Yoga Mudra in Hindi योग मुद्रा एक प्राचीन तकनीक है जिसका अभ्यास हम प्राणायाम और मेडिटेशन के दौरान करते हैं। मुद्रा संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ हावभाव (attitude) है। प्राचीन काल में साधु संत शरीर के अंदर मौजूद पांच तत्व हवा, पानी, अग्नि, पृथ्वी और आकाश को संतुलित रखने के लिए योग मुद्राएं करते थे। हमारी उंगलियों में इन तत्वों की विशेषता होती है और इनमें से प्रत्येक पांच तत्वों का शरीर के अंदर एक विशिष्ट (specific) और महत्वपूर्ण कार्य होता है। यही वजह है कि आज भी लोग योग मुद्रा का अभ्यास करते हैं।
विषय सूची
1. योग मुद्रा क्या है? – What is Yoga Mudra in Hindi
2. योग मुद्रा के प्रकार – Types of Yoga Mudra in Hindi
3. अलग-अलग तरह की योग मुद्राएं और उनके फायदे – Different Types Of Yoga Mudra And Its Benefits In Hindi
योग मुद्राएँ क्या है? What is yoga mudra योग मुद्रा शारीरिक गतिविधियों (physical movements) का एक समूह है जो व्यक्ति के मन, मनोभाव (attitude) और प्रत्यक्ष ज्ञान (perception) को बदलता है। योग मुद्रा मस्तिष्क के विशेष भागों में ऊर्जा का प्रवाह करने का काम करता है। आमतौर पर हमारे शरीर में मौजूद कई तत्व संतुलित (balanced) अवस्था में नहीं होते हैं जिसके कारण शरीर में विभिन्न बीमारियां लग जाती हैं और व्यक्ति हल्के से लेकर गंभीर समस्याओं (serious issue) से पीड़ित रहने लगता है। ऐसी स्थिति (condition) में योग मुद्रा शरीर के पांच तत्वों को संतुलित करने का काम करता है और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है।
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जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि शरीर में पांच तत्व मौजूद होते हैं और इन तत्वों (elements) के असंतुलित होने पर व्यक्ति व्याधियों से जकड़ जाता है। इन पांच तत्वों की विशेषता हमारे हाथों की उंगलियों में समाहित होती है। हाथ की पांच उंगलियों में वायु तर्जनी उंगली पर, जल छोटी उंगली पर, अग्नि अंगूठे पर, पृथ्वी अनामिका उंगली पर और आकाश (space) मध्यमा उंगली पर स्थित होता है।
इन्हीं के आधार पर योग मुद्रा को पांच समूहों (groups)में बांटा जाता है और यह आमतौर पर अभ्यास किये जाने वाले शरीर के अंगों पर निर्भर करते हैं।
ये पांच समूह निम्न हैं।
वैसे तो योग मुद्राएं सैकड़ों प्रकार की होती हैं लेकिन शरीर में मौजूद अलग-अलग बीमारियों (diseases) को दूर करने के लिए अलग-अलग योग मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है।
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आमतौर पर योग मुद्रा शरीर के विभिन्न अंगों (organs) पर निर्भर करता है लेकिन चूंकि शरीर में पाये जाने वाले पांच तत्वों का उल्लेख उंगलियों से ही किया जाता है इसलिए हस्त योग मुद्रा अधिक प्रसिद्ध (popular) है। आइये कुछ आसान और महत्वपूर्ण (crucial) योग मुद्रा करने के तरीके और उनके फायदे जानते हैं।
यह मुद्रा शरीर में पानी के तत्व (water element) को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। चेहरे पर निखार लाने का कार्य करता है क्योंकि शरीर में मौजूद तरल पदार्थों का सही तरीके से प्रवाह होता है और यह चेहरे का अच्छे से मॉश्चराइज (moisturise) करता है।
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मस्तिष्क को शांत (calm mind) रखने, त्वचा से जुड़े रोगों को दूर करने में यह मुद्रा बहुत फायदेमंद है।
वरुन मुद्रा का प्रतिदिन अभ्यास करने से शरीर में तरल पदार्थों का सर्कुलेशन सही तरीके से होता है जिसके कारण व्यक्ति को संक्रमण नहीं होता है और मुंहासे से छुटकारा मिलता है।
यह मुद्रा मांसपेशियों के दर्द से निजात दिलाता है और चेहरे पर प्राकृतिक निखार (natural glow) लाता है।
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यह सबसे मौलिक (basic) योग मुद्रा है जो एकाग्रता और ज्ञान को बेहतर बनाने में मदद करता है।
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जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है, वायु मुद्रा शरीर में वायु का संतुलन बनाये रखने के लिए किया जाता है।
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Praan mudra (प्राण मुद्रा) व्यक्ति के शरीर के जीवन तत्व (life element) को संतुलित रखने के लिए किया जाता है। यह योग मुद्रा इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है और बीमारियों से शरीर की सुरक्षा (safety) करता है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्रा इसलिए भी माना जाता है क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा से भर देता है।
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इस मुद्रा को स्वर्ग की मुद्रा (heaven mudra) भी कहा जाता है और इस मुद्रा का अभ्यास करने पर चित्त को एक विचित्र तरह की शांति मिलती है।
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शून्य मुद्रा का अभ्यास करने से कानों से न सुनाई देने या कम सुनाई देने की समस्या काफी हद तक ठीक हो जाती है। इसके अलावा कान के दर्द को दूर करने में भी यह मुद्रा फायदेमंद है।
हृदय रोगों को दूर करने, गले की समस्या, आंखों में पानी (watery eye) आने की समस्या को दूर करने और हड्डियों को मजबूत रखने में यह मुद्रा लाभदायक है।
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यह मुद्रा व्यक्ति के शरीर में सूर्य तत्व (sun element) को संतुलित रखने में मदद करता है। सूर्य की ऊर्जा का लाभ उठाने के लिए यह मुद्रा तड़के सुबह (early morning) करना चाहिए।
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