Yoga for sciatica pain in Hindi साइटिका को ठीक करने के लिए योग उपचार उपलब्ध हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि साइटिका के लिए कौन सा योग करना चाहिए है। दुनिया के 40 प्रतिशत लोग साइटिका के दर्द से परेशान रहते हैं। यह दर्द आपको बहुत अधिक परेशान कर सकता हैं और आपको इसके कारण बहुत सारे काम को टालना भी पड़ सकता है। आप साइटिका के दर्द से राहत पाने के लिए योग का अभ्यास करें यह बहुत ही लाभदायक होगा। एक अध्ययन से पता चलता है कि जब साइटिका रोगियों में कुछ लोगों पर योग और कुछ लोगों पर दर्द को कम करने वाली दवा का उपयोग किया था तो पाया गया की योग से दर्द की तीव्रता और आवृत्ति बहुत कम हो गई थी। आइये साइटिका के दर्द को कम करने के लिए योग आसन को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. साइटिका क्या है – What is Sciatica in Hindi
2. साइटिका के लक्षण – Symptoms Of Sciatica in Hindi
3. साइटिका के लिए योग – Yoga for Sciatica in Hindi
कटिस्नायुशूल (साइटिका) पीठ में दर्द से संबंधित होता है जो कि sciatic तंत्रिका की समस्या है। साइटिक (Sciatic) तंत्रिका शरीर की सबसे लंबी और चौड़ी एकल तंत्रिका है। यह एक बड़ी तंत्रिका है जो प्रत्येक पैर की पीठ के निचले हिस्से से चलती है। जब कुछ चोट या कटिस्नायुशूल तंत्रिका पर दबाव डालता है, तो यह पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकता है जो कूल्हे, नितंब और पैर तक फैलता है।
साइटिका तंत्रिका का कार्य पैरों को संवेदना प्रदान करना है। जब इस तंत्रिका के दबाव क्षेत्र में रक्त परिसंचरण कम हो जाता है तो यह एक दर्द का कारण बन जाता है, जिससे बैठने और खड़े होने में काफी समस्या का अनुभव होता है और दर्द बढ़ जाता है।
(और पढ़े – साइटिका क्या है कारण, लक्षण, इलाज और बचाव…)
अलग-अलग लोगों में साइटिका के अलग-अलग लक्षण होते हैं पर इसके कुछ लक्षण येसे है जो सामायतः सभी को होते है। साइटिका में जब दर्द होता है तो यह दर्द पीठ के निचले हिस्से में होता है, नितंबों, कूल्हों, और पैरों के सभी क्षेत्र में दर्द देता है। कुछ लोगों को पैर के एक क्षेत्र में दर्द होता है और दूसरों में सुन्नता का अनुभव होता है। पीठ और निचले पैर में झुनझुनी संवेदनाएं कमजोरी के लक्षण भी हैं। यह धीरे-धीरे शुरू होता है और रातों में असहनीय दर्द दे सकता है। कुछ लोगों को यह छींकने, हंसने, खांसी होने, लम्बी दूर तक चलने या जब वे बहुत अधिक देर तक बैठते हैं तब भी अधिक दर्द होता है। आइये इसके लिए योग आसन को विस्तार से जानते है।
(और पढ़े – पीठ दर्द के लिए योगासन…)
आइये साइटिका में होने वाले दर्द को कम करने के लिए कुछ योग आसन को विस्तार से जानते हैं जो साइटिका में आपके लिए बहुत ही लाभदायक होगें-
शलभासन योग पीठ के निचले हिस्से को मजबूत करता है और कूल्हे क्षेत्र में स्वस्थ रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देता है। यह साइटिका दर्द को दूर करने में मदद करता है क्योंकि जब परिसंचरण की कमी होती है तो यह उस क्षेत्र में दबाव बनता है। इस आसन को करने के लिए आप एक स्थान पर योगा मैट को बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों और पैर को सीधा फर्श पर रखें। अब अपने धड़ और दोनों पैरो को ऊपर की ओर उठायें। साथ में दोनों हाथों को भी ऊपर उठायें। आप इस मुद्रा में कम से कम 20 सेकंड तक रहने की कोशिश करें। यदि आप भी साइटिका के लिए योग को उपचार की तरह उपयोग कर सकते हैं।
(और पढ़े – शलभासन करने की विधि और फायदे…)
ब्रिज पोज़ या योग के रूप में सेतुबंध आसन साइटिका के लिए एक शानदार मुद्रा है जो पीठ को मजबूत करता है। यह हिप फ्लेक्सर्स (Hip flexors) को भी लंबा करता है और आंतरिक जांघों को मजबूत करता है। यह आसन धीरे-धीरे पीठ के निचले हिस्से और प्रमुख मांसपेशियों को नितंब में फैलाता है। यह लचीलेपन को बढ़ता है और साइटिका प्रभावित उन क्षेत्रों में गति को प्रेरित करता है जो ज्यादातर निष्क्रिय और संकुचित होते हैं। ब्रिज पोज़ ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर बनाता है।
सेतुबंध आसन करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर सीधे लेट जाएं, अब अपने पैरों को घुटनों के यहाँ से मोड़ें और अपने हिप्स को ऊपर उठायें, अपने दोनों हाथों को पीठ के नीचे आपस में जोड़ लें। इस स्थिति में रहते हुयें 20 बार साँस लें और स्थिति से बाहर आयें।
(और पढ़े – सेतुबंधासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां…)
भुजंग या कोबरा पोज एक सरल लेकिन शक्तिशाली योग है। यह आसन आपकी पीठ के निचले हिस्से और रीढ़ को एक अच्छा खिंचाव देता है और स्लिप डिस्क के कारण होने वाले दर्द से राहत देता है, जो साइटिका के प्रमुख कारणों में से एक है।
इस आसन को करने लिए आप एक योगा मैट को बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं जिसमे आपकी पीट ऊपर के ओर रहे। अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखें। अब अपने दोनों हाथों पर वजन डालते हुयें धीरे-धीरे अपने सिर को पीछे के ओर करें और ठुड्डी को ऊपर की ओर करने का प्रयास करें। आप इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।
(और पढ़े – भुजंगासन के फायदे और करने का तरीका…)
अर्ध मत्स्येन्द्रासन योग एक बैठा हुआ मोड़ है जो साइटिका के दर्द में मदद करता है क्योंकि यह बाहरी की बजाय आंतरिक रोटेशन पर केंद्रित है। यह आसन छाती को, गले को, कूल्हों को मजबूत करने और खींचने में मदद करता है। यह आसन कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से को लचीला करता है और उस क्षेत्र को आराम भी देता है। इससे रक्त परिसंचरण बढ़ जाता है और दर्द कम हो जाता है।
इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दायं पैर को बाएं पैर के घुटने के साइड में बाहर की ओर रखें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें अपने गर्दन कंधे और कमर को दाहिनी ओर घुमा लें। कुछ सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहे और फिर यही पूरी प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।
(और पढ़े – अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे और करने का तरीका…)
सलंब सर्वांगासन योग एक विलोम योग मुद्रा है अर्थात इसे करने के लिए आपको पैर ऊपर करके उल्टा होना पड़ता है। यह उचित रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता है और नितंब क्षेत्र में मांसपेशियों को आराम देता है। यह साइटिका को ठीक करने के लिए एक अविश्वसनीय रूप से प्रभावी योग है। क्योंकि इस आसन से रक्त और ऑक्सीजन की मात्रा को साइटिका क्षेत्र में पंप किया जाता है जिससे इसका दर्द ठीक हो जाता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट के सीधे पीठ के बल लेट जाएं।
अपने दोनों हाथों को सीधा रखें। अब अपने दोनों पैरों को कमर के यहाँ से मुड़े और उनकों ऊपर करें। इसके बाद अपने दोनों हाथों से पीठ को सहारा देते हुए उठायें। अपने पैरों को अधिकतम ऊंचाई तक ऊपर करें। इस स्थिति में आपकी रीड की हड्डी और आपके पैर एक सीधी रेखा में रहनी चाहियें। आपके शरीर का पूरा वजन कन्धों पर होगा और दोनों हाथ पीठ को ऊपर की ओर सीधा रखने में सहायता करेगें। इस आसन में आपको कम से कम 30 सेकंड तक रुकना हैं उसेक बाद पैरों को नीचे करते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में आना हैं।
(और पढ़े – सर्वांगासन करने का तरीका और फायदे…)
साइटिका के दर्द को दूर करने के लिए थ्रेड नीडल योग बहुत ही लाभदायक आसन है। यह आसन कूल्हों, बट (butt) और आंतरिक जांघों को फैलाता है। अपने हैमस्ट्रिंग में लचीलापन बढ़ाने के लिए अच्छा आसन है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर सीधे लेट जाएं और अपने पैरों को घुटनों के यहाँ से मोड़ लें, दोनों हाथों को सीधा फर्श पर रखें। अब अपना दायं पैर को उठा के बाएं पैर के घुटने से थोड़ा ऊपर रख लें। फिर दोनों हाथों से बाएं पैर को पकड़ के अपनी ओर खींच लें। अपने सिर को दायं पैर की पिंडली से लगाने की कोशिश करें। पुनः यह पूरी प्रक्रिया दूसरे पैर से करें।
(और पढ़े – दिल को मजबूत बनाने के लिए योगासन…)
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