Yellow Fever In Hindi पीला बुखार (पीतज्वर) मच्छर द्वारा फैलने वाला रोग है। यह एक उच्च बुखार, पीलिया और शरीर के अंगों की क्षति का कारण बन सकता है, और यह घातक भी हो सकता है। यह बीमार उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों या मच्छर प्रभावित क्षेत्रों में अत्यधिक प्रभावी होती है। मच्छरों के काटने से यह बीमारी किसी भी उम्र में व्यक्तियों को प्रभावित कर सकती है तथा गंभीर स्थिति में मौत का करण बन सकती है। चूंकि पीला बुखार का कोई उचित इलाज नही है। अतः इसकी रोकथाम के लिए उचित उपाय अपनाए जाने चाहिए तथा रोग के प्रति टीकाकरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
आज के इस लेख में आप जानेंगे कि पीतज्वर या पीला बुखार (yellow fever) क्या है, इसके लक्षण, कारण, जटिलताएँ क्या हैं, जांच, इलाज और बचाव के लिए क्या किया जा सकता है तथा पीतज्वर में क्या खाएं और क्या नहीं।
1. पीतज्वर (पीला बुखार) क्या है – What is yellow fever in Hindi
2. पीला बुखार (पीतज्वर) के लक्षण – Yellow Fever Symptoms in Hindi
3. पीला बुखार का कारण – Yellow Fever Cause in Hindi
4. पीला बुखार का जोखिम – Yellow Fever Risk Factors in Hindi
5. पीला बुखार (पीतज्वर) की जटिलताएँ – Yellow Fever Complications in Hindi
6. पीतज्वर होने पर डॉक्टर को कब देखना है – When to See Doctor in Hindi
7. पीला बुखार (पीतज्वर) की जांच – yellow fever diagnosis in hindi
8. पीतज्वर के उपचार और इलाज – Yellow Fever Treatment in Hindi
9. पीला बुखार से बचाव के उपाय – Yellow Fever Prevention in Hindi
10. पीले बुखार (पीत ज्वर) टीकाकरण – Yellow Fever Vaccine in Hindi
11. पीत ज्वर (पीला बुखार) आहार – Yellow Fever Diet In Hindi
12. पीला बुखार में परहेज – Yellow Fever Me Parhej In Hindi
पीला बुखार (yellow fever) एक वायरल संक्रमण (viral infection) है, जो एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से फैलता है। पीतज्वर (पीला बुखार) की स्थिति में लिवर और किडनी की कोशिकाएं मर जाती हैं और यकृत (liver) को क्षति पहुँचती है, जिससे उच्च बुखार के साथ-साथ पीलिया रोग विकसित होता है, जो की इस रोग की प्रमुख्य विशेषता है।
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पीतज्वर (पीला बुखार) से प्रभावित अधिकांश व्यक्ति लक्षणों को विकसित नहीं करते हैं, या लक्षण बहुत हल्के होते हैं। पीला बुखार की स्थिति में किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद लक्षणों और संकेतों को प्रकट होने में 3 से 6 दिन का समय लगता है। यह रोग व्यक्तियों के द्वारा नहीं फैलता है। केवल मच्छर ही इस रोग के संक्रमण का कारण बनते हैं। पीला बुखार (yellow fever) संक्रमण की दो स्थितियां होती है: तीव्र स्थिति (acute Phase) और विषाक्त स्थिति (Toxic Phase)।
तीव्र स्थिति (acute Phase) में पीला बुखार (पीतज्वर) के लक्षणों को प्रगट होने में 3 से 6 दिन का समय लगता है। इस स्थिति के सामान्य लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
ये लक्षण आमतौर पर 7 से 10 दिनों के भीतर गायब हो जाते हैं।
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एक्यूट पीतज्वर (acute yellow fever) के संकेत और लक्षण लगभग 1 से 2 दिन के बाद पूर्ण रूप से गायब हो सकते हैं, लेकिन कुछ व्यक्ति विषाक्त पीतज्वर (Toxic yellow fever) की स्थिति में प्रवेश कर सकते हैं। पीला बुखार (yellow fever) के विषाक्त चरण में संकेत और लक्षण पुनः प्रगट होते हैं और अधिक गंभीर होते हैं। इन लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
विषाक्त पीतज्वर के लक्षण विकसित करने वाले व्यक्तियों में से लगभग 20 से 50 प्रतिशत लोगों की 2 सप्ताह के भीतर मृत्यु हो जाती है।
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पीतज्वर (yellow fever) आमतौर पर संक्रमित मच्छरों द्वारा काटने से फैलता है। फ्लैविवायरस (Flavivirus) पीला बुखार का कारण बनता है। जब संक्रमित मच्छर व्यक्ति को काटता है, तो यह वायरस संचरित होता है। जब एक मच्छर संक्रमित मानव या बंदर को काटता है तो वह मच्छर जीवित रहने तक वायरस को संचरित कर सकता है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संपर्क के माध्यम से नहीं फैल सकती है। हालांकि संक्रमण दूषित सुइयों के माध्यम से फैलाया जा सकता है। यह मच्छर आम तौर पर एडीज इजिप्ती (Aedes aegypti) मच्छर से संचरित होता है।
यह मच्छर उष्णकटिबंधीय वर्षावन (rainforests), नमी क्षेत्र और अर्द्ध-आर्द्र वातावरण के साथ-साथ पानी के आसपास वाले क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है।
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पीला बुखार (yellow fever) का जोखिम उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के व्यक्तियों को अत्यधिक होता हैं क्योंकि यहाँ मच्छरों का प्रकोप अधिक होता है। पीला बुखार संक्रमित क्षेत्र में यात्रा करने वाले व्यक्तियों को भी इसका जोखिम अत्यधिक होता है। टीकाकरण से वंचित व्यक्ति भी पीला बुखार के जोखिम को प्राप्त कर सकते हैं।
गंभीर मामलों में पीला बुखार (yellow fever) निम्न जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे:
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जो व्यक्ति पीला बुखार से संबन्धित लक्षणों को विकसित करते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। अतः निम्न स्थितियों का अनुभव होने पर डॉक्टर से बात करें:
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पीतज्वर पील बुखार (पील बुखार) (yellow fever) का निदान, संकेतों और लक्षणों के आधार पर करना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि इसके लक्षण मलेरिया, टाइफाइड, डेंगू बुखार और अन्य वायरल हेमोरेजिक बुखार (viral hemorrhagic fevers) के समान हो सकते हैं और पीले बुखार को भ्रमित कर सकते हैं। पीले बुखार का निदान करने के लिए डॉक्टर मरीज से चिकित्सा इतिहास और यात्रा इतिहास की जानकारी प्राप्त कर सकता है।
इसके अतिरिक्त प्रयोगशाला परीक्षण के द्वारा निदान करने के लिए मरीज का रक्त नमूना लिया जा सकता है। रक्त परीक्षण के माध्यम से वायरस की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है, या एंटीबॉडी का पता लगाया जा सकता है।
रक्त परीक्षण पीले बुखार की जटिलताओं की स्थिति में अनेक प्रकार के संक्रमण तथा पीलिया का भी निदान करने में सहायक होता है।
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पीला बुखार (पीतज्वर) का कोई उचित इलाज नहीं है। पीले बुखार का चिकित्सकीय उपचार, इसके लक्षणों जैसे-बुखार, मांसपेशी दर्द और निर्जलीकरण आदि स्थितियों को कम करने के लिए किया जाता है।
पीले बुखार (पीतज्वर) के इलाज में कोई एंटीवायरल दवाएं (antiviral medications) सहायक साबित नहीं हो सकती हैं। अतः इसका उपचार मुख्य रूप से अस्पताल में स्वास्थ्य सहायक की देखभाल में किया जाता है। इसकी उपचार प्रक्रिया में निम्न को शामिल किया जाता है:
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पीला बुखार (पीत ज्वर) की रोकथाम के लिए विशेष रूप से मच्छरों के काटने से बचे जाने की सलाह दी जाती है। अतः मच्छरों को काटने से रोकने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं:
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पीत ज्वर (पीला बुखार) की रोकथाम के लिए टीकाकरण एकमात्र तरीका है। पीला बुखार का टीका की एक खुराक कम से कम 10 वर्षों तक इस रोग से सुरक्षा प्रदान करती है। यह टीका वायरस के खिलाफ शरीर को प्रतिरक्षा बनाने में मदद करता है। कोई भी व्यक्ति, जो 9 महीने से 95 वर्ष का है और पीला बुखार प्रभावित क्षेत्र में रह रहा है या यात्रा कर रहा है, उसे निश्चित रूप से टीकाकरण किया जाना चाहिए। 9 महीने और 60 साल की उम्र के बीच में टीकाकरण किया जाना सबसे सुरक्षित माना जाता है। गर्भावस्था, स्तनपान, अंडे से एलर्जी, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (immunocompromised) की स्थिति या 60 साल से अधिक उम्र की स्थिति में पीला बुखार का टीका प्राप्त करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि इन स्थितियों में टीकाकरण जोखिम दायक हो सकता है।
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पीला बुखार (पीतज्वर) की स्थिति में सुधार करने और उपचार प्रक्रिया में मदद करने के लिए निम्न पदार्थ के सेवन की सलाह दी जाती है:
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पीला बुखार (पीतज्वर) की स्थिति में उच्च वसा स्त्रोत का सेवन इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अतः पीले बुखार की जटिलताओं को कम करने के लिए निम्न आहार के सेवन से परहेज करने की सलाह दी जाती है:
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