What is Tuberculosis in Hindi ट्यूबरक्लोसिस या टीबी (TB) एक संक्रामक रोग है जो रॉड के आकार के माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है। टीबी को तपेदिक, क्षय रोग, यक्ष्मा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। प्रति वर्ष लाखों लोग इस ट्यूबरक्लोसिस (tuberculosis) जैसी बीमारी की चपेट में आने से मर जाते हैं। टीबी के जीवाणु से संक्रमित होने के बाद भी कुछ व्यक्तियों के शरीर में इस बीमारी के सक्रिय होने के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, तो उसे असक्रिय या इनएक्टिव टीबी कहते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको टीबी होने के कारण, लक्षण, निदान, इलाज, बचाव के बारे में बताएंगे।
विषय सूची
टीबी क्या है – What is TB in Hindi
क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक बीमारी है, जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक एक प्रकार का बैक्टीरिया इस बीमारी का कारण बनता है, जो यह शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इसका पूरी तरह से इलाज करने के लिए कम से कम 6 से 9 महीने तक दवाओं का सेवन करने की आवश्यकता होती है। तपेदिक (टीबी) का कारण बनने वाले जीवाणु खांसी और छींक के माध्यम से हवा में फ़ैल जाते हैं और व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं।
टीबी के प्रकार – Types of Tuberculosis in Hindi
टीबी संक्रमण से संक्रमित प्रत्येक व्यक्ति बीमार नहीं रहता है। यह रोग दो रूप में पाया जाता है:
गुप्त टीबी (Latent TB) – गुप्त टीबी की स्थिति में बैक्टीरिया शरीर में मौजूद होते हैं, लेकिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें फैलने नहीं देती है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति में किसी भी प्रकार के लक्षण प्रगट नहीं होते हैं, अतः इस स्थित में व्यक्ति रोग को फैला नहीं सकता है। लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति कभी भी गंभीर रूप से बीमार हो सकता है।
सक्रिय टीबी (Active TB) – इस स्थिति में संक्रमित व्यक्ति के शरीर में बैक्टीरिया कई गुना बढ़ जाते हैं और लक्षणों को उत्पन्न कर देते हैं। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति दूसरों को बीमारी फैला सकता है।
टीबी होने के कारण – Causes of Tuberculosis in Hindi
क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जो सर्दी या फ्लू की तरह हवा से फैलता है। अगर कोई व्यक्ति टीबी से संक्रमित है, तो उसके शरीर से टीबी के जीवाणु अन्य व्यक्ति के शरीर में भी फैल सकते हैं। कफ, छींकने और यहां तक कि यदि संक्रमित व्यक्ति बात करता है तो उसके मुंह से टीबी बैक्टीरिया हवा में आ जाते हैं और जब लोग इस हवा में सांस लेते हैं तो वे भी संक्रमित हो जाते हैं। इस बीमारी का संक्रमण ज्यादातर तब होता है, जब आप संक्रमित व्यक्ति के साथ या उसके आसपास रहते हैं और उसी हवा में सांस लेते हैं। सांस लेने से यह जीवाणु फेफड़ों (lungs) में पहुंच जाते हैं और फिर इम्यून सिस्टम को भी प्रभावित करते हैं।
जिन देशों में टीबी अधिक फैली हो वहां यात्रा करने पर दूसरे व्यक्ति को टीबी होने का खतरा रहता है। इसके अलावा जो लोग अस्पताल में एक्टिव टीबी के मरीजों की देखभाल करते हैं उनमें भी यह टीबी का बैक्टीरिया प्रवेश कर सकता है। और टीबी होने का कारण बन सकता है।
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एक स्वस्थ इम्यून सिस्टम टीबी के बैक्टीरिया से लड़ता है जिसके कारण यह इनएक्टिव रूप में होती हैं, लेकिन इनएक्टिव ट्यूबरक्लोसिस (inactive tuberculosis), कुछ स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित व्यक्तियों में एक्टिव रूप में बदल सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- डायबिटीज
- सिर या गले का कैंसर
- एचआईवी या एड्स जैसी बीमारियां जो प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देती हैं।
- किडनी रोग
- लंबे समय तक स्टीरॉयड का उपयोग करना
- कुपोषण से पीड़ित होना
- गर्भावस्था
- रेडियोथेरेपी, इत्यादि।
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टीबी के लक्षण – Symptoms of Tuberculosis in Hindi
क्षय रोग (टीबी) का इनएक्टिव या गुप्त इंफेक्शन होने पर इस बीमारी का कोई भी लक्षण दिखायी नहीं पड़ता है। लेकिन जब इसके बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं तो ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण बड़ी आसानी से दिखने लगते हैं। शरीर में संक्रमण होने के बाद इन लक्षणों को विकसित होने में समय लगता है, इसलिए व्यक्ति को तुरंत इसका पता नहीं चल पाता है। लेकिन जब लक्षण अधिक बढ़ जाते हैं तब जाकर इस बीमारी (TB) का पता चल पाता है। इस बीमारी के बैक्टीरिया आमतौर पर किडनी, लसिका ग्रंथी, हड्डी और जोड़ों को प्रभावित करते हैं, लेकिन टीबी का रोग फेफड़ों (lungs) को सबसे ज्यादा संक्रमित करता है।
टीबी के लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- छाती में कफ जमना
- 3 सप्ताह या इससे अधिक दिनों तक लगातार खांसी का आना
- खांसी के साथ खून आना
- वजन में लगातार गिरावट आना
- थकान का अनुभव होना
- बुखार आना
- रात में पसीना आना
- ठंड लगना
- सीने में दर्द का होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- भूख की कमी ((lack of appetite))
ट्यूबरक्लोसिस के दूसरे भी लक्षण हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि यह बीमारी फेफड़े और सीने के अलावा शरीर के और किस भाग को संक्रमित की है। जैसे कि यदि टीबी लिम्फ नोड में फैलती है तो इससे गर्दन और बांह के नीचे सूजन आ जाती है। यदि टीबी हड्डियों या पैर की जोड़ों तक फ़ैल चुकी होती है, तो इसकी वजह से घुटनों एवं कूल्हों में सूजन के साथ दर्द होता है।
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क्षय रोग की जटिलताएं – Tuberculosis Complications in hind
तपेदिक या क्षय रोग संक्रमण की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति को निम्न जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
- जॉइंट डैमेज (Joint damage)
- फेफड़े खराब हो जाना (Lung damage)
- हड्डियों, रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क या लिम्फ नोड्स में संक्रमण के परिणामस्वरुप नुकसान
- लिवर या किडनी की समस्याएं
- दिल के आसपास के ऊतकों की सूजन आ जाना, इत्यादि।
टीबी का निदान – Tuberculosis Diagnosis in Hindi
ट्यूबरक्लोसिस या तपेदिक का निदान करने के लिए निम्न परीक्षण का उपयोग किया जा सकता है, जैसे:
- स्किन टेस्ट (Skin test) – टीबी के बैक्टीरिया की उपस्थिति का निदान और इस बैक्टीरिया की प्रतिक्रिया जानने के लिए इम्यून सिस्टम की जांच की जाती है। इसके लिए डॉक्टर आमतौर पर ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट (tuberculin skin test) करते हैं। इस परीक्षण में एक तकनीशियन मरीज की निचली भुजा (lower arm) की स्किन में थोड़ी मात्रा में तरल पदार्थ इंजेक्ट करता है। 2 या 3 दिनों के बाद, वे हाथ में सूजन की जाँच की जाती है। यदि सूजन आती है तो रिजल्ट सकारात्मक (पॉजिटिव) होता हैं, जो टीबी होने की पुष्टि करता है। लेकिन कुछ स्थितियों में रिजल्ट झूठे सकारात्मक (false positive) भी मिल सकती है। यदि किसी व्यक्ति को तपेदिक का टीका लग गया है, तो परीक्षण के दौरान सकारात्मक रिजल्ट प्राप्त हो सकता है।
- रक्त परीक्षण या इंटरफेरॉन-गामा रिलीज एसेज़ (interferon-gamma release assays (IGRAs))।
- सीने का एक्स-रे परीक्षण।
- थूंक के नमूनों की जांच या एसिड-फास्ट बेसिलस परीक्षण (Acid-fast bacillus (AFB) tests)।
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टीबी का इलाज – Tuberculosis Treatment in Hindi
बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर टीबी का इलाज करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स की सिफारिश कर सकता है। इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल में भी भर्ती किया जा सकता है।
यदि किसी व्यक्ति को गुप्त टीबी है, तो डॉक्टर बैक्टीरिया को मारने के लिए आइसोनिएजिड (isoniazid), रिफैम्पिन (rifampin), पिराजीनामइड (pyrazinamide) और एथमबुटोल (ethambutol) आदि दवाओं को अकेले या संयुक्त रूप से दे सकता है। आपको 9 महीने तक इन दवाओं को लेना पड़ सकता है।
TB टीबी का इलाज करने के दौरान दवाओं का कोर्स खत्म होने पर शरीर से यदि टीबी के लक्षण दूर हो जाते हैं, तो डॉक्टर दोबारा से लार या थूक का परीक्षण कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति को हड्डियों और जोड़ों में टीबी है, तो इसके इलाज में एक साल से अधिक का समय लगता है। यदि आप आइसोनियाजिड (isoniazid) ले रहे होते हैं, तो डॉक्टर 50 mg पाइरिडोक्सिन (pyridoxine \ vitamin B6) भी लेने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह साइड इफेक्ट से बचाता है।
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टीबी से बचाव – Tuberculosis Prevention in Hindi
क्षयरोग या तपेदिक के संक्रमण से बचने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
- शरीर में टीबी फैलने से पहले ही जल्द से जल्द इसका इलाज कराकर टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है।
- टीबी के इंफेक्शन से बचने के लिए वैक्सीन भी मौजूद है। यह कुछ हद तक टीबी होने के जोखिम को कम करती है।
- टीबी के लक्षण दिखने पर तुरंद स्किन टेस्ट कराना चाहिए ताकि यह पुष्टि हो सके कि टीबी एक्टिव है या इनएक्टिव।
- डॉक्टर के बताए अनुसार ही इस बीमारी की दवाएं लें, इससे आप कई तरह के साइड इफेक्ट से बच जाएंगे।
- यदि आपको सक्रिय टीबी है, तो अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचें। हंसते, छींकते या खांसते समय अपना मुंह ढकें। उपचार के पहले हफ्तों के दौरान अन्य लोगों के आसपास होंने पर अपने मुंह को मास्क से अच्छी तरह से ढकें।
ऊपर आपने जाना टीबी होने के कारण, टीबी के लक्षण, टीबी का निदान, टीबी का इलाज, टीबी से बचाव के बारे में आप कुछ सावधानियों को अपनाकर टीबी से बच सकते है और टीबी होने पर उसका पूरा इलाज कराकर उससे छुटकारा पाया जा सकता है।
टीबी के कारण, लक्षण, निदान एवं बचाव (Tuberculosis Causes Symptoms Diagnosis Prevention And Treatment in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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