Yoga for Appendix in Hindi अपेंडिक्स के उपचार के लिए योग फायदेमंद होता हैं। अपेंडिक्स हमारे शरीर में पाए जाने वाला एक अंग हैं। अपेंडिक्स में सूजन आना दर्द का कारण बन जाता हैं इसे अपेंडिसाइटिस कहा जाता हैं। यह समस्या लगभग 10% आबादी को प्रभावित करती है। यह हर साल लगभग 500 व्यक्तियों में से 1 को होती है। अपेंडिसाइटिस में दर्द की स्थिति सभी उम्र को प्रभावित करती है लेकिन दो साल से कम उम्र के बच्चों में यह असामान्य है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक प्रभावित करता है। अपेंडिसाइटिस 10 से 30 साल की उम्र के बीच बहुत आम है। अपेंडिसाइटिस में दर्द का इलाज योग के द्वारा किया जा सकता हैं आइये अपेंडिक्स के लिए योगासन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. अपेंडिक्स क्या है – What is Appendix in Hindi
2. अपेंडिसाइटिस के लक्षण – Symptoms of appendicitis in Hindi
3. अपेंडिक्स के लिए योग – Yoga for Appendix in Hindi
यह एक पतली और छोटी नस होती है इसकी लम्बाई 2 से 3 इंच होती है। यह बड़ी आंत का एक हिस्सा है और यह जहाँ मल बनता है वहाँ जुड़ी होती हैं। एपेंडिसाइटिस आमतौर पर पेट के बीच में नाभि के पास एक अस्पष्ट दर्द के साथ शुरू होता है। यह दर्द अगले 24 घंटों में धीरे-धीरे दाहिने निचले पेट या दाहिने कूल्हे की ओर जाता है।
(और पढ़े – अपेंडिक्स क्या है, कार्य, बीमारी, लक्षण, जांच, इलाज और बचाव…)
अपेंडिक्स में होने वाले अपेंडिसाइटिस के लक्षण पेट में दर्द, मतली, उल्टी, भूख की कमी और बुखार ये सभी हैं हालांकि ये लक्षण आधे से भी कम लोगों में होते हैं जो एपेंडिसाइटिस पीड़ित हैं। आइये अपेंडिक्स के इलाज के लिए योग को करने की विधि को विस्तार से जानते हैं।
एपेंडिसाइटिस के इलाज के लिए कोई ज्ञात निवारक उपाय नहीं हैं पर इसे कुछ योगासन के द्वारा कम किया जा सकता हैं। अपेंडिसाइटिस दर्द के लिए निम्न योग करें।
त्रिकोणासन योग करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। यह आसन रक्त के प्रवाह को उत्तेजित करता है और पीठ, कंधों, पैरों और बाहों को खींचने और आराम करने में मदद करता है और साथ ही यह सिर तक रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। यह आसन जांघों और पिंडलियों की मांसपेशियों के साथ-साथ हैमस्ट्रिंग को भी फैलाता हैं। त्रिकोणासन के दौरान रीढ़ की हड्डी का हल्का मोड़ रीढ़ की हड्डी की डिस्क में लचक पैदा करता है और पीठ के निचले हिस्से की तकलीफ से राहत देता है।
इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट पर दोनों पैरों को दूर-दूर करके सीधे खड़े हो जाएं, अपने दाएं पैर के साइड झुकें और अपने हाथ को जमीन पर रखें और दूसरे हाथ को ऊपर करके सीधा करें जिससे दोनों हाथ एक सीधी रेखा में हो जाएं। कुछ देर इस आसन में रहें, अगर आपको जमीन पर हाथ रखने में कठिनाई होती हैं तो आप हाथ को पैर के ऊपर रख सकते हैं। यदि आप अपेंडिक्स संबंधी समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए त्रिकोणासन योग का उपयोग कर सकते हैं।
(और पढ़े – त्रिकोणासन के फायदे और करने का तरीका…)
विपरीत करनी योग अपेंडिक्स रोग के लिए लाभदायक आसन हैं। यह रक्तचाप को भी कम करता है जिसके कारण गुर्दे की पथरी होने की संभावना खत्म हो जाती है। विपरीत करनी पोज़ बेहद आरामदायक है जो थकान और तनाव को कम करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दीवार की ओर पैर करके सीधे लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को ऊपर उठा के दीवार पर रखें और अपनी पीठ को जमींन पर ही रहने दें। इस स्थिति में आपकी कमर पर 90 डिग्री का कोण बनेगा। अपने दोनों हाथों को फर्श पर सीधा रखें। इस मुद्रा में 5 से 15 मिनट तक बने रहें।
(और पढ़े – विपरीत करणी योग करने का तरीका और फायदे…)
वृक्षासन एक ऐसा आसन या मुद्रा है जो लचीलेपन और संतुलन के सुधार के लिए किसी भी योग दिनचर्या के लिए उत्कृष्ट है। अपेंडिक्स के लिए वृक्षासन बहुत ही फायदेमंद है। इस आसन में आप एक पेड़ के समान दिखाई देते हैं। यह आसन आपके पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करता हैं। इस आसन को करने लिए आप एक चटाई पर सीधे खड़े हो जाएं अपने दोनों हाथों को जोड़ लें। अब अपने एक पैर को ऊपर कर के दूसरे पैर की जांघ पर रखें। अब इस आसन में अपनी क्षमता के अनुसार रहें और फिर पैर को नीचे करके प्रारंभिक अवस्था में आयें।
(और पढ़े – वृक्षासन के फायदे और करने का तरीका…)
पश्चिमोत्तानासन योग हमारे शरीर को एक अच्छा खिंचाव देता हैं। इस आसन का निरंतर अभ्यास लगभग सभी पीठ की मांसपेशियों को पूरी तरह से फैलाता जिससे शरीर को आराम मिलता है। यह पेट के अंगों के कार्यों में सुधार करने में मदद करता है और श्वसन से सम्बंधित सभी विकारों को दूर करता है। यह आसन याददाश्त को बेहतर बनाने
में भी मदद करता है। पश्चिमोत्तानासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा के सीधे कर लें। अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजे पकड़ लें। अपनी सिर को घुटनों पर रख दें। इस आसन को 20 से 60 सेकंड के लिए करें। आप भी भविष्य में अपेंडिक्स की संभावना से बचने के लिए पश्चिमोत्ताशन योग किया जा सकता है।(और पढ़े – पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां…)
सर्वांगासन योग मानसिक आध्यात्मिक को रोशन करता है और कुंडलिनी शक्ति को जागृत करता है। यह आंत और पेट के सभी प्रकार के रोगों को दूर करता है और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है। यह रीढ़ की नसों की जड़ों को अधिक मात्रा में रक्त की आपूर्ति करता है। इस आसन से पेट की मांसपेशियां, रेक्टिक मांसपेशियां (recti muscles) और जांघ की मांसपेशियां भी अच्छी तरह से पोषण पाती हैं।
इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट के सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को सीधा रखें। अब अपने दोनों पैरों को कमर के यहाँ से मुड़े और उनकों ऊपर करें। इसके बाद अपने दोनों हाथों से पीठ को सहारा देते हुए उठायें। अपने पैरों को अधिकतम ऊंचाई तक ऊपर करें। इस स्थिति में आपकी रीड की हड्डी और आपके पैर एक सीधी रेखा में रहनी चाहियें। आपके शरीर का पूरा वजन कन्धों पर होगा और दोनों हाथ पीठ को ऊपर की ओर सीधा रखने में सहायता करेगें। इस आसन में आपको कम से कम 30 सेकंड तक रुकना हैं उसेक बाद पैरों को नीचे करते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में आना हैं।
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शशांकासन योग पैरों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करता है और उन्हें कोमल बनाता है। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है और गठिया के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। यह पाचन के लिए एक उत्कृष्ट आसन है। शशांकासन करने के लिए आप सबसे पहले किसी साफ फर्श पर एक योगा मैट को बिछा के उस पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब साँस को लें और दोनों हाथों को ऊपर उठाकर सीधा कर लें। फिर साँस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे नीचे की तरफ झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों को भी साथ में नीचे लाएं। अपनी नाक, माथे और दोनों हाथों को सीधे फर्श पर सीधे रख दें। यह शशांकासन का एक पूरा चक्कर है। इसे 5 से 10 बार करें।
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अर्ध चंद्रसन योग समन्वय और संतुलन बनाता है। यह आपके हैमस्ट्रिंग को फैलाता है और आपके कूल्हों को खोलता है। अर्ध चंद्रसन आपके पैरों, नितंबों और रीढ़ को मजबूत करता है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। दाएं पैर को आगे की ओर रखें और उसे पर शरीर का भर डालते हुए बाएं पैर को ऊपर उठायें। अब दाएं हाथ को फर्श पर रखें और बाएं हाथ को सामने की ओर सीधा कर लें। इस स्थिति में आपका शरीर फर्श के समान्तर रहेगा। इस आसन को आप 15 से 30 सेकंड के लिए करें। अर्ध चंद्रासन योग अपेंडिक्स से संबंधित समस्याओं को प्रभावी इलाज करने में मदद कर सकता है।
(और पढ़े – चंद्र नमस्कार के फायदे और करने का तरीका…)
मत्स्यासन योग पुरानी खांसी, ब्रोन्कियल अस्थमा, रक्त-संकुलन, संक्रमित टॉन्सिल और अन्य श्वसन विकारों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह आसन बहुत उपयोगी है। इसके द्वारा थायराइड और पैरा-थायरॉयड ग्रंथि से संबंधित समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर पद्मासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़े और पीछे की ओर लेट जाएं। अपने सिर को जमीन पर रखें। इस आसन को आप 2 से चार मिनिट के लिए करें।
(और पढ़े – मत्स्यासन के फायदे और करने का तरीका…)
वीरभद्रासन योग संतुलन, स्मृति और एकाग्रता में सुधार करता है। यह पूरे शरीर को टोन करता है और उत्तेजित करता है। यह मुद्रा रक्त परिसंचरण और श्वसन में सुधार करती है और पूरे शरीर को सक्रिय करती है। यह आसन संतुलन और एकाग्रता में सुधार करके आत्मविश्वास पैदा करता है। अपेंडिक्स जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए वीरभद्रासन योग के फायदे प्राप्त किये जा सकते हैं।
वीरभद्रासन योग करने के लिए आप एक साफ स्थान पर योग मैट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों के बीच लगभग 3.5 फिट की दूरी रखें। अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को उठा के अपने सिर के ऊपर जोड़ लें। इसके बाद अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री घुमा लें। इसके बाद अपने सिर को भी अपने दायं पैर की ओर घुमाएं और दाएं घुटने से पैर को मोड़ के जांघ को फर्श के समान्तर आयें। अब अपने सिर को पीछे की ओर झुका दें और आसमान की ओर देखें। इस मुद्रा में आप 40 से 60 सेकंड तक रहें। फिर से यही पूरी क्रिया दूसरे वाले पैर से करें।
(और पढ़े – वीरभद्रासन 1 करने का तरीका और लाभ…)
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