Yoga for Normal Delivery in Hindi नॉर्मल डिलीवरी के लिए योग बहुत ही फायदेमंद होता हैं। योग प्रेगनेंसी में महिला को नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार करता है इसलिए यदि आप प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो रोजाना करें ये 8 योगासन। एक माँ नौ महीने तक बच्चे का पालन-पोषण करती है और आशा करती है कि बच्चा स्वस्थ होकर दुनिया में आएगा। कई माताओं की एक नॉर्मल डिलीवरी या योनि प्रसव की इच्छा होती है, जो माँ और बच्चे दोनों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। यदि यह आपका पहला बच्चा है और आप गर्भावस्था के 9 वें महीने में हैं तो प्रसव पीड़ा के विचार शायद आपकी रातों की नींद ख़राब कर सकते हैं। इसके लिए आप एक सामान्य प्रसव के बारे में सोच सकते है क्योंकि आप स्पष्ट रूप से अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
गर्भावस्था के 9 वें महीने के दौरान योग करना लाभदायक होता है जो आपकी पीठ, श्रोणि (Pelvis) और जांघों की मांसपेशियों का समर्थन और खिंचाव करता है जो गर्भावस्था के अंत में नॉर्मल डिलीवरी के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। आइये प्रेग्नेंसी में नॉर्मल डिलीवरी के लिए कुछ योगासन को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. नॉर्मल डिलीवरी के लिए योगासन – Pregnancy Me Normal Delivery Ke Liye Yoga
नॉर्मल डिलीवरी के लिए संतुलित आहार और अधिक मात्रा में पानी पीने के साथ कुछ योगासन करने की भी आवश्यकता होती हैं। आपके शरीर को प्रसव के लिए तैयार करने का सबसे अच्छा तरीका व्यायाम करना है। और यह व्यायाम आपको प्रसवपूर्व करना चाहिए जो आपको नॉर्मल डिलीवरी में मदद करेंगे। आइये नॉर्मल डिलीवरी के लिए योग को विस्तार से जानते हैं-
त्रिकोणासन गर्भावस्था के दौरान पाचन में सुधार करने में भी मदद करता है। नॉर्मल डिलीवरी के लिए यह आसन कूल्हों, हैमस्ट्रिंग और कमर की मांसपेशियों को खींचने में मदद करता है और तनाव कम करने के साथ पीठ दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप एक स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को दूर-दूर करके सीधे खड़े हो जाएं, अपने दाएं पैर की तरफ झुकें और अपने हाथ को फर्श पर रखें। दूसरे हाथ को ऊपर सीधा करें जिससे दोनों हाथ एक सीधी रेखा में हो जाएं। इस आसन में कुछ सेकंड से एक मिनिट के लिए रहें। यह योग आपकी नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ा देगा।
(और पढ़ें – त्रिकोणासन के फायदे और करने का तरीका)
बद्ध कोणासन भीतरी जांघों और पैरों से थकान दूर करने में मदद करता है। यह विशेष आसन उन गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है जो माँ बनाने वाली हैं। नॉर्मल डिलीवरी के लिए यह न केवल आंतरिक जांघों और कूल्हों को मजबूत बनाता है बल्कि श्रोणि (pelvic) क्षेत्र में रक्त परिसंचरण में भी सुधार करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को साफ जगह में बिछा के दोनों पैरों को सीधा करके बैठ जाएं। इसके बाद दोनों पैर को अपनी ओर मोड़ लें और दोनों पैरों के पंजों से पंजे मिलाएं। अब दोनों हाथों से घुटनों को धीरे-धीरे दबाएँ जिससे दोनों घुटने फर्श पर रख जाएं। इस मुद्रा को आप 2 से 3 मिनिट के लिए करें। ध्यान रखें की अगर आपके घुटने जमीन पर नहीं आ रहे हैं तो इसे जबरजस्ती करने का प्रयास ना करें।
(और पढ़ें – बद्ध कोणासन करने का तरीका और फायदे)
ताड़ासन रीढ़ को मजबूत बनाने और अच्छे शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। यह आसन नॉर्मल डिलीवरी के लिए बहुत ही फायदेमंद है। ताड़ासन करने के लिए आप सबसे पहले किसी योगा मैट को बिछा के उस पर खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों के बीच थोड़ी सी दूरी बना के रखें। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर करें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फस लें। अब आप अपनों दोनों हथेलियों को घुमा के उल्टा कर लें, इसमें आपके हाथ की हथेलियां असमान की ओर रहेगी। अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर खींचे और पैरों की एड़ियों को ऊपर उठा के पंजों के बल खड़े हो जाएं। 20-30 सेकंड के लिए आप इस आसन में रहें और फिर हाथों को नीचे करके सामान्य हो जाएं।
(और पढ़ें – ताड़ासन करने के फायदे, सावधानियां और करने का तरीका)
उत्कटासन उन गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत ही लाभदायक हैं तो नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा रखती हैं। यह आसन जांघ और पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए बहुत अच्छा है। यह आसन आपकी पीठ के निचले हिस्से, धड़ को मजबूत करेगी और छाती की मांसपेशियों, रीढ़ और कूल्हों को फैलाएगी। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले किसी योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर लेकर जोड़ लें। अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को मोड़े और कूल्हों को नीचे लाएं। इस स्थिति में आप एक कुर्सी के समान दिखाई देगें। इस आसन को आप 30 से 60 सेकंड के लिए करें।
(और पढ़ें – नॉर्मल डिलीवरी करने के उपाय)
वीरभद्रासन योग आसन सहनशक्ति को बढ़ाने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह आसन पीठ, जांघ, कंधे और भुजाओं की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। नॉर्मल डिलीवरी के लिए वीरभद्रासन करने के लिए आप एक साफ स्थान पर योग मेट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को 3 से 3.5 फिट फैला लें। अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपने सिर के ऊपर जोड़ लें। इसके बाद अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री घुमाएं। अपने सिर को भी अपने दायं पैर की ओर घुमाएं और फिर अपने दायं पैर को 90 डिग्री मोड़ के अपने सिर को पीछे की ओर झुका दें और ऊपर की ओर देखें।
इस स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रहें। फिर से यही पूरी प्रक्रिया दूसरे वाले पैर से करें।
(और पढ़ें – वीरभद्रासन 1 करने का तरीका और लाभ)
वज्रासन पाचन में सुधार करने में बहुत प्रभावी है। यह पेट संबंधी अन्य समस्याओं को दूर रखने में भी कारगर है। यह मुद्रा पेट और आंत में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है और भोजन को प्रभावी ढंग से पचाने में मदद करती है भले ही आपका पाचन तंत्र कमजोर हो। वज्रासन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर घुटने टेक के बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें। इस आसन को 5 से 10 मिनट तक करें।
(और पढ़ें – वज्रासन करने का तरीका और फायदे)
मार्जरासन प्रजनन प्रणाली के लिए बेहद फायदेमंद है। यह कंधे, रीढ़ और गर्दन में लचीलापन लाने में भी मदद करता है। इस आसन का अभ्यास रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और पाचन अंगों की मालिश करता है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट पर घुटनों को टेक के अपने दोनों हाथों को जमीन पर रख लें। अपने धड को फर्श के समान्तर रखें। अब साँस को अन्दर लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर तथा अपनी ठुड्डी को ऊपर करें। इसके बाद साँस को बाहर छोड़ते हुए अपने सिर को नीचे करें और अपनी ठुड्डी को छाती से लगाने का प्रयास करें। फिर से साँस को छोड़ते हुए अपने सिर को सीधा करें। इस आसन को कम से कम 5 से 6 बार करें।
(और पढ़ें – प्रेगनेंसी में करें प्री नेटल योग जो है मां और बच्चों के लिए फ़ायदेमंद)
नॉर्मल डिलीवरी के लिए अधोमुख श्वान आसन बहुत मदद करता हैं। यह आसन पीठ के निचले हिस्से, हाथ और धड़ को फैलाता है, जिससे पीठ के किसी भी दर्द से राहत मिलती है। यह निचले पेट में परिसंचरण में सुधार करता है और शरीर को परिश्रम के लिए तैयार करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक चटाई पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने पैरों के बीच में थोड़ा सा अंतर रखें। अब नीचे की ओर झुकते जाएं अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखे, ध्यान रखें दोनों हाथ और रीढ़ की हड्डी एक सीधी रेखा में होनी चाहिए। इस स्थिति में आप एक उल्टे V के समान दिखाई देगें पर इसमें आपके पैर और सीने के बीच 90 डिग्री का कोण बनेगा।
(और पढ़ें – अधोमुख श्वानासन के फायदे और करने का तरीका)
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