Yoga for kidney in Hindi किडनी को स्वस्थ रखने के लिए योग काफी मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि योग की मदद से किडनी को स्वस्थ्य रखा जा सकता है और इसमें होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है। किडनी को स्वस्थ रखना बहुत ही आवश्यक हैं क्योंकि यह शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। गुर्दे अपशिष्ट से छानकर रक्त को शुद्ध करने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। यह मूत्र प्रणाली के कामकाज, हार्मोन के स्राव और शरीर में रक्तचाप के स्तर के रखरखाव में भी मदद करती हैं। किडनी में होमोस्टैसिस का कार्य शरीर में एसिड और क्षारों के स्तर को बनाए रखना भी होता है। किडनी आपके रक्त से अतिरिक्त पानी और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने के लिए होती हैं। ये अपशिष्ट आमतौर पर मूत्र के रूप में उत्सर्जित होते हैं।
लेकिन कभी-कभी बहुत अधिक कैल्शियम या यूरिया के कारण गुर्दे में छोटे पत्थर बन जाते हैं। यदि आपको गुर्दे की बीमारी है और व्यायाम के विभिन्न विकल्पों की तलाश है तो योग आपके लिए आदर्श हो सकता है। आइये किडनी को स्वस्थ रखने के लिए योग और उनको करने की विधि को विस्तार से जानते हैं।
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योग किडनी को स्वस्थ रखें में मदद करते है। योग आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और तनाव से छुटकारा पाने में मदद करता है। योग उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। योग का अभ्यास करना गुर्दे की पथरी के इलाज में चमत्कार का काम कर सकता है। आइये गुर्दे के लिए इन योगासन को विस्तार से जानते हैं।
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चाइल्ड पोज़ किडनी में बनने वाले पत्थरों से जुड़ी समस्या को दूर करने में मदद करता है। इस आसन से गर्भ स्थान जैसे स्थिति में होने से दबाव और दर्द कम होता है। इस योग आसन को करने के लिए सबसे पहले आप किसी योगा मैट पर वज्रासन में या घुटने टेक के बैठ जाएं। अपने हिप्स को अपनी एड़ियों पर रखें, साँस को अंदर की ओर लें और अपने दोनों हाथों को सीधा ऊपर की ओर रखें, इसमें अपनी हथेली को खुली रखें तथा उंगलियों को सीधा रखना हैं। साँस को बाहर की ओर छोड़ते हुयें शरीर के ऊपर के हिस्से को को धीरे-धीरे फर्श पर झुकाते जाएं और अपने माथे (सिर) को जमीन पर रख दें। इसमें आपके दोनों हाथ भी फर्श पर सीधे रहेंगे। इस आसन को कम से कम 1 से 2 मिनिट तक करें।
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विपरीत करनी पोज़ बेहद आरामदायक है। यह थकान और तनाव को कम करता है। यह रक्तचाप को भी कम करता है जिसके कारण गुर्दे की पथरी होने की संभावना खत्म हो जाती है। यह आसान आपको किडनी में पथरी के कारण होने वाले दर्द और दबाव से भी छुटकारा दिलाएगा। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दीवार की ओर पैर करके सीधे लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को ऊपर उठा के दीवार पर रखें और अपनी पीठ को जमींन पर ही रहने दें। इस स्थिति में आपकी कमर पर 90 डिग्री का कोण बनेगा। अपने दोनों हाथों को फर्श पर सीधा रखें। इस मुद्रा में 5 से 15 मिनट तक बने रहें।
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भुजंगासन या कोबरा पोज एक और प्रभावी उदर मुद्रा है। यह किडनी को स्ट्रेच करता है और ब्लॉकेज को साफ करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से आपको गुर्दे की पथरी से काफी राहत मिलेगी और लगातार अभ्यास से गुर्दे की पथरी की समस्या दोबारा नहीं होगी। इस आसन को करने लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं जिसमे आपकी पीट ऊपर के ओर रहे। अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने दोनों हाथों पर वजन डालते हुयें धीरे-धीरे अपने सिर को पीछे के ओर करें और ठुड्डी को ऊपर की ओर करने का प्रयास करें। आप इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।
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पवनमुक्तासन अथवा विंड रिलीविंग पोज किडनी स्टोन के लिए सबसे प्रभावी योग आसनों में से एक है। यह मुद्रा रुकावटों (blockages) को दूर करने और दबाव मुक्त करने में अद्भुत काम करती है। यह आसन गुर्दे की मालिश भी करता है और गुर्दे की पथरी के लक्षणों को कम करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर सीधे लेट जाएं। अपने दोनों पैर को घुटने से मोड़ें और घुटने को अपने मुँह की ओर कर लें। अपने कंधों को ऊपर उठायें, अपनी नाक से घुटने को छूने का प्रयास करें। इस आसन को आप 10 से 60 सेकंड के लिए करने का प्रयास करें।
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अर्धमत्स्येन्द्रासन योग किडनी और लिवर को उत्तेजित करता है। यह शरीर के प्रतिरक्षा स्तर को भी सुधारता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दायं पैर को बाएं पैर के घुटने के सामने रखें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें अपने सिर और कमर दाहिनी ओर घुमा लें। कुछ देर इस मुद्रा में रहे और फिर यही पूरी प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।
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नवासना या बोट पोज़ पेट के अंगों को मजबूत और उत्तेजित करता है। यह पाचन में सुधार करने और तनाव को कम करने में भी मदद करता है। यह आसन किडनी में होने वाली पथरी को खत्म करता हैं। नवासना करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के दण्डासन में बैठ जाएं। अब दोनों पैरों को सीधा रखें हुए ऊपर की ओर उठायें। आप थोड़ा सा पीछे की ओर झुक जाएं जिससे संतुलन बना रहे, हाथों को अपने आगे की ओर सीधा और फर्श के समान्तर रखें। इस मुद्रा में अपनी कमर पर 45 डिग्री का कोण बनाए। इस आसन को आप 20 से 60 सेकंड तक करने का प्रयास करें।
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अनुलोम विलोम प्राणायाम सभी स्तरों पर जमाव को दूर करता है। किसी समस्या का इलाज करते समय श्वास अत्यंत आवश्यक है। यह प्राणायाम पूरी तरह से डिटॉक्स में मदद करता है जो कि गुर्दे की पथरी होने पर आवश्यक है। अनुलोम विलोम गुर्दे की पथरी से जुड़े दर्द को भी कम करता है। और इसका नियमित अभ्यास नए पत्थरों के गठन को रोकता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं। अब अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठायें और अंगूठे से दाहिने नाके नथुने को बंद करके बाएं नथुने से लम्बी साँस लें अब अपने दाहिने हाथ की अनामिका से बाएं नथुने को बंद करके दाहिने नथुने से साँस को बाहर छोड़े। इस स्थिति में आपका बायां हाथ घुटने पर रहेगा।
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उष्ट्रासन या कैमल पोज किडनी के साथ-साथ सभी अंगों की मालिश करता है। यह शरीर के अंगों को ताजा रक्त भेजता है जिससे उन्हें ऑक्सीकरण और डिटॉक्सिफाई किया जाता है। यह आसन न केवल किडनी की पथरी के लक्षणों को कम करता है बल्कि उन्हें दोबारा होने से भी रोकता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब अपनी कमर के यहाँ से पीछे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाएं। आपने सिर को पीछे झुका लें और दोनों हाथों को पैर की एड़ियों पर रखें। उष्ट्रासन की स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।
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