खून आना
  • गुदा में जलन और खुजली
  • गुदा में पस का निर्माण होने लगता है। पस बाहर भी आ सकता है।

फिस्टुला के लक्षण

नीचे बताए गए लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टर से मिलें। फिस्टुला के परीक्षण और इलाज में देरी जानलेवा बीमारी पैदा कर सकती है।

  • गुदा में फोड़े होना
  • लंबे समय से कब्ज
  • गुदा मार्ग से मावाद बहना। मावाद बदबूदार हो सकता है
  • गुदा मार्ग में दर्द, सूजन और जलन की समस्या

इलाज

फिशर का इलाज

आम घरेलू इलाज

शुरुआत में आप घरेलू उपायों से फिशर का इलाज करें। पानी अधिक मात्रा में पिए और फाइबर वाले पदार्थ खाएं। कोक, मसालेदार तैलीय भोजन, मैदा आदि का सेवन न करें। मल मुलायम बनाने वाले पदार्थों का सेवन करें।

किसी भी स्थिति में कब्ज न रहने दें, व्यायाम करें और डॉक्टर से पूछ कर फाइबर के सप्पलीमेंट और मल मुलायम बनाने के लिए लैक्सेटिव (laxative) का सेवन कर सकते हैं।

फिशर के लिए कुछ नार्मल टेबलेट और क्रीम बाजार में उपलब्ध हैं। डॉक्टर की सलाह से इन्हें उपयोग में लाएं। असहनीय दर्द होने पर डॉक्टर इंजेक्शन दे सकते हैं।

फिशर होने पर मल त्याग करना दर्दनाक होता है। इसलिए कई रोगी देरी से मल त्याग करते हैं और मल कई घंटे रोके रहते हैं। ऐसा करना स्थिति को गंभीर बना देता है। कितना भी दर्द हो परंतु मल आने पर उसका त्याग अवश्य करें।

फिशर के लिए सर्जरी

बार-बार फिशर हो और अन्य उपाय काम न आएं तो सर्जरी की जाती है। लेकिन सर्जरी के पहले डॉक्टर कई प्रकार का टेस्ट करवाते हैं। पीड़ित का ब्लड टेस्ट, एनल रीजन का टेस्ट, एनोस्कोपी आदि कराया जा सकता है।

लेजर सर्जरी से स्थाई लाभ मिलता है। सर्जरी के दौरान एडवांस उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। लगभग आधा घंटा में सर्जरी हो जाती है। सर्जरी के दौरान दर्द और ब्लीडिंग नहीं होती है। सर्जरी के बाद उसी दिन रोगी को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। दो दिनों के बाद रोगी स्वस्थ हो जाता है और आम जिंदगी जी सकता है। ट्रीटमेंट सफल हो जाने के बाद रोगी को दर्द, जलन आदि समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

फिस्टुला का इलाज

फिस्टुला का घरेलू या नार्मल इलाज करना फायदेमंद नहीं है। दवाइयों के माध्यम से यह केवल थोड़ी समय के लिए शांत रहता है, और कुछ ही समय बाद  दोबारा से फिस्टुला की शिकायत हो जाती है। फिस्टुला के कम्पलीट ट्रीटमेंट के लिए सर्जरी जरूरी है। फिस्टुला के लिए मुख्य सर्जरी ये हैं:

  • फिस्टुलोटोमी (fistulotomy)

इस सर्जरी में फिस्टुला की  ट्यूब को काटकर खोला जाता है और ट्रीटमेंट किया जाता है। इस सर्जरी के बाद फिस्टुला के दोबारा होने की संभावना कम हो जाती है। हालांकि, इस सर्जरी के दौरान स्फिंकटर मांसपेशियों (sphincter muscles) में घाव आ सकता है।

  • लेजर ट्रीटमेंट

फिस्टुला का सबसे बेहतर इलाज लेजर ट्रीटमेंट ही है। इसमे किसी प्रकार की ट्यूब को काटने की आवश्यकता नही होती है। यह दर्दरहित और आसान इलाज होता है। सर्जरी से पहले डॉक्टर कई  प्रकार के टेस्ट कर सकते हैं जिसमे अल्ट्रासाउंड और एम.आर.आई भी शामिल है। लेजर के जरिए फिस्टुला का इलाज करने से इसके दोबारा होने की संभावना कम होती है|

फिशर और फिस्टुला के लेजर ट्रीटमेंट के लिए Pristyn Care

फिशर और फिस्टुला की लेजर सर्जरी के लिए Pristyn Care सबसे उत्तम जरिया है| Pristyn Care के सभी सर्जन अनुभवी हैं जो इलाज के दौरान एडवांस उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं|

सारांश

फिशर में गुदा मार्ग में दरारें आ जाती हैं जो दर्दनाक होते हैं जबकि, फिस्टुला में गुदा में फोड़े आ जाते हैं। फिशर मल त्याग के दौरान जोर लगाने से होता है जबकि, फिस्टुला लंबे समय से कब्ज और कई बड़ी बीमारियों के कारण होता है। फिशर का इलाज नार्मल दवाइयाँ और घरेलू उपायों से किया जा सकता है लेकिन फिस्टुला का एकमात्र इलाज सर्जरी है।

Leave a Comment

Subscribe for daily wellness inspiration