Ziddi Bachon ke liye upay जिद्दी बच्चे को कैसे हैंडल करें? ये सवाल किसी एक का नहीं बल्कि कई माता-पिता का होता है। वे जानना चाहते हैं कि अपने जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें। यदि कम उम्र में बच्चों के जिद्दी बर्ताव पर काबू न पाया जाए तो बच्चे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं इसलिए जरूरी है कि बच्चे की जिद की आदत को समय रहते ख़त्म कर दी जाएं। आजकल तो बच्चों का बढ़ता जिद्दीपन पैरेंट्स के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। इन्हें डील करना एक कठिन टास्क है और इन्हें आसानी से हैंडल करना पैरेंट्स के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि जिद्दी बच्चों को सुधारने के उपाय और जिद्दी बच्चों से डील कैसे करना चाहिए।
विषय सूची
बच्चे का जिद्दी होना वैसे तो कोई नई बात नहीं है। आज के समय में ज्यादातर बच्चे जिद्दी हैं। खासतौर पर उनकी जिद पूरी ना हो तो उनका रवैया आक्रमक हो जाता है। ऐसे में उन्हें हैंडल करना बहुत मुश्किल होता है। विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादातर बच्चों का जिद्दीपन अनुवांशिक होता है। जिस बच्चे के माता-पिता बचपन में जिद्दी होंगे, तो उनके बच्चे में ये गुण मिलना संभव है और ये बच्चे पैदाइशी जिद्दी होते हैं। आमतौर पर जब बच्चों को अपनी मनचाही चीज नहीं मिलती तो वे मचलने लगते हैं और उनकी यही आदत धीरे-धीरे आगे चलकर जिद का रूप ले लती है। वे रो-रोकर, चीख-चिल्लाकर अपनी जिद मनवाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मनोविशेषज्ञों की मानें तो कम उम्र में बच्चों का जिद्दी होना पैरेंट्स के लिए बड़ी परेशानी है।
अगर समय रहते उनकी जिद करने की इस आदत पर काबू न पाया गया तो वे आगे चलकर आक्रमक और चिड़चिड़े भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि पहले बच्चे कि जिद करने की वजह जानें और फिर इस समस्या का हल तलाशने की कोशिश करें। इस आर्टिकल में जानिए बच्चों के जिद्दी होने की वजह और जिद्दी बच्चों को ठीक करने के उपाय, जिद्दी बच्चों को प्यार से डील करने के कुछ आसान तरीके।
साइकोलॉजिस्ट के अनुसार जिद्दीपन किसी भी बदलाव को टालने का एक तरीका है। सामान्यतौर पर जिद्दी बच्चों से नकारात्मक प्रक्रिया ही मिलती है। बच्चों में ऐसा व्यवहार कई बार माता-पिता के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। अब ये जानना जरूरी है कि बच्चे आखिर जिद्दी क्यों होते हैं। तो बता दें कि कुछ बच्चे रिटर्न मिलने की उम्मीद में जिद करते हैं। बच्चों को पता होता है कि उन्हें कोई चीज चाहिए तो वह जिद्द करने से उन्हें मिल जाएगी, इसलिए जिद्द करना उनकी आदत में शामिल हो जाता है। वहीं जब पैरेंट्स बच्चे को हर संभव तरीके से नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं तो बच्चे को दर्द महसूस होता है और वह उसी दर्द से छुटकारा पाने के लिए जिद्द करने लगते हैं। जबकि कुछ बच्चे उन्हें दर्द देने वाले के साथ बदला लेने के उद्देश्य से जिद्द करते हैं।
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जानिए बच्चों में अलग-अलग तरह की जिद और उसके हल के बारे में-
आजकल बच्चों में सबसे ज्यादा जिद मोबाइल को लेकर होती है। अक्सर ऐसे बच्चों को मेबाइल मांगने की जिद करते देखा जा सकता है। अगर पैरेंट्स भूल से भी इन्हें मोबाईल देने के लिए मना कर दें तो ये बच्चे या तो रोना शुरू कर देते हैं या फिर अपने व्यवहार को क्रूर बना लेते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को क्या करना चाहिए, जानिए नीचे बताए जा रहे जवाब में-
बच्चों की जिद को हर समय हर जगह पूरा नहीं किया जा सकता, ऐसे में आप उन्हें समझाएं कि मोबाईल उनकी सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है। अगर बच्चा फिर भी न माने तो उसे कुछ देर के लिए जिद्द करने दीजिए, उसकी तरफ ध्यान भी देना छोड़ दें। थोड़ी देर गुस्सा जरूर रहेगा, लेकिन समझ जाएगा कि हर वक्त उनकी जिद्द पूरी नहीं की जा सकती।
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जिद्दी बच्चे चाहते हैं कि एक आवाज में उनकी हर इच्छा पूरी हो जाए, लेकिन पैरेंट्स के लिए हर वक्त उनकी ख्वाइश पूरी करना संभव नहीं होता, खासतौर तब जब बच्चे की ख्वाइश बहुत महंगी हो। ऐसे में उन्हें प्यार से बताएं कि अभी इस महंगी चीज के लिए उनकी उम्र छोटी है जब वे इसके लायक हो जाएंगे तब उनकी ये इच्छा पूरी कर दी जाएगी।
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जिन्हें कोई भी चीज उसी वक्त चाहिए होती है। जैसे कभी उन्हें पेंसिल चाहिए, तो कभी लंचबॉक्स या फिजूल के खिलौने तुंरत लाकर देने की डिमांड करते हैं, या फिर कभी कोई गेम या फिर कोई उनके इंटरेस्ट की चीज उन्हें उसी वक्त चाहिए होती है। ऐसे बच्चों की जिद्द को कभी उसी समय पूरा न करें। ऐसे में बच्चे और जिद्दी हो जाते हैं। बच्चे की ख्वाइश पूरी करना पैरेंट्स की जिम्मेदारी जरूर है, लेकिन उस समय तो बिल्कुल नहीं जब बच्चा उसकी जिद्द कर रहा हो। उसे बाद में कभी वो चीज लाकर दे दें।
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ज्यादातर पैरेंट्स की शिकायत होती है कि उनका बच्चा खाना न खाने की जिद करता है। दरअसल, जो बच्चे जिद्दी होते हैं, वे खाना खाने में बहुत नखरे करते हैं। घर में जो बना हो, उसके अलावा उन्हें सबकुछ खाने के लिए चाहिए होता है। ऐसे बच्चों के नखरे रोज-रोज उठाना संभव नहीं है। इसके दो ही उपाय हैं जो पैरेंट्स को करने चाहिए। एक तो यह कि बच्चे की पसंद का ही इंटरेस्टिंग खाना बनाएं उसके बावजूद भी अगर वह खाने में जिद करे तो उसे उसके हाल पर छोड़ दें, भूख लगेगी तो बच्चा आगे बढ़कर आपसे खाना मांगेंगा।
अगर आपने ध्यान दिया हो तो आजकल बच्चे पैरेंट्स से हर दिन पैसे मांगने की जिद करते हैं। कभी उन्हें चॉकलेट चाहिए होती है, तो कभी चिप्स या कभी कोई गेम खेलने के लिए पांच से दस रूपए रोजाना उन्हें चाहिए। पैरेंट्स ही होते हैं जो उनकी जिद को उनकी इच्छा समझने की भूल कर देते हैं और बाद में खुद ही पछताते हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि पहली बार में ही बच्चे को उसकी जिद से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में बताएं, जिससे वह खुद ब खुद जिद छोड़ने के लिए मोटीवेट हो सके, लेकिन फिर भी वह जिद करे, रोए चिल्लाए, तो भी अपना फैसला न बदलें। ऐसा करने पर उसे आपकी कमजोरी समझ आ जाएगी और फिर वह ऐसी जिद एक बार नहीं बल्कि बार-बार करेगा।
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बच्चों को प्यार के साथ हमेशा नियम और अनुशासन की जरूरत होती है। उन्हें पता होना चाहिए कि उनके द्वारा जिद से किए गए काम के परिणाम क्या होंगे। सुनिश्चित करें कि बच्चा गलती करने के परिणामों से पूरी तरह अवगत हो। अगर आपका बच्चा जिद करे तो जरूरी है कि उसे तत्काल सजा दी जाए, लेकिन सजा का मतलब यहां मारने या डांटने से नहीं है, बल्कि सजा के लिए अलग से विकल्प अपनाए जा सकते हैं। सजा के रूप में आप उनके टीवी देखने के समय में कटौती कर सकते हैं, उनके खेलने का समय घटा सकते हैं। उन्हें छोटे-छोटे काम असाइन कर सकते हैं। ये भी जिद्दी बच्चों के लिए एक सजा है, लेकिन यकीन मानिए इस सजा के जरिए जहां आपकी समस्या का हल मिलेगा वहीं आपको रचनात्मक परिणाम भी मिलेंगे।
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खाने का नाम सुनते ही बच्चे आना कानी करने लगते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तो उन्हें उनकी पसंद का खाना नहीं मिलता, दूसरा यह उनकी रोज की आदत बन चुकी है। ऐसे बच्चों की खाने को लेकर अलग-अलग तो कभी अजीबो-गरीब डिमांड रहती है। हर बार उसी समय उनकी इच्छा के हिसाब से खाना नहीं बनाया जा सकता, ऐसे में बेहतर है कि आप वही तैयार करें जो आपके बच्चे को पसंद हो, ताकि वे लंच और डिनर का मजा ले सकें।
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यदि आप भी अपने बच्चे की जिद से परेशान हैं और जिद्दी बच्चों को ठीक करने के उपाय खोज रहें हैं तो हम आपको जिद्दी बच्चों को कैसे सुधारें के बारे में बता रहें हैं
अपने जिद्दी बच्चे से व्यवहार करते समय उससे बहस करने की गलती बिल्कुल भी ना करें। बेहतर है बच्चा क्या कहना चाहता है वो सुनें। अगर आपका बच्चा किसी चीज की जिद लिए देर तक रो रहा है तो आप उसे बताएं कि आप उससे तब तक बात नहीं करेंगे जब तक की वो अच्छे मूड में न आ जाए। ऐसा कहकर आप उस कमरे या उस जगह से चले जाइए।
अगर आपका बच्चा शांत रहने की कोशिश कर रहा है तो आपको भी उसे शांत स्वर में ही बात करनी चाहिए। अपना गुस्सा या शर्मिन्दगी उसे न दिखाएं, अगर आपने ऐसा किया तो बच्चा उसी चीज को पकड़ लेगा और शांत व्यवहार नहीं कर पाएगा।
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यदि आप उन्हें उनकी जिद से भी कोई चीज नहीं दिलाना चाह रहे हैं तो बच्चों को उसका सही कारण बताएं। यदि वह आपके कारण को समझता है तो निश्चित रूप से वह आपके साथ तालमेल बैठा पाएगा। ध्यान रखें कि आपका बताया हुआ कारण ऐसा नहीं होना चाहिए जिसे जनकर बच्चा डर जाए। बच्चे को तार्किक कारण दें तो बच्चा जरूर समझ जाएगा।
यदि बच्चा किसी चीज की जिद करें और अपनी बात मनवाने पर अड़ जाए तो उसका ध्यान इस बात पर से हटाने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए अगर आपका बच्चा एक सुपरसॉनिक कार खरीदना चाहता है तो आप उसका ध्यान कारों की एक किताब पर लगाएं। यह उसका ध्यान भटकाने का बेहतर तरीका है। ऐसा करना न केवल उसे कारों की नॉलेज देगा बल्कि उसे कम जिद्दी भी बनाएगा और हमेशा आपको उसे हैंडल करना आसान हो जाएगा।
कहानियां बच्चों को कुछ भी सिखाने या समझाने का बेहतर तरीका होती हैं। अगर आपका बच्चा भी जिद्दी है तो उसे जिद्दी बच्चों के बारे में कहानियां सुनाएं। उन्हें बताएं कि जिद्दी बच्चे कैसे होते हैं, कैसे उपद्रव मचाते हैं। यकीनन बच्चों को अगर ये बात समझ आ जाएगी तो वे एक आज्ञाकारी बच्चा बनने की कोशिश जरूर करेंगे।
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ये सच है कि बच्चा सबकुछ अपने पैरेंट्स से सीखता है। इसलिए आप अपने बच्चे के लिए अच्छा रोल मॉडल बनें। उसे देखने दें कि आप पेशंस खोए बिना तनावपूर्ण स्थिति को कैसे हैंडल करते हैं। उन्हें यह समझने दें कि गुस्सा होना ठीक है, लेकिन हर बात की जिद पकड़कर नखरें करना ठीक नहीं है।
अपने बच्चों को वो काम चुनने के लिए कहें जो आप उनसे कराना चाहते हैं। जब आप अपने बच्चे को यह विकल्प देते हैं तो निश्चित रूप से आप उन्हें बता देते हैं कि आप उन चीजों के बारे में उनकी राय को भी महत्व देते हैं।
सुनिश्चित करें कि आपके घर में शांतिपूर्ण वातावरण हो। घर का वातारण शांत होगा तो इससे आपके बच्चे का स्वभाव शांत बनेगा। अगर घर में रोज के झगड़े होते हैं और अशांतिपूर्ण माहौल रहता है तो बच्चे उग्र होने के साथ जिद्दी भी बन जाते हैं और नखरें करने लगते हैं। इसलिए घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाएं इससे बच्चे भी अपनी भावनाओं को सकारात्मक तरीके से संभालना सीखेंगे।
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जब आप अपने बच्चे की हर इच्छा पूरी करते हैं, तो वे इसके आदी हो जाते हैं और एक बार पैरेंट्स के किसी भी चीज पर मना करने के बाद वह जिद करने लगते हैं। इसलिए पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि बच्चों को ना कहना भी सीखें। बच्चों को ये अहसास जरूर कराएं कि हर बार उनकी इच्छा पूरी नहीं की जा सकती।
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बच्चों को हर छोटी बात पर टोकना उन्हें डांटना, पांबदी लगाना उनमें असंतोष पैदा करता है। लेकिन इससे बचने के लिए उन्हें कुछ भी करने की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती। इसलिए अपने बच्चों के लिए प्यार और अनुशासन दोनों की एक लिमिट तय करें। जिद करने पर बच्चे को जहां प्यार से समझाना जरूरी है वहीं न समझने पर उनके साथ सख्ती से पेश आना भी उतना ही जरूरी है।
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