Yoga for Piles (Hemorrhoids) in Hindi पाइल्स या बवासीर के लिए योग काफी असरदार और प्रभावी माना जाता है आज हम आपको कुछ मुख्य योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप बवासीर और उससे होने वाले दर्द से राहत पा सकते हैं बवासीर के उपचार लिए योग को अपनाने के साथ ही आपको अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, आप इन योग मुद्राओं को करिए और बवासीर से छुटकारा पाकर रोगमुक्त हो जाइए।
बवासीर एक एसी स्थिति है जिसमें आपका गुदा क्षेत्र (Anal Area) बहुत देर तक शांत नहीं रह सकता है और इसमें बहुत तेज दर्द होता है। हम में से अधिकांश लोग गुदा क्षेत्र और बवासीर (Hemorrhoids) के बारे में बहुत कम जानते होगें। बवासीर असामान्य रूप से बढ़ता है और पीछे के मार्ग या गुदा के आसपास रक्त वाहिकाओं मुख्य रूप से नसों में फैलता है। बवासीर महिलाओं और पुरुषों दोनों में अक्सर 20 से 50 की उम्र के बीच होता है।
आहार विकार (Diet disorder) और अधिक मसालेदार भोजन का सेवन बवासीर होने का प्रमुख कारण कारण होता है। शारीरिक बीमारी या व्यायाम की अनुपस्थिति में इस बीमारी के लक्षण बहुत तेजी से बढ़ते हैं। आंतों की उचित सफाई और भोजन की निकासी न होने के कारण अतिरिक्त दबाव डालने से स्पिन्टरर मांसपेशियों (Sphincter Muscles) पर तनाव पैदा होता है।
विषय सूची
1. बवासीर और योग – Piles and Yoga in Hindi
2. बवासीर का उपचार योग से – Piles Treatment for Yoga in Hindi
आंतों की परेशानियों से छुटकारा पाने में योग बहुत ही लाभकारी हो सकता है। योग शरीर से विषाक्त पदार्थों (Toxic substances) को हटाने में मदद करता है जो शरीर को स्वस्थ्य और सक्रिय बनाए रखने में मदद करते हैं। शरीर से विषाक्त पदार्थों के बाहर होने से शरीर के सामान्य संतुलन को बहाल करने में मदद करता है और इससे होने वाले दर्द को कम करने में सहायक होता है। बवासीर शरीर के प्रमुख भाग में होने के कारण बहुत से लोगों में पीठ दर्द का कारण बन सकता है। योग अभ्यास पीठ दर्द और बवासीर का इलाज करने में काफी मदद करते हैं। योग आपके तनाव (Stress) को नियंत्रित करने और शरीर में होने वाले अन्य दर्दो को दूर करने में मदद करते हैं।
आप अपने दैनिक जीवन में कुछ योगाभ्यास को जोड़कर आंतों (Intestines) में होने वाली सभी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। आप योगाभ्यास करते समय शाकाहार का उपयोग करें। विभिन्न प्रकार के आसनों या मुद्राओं का उपयोग कर आप बवासीर का उपचार कर सकते हैं, जिनमें कुछ सर्वांगासन, ताड़ासन, सूर्य नमस्कार और शीर्षासन आदि प्रमुख योग होते हैं।
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बिना किसी ऑपरेशन या शल्यचिकित्सा (Surgery) के आप प्राकृतिक रूप से घर पर ही बवासीर का कुछ योगाभ्यासों का नियमित रूप से उपयोग करके इलाज कर सकते हैं। लेकिन इन योग आसनों को सुबह में खाली पेट करने की कोशिश करें। आइए जाने किन योगासनों की मदद से बवासीर का उपचार किया जा सकता है।
अश्विनी मुद्रा (horse gesture) को ऊर्जा ताला आसन भी कहा जाता है। अश्विनी का संस्कृत में अर्थ घोड़ा होता है। अश्विनी मुद्रा का उपयोग करने से यह आतों को सिकोड़ने के तुरंत बाद अपने स्पिन्टरर को कम करने पर घोड़े के कार्य जैसा दिखता है। जब आप बवासीर के इलाज के लिए इस योग का उपयोग करते हैं तो आपको 1 या 2 सप्ताह के अंदर ही अच्छे परिणाम दिखाई देने लगते हैं।
बवासीर के लिए योग में अश्विनी मुद्रा योगाभ्यास को इस प्रकार करें
अश्विनी मुद्रा आपको दर्द से तत्काल राहत देता है और आप बवासीर की सूजन से छुटकारा भी पा सकते हैं। इस आसन का अभ्यास करने से गुदा क्षेत्र में होने वाली खुजली और जलन को भी दूर किया जा सकता है। आप इस योगाभ्यास का उपयोग टीवी देखते, चलते या किसी से बात करते समय कभी भी कर सकते हैं। अश्विनी मुद्रा बवासीर और फिशर्स (Piles and fissures) रोगियों के लिए अंतिम योग है। अश्विनी मुद्रा के बवासीर के अलवा अन्य बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं।
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देखने और करने के लिए यह आसन अन्य आसनों से कठिन होता है लेकिन यह सबसे उपयोगी आसन होता है। यह बवासीर के दर्द और प्रभाव को कम करने में बेहद असरदार होता है। सर्वांगासन (कंधे ) को सभी आसनों (Postures) की मां माना जाता है। अकेले सर्वांगासन करना आपको अन्य योग आसनों के सभी लाभ दिला सकता है।
इस मुद्रा के दौरान, हृदय को विपरीत दिशा (Reverse Direction) में रक्त पंप करने की आवश्यकता होती है। इस कारण अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है ताकि एक तरफ पूरे आंतरिक अंग और रक्त नसों को फिर से जीवंत किया जा सके। अधिक रक्त परिसंचरण का अर्थ है ऊतकों और कोशिकाओं को अधिक रक्त आपूर्ति करना जो शरीर को फ्रैस और स्वस्थ्य बनाता है।
इस तरह का योग आसन जिसमें शरीर उलटा अर्थात सिर नीचे और पैर ऊपर होते हैं यह बवासीर और शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
बवासीर के लिए योग में सर्वांगासन आसन इस प्रकार करें
चूंकि हृदय को विपरीत दिशा में रक्त पंप करना पड़ता है, इसलिए इस योग को करने के बाद शरीर में रक्त के अधिक प्रवाह के कारण अधिक ताकत की आवश्यकता होती है, जो आपको ताजगी (Freshness) का अनुभव कराती है।
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पादहस्तासन (Padahastasana) एक साधारण मुद्रा है जिसे पैर मुद्रा के नीचे हाथ के रूप में भी जाना जाता है। यह शुरुआती लोगों के लिए आदर्श है, हालांकि इसे करने के लिए लचीलापन और ताकत की आवश्यकता है। यह आसन पीठ दर्द, संयुक्त दर्द और पेट दर्द से राहत दिलाता है। इस योग को करने से पेट की मांसपेशियों को आराम मिलता है जो मल त्याग (bowel movement) को आसान बनाते हैं। बवासीर के रोगीयों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है।
बवासीर के लिए योग में पादहस्तासन करने का तरीका
इस स्थिति में आपको तेजी से सांस लेने की आवश्यकता नहीं है। इस मुद्रा को खाली पेट या भोजन करने के 4 से 5 घंटों के बाद करना चाहिए।
पवनमुक्तासन को वायु हटाने की मुद्रा भी कहा जाता है, गैस समस्या, कब्ज बवासीर, और बवासीर से परेशान लोगों के लिए लाभकारी योग है। क्योंकि यह शरीर से विषाक्त पदार्थों और गैस को बाहर निकालने में मदद करता है और मल के साथ बलगम (smoother bowel movement) को नियंत्रित करता है जो कि कब्ज से परेशान लोगों के लिए बहुत ही आवश्यक है। इसके अलावा पवनमुक्तासन शरीर के पूरे अंगों जिनमें बगल में दर्द, हृदय विकार, कमर दर्द, पीठ दर्द और पूरे पेट को राहत दिलाकर फिर से जीवंत करता है।
बवासीर के लिए योग में पवनमुक्तासन करने का तरीका
यदि आप कब्ज वाले बवासीर से परेशान हैं तो यह योग आपके लिए बहुत ही लाभकारी होता है। विशेष बीमारियों से ग्रसित लोग जैसे कि उच्च रक्तचाप, अस्थमा या गर्भवती महिलाओं को इससे बचना चाहिए।
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मूल का अर्थ है जड़ें और बंध का मतलब है ताला इसलिए इस आसन को रूट लॉक पॉज (Root Lock Pose) भी कहा जाता है। यह आसन अनिवार्य रूप से शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करता है। चूंकि बवासीर पेट या पीठ पर दबाव के कारण होता है। यह आसन श्रोणि तल की मांसपेशियों के संकुचन (contraction of pelvic floor) में मदद करता है। जो बदले में गुदा क्षेत्र की कार्यक्षमता को पुनर्जीवित करने और बहाली में मदद करता है। बवासीर से छुटकारा पाने के लिए आप इस योग का अभ्यास करें, यह अभ्यास बहुत ही कम समय में आपको फायदा पहुंचाता है।
बवासीर के लिए योग में मूलबंध आसन इस प्रकार करें
यह आसन ज्यादातर श्र्वांस पैटर्न के बारे में है और इसे नियमित रूप से करने पर संतोषजनक परिणाम मिलते हैं।
शिशु का शाब्दिक अर्थ ‘’बच्चे‘’, इस कारण इसे चाइल्ड पोस भी कहा जाता है। शिशुआसन के लाभ कब्ज से राहत, गर्दन के दर्द में आराम और तंत्रिका तंत्र को शांत करने के साथ पीठ दर्द से राहत प्राप्त करने में मदद करते हैं। इस आसन को करने का एक और फायदा यह है कि यह चेहरे और सिर पर रक्तपरिसंचरण को बढ़ाने में मदद करता है जो सिरदर्द (Headache) से राहत दिलाता है और त्वचा की चमक (Skin glow) को बढ़ाता है।
बवासीर के लिए योग में शिशुआसन करने का तरीका
बवासीर के लिए योग की कड़ी में यह बवासीर के प्रभाव को कम करने वाला एक आसान सा योगाभ्यास है। जब कोई इस आसन को प्रारंभ करता है तो उन्हें घुटनों में थोड़ा दर्द महसूस हो सकता है लेकिन यह समय के साथ दूर हो जाता है। इस आसन की सफलता का वैज्ञानिक कारण यह है कि यह पाचन क्षेत्र में रक्त विनियमन को कम करके निचले पेट के क्षेत्रों में रक्त को नियंत्रित करता है, इसलिए यह पाचन तंत्र की क्षमता को बढ़ाता है और बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
पाइल्स के लिए योग में शिशुआसन करने का तरीका
यह बहुत ही आसान मुद्रा होती है जो मासिक धर्म की ऐंठन (menstrual cramps), निचले हिस्से में दर्द जैसे कई मुद्दों से राहत देता है। और सबसे महत्वपूर्ण रूप से पाचन में सुधार लाता है जो अल्सर, अम्लता और बवासीर को रोकने में मदद करता है।
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भस्त्रिका प्राणायाम या ध्यान की मुद्रा पद्मथाना और कपालभाति आसन के समान ही है। भस्त्रिका प्रणायाम फेफड़ों पर केंद्रित होता है और इसे मजबूत बनाने के लिए श्वास और निकास का अभ्यास किया जाता है। भस्त्रिका प्राणायाम सर्दी, श्वसन रोग, पेट के विकार आदि को कम करने में मदद करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को बढ़ावा देता है।
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हमारे दिल और सिर को पर्याप्त मात्रा में ताजा हवा मिलती है जिससे हमारे स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह हमारे शरीर को भी गर्म करता है जो सामान्य सर्दी के मामले में सहायक होता है, और यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है।
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योग अभ्यास हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है जो प्राकृतिक रूप से हमारी बहुत सी बीमारियों को दूर करने में मदद करता है और हमारे शरीर को ऊर्जावान बनाता है। वैसे तो योग सभी लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है पर फिर भी बवासीर के लिए योग करते समय कुछ सावधानियां रखनी चाहिए।
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