खराब जीवनशैली और अनहेल्दी खान पान की वजह से आज आप अनेकों बीमारियों से घिरे हुए हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भी आप अपने खान पान और जिंदगी जीने के तरीके में सकारात्मक बदलाव नहीं ला पाते हैं। देर से सोना, जल्दी जागना, समय से हेल्दी ब्रेक फास्ट नहीं करना, सुबह में व्यायाम या योग नहीं नहीं करना, तैलीय, मसालेदार, फास्ट फूड्स, कोल्ड ड्रिंक्स, पान, गुटखा और सिगरेट का सेवन करना आपके जीवन का खास हिस्सा बन चुका है। इन सभी आदतों की वजहों और लापरवाहियों के कारण आपको ढेरों बीमारियां और परेशानियां होती हैं। बवासीर भी इन्ही में से एक है। आज बवासीर एक सामान्य समस्या का रूप ले चुका है क्योंकि अच्छी खासी आबादी इस बीमारी से ग्रसित है।
बवासीर का इलाज करने के लिए उपचार के ढेरों माध्यम उपलब्ध हैं। लेकिन आज हम आपको बवासीर के सबसे आधुनिक और उत्तम इलाज के बारे में बताने वाले हैं। किसी भी बीमारी के इलाज के बारे में जानने से पहले उसके कारणों, लक्षणों और बचाव के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।
बवासीर एक शारीरिक समस्या है जिसकी स्थिति में मरीज को अपने दैनिक जीवन के कामों को करने और खासकर स्टूल पास करते समय काफी दर्द और तकलीफों का सामना करना पड़ता है। बवासीर को अंग्रेजी में पाइल्स और हेमोरोइड के नाम से जाना जाता है। बवासीर से पीड़ित मरीज के एनस के अंदर छोटे छोटे मस्से बन जाते है जो स्टूल पास करते समय प्रेशर पड़ने पर फट जाते हैं। मस्सों के फटने की वजह से एनस और उसकी नसों भी में सूजन आ जाती है। सूजन की वजह से दर्द और तकलीफें बढ़ जाती हैं। ऐसे में मरीज का उठना बैठना तक मुश्किल हो जाता है।
बवासीर दो प्रकार के होते है जिन्हे बादी बवासीर और खुनी बवासीर के नाम से जाना जाता है। बादी बवासीर की स्थिति में मरीज के एनस में तेज दर्द, जलन, सूजन और स्टूल पास करने में काफी दिक्कत होती है। बादी बवासीर में मरीज के एनस से खून नहीं आता है। लेकिन खुनी बवासीर की स्थिति में स्टूल पास करते समय खून आता है। बादी और खुनी बवासीर, दोनों के लक्षण बिलकुल एक जैसे हैं। इनमें बस इतना ही फर्क है की बादी बवासीर में बस दर्द, जलन और सूजन होती है जबकि खुनी बवासीर में इन सबके साथ साथ स्टूल के साथ साथ खून भी आता है।
बवासीर होने के बहुत सारे कारण हैं। लेकिन इनमें सबसे खास कारण ज्यादा तैलीय और मसालेदार बाहरी खाना (इसमें तेल, नमक और सफाई पर ध्यान नहीं दी जाती है), फास्ट फूड्स, कोल्ड ड्रिंक्स और सिगरेट का सेवन और कम मात्रा में पानी पीना आदि भी शामिल हैं। इनकी वजह से पेट में हमेशा गैस और कब्ज की समस्या रहती है। कब्ज होने की वजह से खाना समय पर सही से हजम नहीं होता है जिसके कारण पेट पूरी तरह से खाली नहीं होता है और स्टूल मोटा तथा टाइट बनने लगता है। स्टूल मोटा और टाइट होने के कारण एनस की नसों में प्रेशर पड़ता है जिसकी वजह से उनके अंदर जख्म बन जाते हैं। वही जख्म आगे जाकर बवासीर का रूप ले लेते हैं।
किसी भी बीमारी की उपस्थिति का अंदाजा उसके लक्षणों के आधार पर लगाया जाता है। बवासीर के भी कुछ खास लक्षण हैं जो आप खुद में अनुभव कर सकते हैं। इसके लक्षणों में एनस के आस पास सूजन, खुजली या गांठ होना, स्टूल पास करते समय दर्द महसूस होना, कभी कभी स्टूल के साथ खून और कभी कभी म्यूकस आना, चलने फिरने, उठने बैठने और अपने दैनिक जीवन के कामों को करने में परेशानी होना आदि शामिल हैं। अगर आप इनमें से किसी भी लक्षण को खुद में महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए।
बवासीर से बचने के लिए सबसे जरूरी है की आप एक अच्छी और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाएं। अपने रहन सहन और खासकर खाने पीने की चीजों पर ध्यान दें। क्योंकि आप दिन भर में जिन भी चीजों को खाते हैं वो आगे जाकर इस बात का फैसला करते हैं की आप स्वस्थ रहेंगे या बीमार। स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ खान पान की चीजों का सेवन करना सबसे जरूरी है। कम तेल और मसाले वाले भोजन का सेवन करें। दिन भर में ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। सुबह में थोड़ा बहुत व्यायाम करें और फाइबर से भरपूर पदार्थों का सेवन करें। क्योंकि इससे गैस और कब्ज की समस्या नहीं होती है।
इन सब के अलावा, नशे की चीजों से दूर रहें। बवासीर के कारणों में सिगरेट और गुटखा का सेवन करना भी शामिल है। इसलिए आपके लिए यह आवश्यक है की नशीली चीजों से दूर रहें। समय पर सोएं, समय पर खाना खाएं, समय पर सौच करें ताकि फिर समय पर आपको भूख लगे और आपका दिन अच्छे से बीते।
बवासीर के इलाज के लिए अंग्रेजी, आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक दवाएं और क्रीम, घरेलू नुश्खे, लाइफस्टाइल में परिवर्तन, योग और व्यायाम जैसे उपाय मौजूद हैं। बवासीर के शुरूआती स्टेज में अगर आपने इस पर ध्यान दिया तो यह बीमारी ऊपर बताई हुई तरकीबों का इस्तेमाल करने से खत्म हो जाती है। लेकिन अगर आपका बवासीर पुराना हो गया है और यह इन सभी तरकीबों का इस्तेमाल करने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है। या फिर ठीक होने के कुछ दिनों के बाद फिर से दोबारा आ जाता है तो आपको आधुनिक इलाज यानी की लेजर सर्जरी की मदद से इसका इलाज करवाना चाहिए। इस स्थिती में लेजर सर्जरी का इस्तेमाल करना सर्वश्रेष्ठ है।
आमतौर पर बाहरी बवासीर की जांच की आवश्यकता नहीं पड़ती है। क्योंकि ये एनस के बाहर होते हैं जिसकी वजह से इन्हे देखकर ही पता लगाया जा सकता है। आंतरिक बवासीर एनस के अंदर होता है इसलिए इसके निदान में डिजिटल रेक्टल एक्जामिनेशन शामिल हो सकता है। इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर ग्लोव्ड और लुब्रिकेटेड फिंगर को एनस में डालकर जांच करते हैं। अगर डॉक्टर को सिग्मोइडोस्कोपी परीक्षण के दौरान कुछ भी असामान्य महसूस होता है तो वे एनस में छोटे फाइबर-ऑप्टिक कैमरा को डालकर एनस की जांच करते हैं।
ज्यादातर मामलों में दवाओं, क्रीम, और घरेलू उपचारों का इस्तेमाल करने पर आपको थोड़े समय के लिए बवासीर के दर्द, सूजन और जलन से आराम तो मिल जाता है। लेकिन जैसे ही इनका असर खत्म होता है, आपकी बीमारी और उससे जुड़ीं तकलीफें फिर से आपके सामने खड़ी हो जाती हैं। ऐसे में लेजर सर्जरी ही आपके इलाज के लिए सबसे उत्तम माध्यम बचता है।
लेजर सर्जरी बवासीर के इलाज का सबसे बेहतरीन तरीका है। यह सर्जरी मात्र आधे घंटे के अंदर पूरी हो जाती है। सर्जरी के दौरान आपको कट और टांके नहीं लगते हैं तथा रक्तस्राव और दर्द नहीं होता है। सर्जरी खत्म होने के कुछ ही घंटों के बाद आपको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। बवासीर की लेजर सर्जरी के दो दिन के बाद आप अपने दैनिक जीवन के कामों को फिर से शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। अपने दैनिक जीवन के किसी भी काम को करने या फिर स्टूल पास करते समय हो रहे दर्द, जलन और रक्स्राव से आजाद हो जाते हैं।
सर्जरी लेजर के दौरान या बाद में इंफेक्शन या जख्म होने का खतरा लगभग न के बराबर होता है। लेजर सर्जरी अनुभवी और कुशल सर्जन द्वारा की जाती है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में लेजर सर्जरी सर्वश्रेष्ठ है और यही कारण है की हर कोई अपने बवासीर का इलाज कराने के लिए इस आधुनिक इलाज का चयन करता है। अगर आप बवासीर की समस्या से परेशान हैं और इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो आपको लेजर सर्जरी का चुनाव करना चाहिए। लेजर सर्जरी का चुनाव करने के साथ साथ आपको एक अच्छे हॉस्पिटल का चुनाव करना भी जरूरी है।
अगर आप अपने बावासीर की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपने शहर में प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर सकते हैं। प्रिस्टीन केयर बवासीर का इलाज लेजर सर्जरी करने के साथ साथ अपने मरीजों को और भी ढेर सारी सुविधाएं फ्री में देते हैं। इसमें डॉक्टर के साथ मरीज के लिए अप्वाइंटमेंट लेना, सर्जरी के दिन उनके लिए गाड़ी बुक करना, हॉस्पिटल में उनकी जगह सभी पेपरवर्क पूरा करना, उनके रहने के लिए एक डीलक्स रूम और मरीज की अच्छे से देखभाल करने के लिए एक केयर बड्डी मुहैया करना आदि शामिल है।
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