Yoga For Pancreas In Hindi अग्नाशय को स्वस्थ्य और एक्टिव रखने और सुचारु रूप से कार्य करने के लिए योग का अभ्यास किया जा सकता है। पैंक्रियास को स्वस्थ्य और एक्टिव रखने के लिए योग बहुत ही लाभदायक होता है। पैंक्रियास को अग्नाशय के नाम से भी जाना जाता है। यह हमारे पेट के अन्दर उपस्थित पाचन प्रणाली की एक ग्रंथि है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि योग वजन कम करने, मधुमेह आदि की समस्या को कम करने में आपकी मदद करता है। मधुमेह, पेट दर्द और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं से बचाव के लिए अपने अग्न्याशय को फिट और स्वस्थ रखना भी उतना ही आवश्यक है। शरीर के प्रत्येक अंग को फिट और ठीक बनाए रखने में योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पैंक्रियास या अग्नाशय वह अंग है जो पाचन के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है।
योगासन मधुमेह, पेट दर्द और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं से बचाव के लिए किया जाता है साथ ही यह अपने पैंक्रियास को फिट और स्वस्थ रखता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार योग का अभ्यास मधुमेह वाले लोगों में अतिरिक्त रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। ध्यान और साँस लेने का अभ्यास अग्नाशय को ऑक्सीजन देता है और ऊतक को पूरे शरीर में रक्त की आपूर्ति में सुधार करने की अनुमति देता है। आइये आपके पैंक्रियास के लिए योग आसन को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. पैंक्रियास के लिए योग – Yoga for Pancreas in Hindi
2. पैंक्रियास के लिए योग गोमुखासन – Gomukhasana Yoga for Pancreas in Hindi
3. पैंक्रियास के लिए योग अर्धमत्स्येन्द्रासन – Ardha Matsyendrasana Yoga for Pancreas in Hindi
4. अग्न्याशय के लिए योग पश्चिमोत्तानासन – Paschimottanasana Yoga for Pancreas in Hindi
5. पैंक्रियास के लिए योग हलासन – Halasana Yoga for Pancreas in Hindi
6. अग्न्याशय के लिए योग मयूरासन – Mayurasana Yoga for Pancreas in Hindi
7. पैंक्रियास के लिए योग पद्म बकासन – Padma Bakasana Yoga for Pancreas in Hindi
पैंक्रियास या अग्नाशय को सक्रिय करने के लिए कुछ योग आसन निम्न हैं।
(और पढ़ें – पैनक्रियाज (अग्नाशय) क्या है, कार्य, रोग और ठीक रखने के उपाय)
पैंक्रियास के लिए योग गोमुखासन बहुत ही लाभदायक माना जाता है यह मूत्राशय को सक्रिय करता है, गुर्दे की कार्यप्रणाली में सुधार करता है और मधुमेह को भी नियंत्रित करता है। गोमुखासन विश्राम को प्रेरित करने के लिए उत्कृष्ट आसन है। यह आसन न केवल छाती के क्षेत्र को खोलता है बल्कि पीठ दर्द, थकावट, तनाव और चिंता को कम करता है। इस आसन को करने के लिए आप आप सबसे एक योगा मैट बिछा के सुखासन में बैठ जाएं। अपने दाएं पैर को खिंच के अपने शरीर के पास लाएं फिर अपने बाएं पैर को भी खिंच के दाएं पैर की जांघ के ऊपर से अपने पास लाएं। अब अपने दाएं हाथ को कंधे के ऊपर से पीठ पर ले जाएं और बाएं हाथ को कोहनी के यह से मोड़ें के पीठ के पीछे ले जाये और अपने दोनों हाथों को आपस में मिला लें।
आप इस स्थिति में कुछ समय तक रहें।
(और पढ़ें – गोमुखासन करने का तरीका और फायदे)
अर्धमत्स्येन्द्रासन योग पैंक्रियास के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन रीढ़ को अधिक लचीला बनाने में मदद करता है, यह मांसपेशियों को भी फैलाता है और रीढ़ की हड्डी के दर्द से राहत देता है। पैंक्रियास के लिए योग अर्धमत्स्येन्द्रासन रक्त परिसंचरण में भी सुधार करता है, अग्न्याशय को उत्तेजित करता है और मधुमेह को ठीक करने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दायं पैर को बाएं पैर के घुटने के साइड में बाहर की ओर रखें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें अपने गर्दन कंधे और कमर को दाहिनी ओर घुमा लें। कुछ सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहे और फिर यही पूरी प्रक्रिया दूसरे पैर से करें। लगभग 30-40 सेकंड के लिए मुद्रा में रहें, धीरे-धीरे सांस लें और साँस छोड़ें।
(और पढ़ें – अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे और करने का तरीका)
पैंक्रियास के लिए योग पश्चिमोत्तानासन मोटापा कम करने, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने और गुर्दे और यकृत को सक्रिय करने के लिए सबसे अच्छा योग मुद्रा है। यह थकान को कम करता है, जिगर, गुर्दे, अंडाशय और गर्भाशय को उत्तेजित करता है। पश्चिमोत्तानासन करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा करके दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा के सीधे कर लें। अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजे पकड़ लें। अपनी सिर को घुटनों पर रख दें। इस आसन को 20 से 60 सेकंड के लिए करें। बेहतर परिणाम के लिए एक ही अभ्यास को दो या तीन बार दोहराएं।
(और पढ़ें – पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां)
हलासन एक और बेहतरीन योग आसन है जो थकान और तनाव को कम करने में मदद करता है। पैंक्रियास के लिए हलासन योग बहुत ही लाभदायक होता है। इसके अलावा, यह पाचन में भी सुधार करता है और भूख को नियंत्रित करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट बिछा के सीधे हाथ पैर कर के लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को कमर के यहाँ से मुड़े और उनकों ऊपर करें। अपने दोनों हाथों को सीधा जमीन पर ही रखें रहने दें। अब दोनों पैरों को धीरे-धीरे अपने सिर के पीछे की ओर जमीन से लगाने की कोशिश करें। एक मिनट के लिए इस स्थिति में रहें, फिर साँस छोड़ें और अपने पैरों को नीचे लाएं।
(और पढ़ें – हलासन के फायदे और करने का तरीका)
मयूर मुद्रा या मयूरासन अग्न्याशय या पैंक्रियास की समस्याओं से राहत पाने के लिए एक और बेहतरीन योग आसन है। यह योग पेट, गुर्दे और आंतों को सक्रिय करने में मदद करता है। मयूरासन मन को शांत करता है, चिंता को कम करता है और मधुमेह से लड़ता है। यह आसन पेट के अंदर दबाव को भी बढ़ाता है, जो बदले में यकृत और प्लीहा के विस्तार को कम करता है। यह आसन मल त्याग को आसान बनाता है। मयूरासन करने के लिए आप किसी स्वच्छ स्थान पर योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अपने हाथों को जमीन पर रखें और हाथ की उंगली को अपने पैरों की ओर रखना हैं। दोनों घुटनों के बीच में अपने दोनों हाथ रखें और कोहिनी को अपने पेट पर अच्छे सेट करें।
अपने दोनों पैरों को पीछे की ओर फैला के सीधा कर लें। शरीर को आगे की ओर झुकाएं और अपने दोनों हाथों पर शरीर का पूरा वजन रखें। शुरू में लगभग 7-10 सेकंड के लिए मयूरासन मुद्रा को करें और फिर अभ्यास करते समय सीमा को बढ़ाएं।
(और पढ़ें – मयूरासन करने की विधि और फायदे)
पद्म बकासन रक्तचाप बढ़ाता है, शारीरिक और आध्यात्मिक संतुलन को बढ़ावा देता है। पद्म बकासन योग पैंक्रियास के लिए अच्छा होता है। यह योग हाथ, कंधे और पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करता है और कंधे, कोहनी और कलाई के जोड़ों को स्थिर करता है। पद्म बकासन योग अग्न्याशय और पाचन तंत्र के कार्य को नियंत्रित करता है। पैंक्रियास के लिए पद्म बकासन योग करने के लिए आप पहले एक योगा मैट को फर्श पर बिछा कर उस पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब थोड़ा सा फर्श की ओर झुके और आगे की ओर इशारा करते हुए उंगलियों को फर्श पर रखें। अब दोनों हाथों पर अपने शरीर का भार डालते हुए धीरे-धीरे नितंबों और पैरों को उठाएं और घुटनों को कोहनियों पर रखें। सामने की ओर देखें और थोड़ी देर के लिए इस स्थिति में रहें। फिर धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं।
(और पढ़ें – बकासन योग करने की विधि और फायदे)
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