Yoga for erectile dysfunction in Hindi योग आसन की मदद से स्तंभन दोष को ठीक किया जा सकता है, साथ ही यह सेक्स से जुड़ी समस्याओं को भी ठीक कर सकते है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष जिसे नपुंसकता भी कहा जाता हैं। यह एक पुरुषों में होने वाली यौन समस्या हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या एक निश्चित उम्र के बाद बहुत से पुरुषों को प्रभावित करती हैं। यह एक ऐसी समस्या है जो 40 वर्ष और अधिक आयु के लगभग 5 प्रतिशत पुरुषों को प्रभावित करती है और 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के 25 प्रतिशत पुरुषों को भी प्रभावित करती है।
इस समस्या का मुख्य कारण शराब, धुम्रपान और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करना हैं इसके अलावा गलत संगत में पड़ के अश्लील बाते करना, गन्दी विडियो और मैगज़ीन देखना आदि भी कारण होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दैनिक या लगातार आधार पर योग का अभ्यास करने से पुरुषों को स्तंभन दोष से उबरने में मदद मिल सकती है। आइये स्तंभन दोष (नपुंसकता) की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ योग आसन को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. स्तंभन दोष क्या हैं – What is Erectile Dysfunction in Hindi
2. इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए योग – Yoga for erectile dysfunction in Hindi
स्तंभन दोष पुरुषों में होने वाली एक बहुत ही गंभीर यौन समस्या है। यह एक प्रकार से नपुंसकता हैं इसकी वजह से लिंग में कड़ापन ना आना या हो सकता है कि, आपका लिंग सख्त हो जाए, लेकिन यह उतना मजबूत नहीं हो जितना पहले हुआ करता था। इसके अलवा वीर्य की मात्रा कम हो जाना और वीर्य में गाढ़ापन ना होना स्तंभन दोष हैं। जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिकल के अनुसार सेक्स से संबंधित समस्याओं को बहुत अच्छी तरह से योग से दूर किया जा सकता है क्योंकि अक्सर ये समस्याएं शरीर की तुलना में दिमाग से जुड़ी होती हैं। आइये इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए कुछ योग आसन को विस्तार से जानते हैं।
(और पढ़े – इरेक्टाइल डिसफंक्शन नपुंसकता (स्तंभन दोष) कारण और उपचार…)
योग आपको तनाव से राहत दिलाकर स्तंभन दोष (ईडी) को बेहतर बनाने में मदद करता है, बेहतर रक्त प्रवाह जो मजबूत और लंबे समय तक चलने वाले इरेक्शन के लिए आवश्यक है। योग की मदद से आप इसे प्राप्त कर सकते हैं
भारत के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया जिसमें 24 से 60 साल की उम्र के 65 पुरुष शामिल थे। पुरुषों को एक योग शिविर में शामिल किया गया था, और नियमित अभ्यास के अलावा, उन्हें 12 सप्ताह के बाद पुरुष यौन उद्धरण नामक एक प्रश्नावली को पूरा करने के लिए कहा गया था।
जर्नल ऑफ सेक्शुअल मेडिसिन में प्रकाशित शोध में पता चला कि योग सत्र के पूरा होने से यौन क्रियाओं में सुधार हुआ। पुरुषों ने संभोग संतुष्टि, सेक्स की इच्छा, यौन प्रदर्शन, आत्मविश्वास, संभोग, स्खलन पर नियंत्रण और स्तंभन में सुधार की सूचना दी।
नीचे कुछ प्रमुख योगासन को करने की विधि दी जा रही है जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष को ठीक करने में मदद करते हैं-
(और पढ़े – इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता या स्तंभन दोष) का आयु से संबंध…)
धनुरासन एक संस्क्रत शब्द हैं, इसमें “धनुर” का अर्थ “धनुष” हैं। इस आसन में आपकी स्थिति ऊपर उठे हुए धनुष के सामान दिखाई देती हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए धनुरासन योग लाभदायक होता है। यह आसन प्रजनन अंगों को उत्तेजित करने और रक्त को इन क्षेत्रों में ले जाने में मदद करता है । यह आसन आपके शरीर के सामने की सभी मांसपेशियों को फैलाने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं, दोनों हाथों को शरीर के समान्तर रखें और पैरों को पीछे की ओर मोड़ लें। अब अपने हाथों को पीछे ले जाएं और दोनों पैरों को दोनों हाथों से पकड़ लें। इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें। अंत में दोनों हाथों को खोल के अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें।
(और पढ़े – धनुरासन करने के फायदे और करने का तरीका…)
उत्तानासन स्तंभन दोष के लिए प्रभावी योग माना जाता है इस आसन को आगे झुक के किया जाता हैं यह आसन आपको तनाव मुक्त रखने में मदद करता हैं इसके अलावा यह पाचन में सुधार और पेट में अंगों को उत्तेजित करते हुए इरेक्टाइल डिसफंक्शन को ठीक करने में भी मदद करता है। उत्तानासन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और अपने दोनों हाथों को ऊपर सीधा कर लें। अब धीरे-धीरे सामने को ओर कमर से नीचे झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजों को छूने की कोशिश करें। इस आसन में आप 60 से 90 सेकंड के लिए रहें फिर आसन से बाहर आयें।
(और पढ़े – उत्तानासन (हस्तपादासन) करने का तरीका और फायदे…)
स्तंभन दोष में सुधार करने के लिए बद्ध कोणासन बहुत ही सरल आसन हैं इसे कोई भी कर सकता हैं। इसे अंग्रेजी में लोग बाउंड कोण (Bound Angle) मुद्रा के नाम से भी बुलाते हैं। यह आसन आंतरिक जांघों और कमर को खींचने के साथ, यह मूत्राशय, गुर्दे, और पेट के अंगों के साथ प्रोस्टेट ग्रंथि को उत्तेजित करता है। यह प्रजनन अंगों में रक्त का प्रवाह बढ़ाता है।
इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को साफ जगह में बिछा के दोनों पैरों को सीधा करके बैठ जाएं। इसके बाद दोनों पैर को अपनी ओर मोड़ लें और दोनों पैरों के पंजों से पंजे मिलाएं। अब दोनों हाथों से घुटनों को धीरे-धीरे दबाएँ जिससे दोनों घुटने फर्श पर रख जाएं। इस मुद्रा को आप 2 से 3 मिनिट के लिए करें। ध्यान रखें की अगर आपके घुटने जमीन पर नहीं आ रहे हैं तो इसे जबरजस्ती करने का प्रयास ना करें।
(और पढ़े – बद्ध कोणासन करने का तरीका और फायदे…)
जानुशीर्षासन योग में सिर पूरी तरह से आपके घुटनों को छूता हैं। इस आसन को खाली पेट किया जाता हैं। यह आसन जांघों, हैमस्ट्रिंग, कूल्हे के जोड़ों, पीठ, हाथों और कंधों का लचीलापन बढ़ाने में मदद करता हैं। जिससे यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए काफी लाभदायक माना जाता है यह दिल और दिमाग दोनों को शांत करता है और यह पूरे शरीर को भी फैलाता है। यह आसन आपके शरीर को गर्म भी करता हैं।
जानुशीर्षासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर को मोड़ के बाएं पैर की जांघ पर रखें। अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर करें सीधा खड़ा करें। अब अपने ऊपर के शरीर को बाएं पैर की ओर नीचे झुकाएं और बाएं पैर के पंजें को पकड़ लें। अपने सिर को बाएं पैर के घुटने पर रख लें। इस मुद्रा में रहते हुयें 5 से 10 बार साँस लें।
(और पढ़े – जानुशीर्षासन करने का तरीका और फायदे…)
स्तंभन दोष के लिए योग पश्चिमोत्तानासन पेल्विक मांसपेशियों (Pelvic muscles) को आराम दिलाने में मदद करता हैं। यह आसन उन लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है जो लंबे समय तक बैठने से तनावग्रस्त होते हैं। यह बेहतर रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता हैं, जिससे स्तंभन दोष (नपुंसकता) को दूर करने में मदद मिलती है। यह मुद्रा आपको शांत करने और हल्के अवसाद से राहत देने का काम करती है।
पश्चिमोत्तानासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा के सीधे कर लें। अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजे पकड़ लें। अपनी सिर को घुटनों पर रख दें। इस आसन को 20 से 60 सेकंड के लिए करें।
(और पढ़े – पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां…)
नौकासन योग मुद्रा प्रोस्टेट ग्रंथि के कार्य को स्वस्थ रखने में मदद करती है। स्तंभन दोष के लिए योग लाभदायक माना जाता है यह आसन पीठ की मांसपेशियों और थायरॉयड को मजबूत करने का कम करता है। यह आसन पेट के पाचन तंत्र की कार्य प्रणाली को सुधारने में भी मदद करता है। नवासना करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के दण्डासन में बैठ जाएं। अब दोनों पैरों को सीधा रखें हुए ऊपर की ओर उठायें। आप थोड़ा सा पीछे की ओर झुक जाएं जिससे संतुलन बना रहे, हाथों को अपने आगे की ओर सीधा और फर्श के समान्तर रखें। इस मुद्रा में अपनी कमर पर 45 डिग्री का कोण बनाए। इस आसन को आप 20 से 60 सेकंड तक करने का प्रयास करें।
(और पढ़े – नावासन (नौकासन) करने का तरीका और फायदे…)
पुरुष यौन समस्याओं का इलाज योग के माध्यम से प्रभावी रूप से किया जा सकता है, खासकर योगा पोज़ और साँस लेने के व्यायाम की मदद से। योग उन योगों में से एक है, जो असाध्य और दीर्घकालिक रोगों को ठीक करने के लिए जाना जाता है। साथ ही, यह सेक्स से जुड़ी समस्याओं को भी ठीक कर सकता है।
सात प्राणायामों में से, कपालभाति सबसे अधिक उपलब्ध और ज्ञात व्यायाम में से एक है। इसे ‘संजीवनी’ या ‘पृथ्वी पर जीवन का उल्लंघनकर्ता’ भी कहा जाता है। ‘कपाल’ का अर्थ है माथा और ‘भाटी’ का अर्थ है प्रकाश, इस प्रकार उस व्यायाम का जिक्र है जो माथे को उज्ज्वल और चमकदार बनाता है।
सेक्स करते समय, जब उत्तेजना का स्तर अपने चरम पर पहुंच जाता है, तो पुरुष को मुंह के माध्यम से कपालभाती प्राणायाम करना शुरू करना चाहिए। प्रत्येक साँस छोड़ने के साथ पेट की मांसपेशियों में तेजी से खींचते हुए उसे अपने मुंह से हवा बाहर निकालना चाहिए। मुंह के माध्यम से हवा बाहर निकालने वाला यह अभ्यास लगातार रक्त रसायन को बदलता है और पुरुष यौन अंग के लिए रक्त की आपूर्ति को आसान करके स्खलन का समय बढ़ा देता है।
(और पढ़े – कपालभाति करने का तरीका और लाभ…)
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