Yoga for Thyroid treatment in hindi: थायराइड को ठीक करने के लिए योग आसन एक बहुत ही अच्छा घरेलू उपचार हो सकता हैं। थायराइड ग्रंथि हमारे गले में होती हैं, जो हमारे शरीर की बहुत सारी क्रियाओं को नियंत्रित करती है। जब यह सही से काम नहीं करते तो थायराइड की बीमारी हो जाती है। कुछ योग आसन से आप थायरायड ग्रंथि के काम को नियंत्रित कर सकते हैं। कई अध्ययन से पता चला हैं कि योग आसन थायरायड पर एक सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यह थायरायड से होने वाले कुछ लक्षण जैसे – थकान, कम ऊर्जा और वजन बढ़ने की संभावना को कम करते हैं। आइये आज हम योग के कुछ एसे आसन की बात करेगें जो आपके थायरायड ग्रंथि में होने वाली समस्या को ख़त्म करके उसे स्वस्थ रखने में मदद करता हैं।
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थायरायड ग्रंथि हमारे गले के अन्दर पायी जाती हैं यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथि हैं यह तितली के आकार के समान होती हैं जो साँस की नाली के पास पायी जाती हैं, इस ग्रंथि पर पीयूष ग्रंथि का नियंत्रण होता हैं। थायरायड ग्रंथि में से दो प्रकार के हार्मोन बनते हैं। जब इस हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता हैं तो व्यक्ति को थायरायड हो जाता हैं। जिससे आपके पेट में चयापचय को कम कर देता हैं या बढ़ा देता हैं। थायरायड के कारण अनेक रोग जैस थायराइड कैंसर, आयोडीन की कमी से होने वाले रोग, वजन का बढ़ना आदि होते हैं। थायरायड की समस्या को योग (Yoga For Thyroid) के कुछ आसन द्वारा कम किया जा सकता हैं। आइये थायराइड के लिए योग आसन को विस्तार से जानते हैं।
थायरायड ग्रंथि में होने वाले रोगों से छुटकारा पाने के लिए नीचे कुछ योगासन दिए जा रहे हैं जिसके नियमित अभ्यास से आप थायरायड की बीमारी से आराम पा सकते हैं। इसमें अधिकांस आसन गले के स्वास्थ को बढ़ावा देने में मदद करते हैं ये गले के चारों ओर परिसंचरण और ऊर्जा के प्रवाह को सुधारने में मदद करते हैं। आप पूरे दिन में इन आसन में से एक या दो आसन को कर सकते हैं –
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मार्जरासन योग से थायराइड से छुटकारा पाया जा सकता है। यह आसन करने वाला बिल्ली अथवा गाय के समान दिखाई देता हैं इसलिए इसे कैट-काऊ पोज़ भी कहते हैं। इस आसन को मार्जरासन के नाम से भी जाना जाता हैं। यह आपकी रीड की हड्डी में को लोचदार बनता हैं और रक्त के प्रवाह को बढ़ता हैं।
इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट पर अपने सिर को सीधा रखें हुयें घुटने टेक के अपने दोनों हाथों को जमीन पर रख लें। अब साँस को अन्दर लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर तथा अपनी ठोड़ी को ऊपर करें। अब साँस छोड़ते हुए सिर को सीधा करें। इसके बाद फिर से साँस को अपने सिर को नीचे करें और अपनी ठोड़ी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें। इस आसन को कम से कम 5 से 6 बार करें। यह थायरायड रोग में के उपचार के लिए लाभदायक होता हैं।
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यह थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करने और थायरॉक्सिन को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस विशेष मुद्रा में, उल्टे पॉज़ के कारण रक्त पैरों से सिर क्षेत्र तक बहता है जो थायरॉइड को कम करने में मदद करता है।
इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट बिछा के सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को सीधा रखें। अब अपने दोनों पैरों को कमर के यहाँ से मोड़ें और उनकों ऊपर करें। इसके बाद अपने दोनों हाथों से पीठ को सहारा देते हुए उठायें। अपने पैरों को अधिकतम ऊंचाई तक ऊपर करें। इस स्थिति में आपकी रीड की हड्डी और आपके पैर एक सीधी रेखा में रहने चाहियें।
आपके शरीर का पूरा वजन कन्धों पर होगा और दोनों हाथ पीठ को ऊपर की ओर सीधा रखने में सहायता करेगें। इस आसन में आपको कम से कम 30 सेकंड तक रुकना हैं उसेक बाद पैरों को नीचे करते हुए अपनी प्रारंभिक अवस्था में आना हैं। यह आसन आपके थायरायड समस्या को कम कर कर देगा।
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हलासन का अभ्यास कर थायराइड से बचाव किया जा सकता है। यह व्यायाम पेट और थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करते हुए गर्दन को संपीड़न देता है। यह मस्तिष्क को भी शांत करता है और तनाव और थकान को कम करता है। यह मुद्रा भारतीय हल के समान होती है, इसलिए इसे हलासन कहा जाता है।
हलासन में आपके शरीर की स्थिति एक हल के समान दिखाई देती हैं। यह आसन रीढ़ हड्डी को मजबूत हैं इसे अलावा यह अन्य बीमारियां जैसे दमा, कफ, मधुमेह और पाचन सम्बन्धी समस्या को खत्म करता हैं। यह आसन भी ऊपर दिए हुयें सर्वांगासन के सामान ही है बस आपको पैरों को उल्टा झुकाना हैं। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट बिछा के सीधे हाथ पैर कर के लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को कमर के यहाँ से मुड़े और उनकों ऊपर करें। अपने दोनों हाथों को सीधा जमीन पर ही रखें रहने दें। अब दोनों पैरों को धीरे-धीरे अपने सिर के पीछे की ओर जमीन से लगाने की कोशिश करें। इस स्थिति में अपने क्षमता के अनुसार करने ओर अपनी प्रारंभिक अवस्था में आयें।
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जब आप कपालभाति करते हैं तो साँस के साथ सभी हानिकारक तत्व आपके पेट से बहार निकल जाते हैं। यह पाचन की समस्या को खत्म कर देता हैं। कपालभाति योगासन हमारे पेट के अनेक रोगों के लिए एक बहुत ही अच्छा उपचार हैं। कपालभाति योग आसन को करने के लिए आप पहले किसी स्थान पर योगा मैट बिछा के बैठ जाएं। इसके लिए आप पद्मासन की स्थिति में बैठे के अपनी रीड के हड्डी को सीधा रखें।
अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें। अब एक गहरी साँस को अन्दर की ओर लें। उसके बाद साँस को बाहर की ओर छोड़ते हुए अपने पेट को अन्दर की ओर जितना अधिक हो सकते हैं खींचे। इसमें आपके पेट की मांसपेशियां पूरी तरह से सिकुड़ जाएगी और नाभि अन्दर की ओर हो जाएगी। फिर साँस को अन्दर लेते हुए अपनें पेट को ढीला करते जाएं। यह प्रक्रिया कई बार दोहराना हैं, इसे शुरुआत में कामे करें फिर समय बढ़ते जाएं।
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इस मुद्रा के दौरान, बहुत सारे संपीड़न और खींचने के अभ्यास होते हैं जो थायराइड ग्रंथि को नियमित करने में मदद करते हैं। यह मुद्रा रक्त परिसंचरण में सुधार और ऊपरी और मध्य पीठ के लचीलापन में सुधार करने में मदद करता है, पूरे पीठ और कंधों को मजबूत करती है, पेट को मजबूत करती है, छाती फैलाता है और तनाव और थकान को कम करता है।
कोबार पोज़ थायराइड ग्रंथि के स्वास्थ के लिए एक अच्छा आसन होता हैं, यह गर्दन के दर्द को कम करने में मदद करता हैं इस आसन को करने के लिए आप किसी साफ स्थान पर योगा मैट बिछा के अपने पेट के बल लेट जाएं जिसमे आपकी पीठ ऊपर की ओर रहें। अपने दोनों हाथों को कोहनी के यह से मोड़ें और अपनी छाती के साइड में रखें। अब अन्दर की ओर साँस लें और अपने सिर को ऊपर की ओर उठायें। ध्यान रखें की आपके कमर से लेके पैरों तक का हिस्सा जमीन से ऊपर ना उठे। साँस को बाहर छोड़ते हुए अपने सिर को नीचे करें। आप इस आसन को कम से कम 20 से 30 सेकंड तक करना चाहिए।
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यदि आप सेतुबंधासन को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम हैं, तो आप अपनी गर्दन को काफी हद तक फैला सकते हैं और थायराइड ग्रंथि को सक्रिय कर सकते हैं। यह मस्तिष्क को शांत करने, चिंता को कम करने और पाचन तंत्र में सुधार करने में मदद करता है।
इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट बिछा के सीधे पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों व पैरों के सीधा रखें। अब अपने पैरों को घुटनों के यहाँ से मोड़े और कूल्हों को धीरे-धीरे ऊपर करते जाएं। अपने दोनों हाथों से पैर की एड़ी को स्पर्श करें। इस आसन को आप 10 से 15 सेकंड के लिए करें और फिर से प्रारंभिक स्थिति में आयें। यह आपको 2 से 3 बार करना हैं। इस आसन से रीढ़ की हड्डी को मजबूत किया जाता हैं। यह पाचन को भी ठीक करता हैं। यह आसन थायरायड के उपचार में लाभदायक होता हैं।
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